तान्त्रिक तरंग: Tantrik Taranga | Book Review & PDF [Hindi]
Tantrik Taranga: तंत्र शास्त्र, प्राचीन भारतीय ज्ञान का वह रहस्यमय हिस्सा है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा, यंत्र, मंत्र और दुर्लभ जड़ी-बूटियों और पशु पक्षी तंत्र के उपयोग से जीवन की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। “तान्त्रिक तरंग” इस रहस्यमई ऊर्जा को समझने में मदद करता है।
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तंत्रमय है। इसका प्रत्येक पदार्थ पशु- पक्षी, नर-नारी, निर्जीव तथा सजीव पदार्थ एक दूसरे से सम्बन्धित है। यह विचार करना कि कौन किस प्रकार किससे समन्वित है, इस विधि को तान्त्रिक विद्या कहते हैं। प्रत्येक निर्जीव और सजीव पदार्थ एक दूसरे से कुछ प्रत्यक्ष रूप में और कुछ परोक्ष रूप में समन्वित होता। वायु मानव के शरीर को परोक्षरूप से सुखी बनाती है, यह तान्त्रिक प्रभाव ही तो है।
इसी प्रकार विश्व के प्रत्येक वनस्पति, धातु, पाषाण तथा मानवों में यह तान्त्रिक प्रभाव परोक्षरूप में छिपा हुआ है। तान्त्रिक विद्या इस प्रभाव को प्रत्यक्ष करके दिखाती है। जैसे बुखार को झाड़ा देकर उतार दिया जाता है, ताबीज बाँधकर रोग हटा दिया जाता है। प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे ही अनेक चमत्कारिक प्रयोग दिए हैं जिन्हें करने से स्वास्थ्य और अन्य लाभ प्राप्त होता है। अत्यन्त कठिन और असाध्य रोगों की चिकित्सा भी तंत्र विद्या द्वारा की जाती है। प्रस्तुत पुस्तक में एकत्रित तान्त्रिक योग सफल हैं, जागृत हैं, इनके प्रयोग करके लाभ उठाइए।
आलौकिक तान्त्रिक तरंग (Tantrik Taranga Book)
Name | तान्त्रिक तरंग (Tantrik Tarang) |
Publisher | Randhir Prakashan, Haridwar |
Author | के. एल. निषाद (K. L. Nishad) |
Language | Hindi |
Edition | 2012 |
Pages | 256 |
Cover | Paperback |
Other Details | 8.5 inch X 5.5 inch |
Not Available |
भूमिका
आज मैं कुछ अलौकिक तान्त्रिक शक्ति से परिपूर्ण अचूक और प्रमाणिक प्रयोग लोकहित में प्रस्तुत करने जा रहा हूँ। इस साधना को आगे बढ़ाने से पहले कुछ आज के तान्त्रिकों और ज्योतिषियों पर दो शब्द लिखना चाहूँगा कि आज तान्त्रिक और ज्योतिषी हर जगह, शहर हो या गाँव देखने को मिल रहे हैं जो अनेकों पीड़ित व्यक्तियों को लूट रहे हैं। ऐसे तान्त्रिकों और ज्योतिषियों से बचना होगा।
आज ज्योतिष एवं तन्त्र-मन्त्र को सही दिशा देने के कार्य में केवल कुछ ही ईमानदार ज्योतिषी लगे हुए हैं। कई जगह ज्योतिष सम्मेलन व समारोह किए जा रहे हैं और इन ज्योतिष सम्मेलनों में सिर्फ नाना प्रकार के पुरस्कार जैसे- गोल्ड मैडल, रजत पदक, आचार्य और न जाने क्या-क्या प्रदान किए जाते हैं! यह सब उपाधियाँ धनलोलुपता की ओर संकेत देती हैं। सच मानें यह उपाधिधारक अपने पर गर्व करते हुए विज्ञापन देते हैं तो लोग आकर्षित हो जाते हैं। भाई केवल मूंड को मुंडा लेने से हरि नहीं मिलते हैं। कहा गया है-
