Lord Shiva Worship: शिव पूजन में ध्यान देने योग्य बातें
Important Things to Remember While Doing Lord Shiva Puja: सिद्ध महात्माओं प्रकाण्ड विद्वानों ने शास्त्र ग्रन्थों के आधार पर शिव पूजन में ध्यान देने योग्य बातें बताई है जिससे भगवान शिव को शीघ्र प्रसन्न किया जा सकें। आइये जानते है, शिव पूजन करने का सही तरीका…
जानें, शिव पूजन करने का सही तरीका (What is the proper way to worship Lord Shiva)
शिव पूजा में रखें स्वछता का ख्याल: शंकर की पूजा स्नान करके करनी चाहिए इसके अलावा पुरुषों का धोती पहनना ज्यादा अच्छा माना जाता है, किंतु धोती को लांगदार पहिने तहमत की तरह धोती लपेटकर पूजा करना ठीक नहीं माना गया है। और पढ़ें: शिव द्वादश ज्योतिर्लिंग
पार्वती और गणेश की पूजा: भगवान शिव की पूजा के साथ ही साथ मां पार्वती की पूजा भी आवश्यक मानी गयी है, इससे पूर्व गणपति पूजन भी आवश्यक है। और पढ़े: जानें, श्री गणेश का रहस्य
त्रिपुंड अवश्य लगाए: जो साधक शिव की पूजा करे उसे त्रिपुण्ड अवश्य लगाना चाहिए, और यदि रुद्राक्ष की माला पहन कर पूजा करे तो ज्यादा उचित माना गया है।
भक्त उत्तर की और मुख करके बैठे: शिव पूजन उत्तर की तरफ मुंह करके करना चाहिए क्योंकि जहां शिवलिंग स्थापित हो उससे पूर्व दिशा का आश्रय लेकर न बैठें या न खड़ें हों, क्योंकि यह दिशा भगवान शिव के सामने पड़ती है।
शिवलिंग से उत्तर में भी न बैठें, क्योंकि उधर शिव का वामांग है, जिसमें शक्ति स्वरूप देवी उमा विराजमान है। पूजक को शिवलिंग से पश्चिम दिशा में भी नहीं बैठना चाहिए क्योंकि वह भगवान शिव का पीठ भाग है। पीछे की ओर से भी पूजा करना भी उचित नहीं है, अतः साधक को अपना मुंह उत्तर की ओर करके ही पूजन करना चाहिए।
स्वयं करें शिव की पूजा: भगवान शिव की पूजा में संस्कृत पढ़ना आवश्यक नहीं है, अपितु अपनी मन की भावनाओं से भी उनकी पूजा की जा सकती है। जहां तक हो सके स्वयं ही शंकर की पूजा करनी चाहिए, किसी ब्राह्मण आदि का उपयोग इस कार्य के लिए कम से कम करें। और पढ़ें: शिव भक्त उपमन्यु की कथा
सूतक विचार: जो स्त्रियां शिव पूजन करती हों, यदि उनके बालक का जन्म हो तो उनको दस दिन तक सूतिकागृह में ही भगवान शिव की मात्र मानसिक पूजा करनी चाहिए।
शिव को प्रिय वस्तु (Shiva’s Favorite Things)
Lord Shiva favourite Flowers: भगवान शंकर बेलपत्र, कमल, गुलाब, कनेर, सफेद आक या मार पुष्प से ज्यादा प्रसन्न होते हैं, धतूरा उन्हें सबसे अधिक प्रिय है।
शिव को ऐसे चढ़ाए बेलपत्र: विल्व पत्र शुद्ध ताजे हों, वे टूटे-फूटे न हों। विल्व पत्र डंठल तोड़कर उल्टे करके चढ़ाने चाहिए। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए भगवान शंकर की विल्व पत्र से पूजा की जानी चाहिए। एक लाख विल्व पत्र चढ़ाने पर साधक को कुबेर के समान सम्पत्ति प्राप्त होती है। और पढ़ें: वैभव लक्ष्मी व्रत कथा
शिव को पुष्पादि कैसे चढ़ाएं: पत्र, पुष्प, फल ये सभी मुख नीचे करके नहीं चढ़ाने चाहिए। पुष्पों को धोकर नहीं चढ़ाना चाहिए अपितु सीधे पौधों से तोड़कर उसी प्रकार से भगवान शंकर को चढ़ाने चाहिए।
