Sree Virupaksha Temple: विरूपाक्ष मंदिर, हम्पी (कर्नाटक)
विरूपाक्ष मंदिर कर्नाटक राज्य के हम्पी में तुंगभद्रा नदी के किनारे पर स्थित एक पवित्र स्थान और ऐतिहासिक स्थल है। इस मंदिर में भगवान शिव के विरुपाक्ष रूप की पूजा की जाती है।
इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की कहानी रावण और भगवान शिव से जुड़ी हुई है।
विरुपाक्ष का अर्थ: यह प्राचीन मंदिर भगवान् शिव के रूपों में से एक ‘विरुपाक्ष’ (विरूप + अक्ष = विपरीत अक्ष वाले) को समर्पित है जिसे “प्रसन्न विरुपाक्ष मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है।
विरूपाक्ष मंदिर का इतिहास (Histroy of Temple)
कर्नाटक के हम्पी में स्थित विरूपाक्ष मंदिर भगवान शिव के एक रूप विरूपाक्ष को समर्पित है। यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली में बना हुआ है। मूल रूप से 9 वीं तथा 10 वीं सदी में बने इस मंदिर का बाद में विजयनगर के शासकों ने और विस्तार किया।
विरुपाक्ष मंदिर विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोकमाह देवी द्वारा बनवाया गया था। माना जाता है हम्पी ही रामायण काल का किष्किन्धा है। मंदिर की दीवारों पर 7 वीं शताब्दी की समृद्ध शिलालेख भी मौजूद हैं जो इसकी समृद्ध विरासत के प्रमाण को प्रस्तुत करते हैं। और पढ़ें: रामायण के प्रमुख पात्र
मंदिर के स्तम्भों से भरे गलियारे बेहद प्रसिद्ध हैं जिन पर बहुत सुंदर नक्काशी तथा कलाकृतियां देखने को मिलती हैं। इस मंदिर के इतिहास और सुन्दर वास्तुकला के कारण इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया।
विरूपाक्ष मंदिर परिसर (Virupaksha Temple Complex)
तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर हेम कूट पहाड़ी की तलहटी पर बने इस मंदिर का गोपुरम 50 मीटर ऊंचा है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता यहां का शिवलिंग है जो दक्षिण की ओर झुका हुआ है। भगवान शिवजी के अलावा इस मंदिर में भुवनेश्वरी और पंपा की मूर्तियां भी बनी हुई हैं।
इस मंदिर के पास छोटे-छोटे और मंदिर हैं जो कि अन्य देवी देवताओं को समर्पित हैं। मन्दिर के पूर्व में पत्थर का एक विशाल नंदी है जबकि दक्षिण की ओर गणेश जी की विशाल प्रतिमा है। यहां नृसिंह की 6.7 मीटर ऊंची एक मूर्ति भी है। और पढ़ें: शिव पूजन में ध्यान रखने योग्य बातें
पौराणिक मान्यता (Mythological Believe)
पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण जब शिवजी के दिए हुए शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था तो यहां पर रुका था। उसने इस जगह एक बूढ़े आदमी को शिवलिंग पकड़ने के लिए दिया था। उस बूढ़े आदमी ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया, तब से वह शिवलिंग यहीं जम गया और लाख कोशिशों के बाद भी हिलाया नहीं जा सका।
मंदिर की दीवारों पर उस प्रसंग के चित्र बने हुए हैं जिसमें रावण शिव से पुनः शिवलिंग को उठाने की प्रार्थना कर रहे हैं और भगवान शिव इंकार कर देते हैं। और पढें: शिव द्वादश ज्योतिर्लिंग का रहस्य
विरुपाक्ष मंदिर कैसे पहुंचे (How to Reach Virupaksha Temple)
हवाई जहाज: हम्पी से निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बेल्लारी है, जो 350 किलोमीटर दूर है। पर्यटक बेल्लारी से हम्पीक के लिए कैब ले सकते हैं
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन लगभग 13 किमी दूर होसपेट है। होस्पेट बेल्लारी और बैंगलोर जैसे प्रमुख शहरों से पर्याप्त रूप से जुड़ा हुआ है। पर्यटक आमतौर पर हम्पी पहुंचने के लिए होसपेट से कैब किराए पर लेते हैं। बैंगलोर से हम्पी की दूरी 288km की दूरी है।
सड़क मार्ग: पर्यटक बेल्लारी, होस्पेट और बैंगलोर जैसी जगहों से डायरेक्ट बस द्वारा हम्पी जा सकते हैं। यात्रियों के लिए वॉल्वो और एसी बसें उपलब्ध हैं। यात्री कैब का भी लाभ उठा सकते हैं।