मूंड मूड़ाये हरि मिले, सब कोई लेय मुड़ाय।
बार-बार के मूंड़ते, भेड़ बैकुण्ठ न जाए ॥
आज तान्त्रिक सामग्रियों की बिक्री बढ़ गई है। आप स्वयं ही सोचें यह अशुद्ध और अप्रमाणिक सामग्री आपके मन की कामना पूर्ण नहीं कर सकती है। असली-नकली की पहचान करना दूभर हो गया है। इससे बचें। अब इतना लिखकर आपके लिए तान्त्रिक तरंग प्रस्तुत है। देखें सोचें और अमल में लाएँ। इस साधना को करने के लिए कोई किसी प्रकार की दीक्षा प्राप्त करने की जरूरत नहीं है। आज सच्चे दीक्षा देने वाले गुरु का मिलना भी लगभग समाप्ति पर है।
अनुक्रम
- समुद्री काली कौड़ी
- हरसिंगार
- गरुड़
- तंत्र में उल्लू
- तंत्र में सियार
- तंत्र में सेई या शाही
- तंत्र में साँप
- तंत्र में चमगादड़, तंत्र में बाज, तंत्र में मयूर
- तंत्र में बिल्ली, दुर्लभ तांत्रिक वस्तुएँ
- श्वेत गुंजा
- थूहर का बांदा, आँवले का बांदा
- पीपल का बांदा
- रुद्राक्ष का बांदा
- बेर का बांदा, बेल का बांदा, गूलर का बांदा
- बहेड़ा वृक्ष का बांदा
- नागदौन
- बबूल
- आक-मदार
- तंत्र में वृक्षों का महत्त्व, गुड़मार
- लक्ष्मी प्राप्ति का अमोघ तंत्र
- सन्तान प्राप्ति के लिए
- गुप्त और अलौकिक टोने-टोटके का प्रयोग
- विवाह में देरी
- पति-पत्नी में तलाक, अमरबेल-आकाशबल्ली
- ताड़
- गिलोय-अमृता
- महानिम्ब
- निर्गुण्डी
- वनपलाण्डु
- पाठा, नागकेसर, नवग्रहों की जड़ी
- कटहल
- धवई
- द्रोणपुष्पी
- झांऊ, इमली
- बिदारी कन्द, छुई मुई
- एरण्ड
- कीकर, सुनफा
- कौंच, चार
- बेंत, निम्बुक-कागजी, मुण्डी
- शीशम, गोखरू, रीठा, केंउटी
- सर्पगन्धा, जलधनिया
- पर्पट
- मेरे अनुभूत कुछ अन्य यंत्र तथा मन्त्र
- कष्ट निवारक यन्त्र
- कर्ज निवारक यन्त्र, टोना-टोटका निवारक यन्त्र
- वास्तुदोष निवारक यन्त्र, शत्रु भयनाशक यन्त्र
- सर्वकार्य सिद्धि यन्त्र, धनदायक यन्त्र
- व्यापार वृद्धि यन्त्र
- प्रेमिका वशीकरण यन्त्र-१
- परिवार सुख के लिए टोटके
- परिवार सुख का दूसरा तांत्रिक प्रयोग
- उल्लू तंत्र, कौवा तंत्र एवं पशु-पक्षी तंत्र
- लक्ष्मी साधना में उल्लू
- उल्लू के बोलने के शुभ-अशुभ फल
- दिन में उल्लू दिखाई देने का फल
- रात्रि में उल्लू के दिखाई देने का फल
- उल्लू सम्बन्धी शकुन
- उल्लू के तांत्रिक प्रयोग
- उल्लू द्वारा गड़े धन का पता लगाना
- उल्लू का ताबीज बनाना
- उल्लू द्वारा विद्वेषण
- उल्लू द्वारा भाग्य वृद्धि
- उल्लू द्वारा वशीकरण
- अदृश्य होने का प्रयोग
- वशीकरण प्रयोग, शत्रु-गृह शून्य कारक
- शत्रु-नाशक प्रयोग, निधि दीपिका
- विद्वेषण एवं उच्चाटन, अदृश्य गुटिका
