Vaishali (Bihar): History & Tourist Places in Hindi
Vaishali: वैशाली बिहार प्रान्त के तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि “रिपब्लिक” कायम किया गया था।
बिहार का वैशाली शहर एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है और इसका इतिहास बहुत पुराना है। भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए भी यह एक पवित्र नगरी है।
वैशाली: विश्व को सर्वप्रथम लोकतंत्र का ज्ञान कराने वाला स्थान
राज्य | बिहार |
क्षेत्रफल | 2,036 km² |
समुंद्र तल से ऊंचाई | 52 मीटर |
तापमान | 44-21 डिग्री सेल्सियस (गर्मियों में), 23-6 डिग्री सेल्सियस (सर्दी में) |
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कब जाएं | अक्टूबर से मार्च |
वैशाली नाम कैसे पड़ा? वैशाली का नामाकरण रामायण काल के एक राजा विशाल के नाम पर हुआ है।
वैशाली का इतिहास (History of Vaishali)
वैशाली न केवल ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है वरन कला और संस्कृति के दृष्टिकोण से भी काफी धनी है। विश्व को सर्वप्रथम लोकतंत्र का ज्ञान करानेवाला स्थान वैशाली ही है। आज वैश्विक स्तर पर जिस लोकशाही को अपनाया जा रहा है वह यहां के शासकों की ही देन है।
आज से लगभग 6 शताब्दि ईसा पूर्व, वज्जी और लिच्छवी के काल में यहां का शासक जनता के द्वारा चुना जाता था। मौर्य और गुप्त राजवंश में जब पाटलीपुत्र (आधुनिक पटना) राजधानी के रूप में विकसित हुआ, तब वैशाली इस क्षेत्र में होने वाले व्यापार और उद्योग का प्रमुख केंद्र था। भगवान बुद्ध ने वैशाली के समीप कोल्हुआ में अपना अंतिम संबोधन दिया था।
इसकी याद में महान सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दि ईसा पूर्व सिंह स्तंभ का निर्माण करावया था। महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण के लगभग 100 वर्ष बाद वैशाली में दूसरे बौद्ध परिषद का आयोजन किया गया था। इस आयोजन की याद में दो बौद्ध स्तूप बनवाए गए।
वैशाली जैन धर्मावलंबियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। यहीं पर जैन धर्म की उत्पत्ति हुई थी। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म भी वैशाली में ही हुआ था। महावीर यहां 22 वर्ष की उम्र तक रहे थे। इस तरह वैशाली भारत के दो महत्वपूर्ण धर्मों का केंद्र था।
अत: ऐतिहासिक रूप से वैशाली का महत्व ज्यादा है। यहां इन दोनों धर्मों के अनुयायियों के अलावा ऐतिहासिक पर्यटन में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है। वैशाली के समीप ही एक विशाल बौद्ध मठ है, जिसमें महात्मा बुद्ध उपदेश दिया करते थे।
वैशाली के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places to Visit Vaishali in Hindi)
वैशाली बिहार, भारत में स्थित है और यह बौद्ध और जैन धर्म का महत्वपूर्ण स्थल है। वैशाली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल हैं:
वैशाली स्तूप: यह दुनिया का सबसे बड़ा मिट्टी का स्तूप है जिसे भगवान बुद्ध ने गांधार के लिए भट्टी बनाने के लिए दिया था।
वैशाली महाविहार: यह वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने अपने आखिरी वर्ष व्यतीत किए थे।
