Uttarkashi Tourism: उत्तरकाशी के दर्शनीय स्थल
उत्तरकाशी, ऋषिकेश से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ एक शहर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
यहां एक तरफ जहां पहाड़ों के बीच बहती नदियां दिखती हैं वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर घने जंगल भी दिखते हैं। उत्तरकाशी धार्मिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण शहर है। उत्तरकाशी एक प्रधान तीर्थ स्थल माना जाता है। यहां अनेकों प्राचीन मंदिर हैं।
#1 विश्वनाथ मंदिर, उत्तरकाशी (Vishvanath Temple Uttarakashi)
विश्वनाथ मंदिर इस क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर परशुराम द्वारा बनाया गया था। मंदिर में स्थापित शिवलिंग 56 सेंटीमीटर ऊंची तथा दक्षिण दिशा की ओर झुकाव लिए हुए है। मंदिर के गर्भगृह में, देवी पार्वती और गणेश भी विराजमान है। मंदिर के बाहरी कक्ष में नदी विराजमान है।
विश्वनाथजी के मंदिर के पास ही गोपेश्वर, परशुराम, दत्तात्रेय, भैरव, अन्नपूर्णा, रुद्रेश्वर और लक्षेश्वर के मंदिर है। विश्वनाथ मंदिर के दक्षिण में शिव-दुर्गा मंदिर है। इसके पूर्व जड़भरत का मंदिर है। और पढ़ें: काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी
#2 शक्ति मंदिर (Shakti Temple Uttarkashi)
शक्ति मंदिर उत्तरकाशी में विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने स्थित है। शक्ति मंदिर का मुख्य आकर्षण त्रिशूल है जो लगभग 26 फिट ऊंचा है और नीचे की परिधि 90 सेमी है। त्रिशूल का ऊपरी हिस्सा लोहे से बना है, जबकि निचला हिस्सा तांबे से बना है। ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा ने इसी त्रिशूल से राक्षस का वध किया था।
त्रिशूल की एक आश्चर्यजनक विशेषता यह है कि त्रिशूल पूरे शरीर के बल से भी नहीं हिलाया जा सकता है, लेकिन एक उंगली के स्पर्श से से कंपन करता हैं। और पढ़ें: 51 शक्ति पीठ का रहस्य
#3 विमलेश्वर महादेव मंदिर, उत्तराखंड (Vimleshwar Temple)
वरुणावत पर्वत पर स्थित विमलेश्वर महादेव मंदिर के संबंध में मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहां प्रार्थना करते हैं भगवान शिव उनकी सारी मनोकामना दूर पूरी करते हैं। स्कंदपुराण के अनुसार भगवान परशुराम ने वरुणावत पर्वत के शिखर पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी।
भगवान शिव उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए थे। परशुराम ने भगवान शिव यहां पर शिवलिंग के रुप में विराजमान होने का वर मांग लिया। तब से लेकर आज तक आसपास के ग्रामीण इस स्थान को विमलेश्वर महादेव के नाम से भी पूजते हैं।
उत्तरकाशी की पंचक्रोशी परिक्रमा वरणा संगम पर स्नान करके विमलेश्वर को जल चढ़ाकर प्रारंभ की जाती है। यहां जड़भरत मुनि का आश्रम भी है। उसके पास ब्रह्मकुंड है। यहां स्नान, तर्पण और पिंडदान आदि का विधान है।
#4 पर्वतारोहण (Mountaineering)
उत्तरकाशी का एक अन्य आकर्षण पर्वतारोहण है। यहां आप पर्वतारोहण का मजा ले सकते हैं। देहरादून, डोडीताल, यमुनोत्री तथा गोमुख से पर्वतारोहण किया जा सकता है।
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, उत्तरकाशी (Nehru Institute Of Mountaineering)
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, 14 नवंबर, 1965 को स्थापित किया गया था। तथा इसका नामकरण भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर किया गया था। यह भारत के प्रमुख पर्वतारोहण संस्थानों में से एक है। यह संस्थान पर्वतारोहण और अन्य साहसिक पाठ्यक्रम में प्रशिक्षण प्रदान करता है।
उत्त्तरकाशी कैसे पहुंचे (How to Reach Uttarkashi in Hindi)
उत्तरकाशी, हरिद्वार से 350 और देहरादून से 144.4 किलोमीटर दूर गंगोत्री जाने के मुख्य मार्ग में पड़ता है। अगर आप गंगोत्री दर्शन करने जा रहे है तो वापसी में आते हुए उत्तरकाशी जा सकते हैं।
सड़क मार्ग: देहरादून बस अड्डे से उत्तरकाशी तक नियमित बसें और टैक्सी उपलब्ध है। देहरादून से उत्तरकाशी तक की सड़क मार्ग निम्नलिखित है।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून में स्थित है, देहरादून रेलवे स्टेशन देश के लगभग हर बड़े रेलवे स्टेशन स्टेशन से जुड़ा हुआ है।
हवाई मार्ग: निकटतम हवाईअड्डा जॉली ग्रांट देहरादून है |
उत्तरकाशी में रहने, खानपान की व्यवस्था (Hotel & Restorent In Uttarakashi)
उत्तरकाशी के अधिकांश रेस्टोरेंटों में शाकाहारी खाना मिलता है। यहां का रोटी, चावल, मंडुआ प्रमुख भोजन है। इसके साथ-साथ रायता तथा रोटी भी यहां के लोग खाते हैं।
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