- पाताल-दर्शन, स्तम्भन प्रयोग
- अदृश्यीकरण, पूर्वजन्म-स्मृति, वशीकरण
- दिव्य-दृष्टि अंजन, शतयोजन-गमन
- नजर उतारने के लिए
- परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए
- ज्वर नाश के लिए
- रोग दूर करने के लिए, उल्लू के पंखों से झाड़ा
- पुरुष वशीकरण के लिए
- अधिकारी वशीकरण के लिए, मारण प्रयोग
- किसी की तत्काल मृत्यु
- शत्रु निग्रह के लिए
- शत्रु के कार्य बिगाड़ने के लिए
- शत्रु को दुःख, विनाश के लिए, अन्य में वृद्धि के लिए
- पति-पत्नी के विवाद, बिक्री बढ़ाने के लिए
- व्यवसाय में सफलता के लिए
- नौकरी में ऊंचा पद प्राप्त करने के लिए
- यात्रा में थकान न हो, यात्रा में उल्ली-चक्कर न आए
- धन-धान्य की वृद्धि हेतु
- धन की सुरक्षा के लिए, सुख-शांति के लिए
- वशीकरण के लिए
- सम्मोहन के लिए
- समाज सम्मोहन तिलक, शत्रु घर छोड़कर भाग जाए
- शत्रु उच्चाटन प्रयोग
- दुश्मन की कोई चाल सफल न हो, जुए में जीतने के लिए
- शत्रु को रोगग्रस्त करने के लिए
- शत्रु का कष्ट बढ़े, विद्वेषण के लिए
- दो पक्षों में वैर कराने के लिए, उल्लू द्वारा मारण प्रयोग
- वशीकरण के लिए
- घरा कीलने के लिए
- शत्रु का हार्ट फेल हो
- शत्रु के घर में कलह कराने के लिए
- शत्रु के घर में सर्प दिखाई दें
- शत्रु का अन्न खराब करने के लिए
- प्रेत बाधा निवारण के लिए, घर पर कोई संकत न आए
- कुछ अन्य प्रयोग
- कौवे का तंत्र
- कौवे की कहानी
- कौवे का उपयोग
- कौवे की बोली
- कौवे को विभिन्न अवस्थाओं में लाने की विधियां
- कौवे से अन्य प्रकार की बोलियाँ बुलवाना
- कौवे की विभिन्न बोलियों से भविष्य ज्ञान
- पक्षी के अनुसार कौवे के शब्द का फलफल
- घर के अन्दर कौड़े के बोलने का फल
- विभिन्न अवसरों पर कौवे का बोलने का फल
- कौवे की छाया से शुभाशुभ का ज्ञान
- कौवे के स्पर्श का फल
- कौवे के शकुन और अशुकनों का वर्णन
- कौवे द्वारा अन्य शुभाशुभ का ज्ञान
- कौवे के सम्बन्ध में स्वप्न विचार
- कौवे के सुनहरी पंख एवं बाल नाखूनों के गुण
- कौवे के तांत्रिक प्रयोग
- व्यापार प्राप्ति के लिए तंत्र
- नौकरी प्राप्ति के लिए तंत्र
- नौकरी में तरक्की प्राप्त करने के लिए तंत्र
- परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए तंत्र
- मुकद्दमे में विजय प्राप्त करने के लिए तंत्र
- सट्टे में लाभ प्राप्त करने के लिए तंत्र
- लाटरी या पहेली में लाभ प्राप्त करने के लिए तंत्र
- रेस में जीतने के लिए तंत्र
- जेब खाली न रहने का तंत्र
- राज-दरबार में सम्मान प्राप्त करने के लिए तंत्र
- कठिन कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए तंत्र
- पशु के दूध अधिक देने का तंत्र
- घोड़े की चाल तेज करना
पुस्तक का अंश
उल्लू तंत्र