विल्व पत्र, कुंद, तमाल, आमला, तुलसी, कमल के पुष्प आदि एक दिन पहले लाकर भी पूजा में प्रयोग किये जा सकते हैं क्योंकि इनको बासी होने का दोष नहीं लगता। और पढ़ें: तुलसी कंठी माला का रहस्य
शिव को क्या न चढ़ाएँ (Do Not Offer These Things To Lord Shiva
Do Not Offer These Things To Lord Shiva: जो वस्तुएं अपवित्र स्थान में पैदा हुई हों, या अपवित्र वस्तु स्पर्श की हुई हो, या किसी से चोरी आदि से प्राप्त की हुई हो, तो ऐसी कोई वस्तु या पदार्थ शंकर की पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
Flowers not offered to Lord Shiva: भगवान शिव को सड़े गले, खण्डित और बिना सुगन्ध के पुष्पों का प्रयोग वर्जित है। इसके अलावा मालती, कुन्द, रक्तजवा, या गुलमोहर, मोतिया, केतकी, केवड़ा, पलास, सिरस और मेंहदी के पुष्प भूल कर के भी भगवान शंकर को नहीं चढ़ाने चाहिए। गणेश जी को तुलसीदल तथा मां पार्वती को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए।
स्त्रियां शिव पूजन कैसे करें (How to do Woman worshiped shiva)
सुंदर वर प्राप्ति के लिए शिव पूजा: शिव पुराण में बताया गया है कि वशिष्ठ की पत्नी अरुन्धती भगवान शंकर की भक्त थी, और तपस्या करके शंकर को प्रसन्न किया था। इसी प्रकार अनुसूया सीता, रुक्मिणी, जाम्वन्ती आदि अनेक स्त्रियों ने भगवान शिव की पूजा की है, कुमारी कन्याएं सुन्दर वर प्राप्ति हेतु बाल्य काल से ही शिव पूजा कर सकती हैं। और पढें: ऋषि वशिष्ठ
सौभाग्यशाली स्त्री रखे शिव का व्रत: विवाह होने के बाद प्रत्येक स्त्री को तीज का व्रत अवश्य रखना चाहिए और अपने सौभाग्य की रक्षा के लिए शिव पार्वती की पूजा करनी चाहिए। और पढ़ें: हरतालिका तीज: कथा, मुहूर्त एवं पूजा विधि
शिव लिंग की जाती है आधी परिक्रमा: प्रदक्षिणा शंकर के दाहिनी तरफ से प्रारम्भ की जानी चाहिए। ध्यान रहें, शिव की आधी परिक्रमा की जाती है, भूल करके भी शिव की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। और पढ़ें: जानिए, शिवलिंग का रहस्य
शिव लिंग पर चढ़ाए प्रसाद ग्रहण न करें: शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए, पर शिव के सामने जो फल या प्रसाद रक्खा हो उसे ग्रहण किया जा सकता है। और पढ़ें: जाने किस देवता को चढ़ाए कौन सा प्रसाद
भगवान शिव को जल कैसे चढ़ाएं ( How to Offering water to Shivling)
इस पात्र से चढ़ाए जल: भगवान शिव पर धारा प्रवाह करने वाला पात्र सोने, चांदी, ताँबे या मिट्टी से निर्मित हो, इसके अलावा अन्य धातु वर्जित है। और पढ़ें: मासिक शिवरात्रि: कथा और पूजा विधि
तांबे के लौटे से न चढ़ाए दूध: शिवलिंग पर तांबे के लोटे से दूध नही चढ़ाना चाहिए। दूध तांबे के संपर्क में धीमे विष का काम करता है।
कमाई का एक हिस्सा धर्मार्थ कार्य मे लगाए (Give part of the earnings in charitable work)
साधक को अपने महीने की कमाई में एक दिन की कमाई धर्मार्थ कार्य (मंदिर, दान, पूजा, साधना आदि) में अवश्य ही व्यय करनी चाहिए। और पढ़ें: प्रदोष व्रत की सम्पूर्ण जानकारी
इस प्रकार साधक को यथा सम्भव शिव पूजा में सावधानी बरतनी चाहिए और उपरोक्त नियमों का पालन करना चाहिए।