Siwan (Bihar): History & Tourist Places in Hindi
सीवान या सिवान, भारत के बिहार प्रान्त में सारन प्रमंडल के अंतर्गत एक शहर है। यह सीवान ज़िले का मुख्यालय भी है।
Siwan: History, Facts & Tourist Places | wiki
राज्य | बिहार |
क्षेत्रफल | 2219 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | भोजपुरी और हिन्दी |
दर्शनीय | अमरपुर, फरीदपुर, दरौली, दोन, हसनपुर, महाराजगंज आदि। |
विशेष | भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मभूमि |
स्थल | अक्टूबर से मार्च |
इसका जिला मुख्यालय सिवान शहर है। कुछ लोगों का मानना है कि इस जगह पर भगवान बुद्ध की मृत्यु हुई थी। इस जगह को अलीगंज सावन के नाम से भी जाता है। यह नाम अली बक्स के नाम पर रखा गया था।
सिवान ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह जिला गोपालगंज जिला के उत्तर, घाघरा नदी के दक्षिण, सारण जिले के पूर्व और देवरिया जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है।सिवान के जिरादेई में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म हुआ था।
नौवीं शताब्दी में सिवान शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दोन से बुद्ध स्तूप प्राप्त हुआ था। यह जिला बिहार राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है। अमरपुर, फरीदपुर, दरौली, दोन, हसनपुर, महाराजगंज, भीखाबांध, महेन्द्र और मिराव धाम आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
अमरपुर (Amarpur)
दरौली के पश्चिम से तीन किलोमीटर की दूरी पर अमरपुर गांव स्थित है। इस गांव का नाम अमर सिंह के नाम पर रखा गया था। गांव में लाल ईटों से बनी एक मस्जिद है। यह मस्जिद घाघरा नदी के तट पर स्थित है। मस्जिद का निर्माण मुगल शासन के दौरान शाहजहां (1626-1658) ने करवाया था। शाहजहां ने मस्जिद को नैब अमर सिंह की देख-रख में बनवाया था लेकिन इसका निर्माण कार्य अधूरा ही रह गया था।
फरीदपुर (Faridpur)
यह जगह अंदर के काफी समीप स्थित है। अंदर मौलाना मजहरुल हक की जन्मभूमि है। स्वतत्रता आंदोलन के समय में मौलाना मजहरूल हक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक थे।
दरौली (Darauli)
दरौली एक खण्ड मुख्यालय है। माना जाता है कि इस जगह की स्थापना शाहजहां के बड़े बेटे की मृत्यु के बाद हुई थी। शाहजहां के बड़े पुत्र का नाम दारा अली था, जिन्होंने बाद में अपना नाम बदलकर दरौली रख लिया था। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जता है।
दोन गांव (Don Buzurg village)
यह गांव दरौली खण्ड स्थित है। यहां एक प्राचीन किले के अवशेष मौजूद है। कहा जाता है कि इस किले का सम्बन्ध महाभारत के प्रसिद्ध नायक और कौरवों और पांडवों के गुरू आचार्य द्रोणाचार्य से रहा है। इसके अतिरिक्त यहां एक प्रसिद्ध स्तूप भी है। इस कारण यह जगह बौद्धों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है।
माना जाता है कि बौद्ध यात्री ह्वेनसांग यहां घूमने के लिए आए थे। वर्तमान में दोना स्तूप एक पर्वत पर स्थित है। स्तूप के ऊपर एक मंदिर बना हुआ है। जिस पर हिन्दू देवी तारा की खूबसूरत मूर्ति स्थापित है। यह प्रतिमा नौवीं शताब्दी के समय की है। काफी संख्या में बौद्ध धर्म के लोग यहां घूमने के लिए आते हैं।
हसनपुर (Hasanpur)
हुसैनगंज खण्ड में हसनपुर गांव स्थित है। कहा जाता है कि मखदूम सैयद हसन चिश्ती ने इस जगह की स्थापना की थी। मखदूम सैयद एक संत थे। वह अरबिया से भारत आए थे और यहीं पर बस गए थे। इसके अलावा उन्होंने खानखाह की स्थापना भी की थी।
महाराजगंज (Maharaj ganj)
वर्तमान में यह खण्ड मुख्यालय है। इसे बसनौली गंगार के नाम से भी जाना जाता है। इस जगह पर जिले का सबसे बड़ा बाजार लगता है। इसी स्थान पर भारतीय स्वंतत्रता आंदोलन के महान् नायक श्री फुलें प्रसाद ने कार्यो को अंजाम दिया था और ब्रिटिशों के विरूद्ध लड़ाई लड़ी थी।
भीखाबांध (Bhukha Bandh)
भीखाबांध गांव महाराजगंज ब्लॉक में स्थित है। यहां पर एक विशाल वृक्ष है। इस वृक्ष की छांव के नीचे भईया-बहिनी मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि 14वीं शताब्दी में यह भाई-बहन मुगल सैनिकों के लड़ते हुए यहीं पर मारे गए थे।
महेन्द्र गांव (Mahendra Village)
सिवान खण्ड स्थित महेन्द्र गांव में भगवान शिव और विश्वकर्मा का मंदिर है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि और विश्वकर्मा पूजा (17 सितम्बर) के दिन काफी संख्या में लोग मंदिर में आते हैं। यह गांव मंदिर के साथ-साथ यहां स्थित सरोवर के लिए भी जाना जाता है।
यह सरोवर लगभग 52 बीघा की जमीन में फैला हुआ है। कहा जाता है कि इनका निर्माण नेपाल के एक राजा ने करवाया था। अपने रोगों से मुक्ति पाने के लिए काफी संख्या में लोग सरोवर में स्नान करते हैं।
मैरवा धाम (Mairwa Dham)
यहां पर भगवान ब्रह्मा का एक मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण एक संत ने करवाया था। इस जगह को हरि बाबा का स्थान भी कहा जाता है। झारही नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष कार्तिक और चैत्र माह में मेले का आयोजन किया जाता है। यहां मिराव का घर भी है जिसे कुष्ठ सेवाश्रम के नाम से जाना जाता है।
सिवान कैंसे पहुंचे (How to reach Siwan)
वायु मार्ग: यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा पटना स्थित जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।
रेल मार्ग: सिवान में रेलवे स्टेशन है। रेल मार्ग द्वारा सिवान भारत के कई प्रमुख शहरों से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग: सिवान सड़कमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
कहां ठहरें: सिवान में ठहरने के लिए होटलों का अभाव है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटक इसके नजदीकी शहर पटना में ठहरते हैं।