सोमनाथ मंदिर, गुजरात
सोमनाथ मन्दिर, (Somnath Temple) भारत के गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल में अवस्थित है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंग में से प्रथम है। इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, इसलिए इसका नाम सोमनाथ पड़ा।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Temple Complete Guide)
Location | वेरावल (गुजरात) |
Type | हिन्दू मंदिर |
Status | प्रथम ज्योतिर्लिंग |
निकटतम रेलवे स्टेशन – वेरावल निकटतम हवाई अड्डा – दीव, राजकोट, अहमदाबाद, वड़ोदरा | |
Dedicated to | भगवान शिव |
Darshan Timings | प्रातः 6 से रात्रि 9.30 तक। |
Aarti Timing | प्रातः 7, मध्य 12:00, शाम 7:00 बजे। |
Entry Fee | कोई शुल्क नही |
Sound and Light Show | रात्रि 8.00 से 9.00.(शुल्क) |
Cameras, Mobile Phones | अनुमति नही (Not allowed) |
Current Structure Constructed in | 1951 |
Current Structure Constructed by | सरदार वल्लभ भाई पटेल |
Architectural Style | गुजरात चालुक्य वास्तुकला शैली |
Offical Website | www.somnath.org |
सोमनाथ मंदिर पौराणिक कथा (Mythological Story Of Somnath Temple)
एक बार दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चन्द्रमा से किया, किन्तु चन्द्रमा उनकी एक पुत्री रोहिणी को ही अधिक प्रेम करते थे। इस पर बाकी कन्याओं ने अपने पिता से अपनी उपेक्षा की बात कही। तब दक्ष ने चंद्रमा को समझाया, मगर चंद्र नहीं माने। इस पर दक्ष ने उन्हें क्षयरोगी होने का श्राप दे दिया। चन्द्रमा तत्काल क्षयग्रस्त हो गए।
तब देवताओं के कहने पर उन्होंने प्रभास क्षेत्र में आकर मृत्युंजय मंत्र का जाप किया, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनका कष्ट हरा। उन्होंने दक्ष के वचन की लाज रखने के लिए कहा कि कृष्ण पक्ष में तुम्हारी एक-एक कला घटेगी और शुक्ल पक्ष में बढ़ेगी तथा पूर्णमासी को तुम्हें पूर्ण चंद्रत्व प्राप्त होगा।
शाप मुक्त होकर चंद्रदेव ने सभी देवताओं के साथ मिलकर मृत्युंजय भगवान से मां पार्वती के साथ प्राणियों के उद्धार के लिए वहीं निवास करने की प्रार्थना की। तभी से भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां रहने लगे।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Somnath Temple History In Hindi)
विश्वकर्मा ने किया था मंदिर का निर्माण
भगवान शिव द्वारा शाप से मुक्त होने पर चंद्रमा ने धमजान शिव के शिवलिंग रूप में निवास करने के लिए मंदिर बनवाना चाहा। जिसका निर्माण करने के लिए चंद्रमा ने भगवान विश्वकर्मा से विनती करी।
भगवान विश्वकर्मा ने सोमनाथ के मंदिर का निर्माण किया। विश्कर्मा ने मंदिर दूध के समान सफेद और चमकीला बनाया था। इस मंदिर के चारों ओर अन्य चौदह मंदिर भी बनवाए गए थे।
कालखण्ड बीतते गए और मंदिर का स्वरूप बदलता गया। वर्तमान में जो सोमनाथ मंदिर है वह भी आक्रमणों का शिकार हुआ जिसे आजादी के बाद नया स्वरूप प्रदान किया गया।
आक्रमणकारियों का इतिहास (History of Somnath Temple Attacks in Hindi)
प्राचीन सोमनाथ मंदिर को सन 1024 में महमूद गजनवी ने नष्ट कर दिया था। कहा जाता है कि जब शिवलिंग नहीं टूटा, तब उसकी बगल में भीषण अग्नि जलाई गई। मंदिर में 56 खंभे थे और जिसमे हीरे, मोती आदि बहुमूल्य रत्न जड़े हुए थे। जिसे लूट लिए गए।
