Sindhudurg (Maharashtra): History & Tourist Places in Hindi
सिंधुदुर्ग भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक जिला है। ज़िले का मुख्यालय ओरोस है। यह ज़िला रत्नागिरि जिले से अलग कर के बनाया गया था। खूबसूरत समुद्र तट, पहाड़ियों और प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण सिंधुदुर्ग महाराष्ट्र का दूसरा सबसे छोटा जिला है।
Sindhudurg: History & Tourist Places in Hindi
राज्य | महाराष्ट्र |
क्षेत्रफल | 5207 वर्ग किमी. |
भाषा | हिन्दी, मराठी, कोंकणी, अंग्रेजी |
दर्शनीय स्थल | सिंधुदुर्ग किला, अचारा बीच, देवगढ़ किला, परीक्षित प्वाइंट, धामपुर झील, कंकेश्वर, दपोली मठ आदि। |
यात्रा | सितंबर से मई। |
सिंधुदुर्ग (दो संस्कृत या हिन्दी शब्दों, सिंधु यानि समुद्र और दुर्ग यानि किला से मिल कर बना है और जिसका अर्थ समुद्र का किला है।
सिंधुदुर्ग में कृषि और मछलीपालन लोगों की आजीविका का मूल स्रोत है। आम, कटहल, काजू, नारियल यहां की मुख्य फसलें हैं। यह क्षेत्र हाथ की बुनाई, मिट्टी के बर्तनों, लकड़ी पर की गई नक्कासी के लिए भी काफी चर्चित है।
सिंधुदुर्ग दर्शनिय स्थल (Places to visit in Sindhudurg)
Sindhudurg Tourist Places: तीर्थाटन और पर्यटन दोनों दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण जिला है। कोंकण क्षेत्र के दक्षिण में स्थित यह जिला पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में सहयाद्रि पहाड़ियों से घिरा है। इसके उत्तर में रत्नागिरी और दक्षिण में गोवा है। मारूती, भवानी, महादेव और जरीमाई यहां के लोकप्रिय मंदिर हैं। यहां का विजय दुर्ग और पदमगढ़ किला भी पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र में होते हैं।
सिंधुदुर्ग किला (Sindhudurg Fort)
सिंधुदुर्ग एक समुद्री किला है जो मालवा तट के एक द्वीप में स्थित हैं। इस किले को 1664 ई. को छत्रपति शिवाजी ने बनवाया था। यह किला मराठा साम्राज्य के स्वर्णिम युग का मूक गवाह सा प्रतीत होता है। साथ अरब सागर में मराठों के आधिपत्य का यह किला प्रत्यक्ष प्रमाण है। किले के प्रवेश द्वार में तीन प्रकार के लंगर देखे जा सकते हैं। किले में शिवाजी को समर्पित एक मंदिर भी है जिसे राजाराम ने बनवाया था। किले की दीवारों पर राजा के हाथ और पैरों के निशान देखे जा सकते हैं।
अचारा बीच (Achara beach)
यह बीच सिंधुदुर्ग के सबसे आकर्षक बीचों में एक है। यह बीच मालवा से 22 किमी. और कोंकावडी से 36 किमी. की दूरी पर स्थित है। तैराकों और धूपस्नान करने वालों के लिए यह बीच स्वर्ग के समान है। डॉल्फिन मछली भी यहां दिखाई पड़ जाती है। विशेष मौसन में प्रवासी पक्षियों का झुंड भी यहां देखा जा सकता है।
देवगढ़ किला (Devgarh Fort)
यह किला सिंधुदुर्ग के देवगढ़ में स्थित है। शान की प्रतीक इस किले की दीवारें अविकल खड़ी हुई हैं। किले के भीतर एक लाइटहाउस भी देखा जा सकता है। किले को चारों तरफ से आम के पेड़ों ने घेर रखा है। किला अरब सागर और एक संकरी खाड़ी के मध्य बना हुआ है।
परीक्षित प्वाइंट (Parikshit Point)
यह स्थान अंबोली गांव के निकट अंबोली गार्डन से 2 किमी. भीतर स्थित है। यह आसपास की सहयाद्रि पहाड़ियों के सबसे ऊंचे प्वाइंटों में एक है, जहां परीक्षित प्वाइंट नामक टॉवर बना हुआ है। प्वाइंट से कोंकण क्षेत्र के घने जंगलों के सुंदर नजार देखे जा सकते हैं। वेनगुरला, सामंतवाडी, रत्नागिरी और बेलगांव से यहां के लिए नियमित बसें चलती रहती हैं।
