रेशम । Silk
रेशम (Silk) प्राकृतिक प्रोटीन से बना रेशा है। जो रेशम के कीड़ो (Silkworm) के लार्वा से प्राप्त होता है। रेशम के रेशो में मुख्यतः फिब्रोइन (fibroin) नामक तत्व पाया जाता है। सबसे उत्तम प्रकार का रेशम शहतूत के पत्तों पर पलने वाले कीड़ों के लार्वा से प्राप्त होता है।

रेशम का इतिहास (History of Silk)
रेशम एक प्रकार का महीन चमकीला और दृढ़ तंतु या रेशा जिससे कपड़े बुने जाते हैं। यह तंतु कोश में रहनेवाले एक प्रकार के कीड़े तैयार करते हैं।
रेशम के कीड़े ‘पिल्लू’ कहलाते हैं और बहुत तरह के होते हैं। जैसे,—विलायती, मदरासी या कनारी, चीनी, अराकानी, आसामी, इत्यादि। चीनी, बूलू और बड़े पिल्लू का रेशम सबसे अच्छा होता है। ये कीड़े तितली की जाति के हैं।
रेशम कीट (Silkworm)

रेशम कीट, कीट वर्ग का प्राणी है। इसका वैज्ञानिक नाम Bombyx Mori है। रेसम, रेशम कीट/ रेशम के कीड़े के लारवा से प्राप्त होता है। इनका पालन चीन में लगभग 5000 वर्ष पूर्व से होता आया है।यह पेड़ के पत्तियों को खाते है।
रेशम कैसे बनता है?(How is Silk made)
रेशम कीट नर और मादा दो प्रजाति के पाये जाते है। मादा रेशम कीड़ा नर कीड़े से मैथुन करके 300-400 अंडे देती है। प्रत्येक अण्डे से लगभग 10 दिन में एक नन्हा कीट लार्वा (Caterpillar) निकलता है।
अंडा फूटने पर ये बड़े पिल्लू के आकार में होते हैं और रेंगते हैं। इस अवस्था में ये बहुत पंत्तियाँ खाते हैं। शहतूत की पत्ती इनका पसंदीता भोजन है। लगभग 30 से 40 दिन में, लार्वा बड़ा होकर गोल मटोल हो जाता है।
तत्पश्चात पिल्लू एक कोश बनाकर उसके भीतर चले जाते हैं। इसके बाद, यह रेशम का कीड़ा 3-8 दिन तक अपने लार ग्रंथियो से एक खास प्रकार के द्रव्य का स्त्राव करते है, जिसमे एक खास प्रकार का प्रोटीन होता है। जो वायु के संपर्क में आने पर कठोर होकर धागे का रूप ले लेता है। इस प्रोटीन के फलस्वरूप कीड़े के चारों ओर एक गोला जैसा बन जाता है जिसे कोया या ककून (Cocoon) कहते है।
जब रेशम के कीड़े की कोश के भीतर रहने की अवधि पूरी हो जाती है, जो साधारणतः 12-15 दिन की होती है। तो रेशम कीट क्षारीय स्राव की सहायता से कोये को काटता हुआ बाहर निकल कर उड़ जाते है।
जिससे रेशम का धागा अनेक टुकड़ो में टूट जाता है, इसलिए रेशम प्राप्त करने के लिए पूर्णकीट के बाहर निकलने से पहले ही कोये को खौलते गर्म पानी में डाल दिया जाता है। जिससे कीट मर जाता है और गोले से रेशम का रेशा निकाल लिया जाता है। एक गोले रेशम से 500 से 1000 मीटर तक लंबा रेशम का धागा प्राप्त होता है। जिसका प्रयोग वस्त्र निर्माण में किया जाता है।
रेशम का प्रयोग (Uses of Silk)
रेशम की गिनती सबसे मुलायम, चमकदार और आरामदायक वस्त्रों में होती हैl आज इस मशीनी युग में विभिन्न प्रकार के कृत्रिम और अप्राकृतिक वस्त्रो से बाज़ार भरा पड़ा है फिर भी गुणवत्ता और श्रेष्ठता के कारण आज भी रेशम से बने वस्त्रो की मांग है।
आज चीन, जापान, भारत, इटली, स्पेन, फ्रांस आदि देशों में रेशम के कीड़ों से बड़े पैमाने पर रेशम का उत्तपादन किया जाता है।
silkworm silk cocoon silkworm cocoons silk fabric