महमूद गजनवी के बाद राजा भीमदेव ने पुनः प्रतिष्ठा कराकर मंदिर को पवित्र किया और सिद्धराज जयसिंह ने (सन 1093 से 1142) में मंदिर की पुनः प्रतिष्ठा में बड़ी सहायता की। सन 1168 में विजयेश्वर कुमारपान ने प्रसिद्ध जैनाचार्य हेमचंद्र सूरी के साथ सोमनाध की यात्रा करके मंदिर मंदिरका सुधार किया।
सौराष्ट्रपति राजा खंगार ने भी मंदिर की श्री वृद्धि में सहायता की, परंतु मुसलमानों के अत्याचार इसके बाद भी बंद नहीं हुए। सन 1297 में अलाउद्दीन खिलजी ने पुनः सोमनाथ का ध्वंस किया और उसके सेनापति नसरत खां ने उसे लूटा । इसके बाद सन 1395 में गुजरात का सुल्तान मुजफ्फर शाह मंदिर ध्वंस के कार्य में लगा और सन 1413 में सुल्तान अहमदशाह ने अपने दादा का अनुकरण कर पुनः सोमनाथ का ध्वंस किया।
प्राचीन मंदिर के ध्वंसावशेष पर ही भारत के स्वाधीन होने पर स्वर्गीय सरदार पटेल की प्रेरणा एवं परिश्रम से नवीन सोमनाथ मंदिर के का पुनः निर्माण किया गया।
सोमनाथ मन्दिर का वर्तमान स्वरूप
वर्तमान सोमनाथ मंदिर बहुत ही सुंदर बना है। इस मंदिर को उच्चाई लगभग 155 फीट है। मंदिर के चारों और विशाल आगन है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर कलात्मक खुदाई की गई है।
मंदिर तीन भागों में बांटा गया है नाट्यमंडप, जगमोहन और गर्भगृह मंदिर के बाहर वल्लभभाई पटेल, रानी अहिल्या बाई आदि को मूर्तियां भी है।
Shree Somnath Temple Live Darshan
सोमनाथ मंदिर जाने का सही समय
वैसे तो सोमनाथ मंदिर भक्तो के लिए 12 महीने खुला रहता है। लेकिन गुजरात में गर्मी का महीना असहनीय हो जाता है, इसलिए सर्दियों में सोमनाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय है। सितंबर से लेकर मार्च तक यहाँ यात्रा करना बेहतर है।
How to Reach & Where To stay in Somnath Temple
हवाई मार्ग:-
सोमनाथ मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा दीव एयरपोर्ट है जो सोमनाथ से लगभग 63 किमी दूर है। इस हवाई अड्डे की दिल्ली, जयपुर, मुंबई, चंडीगढ़ आदि शहरों से अन्य हवाई अड्डों से बहुत अच्छी कनेक्टिविटी है।
दीव एयरपोर्ट से मंदिर तक पहुँचने के लिए बस, कैब या परिवहन के कुछ अन्य साधन उपलब्ध है।
रेल मार्ग:-
सोमनाथ मंदिर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल है, जो सोमनाथ से 5 किमी की दूरी पर है। यह स्टेशन मुंबई, अहमदाबाद और गुजरात के अन्य महत्वपूर्ण शहरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा है।
सड़क मार्ग:-
सड़क मार्ग से यात्रा करने पर सोमनाथ की बहुत अच्छी कनेक्टिविटी है। सोमनाथ कई छोटे शहरों से घिरा हुआ है जो बस सेवाओं से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।राजकोट, पोरबंदर और अहमदाबाद जैसे अन्य नजदीकी स्थानों से भी बस द्वारा सोमनाथ जाया जा सकता है।
अपने वाहन में सड़क के माध्यम से इस जगह की यात्रा करना एक अच्छा अनुभव होगा। यहाँ पहुंचने के लिए आपको दिल्ली से 16 घंटे, पुणे से 11 घंटे, चंडीगढ़ से 19 घंटे और कोलकाता से 38 घंटे का समय लग सकता है।
सोमनाथ में कहां ठहरे?
मंदिर के आसपास ही श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा पर्यटकों को किराये पर कमरे उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके अलावा वेग और पाटण में यात्रियों के टहरने के लिए होटल तथा धर्मशालाएं मौजूद है। इन सभी अतिथि गृहों में रुकने का किराया अलग अलग है। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार यहां रुककर सोमनाथ मंदिर का दर्शन कर सकते।