विश्व में उल्लू ही एकमात्र ऐसा पक्षी माना गया है जो दिन में देख नहीं सकता। उसकी आँखों की बनावट की कुछ इस प्रकार की है कि वह सूर्य की रोशनी या प्रकाश में देख नहीं सकता, उसकी आँखें चौंधिया जाती हैं। वह केवल अन्धकार में देख सकता है। बिल्ली से 74 प्रतिशत अधिक उल्लू की दृष्टि रात्रि में कार्य करती है।
उल्लू की उड़ान सुनसान, भयानक स्थानों, खंडहरों आदि में ही अधिक होती है। ऐसे ही स्थान उसे प्रिय भी हैं। शकुन शास्त्र के अनुसार जिस भवन पर उल्लू या चील बैठती है वह शीघ्र ही अपशकुनों और आपदाओं की परिधि में आ जाता है। उल्लू एक डरावना परन्तु सुन्दर पक्षी माना गया है। उसकी बोली अशुभ है। कहा जाता है अगर उल्लू किसी का नाम लेकर पुकारे तो उसकी मृत्यु लगभग निश्चित होती है।
उल्लू निर्जनता और विपदा का प्रतीक भी है। मुहावरा बन गया है. और वहाँ उल्लू बोलने लगे। उल्लू के सम्बन्ध में यह न केवल भारत में वरन विश्व के अनेक देशों में भी अपशकुनी के रूप में अनेक
बातें प्रचलित हैं। उल्लू को बेवकूफ के लिए इसी रूप में लिया गया है। लेकिन तन्त्र में उल्लू बहुत ही महत्त्वपूर्ण जीव है।
उल्लू तन्त्र जगत का महान चमत्कारी, चर्चित, रजनीचर पक्षी है। इसके सम्बन्ध में अधिक विस्तार से लिखना चाहूँगा क्योंकि इस पक्षी को सभी वर्ग के लोग जानते हैं। उल्लू को हमारे देश के निवासी आज भी अशुभ मानते हैं परन्तु इसी रजनीचर पक्षी को विदेशों में बड़े आदर के साथ शुभ माना जाता है। वैसे इसकी बोली भयानक और डरावनी होती है, हमारे अध्यात्म जगत में इसे लक्ष्मीजी का वाहन माना गया है।
जहाँ तक मेरे अनुभव में ऐसा आया है कि उल्लू ज्यादातर शुभ फल ही देता है। जैसे कि उल्लू का मकान के अन्दर घोंसला बनाकर निवास करना यह युति अतिशुभ होती है। इसके उस घर में निवास करने वाले पर सदा ही लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी, यदि उल्लू मकान के ठीक दरवाजे की ओर बोल रहा हो तो कोई बाहरी मेहमान कुछ लेकर आने वाला है ऐसा संकेत मिलता है।
यदि उल्लू मकान के पीछे की ओर बोल रहा हो तो उस दिशा से लाभ होने के संकेत मिलते हैं। उल्लू किसी के सिर पर आकर बैठ जाए तो समझो वह व्यक्ति कुछ ही दिनों में महान व्यापारी बन सकेगा। इस बारे में एक ऐसा भी अनुभव आया है कि उल्लू का सिर पर बैठना उस व्यक्ति को यह बताता है कि उस व्यक्ति को शीघ्र ही कोई नौकरी मिलने वाली है। पर ऐसा होना आज दुर्लभ है।
उल्लू किसी नारी के सिर पर बैठे तो समझो वह नारी को पुत्रवान होने की ओर संकेत दे रहा है।
उल्लू के चोंच, नख, पंख, पैर के तांत्रिक प्रयोग
