त्र्यंबकेश्वर मंदिर | Trimbakeshwar Temple
श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर (Trimbakeshwar Jyotirlinga Hindi)
त्र्यंबकेश्वर मंदिर (Trimbakeshwar Temple) महाराष्ट्र प्रांत के नासिक शहर से 30 किलोमीटर पश्चिम में अवस्थित है। गोदावरी के तट पर स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिल्लिंग की गणना भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में होती है।
जो महत्व गंगा का उत्तर भारत में है, वही गोदावरी का दक्षिण भारत में है। जैसे गंगा को लाने का श्रेय भगीरथ को जाता है, वैसे ही गोदावरी का प्रवाह ऋषि गौतम की घोर तपस्या का फल है।
इस मंदिर के पंचक्रोशी में कालसर्प शांति, त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि की पूजा संपन्न होती है। जिन्हें भक्तजन अलग-अलग मुराद पूरी होने के लिए करवाते हैं।
मंदिर निर्माण और वास्तु कला
गोदावरी नदी के किनारे स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर की भव्य इमारत सिंधु-आर्य शैली का उत्कृष्ट नमूना है।
मंदिर का स्थापत्य अद्भुत है। इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी अर्थात नाना साहब पेशवा ने करवाया था।
इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1755 में शुरू हुआ था और 31 साल के लंबे समय के बाद 1786 में जाकर पूरा हुआ।
माहात्म्य
त्र्यंबकेश्वर नामक ज्योतिलिंग इस लोक में सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला तथा परलोक में भी उत्तम मोक्ष प्रदान करने वाला है। बृहस्पति हर वारह वर्ष में एक बार सिंह राशि पर पहुंचते हैं। इस अवसर पर यहां कुंभ का मेला लगता है।
कहा जाता है कि कुंभ के समय सारे तीर्थ यहाँ उपस्थित होते हैं, इसलिए उस समय यहां स्नान करने से समस्त तीर्थ यात्राओं का पुण्य मिलता है।
पौराणिक कथा
एक बार गौतम ऋषि पर गोहत्या दोष लग गया था, तब ऋषियों ने उन्हें प्रापश्चित करने के लिए गंगा जी लाने को कहा। तब इस पाप से मुक्ति पाने के लिए गौतम ऋषि ने एक करोड़ शिव लिंग की स्थापना कर पूजा की।
इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और वर मांगने को कहा। तब ऋषि गौतम ने कहा पाप से मुक्त कर दें। और माँ गंगा को यहां स्थापित कर दें।
तब भगवान शंकर बोले-‘गौतम! तुम निष्पाप हो। गौ-हत्या तुमसे छलपूर्वक कराई गई थी। मैं उन लोगों को दण्ड दूंगा। इस पर गौतम ऋषि ने कहा कि नहीं प्रभु ! आप उन्हें। कोई दण्डन दें, क्योंकि उनके कारण ही मुझे आपके दर्शन हुए हैं।
जब शिव ने गंगा को वहां रहने के लिए कहा तो गंगा इसके लिए तैयार नहीं हुई। उन्होंने कहा- यदि आप यहाँ सदा के लिए प्रतिष्ठित हो जाएंगे, तो मैं यहां रहना स्वीकार करूंगी।
यह सुनकर बहुत से ऋषि-मुनि तथा देवगणों ने उनकी बात का अनुमोदन किया और प्रार्थना की कि आप सदा सदा के लिए यहाँ निवास करें।
भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और ‘त्र्यंबकेश्वर’ ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां प्रतिष्ठित हुए और गंगा मैया ‘गोदावरी’ के रूप में। इसलिए गौतमी का एक अन्य नाम ‘गौतमी’ भी है।
त्र्यंबकेश्वर दर्शन (Trimbakeshwar Travel Guide Hindi)
कुशावर्त कुंड (Kushavarta Kund)