धामपुर झील (Dhaampur Lake)
यह झील मालवा ताल्लुक का एक बेहतरीन पिकनिक स्थल है। सिंधुदुर्ग के दक्षिणी हिस्से में स्थित इस झील में विविध प्रकार की जलक्रीडाओं का आनंद उठाया जा सकता है। इस झील के चारों तरफ पेड़ों से घिरी सुंदर पहाड़ियां हैं। झील के किनारे भगवती देवी का प्राचीन मंदिर भी देखा जा सकता है।
सूफी संत कमर अली दरगाह (Kamarali Durvesh Dargah)
संगमरमर से बनी सूफी संत की यह जगह सिंधुदुर्ग के शिवपुर में स्थित है। यह स्थान सोने की जरी से लिपटा हुआ है। फूलों की महक इस स्थान को खुशबू से भर देती है। सूफी संत के सम्मान में यहां एक मकबरा भी बना हुआ है। दो विशाल शिलाखंड यहां के मुख्य आकर्षण हैं। महिलाओं का प्रवेश यहां वर्जित है।
कंकेश्वर (Kanakeshwar)
यह खूबसूरत तटवर्ती स्थान सिंधुदुर्ग जिले का प्रमुख तीर्थस्थल है। यह स्थान नक्कासियों से सुसज्जित कंकेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां के साफ, सुथरे और खुले बीच व मोतियों के समान चमकता पानी लोगों को काफी आकर्षित करता हैं। स्थान खजूर और आम के पेड़ों से भरा हुआ है जहां लोग पिकनिक के लिए नियमित रुप से आते रहते हैं।
दपोली मठ (Dapoli Math)
सिंधुदुर्ग के भोगवे गांव में स्थित यह मठ कुदलदेशकर नाम से भी जाना जाता है। इस मठ के अनुयायी सामंतवाडी, रत्नागिरी, बेलगांव, हुबली, धर्वा, कोल्हापुर आदि क्षेत्रों में फैले हुए हैं। नेरू का करलेश्वर मंदिर, और परूल का आदि नारायण मंदिर इस क्षेत्र के अन्य निकटवर्ती आकर्षण हैं।
शिल्प ग्राम (Shilpgram)
सामंतवाडी में यह कला और हस्तशिल्प का गांव है। यहां कोंकण क्षेत्र के ग्रामीण कलाकारों को प्रोत्साहन दिया जाता है। यहां के एंपीथियेटर में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं।
सनसेट प्वाइंट (Sunset point)
सनसेट प्वाइंट अंबोली का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। सूर्यास्त के सुंदर नजारों के अलावा आसपास के इलाके की सुंदरता को यहां से निहारा जा सकता है। ग्रामदेवत को समर्पित एक मंदिर भी यहां देखा जा सकता है।
जलप्रपात (Waterfall)
सिंधुदुर्ग जिले का अंबोली और नंगरतास जलप्रपात यहां आने वाले सैलानियों को काफी लुभाते हैं। अंबोली जलप्रपाल अंबोली से 3 किमी. और नंगरतास 10 किमी. की दूरी पर है। इन झरनों के आसपास का वातावरण बहुत लुभावना और सुरम्य है।
शिवराजेश्वर मंदिर (ShivRajeshwar Temple)
यह एक अद्वितीय मंदिर है जो मालवा के निकट स्थित है। एक ऊंचे चबूतर पर स्िथत इस मंदिर को छत्रपति शिवाजी के पुत्र राजाराम ने अपने पिता की याद में बनवाया था। काले पत्थर से बनी शिवाजी की एक आकर्षक प्रतिमा यहां स्थापित है। शिवाजी द्वारा इस्तेमाल की गई दोधारी तलवार भी यहां देखी जा सकती है।
सिंधुदुर्ग कैंसे पहुंचे (How to Reach Sindhudurg)
वायु मार्ग– गोवा, पणजी और मुंबई यहां का निकटतम एयरपोर्ट है जो देश के अनेक शहरों से विविन्न फ्लाइटों के द्वारा जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग– कोंकण रेलवे का एक स्टेशन सिन्धुदुर्ग में है। मात्र कुछ ट्रेनें ही यहां रूकती हैं।
सड़क मार्ग– सिंधुदुर्ग सड़क मार्ग द्वारा मुंबई, रत्नागिरी और पणजी से जुड़ा है। राज्य परिवहन की अनेक बसें इसे राज्य और अन्य शहरों से जोड़ती हैं।
कहां ठहरें– सिन्धुदुर्ग और उससे कुछ ही दूरी पर स्थित गोवा में ठहरने के लिए होटलों की उत्तम व्यवस्था है।