उल्लू की चोंच को यदि दुकान में गाड़ दिया जाए तो उस दुकान की बिक्री बढ़ जाती है। नख को धारण करने का प्रचलन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में है। नख धारण करने से आकस्मिक धन प्राप्ति होने की संभावना बनी रहती है। उल्लू के पंखों को आग में जलाकर भभूत तैयार भी किया जाता है। इस भभूत की कुँवारी कन्या तिलक लगा ले तो उसे सुन्दर वर की प्राप्ति होती है। यदि उल्लू के दाहिने पैर को तिजोरी में रखा जाए तो तिजोरी खाली नहीं होती।
अब कुछ अशुभ लक्षण भी बता देते हैं। उल्लू का बायाँ पैर शत्रु के घर में डाल देने पर उस शत्रु का उच्चाटन हो जाता है पर हमें इस बात को समझना पड़ेगा कि उल्लू का दाहिना पैर शुभ और बायाँ पैर अशुभ क्यों ? इसका एक कारण यह है कि उल्लू हमेशा खराब काम के लिए जैसे साँप, चूहा आदि को अपने बाएँ पैर से ही पकड़कर मार डालता है।
मैंने यहाँ तक देखा है कि उल्लू श्मशान में जाकर बाएँ पैर पर ही खड़े होकर रुदन करता है। उल्लू बाएँ पैर से अपने अंग को नोचता है आदि अनेक उदाहरण इसके बाएँ पैर के हैं। शायद इसी कारण से उल्लू के बाएँ पैर को उच्चाटन प्रयोग में लाया जाता है।
उल्लू में एक और भी अचरज भरी विशेषता है कि मादा उल्लू जब बच्चा देती है और बच्चा कुछ बड़ा हो जाता है उस वक्त मादा उल्लू अपने बच्चों को दाहिने पैर से पकड़कर रात को जमीन में उतार देती है और फिर तत्काल अपने पैरों से पकड़कर अपने घोंसले में ले जाती है, तो वह ऐसा क्यों करती है? इसका भी कारण है। मादा उल्लू बच्चों को रात में इसलिए जमीन पर उतारती है कि उल्लू के बच्चे के पैर जमीन में लगें और बच्चा शीघ्र से शीघ्र बढ़े।
कभी-कभी ऐसा देखने में आया है कि उल्लू अपने बच्चों को किसी मन्दिर के पास लाती है उसे वहाँ छोड़कर दूर चली भी जाती है। यह भी एक शुभत्व की निशानी है।
मैनें यह भी देखा है कि उल्लू अपना पंख उस जगह फड़फड़ाती है जहाँ पर भूतों का वास होता है। कभी-कभी उल्लू अपना पंख नदी संगम में भी फड़फड़ाती है और एक या दो पंख उल्लू के शरीर से गिरकर जमीन पर पड़ा रहता है। यदि किसी भाग्यवान व्यक्ति को ऐसा पंख मिल जाता है तो उस व्यक्ति को चाहिए की उसे तिजोरी में रख ले तो धन की बढ़ोत्तरी होगी।
अंतिम निर्णय (Rating: ⭐⭐⭐⭐
तंत्र, टोने-टोटके और तांत्रिक उपायों को गहराई से समझने के लिए एक अद्भुत मार्गदर्शिका है। आज तन्त्र साहित्य के अनेक ग्रन्थ मिल जाते हैं, उनमें जिन प्रयोगों का वर्णन है, वे सत्य हैं, परन्तु उन प्रयोगों में जो सामग्री प्रयोग होती है, उसका पूर्ण परिचय (पहचान) न होने से हम तन्त्र साहित्य से लाभ प्राप्त नहीं कर सकते।
किंतु आप इस पुस्तक में वर्णित सामग्री को कहीं से भी बड़ी सुगमता के साथ प्राप्त कर सकते हैं। यह पुस्तक तंत्र शास्त्र की सफल सीढ़ी है, जो आपको तन्त्र सिद्धि की मंजिल तक पहुंचा सकती है। यह पुस्तक वर्तमान में उपलब्ध तांत्रिक जड़ी बूटी पर आधारित सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में से एक है। यह बुक आपको पढ़ना ही चाहिए।