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U.P Tourism: उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल

Byvashi Travel
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), जनसंख्या के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी लखनऊ है। उत्तर प्रदेश भारतीय एवं विदेशी पर्यटको के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। भारत का सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक पर्यटन स्थल ताज महल आगरा में ही स्थित है।

इस प्रदेश में कई ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल हैं। वाराणसी, जो कि हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है इसी प्रदेश में है। साथ ही साथ भगवान श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या नगरी जो की सरयू नदी के पावन स्थल पर विराजमान है।

#1 आगरा (Agra)

Taj Mahal

आगरा (Agra) यानी ताज नगरी, प्राचीन काल में मुग़ल सल्तनत की राजधानी हुआ करता था। महाभारत में आगरा के क्षेत्र को ‘अग्रबाण’ (ब्रजभूमि या भगवान श्री कृष्ण के जीवन स्थान से जुड़ा स्थल) कहा गया है। ऐतिहासिक पर्यटन स्थल ताज महल आगरा शहर में स्थित है।

आगरा को ताज की नगरी के रूप में एक अमर स्थान प्राप्त है, लेकिन यहां आने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि आगरा में ताज महल के अतिरिक्त और भी कई आकर्षण के केंद्र है। जिसमे आगरे का लाल किला, फतेहपुर सीकरी, एतमादुद्दौला का मकबरा, जामा मस्जिद, मेहताब बाग, स्वामी बाग, सिकंदरा (अकबर का मकबरा), मरियम मकबरा, मेहताब बाग प्रमुख हैं।

#2 मथुरा (Mathura)

मथुरा (Mathura) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा ज़िले में स्थित एक नगर है। मथुरा, भगवान कृष्ण की जन्मस्थली और भारत की प्राचीन नगरी है। यहाँ का इतिहास अत्यंत पुराना है। यहाँ तक कि महाग्रंथ रामायण में भी मथुरा का उल्लेख है।

  • क्षेत्रफल: 3,329 वर्ग किमी (मथुरा जिला)
  • जनसंख्या: 20,95,578 (2001 की जनगणना के अनुसार)
  • उपयुक्त समय: अक्टूबर से मार्च
  • भाषा: : हिंदी, ब्रजभाषा औरएंग्लिश

#3 वाराणसी (Varanasi)

वाराणसी (Varansi), उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध नगर है। इसे ‘बनारस’ या ‘काशी’ भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में एक पवित्र नगर और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा गया है। गंगा किनारे यह शहर हिंदुओं, बौद्ध और जैन समाज के लिए खासी अहमियत रखता है। और पढ़ें: वाराणसी के पर्यटन स्थल

  • क्षेत्रफल: 73.89 वर्ग किलोमीटर
  • जनसंख्या : 3,676,841 (2001 जनगणना)
  • उपयुक्त समय: अक्टूबर-मार्च
  • भाषा: हिन्दी, अंग्रेजी, भोजपुरी

#4 अयोध्या (Ayodhya)

अयोध्या (Ayodhya), उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक शहर है। सरयू नदी के तट पर बसा अयोध्या एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है। मान्यता है कि इस नगर को मनु ने बसाया था और इसे ‘अयोध्या’ का नाम दिया जिसका अर्थ होता है अ-युध्य अर्थात् ‘जिसे युद्ध के द्वारा प्राप्त न किया जा सके।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या में सूर्यवंशी/रघुवंशी राजाओं का राज हुआ करता था इसी वंश में भगवान् श्री राम ने अवतार लिया था। सरयू नदी के पूर्वी तट पर बसा अयोध्या नगर पुरातन काल के अवशेषों से भरा हुआ है। और पढ़ें: रामायण के प्रमुख पात्र

हनुमान गढ़ी मंदिर (Hanuman Garhi Temple)

यह वह स्थान है जहां हनुमान जी एक गुफा में रहे थे और नगर की रक्षा की थी। इस मंदिर में हनुमान जी की एक स्वर्ण प्रतिमा स्थापित है, यह अयोध्या के सबसे सम्मानित स्थानों में से एक माना जाता है। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं। और पढें: हनुमान रहस्य

रामकोट (Ramkot)

अयोध्या शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थित रामकोट (Ramkot) उत्तर प्रदेश के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। यहां भारत और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का साल भर ताता लगा रहता है। 

यहाँ चैत्र मास में (मार्च-अप्रैल) में राम नवमी का पर्व पर्व यहां बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस समय न केवल पूरे देश बल्कि विश्व भर से तीर्थयात्री यहाँ एकत्र होते हैं।

श्री नागेश्वरनाथ मंदिर (Shri Nageshwar Nath Temple)

यहाँ स्थापित शिवलिंग को बहुत प्राचीन काल का माना जाता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि भगवान राम के पुत्र कुश ने भगवान शिव जी को समर्पित इस सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया था।

वर्तमान मंदिर का निर्माण 1750 ईस्वी में किया गया है। अयोध्या के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तथा सम्मानित मंदिरों में से एक होने के कारण यहाँ महाशिवरात्रि के उत्सव पर पूरे देश से बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

कनक भवन (Kanak Bhawan)

राम जन्मभूमि के उत्तरपूर्व में स्थित यह मंदिर अपनी कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है। टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश) की रानी वृषभानु कुंवरि, ने सन 1891 में इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

ऐसी मान्यता है की माता कैकेयी ने प्रभु श्री राम और देवी सीता को यह भवन उपहार स्वरुप दिया था तथा यह उनका व्यक्तिगत महल था।

तुलसी स्मारक भवन (Tulasi Smarak Bhavan)

