Sitamarhi (Bihar): History & Tourist Places in Hindi
सीतामढ़ी (Sitamarhi) भारत के बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल के सीतामढ़ी ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। पौराणिक आख्यानों में सीता की जन्मस्थली के रूप में उल्लिखित है।
Sitamarhi: History, Facts & Tourist Places In Hindi | wiki
राज्य | बिहार |
क्षेत्रफल | 2185.17 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | भोजपुरी |
दर्शनीय स्थल | जानकी मंदिर, हलेश्वर स्थान, पंथ पाकर, देवकुली, बोध्यान मंदिर आदि। |
विशेष | सीता जी की जन्म स्थली |
कब जाएं | नवम्बर से मार्च |
सीतामढ़ी सीता जी की जन्म स्थली है। धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध इस जगह का सम्बन्ध त्रेता युग से माना जाता है। जानकी मंदिर, हलेश्वर स्थान, पंथ पाकर, शुक्रेश्वर स्थान, देवकुली आदि भी यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है।
माना जाता है कि 500 वर्ष पूर्व यह स्थान जंगल से घिरा हुआ था। एक बार यहां एक हिन्दू तपस्वी बीरबल दास दिव्य अत: प्रेरणा के लिए इस स्थान पर आए थे। वह अयोध्या से यहां आए थे और उन्होंने इस जगह से जंगल को पूरा साफ कर दिया था।
इस स्थान पर उन्होंने राजा जनक द्वारा एक मंदिर का निर्माण करवाया था और इस मंदिर में कुछ मूर्तियां स्थापित की थी। इस मंदिर में सीता की उपासना की जाती है। इस मंदिर को ही जानकी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
जानकी मंदिर (Janki Temple)
सीतामढ़ी स्थित जानकी मंदिर सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सीतामढ़ी सीता का जन्म स्थान है। राजा जनक की पुत्री सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 100 वर्ष पूर्व किया गया था।
हलेश्वर स्थान (Haleshwar Sthan)
हलेश्वर सीतामढ़ी के उत्तर-दक्षिण से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। पौराणिक कथा के अनुसार, विदेह के राजा ने पुत्रयशत्री यजन के अवसर पर इस मंदिर की स्थापना की थी।
पंथ पाकर (Panth-Pakar, Sitamarhi)
सीतामढ़ी के उत्तर-पूर्व से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर बरगद का एक प्राचीन वृक्ष है। कहा जाता है कि जब सीता विवाह के पश्चात् भगवान राम के साथ जनकपुर से अयोध्या पालकी पर जा रही थीं तो कुछ समय के लिए उन्होंने इसी बरगद के वृक्ष के नीचे विश्राम किया था।
देवकुली (Devkuli)
देवकुली सीतामढ़ी शहर के पश्चिम से 19 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पर एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त, यह द्रौपदी का जन्म स्थान भी है।
बोध्यान मंदिर (Swami Bodhayan Temple)
यह जगह धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसी जगह पर महर्षि बोध्या ने काफी संख्या में महाकाव्य लिखे थे। पाणिनी उन्हीं के शिष्यों में से एक थे। माना जाता है कि लगभग 37 वर्ष पूर्व प्रसिद्ध संत देवराह बाबा ने बोध्यान मंदिर की नींव रखी थी।
शुक्रेश्वर स्थान (Shukreshwar Sthan)
यह जगह सीतामढ़ी के उत्तर-पश्चिम से 26 किलोमीटर की दूरी पर है। यह जगह महान् संत सुखदेव मुनि का उपासना स्थल था। यहां स्थित विशाल और प्राचीन मंदिर भगवान शुक्रेश्वर को समर्पित है। शुक्रेश्वर को भगवान शिव के नाम से भी जाना जाता है।
पुपरी (Pupri)
यहां पर प्रसिद्ध बाबा नागेश्वरनाथ का मंदिर है। भगवान शिव का एक नाम बाबा नागेश्वरनाथ भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव स्वयं ही नागेश्वर नाथ महादेव के रूप में प्रकट हुए थे।
सीतामढ़ी कैंसे पहुंचे (How to Reach Sitamarhi)
वायु मार्ग: यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा पटना स्थित जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।
रेल मार्ग: भारत के कई प्रमुख शहरों से सीतामढ़ी रेलमार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग: सीतामढ़ी सड़कमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
कहां ठहरें: सीतामढ़ी में ठहरने के लिए होटलों का अभाव है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटक इसके नजदीकी शहर पटना में ठहरते हैं। पटना के प्रमुख होटलों की सूची इस प्रकार है।