बुद्ध का शिलालेख: यह शिलालेख बुद्ध के संदेशों को दर्शाता है और यह वैशाली के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।
कोल्हुआ पहाड़ी: यह पहाड़ी पर्यटकों के लिए बौद्ध धर्म के संबंध में जानकारी प्रदान करती है।विश्व शांति स्तूप: यह स्तूप वैशाली में भव्य एवं सुंदर स्थापत्य कला का उदाहरण है और यह वैशाली का शानदार पर्यटन स्थल है।
अशोक स्तंभ (Pillars of Ashoka)
सम्राट अशोक ने वैशाली के समीप कोल्हुआ में सिंह स्तंभ की स्थापना की थी। यहां आनेवाले पर्यटकों के बीच यह स्थान लोकप्रिय है। स्तंभ का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से हुआ है। इस स्तंभ के ऊपर घंटी के आकार की बनावट है (लगभग 18.3 मीटर ऊंची ) जो इसको और आकर्षक बनाता है। यहीं पर एक छोटा सा कुंड भी है, जिसको रामकुंड के नाम से जाना जाता है। इस स्तंभ का निर्माण महात्मा बुद्ध के अंतिम उपदेश की याद में करवाया गया था।
बौद्ध स्तूप (Baudh Stupa)
दूसरे बौद्ध परिषद की याद में यहां पर दो बौद्ध स्तूपों का निर्माण किया गया था। दूसरे स्तूप का पता 1958 की खुदाई के बाद चला। भगवान बुद्ध के राख पाए जाने से इस स्थान का महत्व काफी बढ़ गया है। इसलिए यह स्थान बौद्ध अनुयायियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। पहले स्तूप का महत्व भी पवित्र राख के लिए ही है।
अभिषेक पुष्करण (Abhishek Pushkarni)
यह वास्तव में पानी का टैंक है। ऐसा माना जाता है कि इस गणराज्य में जब कोई नया शासक निर्वाचित होता था तो उनको यहीं पर स्नान करवाया जाता था। इसी के नजदीक लिच्छवी स्तूप स्थित है।
राजा विशाल का गढ़ (Ruins Of The Fort of Lichhavi King Vishal)
यह वास्तव में एक छोटा टीला है, जिसकी परिधि एक किलोमीटर है। इसके चारों तरफ दो मीटर ऊंची दीवाल है जिसके चारों तरफ 43 मीटर चौड़ी खाई है। समझा जाता है कि यह प्राचिनतम संसद है। इस संसद में 7000 संघीय सदस्य इकट्ठा होकर समस्याओं को सुनते थे और उसपर बहस भी किया करते थे। यह भवन आज भी पर्यटकों को भारत के लोकतांत्रिक प्रथा की याद दिलाता है।
कुण्डलपुर (Kundalpur)
यह जगह भगवान महावीर का जन्मस्थान होने के कारण काफी लोकप्रिय है। यह स्थान जैन धर्मावलंबियों के लिए काफी पवित्र माना जाता है। वैशाली से इसकी दूरी 4 किलोमीटर के आसपास है।
इसके अलावा विश्व शांतिस्तूप, वैशाली महोत्सव, सोनपुर मेला, बावन पोखर मंदिर, वैशाली संग्रहालय आदि भी देखने लायक है।
वैशाली कैसे पहुंचे (How To Reach Vaishali)
हवाई मार्ग
वैशाली का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा राजधानी पटना (55 किलोमीटर) में स्थित है। यहां आनेवाले पर्यटक दिल्ली, कोलकाता, काठमांडु, बनारस और लखनऊ से फ्लाइट ले सकते हैं।
सड़क मार्ग
यहां आने के लिए सड़क मार्ग सबसे उपयुक्त है। वैशाली से पटना समेत उत्तरी बिहार के सभी प्रमुख शहरों के लिए बसें जाती है।
रेल मार्ग
वैशाल का नजदीकी रेलवे स्टेशन हाजीपुर है। यह स्टेशन वैशाली से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई आदि शहरों के लिए यहां से डाइरेक्ट ट्रेन है।
वैशाली से क्या खरीददारी: वैशाली अपने हस्तशिल्प के लिए विख्यात है। मधुबनी कला की पेंटिंग काफी प्रसिद्ध है। यहां सोनपुर मेले से भी यादगार के तौर पर खरीददारी किया जा सकता है। इसी तशिल्प का सामाना खरीदा जा सकता है।