तुलसी स्मारक भवन (Tulasi Smarak Bhavan) महान संत कवि गोस्वामी तुलसी दास जी को समर्पित है। नियमित प्रार्थना सभाएं, भक्तिमय सम्मेलन तथा धार्मिक प्रवचन यहाँ आयोजित किए जाते हैं। तुलसी स्मारक सभागार में प्रतिदिन 6:00 बजे अपराहन से लेकर 9:00 बजे अपराहन तक रामलीला का मंचन किया जाता है जो एक प्रमुख आकर्षण है।

त्रेता के ठाकुर (Treta ke Thakur)

त्रेता के ठाकुर (Treta ke Thakur), काले राम के मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। विश्वास किया जाता है कि इसी मंदिर में भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था। कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) के राजा ने लगभग तीन शताब्दी पूर्व इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

बाद में इंदौर (मध्य प्रदेश) की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका जीर्णोद्वार करवाया। यहाँ स्थापित मूर्तियां काले पत्थर से निर्मित हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि ये मूर्तियां राजा विक्रमादित्य के युग की है।

#5 कपिलवस्तु (Kapilavastu)

गौतम बुद्ध के जीवन के प्रारम्भिक काल खण्ड यहीं पर व्यथीत हुआ था। भगवान बुद्ध के जन्म इस स्थान से 10 किमी पूर्व में लुंबिनी मे हुआ था।

  • क्षेत्रफल: 06 वर्ग किमी
  • जनसंख्या: 8000 (2011 जनगणना)
  • उपयुक्त मौसम: अक्टूबर-अप्रैल

#6 कुशीनगर (Kushinagar)

कुशीनगर (Kushinagar), उत्तर प्रदेश के उत्तरी-पूर्वी सीमान्त इलाके में स्थित एक क़स्बा एवं ऐतिहासिक स्थल है। यह गोरखपुर से लगभग 53 किमी की दूरी पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहीं पर गौतम बुद्ध ने अपने जीवन की आखिरी सांस ली थी, जिस वजह से इसे प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल भी माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुशीनगर में एक माह का मेला लगता है।

#7 बरेली (Bareli)

बरेली (Bareli), उत्तर प्रदेश में आठवां सबसे बड़ा महानगर हैं। इस शहर को राजा जगतसिंह व उनके पुत्र “बॉसदेव और बरलदेव” ने वर्ष 1537 में बसाया था, जिससे इस नगर का नाम बाँस बरेली पड़ा। अब यह बरेली के नाम से ही पहचाना जाता है।

यह नाथ नगरी (भगवान शिव की भूमि), ज़री नगरी और ऐतिहासिक रूप से संजाश्य (जहां बुद्ध तुशिता से पृथ्वी पर उतरे थे) के नाम से भी जानी जाती है। महाभारत कथा में राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी का स्वयंवर इसी नगर में हुआ था। और पढें: महाभारत के प्रमुख पात्र

यह नगरी लकड़ी व बॉस के फर्नीचर, जरी-जरदोजी, पतगं, मांजा, इत्र एवं सुरमा बनाने के लिए यह नगर काफी प्रसिद्ध है। जैन तीर्थकर भगवान विमलनाथ के जीवन की पाँच घटनाऐं (अवतरण, आवास, अभिषेक, उपगति और जिनत्व) यहीं होने के कारण इसे पन्च कल्याणक तीर्थ भी कहा गया।

#8 झांसी (Jhansi)

झाँसी (Jhansi) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के झाँसी जनपद में स्थित एक नगर है। यह नगर भारत भर में रानी लक्ष्मीबाई की सन 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका के कारण प्रसिद्ध है। रानी लक्ष्मीबाई ने मात्र 22 साल की उम्र में देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी।

झांसी एक खूबसूरत शहर है जो यहां स्थित भव्य किले के कारण प्रसिद्व है। झांसी में झाँसी का किला, रानी महल, झाँसी संग्रहालय, महालक्ष्मी मन्दिर, गंगाधर, राव की छतरी प्रमुख पर्यटन स्थल है। हर साल फरवरी-मार्च में आयोजित झांसी महोत्सव क्षेत्र की कला, शिल्प और संस्कृति का आनंद लेने का बेहतरीन अवसर है।

#9 देवगढ़ (Deogarh)

देवगढ (Deogarh), उत्तरप्रदेश के ललितपुर जिले के जिला मुख्यालय से 33 कि.मी की दूरी पर बेतवा नदी के किनारे और एक प्राकृतिक वन क्षेत्र में ललितपुर शहर के पश्चिमी छोर पर बसा है। यह एक लोकप्रिय और ऐतिहासिक नगर है। इसका प्राचीन नाम लुअच्छागिरि है।

देवगढ़ में दुनिया का शायद अपनी तरह का एकमात्र संग्रह है, जहां लगभग 2000 मूर्तियां एक स्थान पर हैं। देवगढ़ में दशावतार मंदिर, देवगढ़ किला, जैन मंदिर, पुरातात्विक संग्रहालय, नीलकंठेश्वर, रणछोड़जी प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।

#10 श्रावस्ती (Shravasti)

श्रावस्ती (Shravasti), हिमालय की तलहटी मे बसे भारत-नेपाल सीमा के सीमावर्ती जिले बहराइच से महज 40 कि.मी की दूरी पर स्थित है। यह प्राचीन भारत के कौशल राज्य की दूसरी राजधानी थी। यह बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है।

यहाँ महात्मा बुद्ध ने कई वर्ष तक वास किया था। राप्ती नदी के किनारे खंडहर रूप में बचे सहेठ-महेठ गांव भी इसकी एक पहचान हैं। इन खंडहरों को बहुत अच्छे ढंग से सहेज कर रखा गया है। इन्हीं खंडहरों के बीच स्थित बौद्ध वृक्ष स्थित है। जिसके कारण यहां अध्यात्म का सुरम्य माहौल बना रहता है।


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