त्र्यंबकेश्वर मंदिर (Trimbakeshwar Temple) से थोड़ी दूरी पर यह सरोवर है। इसमें नीचे से गोदावरी का जल आता है। इस सरोवर में स्नान नहीं किया जाता, अपितु सरोवर से जल लेकर बाहर स्नान करने की प्रथा है। स्नान के पश्चात् देव दर्शन व कुशावर्त सरोवर की परिक्रमा की जाती है। इसके पास त्रयंबकेश्वर का मंदिर है।
कुशावर्त से त्र्यंबकेश्वर दर्शन के लिए जाते समय मार्ग में नीलगंगा संगम पर सगमेश्वर, कनकेश्वर, कपोतेश्वर, विसंध्यादैवी तथा त्रिभुवनेश्वर के दर्शन करते जाना चाहिए।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga)
यही यहां का मुख्य मंदिर है। पूर्वद्वार से मंदिर में प्रवेश करके सिद्धविनायक और नंदीकेश्वर के दर्शन करते हुए मंदिर में भीतर जाने पर त्र्यंबकेश्वर के दर्शन होते हैं। ध्यान से देखने अर्घा के अंदर एक-एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं। ये ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश के प्रतीक माने गए हैं।
भोर के समय होने वाली पूजा के बाद इस अर्घा पर चाँदी का पंचमुखी मुकुट चढ़ा दिया जाता है। उसी के दर्शन होते हैं। मंदिर के पीछे परिक्रमा मार्ग में अमृतकुंड नामक एक कुंड है।
अन्य मंदिर (Others Temple)
कुशावर्त सरोवर के पास ही गंगा मंदिर है। उसके पास श्री कृष्ण मंदिर है। बस्ती में श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, श्री राम मंदिर तथा परशुराम मंदिर हैं कुशावर्त के पास केदारेश्वर, इंद्रालय के पास इंद्रेश्वर त्र्यंबकेश्वर के पास गया मंदिर और त्रिसंध्येश्वर, कांचनतीर्थ के पास कांचनेश्यर और ज्यरेश्वर, कुशावर्त के पीछे वल्लालेश्वर, गौतमालय के पास गौतमेश्वर, रामेश्वर, महादेवी के पास मुकुन्देश्वर इत्यादि कई छोटे-बड़े मंदिर हैं।
त्र्यंबकेश्वर के तीन पर्वत
त्र्यंबकेश्वर के समीप तीन पर्वत पवित्र हैं।
- ब्रह्मगिरि पर्वत
- निल गिरी
- गंगाद्वार
आस-पास के अन्य तीर्थ
चक्रतीर्थ:- यह स्थान त्यम्बक से 6 मील दूर है। यह एक घने जंगल में है।मान्यता अनुसार कुशादर्स से गुप्त हुई गोदावरी यहां आकर प्रकट हुई है। यहां एक गहरा कुंड है और उससे निरंतर जलधारा बाहर निकलती रहती है। यही धारा गोदावरी की है। यही नासिक आई है।
इंद्रतीर्थ:- यह तीर्थ कुशावर्त के पास ही है।
कनखल:- यह यहां के पंचतीथों में से एक है।
बिल्व तीर्थ:- यह स्थान नीलपर्वत से उत्तर में है।
बल्लाल तीर्थ:- इसके पास बल्लालेश्वर मंदिर है।
प्रयाग तीर्थ:- त्र्यंबकेश्वर से एक मील पर यह नासिक मार्ग में है।
अहिल्या संगम:- त्र्यंबकेश्वर से पूर्व दो फलांग पर यह तीर्थ है। यहां जटिला नदी गोदावरी में मिलती है।
गौतमालय:- यह सरोवर रामेश्वर मंदिर के पास है। इसके तट पर गीतमेश्वर का मंदिर है। इन तीर्थ स्थानों के अलावा मोतिया तालाब, बिसोपा तालाब इत्यादि कुछ पवित्र सरोवर है।
कैसे पहुंचे (How to Reached)
त्र्यंबकेश्वर का नजदीकी हवाई अड्डा 200 किलोमीटर दूर मुम्बई में है। नजदीकी रेल स्टेशन (Rail station) नासिक में है, जो त्र्यंबकेश्वर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। नासिक पहुंचकर आप बस अथवा टेक्सी के माध्यम से त्र्यंबकेश्वर पहुंच सकते है।
रहने और ठहरने की व्यवस्था (Where to stay)
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के आस-पास अनेक अच्छे-अच्छे धर्मशालाएं ओर होटल उपलब्ध हैं। इनमें यात्री सुविधापूर्वक ठहर सकते हैं।