उत्तर कालामृत : Uttara Kalamrita Book Review & PDF [HINDI]
Uttara Kalamrita: ज्योतिष शास्त्र की दुनिया में कई ग्रंथ ऐसे हैं, जो समय और जीवन के रहस्यों को उजागर करते हैं। इनमें से “उत्तर कालामृत” एक महत्वपूर्ण और व्यापक ग्रंथ है। इस लेख में हम “उत्तर कालामृत” का विवरण, इसकी विशेषताओं और ईबुक उपलब्धता पर चर्चा करेंगे।
महत्व (Importance)
उत्तर कालामृत की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। कदाचित् यह एकमात्र जातक ग्रन्थ है जिसमें मुहूर्त व कर्मकांड को भी सम्मिलित कर काल का समग्र, समन्वित व संतुलित चिंतन हुआ है।
इसमें जन्मकाल लक्षण, ग्रह बल साधन, आयुर्दाय, ग्रहभाव फल के साथ कारकत्व खंड में भाव व ग्रहों के कारकत्व पर विचार हुआ है। अध्याय 6 दशाफल, 7 प्रश्न तथा 8 विविध फल सहित प्रथम कांड में कुल आठ खंड या अध्याय हैं।
इसके बाद द्वितीय कांड अर्थात् कर्मकांड खंड में 105 श्लोकों में सुखी व समृद्ध जीवन के लिए विधि निषेधों पर विस्तार से चर्चा हुई है। कर्मकांड खंड में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि, एकादशी के व्रत तथा श्राद्ध और पिडंदान पर विशेष चर्चा हुई है। तीर्थयात्रा के नियम व गायत्री जप (श्लोक संख्या 73) का वर्णन हुआ है।
कालामृत का इतिहास (History Of Uttra kalamrit)
उत्तर कालामृत कालिदास द्वारा लिखा गया था। हालाँकि, यह अज्ञात है कि इस कार्य को लिखने वाले कालिदास वही कालिदास हैं जिन्होंने रघुवंश और अभिज्ञानशाकुंतलम लिखा था अथवा नहीं। उत्तर कालामृत की रचना का सटीक काल भी ज्ञात नहीं है। हालांकि, इसकी भाषा और शैली से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह ग्रंथ मध्यकालीन भारत में लिखा गया होगा।
मूल ग्रन्थ से संस्कृत भाषा में लिखा गया था। जिसकी पांडुलिपि आन भी भारत के विभिन्न पुस्तकालयों में उपलब्ध है, जिसमें चेन्नई में सरकारी ओरिएंटल पांडुलिपि पुस्तकालय भी शामिल है।
Uttar Kalamrit / Purva Kalamrit Book PDF [Hindi]
Name | उत्तर कालामृत |
Author | कालिदास |
Translater | J.N bhasin |
Publisher | रंजन प्रकाशन |
Page | 256 |
Quality | Good |
Size | 33 MB |
Category | Astrology |
Availablity | Available (English) |
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Uttar Kalamrit/ Purva Kalamrit -J.N. Bhasin & Dr. S.C. Mishra (Set of 2 Vols.)
वर्तमान में कालामृत पर वी.सुब्रह्मण्यम शास्त्री और श्री. पी.एस शास्त्री की अंग्रेजी तथा श्री जगन्नाथ भसीन और कृष्ण कुमार की हिंदी टीकाएँ उपलब्ध है। जिसमें पी.एस शास्त्री की और श्री जगन्नाथ भसीन की टिकाए सर्वाधिक पसंद की जाती है। पूर्वा कालामृत (उत्तर कालामृत का पूर्व भाग) डॉ सुरेश चंद्र मिश्र का उपलब्ध है।