तुलसी कंठी माला | Tulsi Kanthi Mala
हिन्दू मान्यता अनुसार जिस घर के आंगन में तुलसी का पौधा (Tulsi Plant) होता है, वहां किसी तरह का कोई वास्तुदोष नहीं रहता। इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी (Positive Energy) आती है. इसके अलावा तुलसी का पौधा स्वास्थ्य (Health) के लिए भी बहुत फायदेमंद समझा जाता हैै।
तुलसी माला (Tulsi Kanthi Mala)
हिन्दु धर्म में तुलसी (Tulsi) का अपना एक विशेष महत्व है. ज्यादातर हिन्दू घरों में तुलसी का पौधा देखने को मिल ही जाता है।
पृथ्वी पर पांच तरह की तुलसी पाई जाती है। जिसमें राम तुलसी, श्याम तुलसी, श्वेत विष्णु तुलसी, वन तुलसी, नींबू तुलसी शामिल है।
श्यामा तुलसी और रामा तुलसी
घरों में मुख्य रूप से श्याम तुलसी और राम तुलसी ही रखी जाती है और इन्ही की माला पहनी जाती है।
- श्याम तुलसी (श्याम वर्ण)
- राम तुलसी (हरित वर्ण)
श्यामा तुलसी अपने नाम के अनुसार ही श्याम वर्ण की होती है तथा रामा तुलसी हरित वर्ण की होती है।
तुलसी माला (कंठी) धारण करने के फायदे (Benefits of Tulsi kanthi Mala Hindi)
जनश्रुति के अनुसार तुलसी की माला (Tulsi Kanthi Mala) को धारण करते से उन्हें काफी फायदा होता है मन शांत रहता है। श्यामा तुलसी की माला को धारण करने से मानसिक शांति मिलती है और मन में पॉजिटिविटी आती है आध्यात्मिक, पारिवारिक तथा भौतिक उन्नति होती है। वही रामा तुलसी की माला को धारण करने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है और सात्विक भावनाएं जागृत होती हैं, कर्तव्य पालन के प्रति मदद मिलती है।
कंठी माला का आध्यात्मिक पक्ष (Spiritual Significance of Tulsi Kanthi Mala)
तुलसी माला का हिन्दू मान्यता में विशेष महत्व है। मान्यता अनुसार तुलसी कंठ में धारण करते हुए स्नान करने वाले मनुष्य को संपूर्ण जल तीर्थों में स्नान का फल प्राप्त होता है।
तुलसी माला की प्रसंसा करते हुए कहा गया है कि- जिस प्रकार सौभाग्यवती नारी का परम शृंगार है कुमकुम, मंगलसूत्र इत्यादि है। उसी प्रकार माथे पर तिलक और कंठ में तुलसी कंठी माला, विष्णु भक्तों के सौभाग्य, समर्पण व सान्निध्य का प्रतीक हैं।
पद्म पुराण’ के अनुसार :-
या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी ।
प्रत्यासक्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः ॥
अर्थ:- जो दर्शन करने पर सारे पाप-समुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों में चढ़ाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है ! (पद्य पुराण, उ. खं. : ५६.२२)
पौराणिक मान्यता के अनुसार श्री हरि विष्णु ने तुलसी को यह वरदान दिया कि मैं केवल तुम्हारे द्वारा सुशोभित भोग को ही ग्रहण करूंगा। इसीलिए जिस भोग में तुलसी-दल होता है, विष्णु केवल उसी भोग को ग्रहण करते हैं।
इसी प्रकार जिस विष्णु भक्त के कंठ में तुलसी कंठी माला होती है, भगवान उसे सहज ही स्वीकार करते हैं। अपनी शरण में लेते हैं तथा अंतत: अपने लोक में सुंदर स्थान प्रदान करते हैं। अतः जो मनुष्य भगवान विष्णु की शरण चाहता है, उसे तुलसी जरूर धारण करना चाहिए।
मनुष्य के कंठ में तुलसी होती है वह यम की त्रास नहीं पाते। ऐसे जीव विष्णु लोक को प्राप्त होते है। जन्म मरण के चक्र से छूट जाते हैं और अंततः मोक्ष को प्राप्त होते हैं।
कंठी का वैज्ञानिक पक्ष (Science Behind Tulsi Kanthi Mala in Hindi)
भारतीय परंपरा पूणतः वैज्ञानिक है। हर हिन्दू मान्यता के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण भी छुपा रहता है। हमने अभी आपको तुलसी माला धारण करने के आध्यात्मिक पक्ष बताया, अब इसका वैज्ञानिक पक्ष बताते है-
विभिन्न परीक्षणों में सिद्ध हो चुका है कि तुलसी एक दिव्य पौधा है। तुलसी में एक खास प्रकार की विद्युत शक्ति होती है। जिससे मन मे शालीनता और पॉजिटिविटी आती है। गले में तुलसी धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है और बहुत सी बीमारियां दूर होती हैं।
इसके अलावा तुलसी माला पहनने से व्यक्ति को इंफेक्शन, डाइजेशन पावर, बुखार, जुकाम, सिरदर्द, स्किन इंफेक्शन, दिमाग की बीमारियों और गैस से संबंधित अनेक बीमारियों में फायदा मिलता है।
तुलसी माला धारण करके के नियम ( Follow These Rules to wearing Tulsi Mala)
विष्णु भगवान में आस्था रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को तुलसी माला अवश्य धारण करनी चाहिए। लेकिन तुलसी की कंठी को धारण करने वाले व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:
- कंठी धारण करने वाले को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। अर्थात मांस, प्याज, लहसुन आदि तामसिक भोजन निषेध है
- किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए। जैसे – तम्बाकू, शराब आदि।
- चाय, काफी का सेवन भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें कैफ़ीन नामक नशीला पदार्थ होता है।
- कंठी चारों आश्रम (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, सन्यासी तथा वानप्रस्थ) में निवास करने वाले धारण कर सकते हैं।
- किसी भी परिस्थिति में तुलसी माला को गले से नहीं निकालना चाहिए।
- परिवार में जन्म अथवा मृत्यु के अवसर पर भी कंठी को नहीं उतारना चाहिए।
- ध्यान दें कि मनुष्य जब मृत्यु शैया पर होता है तो अंत समय में उसके मुख में भी तुलसी दल और गंगाजल डाला जाता है। इसी प्रकार जब कंठ में तुलसी की माला धारण की हुई होती है तो वह परम कल्याणकारी होती है।
- तुलसी की माला को शुभ वार, सोम, बुध, वृहस्पतिवार को गंगाजल से शुद्ध करके धारण करना चाहिए।
तुलसी कंठी धारण करने की विधि (How to Wear Tulsi Mala)
तुलसी माला को सर्वप्रथम गंगाजल में डालकर शुद्ध कर लेना चाहिए फिर धूप-दिप दिखानी चाहिए। तत्पश्चात माला को श्री हरि विष्णु के चरणों मे रखकर भगवान की स्तुति करे फिर माला को ग्रहण करें।
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