भावार्थ रत्नाकर : Bhavartha Ratnakar Book Review & PDF [Hindi]
Bhavartha Ratnakar: रामानुजाचार्य द्वारा रचित भावार्थ रत्नाकर भारतीय ज्योतिष शास्त्र की सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन पुस्तकों में से एक है। इसमें कुछ नियम ऐसे है, जो अन्य ग्रंथों में नहीं मिलते हैं।
इतिहास (History)
रामानुजाचार्य जी के पिता का नाम भाष्यम जगन्नाथार्य है। रामानुजाचार्य मगलाद्री महाक्षेत्र के निवासी थे और भारद्वाज गोत्र में उत्पन्न हुए थे। रामानुजाचार्य ने भावार्थ रत्नाकर संस्कृत भाषा में लिखा गया है, जिसके 14 अध्यायों में कुल 384 श्लोक थे। भावार्थ रत्नाकर ग्रंथ लंबे समय तक मुख्य रूप से भारत के दक्षिणी भागों तक ही सीमित रहा था।
सर्वप्रथम वर्ष 1900 में डॉ वेंकट रमन (B.V Raman) ने रमन प्रकाशन, बैंगलोर से अंग्रेजी भाषा में इसका अनुवाद किया। जिसकी पाठको ने खूब सरहाना की। श्री जगन्नाथ भसीन (J.N Bhasin) ने हिंदी भाषी पाठकों के लाभार्थ हेतु भावार्थ रत्नाकर की हिंदी व्याख्या रंजन पब्लिकेशन से किया। जगन्नाथ भसीन की यह व्याख्या आज भी सर्वाधिक पसंद की जाती है।
यदि हाल के वर्षो की बात करे तो भावार्थ रत्नाकर पर कृष्ण कुमार की टीका उपयोगी है। इसके अलावा चंद्रशेखर एस. शर्मा (Chandra Shekhar S. Sharma), अरस्तू प्रभाकर (Arastu Prabhakar), जितेंद्रपाल सिंह संधु (Jatinder Pal Singh Sandhu) की इंग्लिश व्याख्या उपलब्ध है।
Bhavartha Ratnakar by Ramanujacharya
Name | Bhavartha Ratnakar |
Author | Ramanujacharya |
Language | Sanskit To English |
Translater | J.N Bhasin |
Quality | Average |
Page | 128 |
Size | 1.93 |
Category | Astrology |
Bhavartha Ratnakar Ebook Download [PDF]
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Verdict: भावार्थ रत्नाकर में ज्योतिष के संपूर्ण फलित भाग को शामिल ना करके केवल चुनिंदा नियमों को सूचीबद्ध किया गया है। जिनमें से कुछ नियम अथवा सूत्र अन्य ग्रंथों में नहीं मिलते हैं। इसलिए इस ग्रंथ की महत्ता और भी अधिक बड़ जाती है।
जैसे जो ग्रह अपनी राशियों से बुरे भाव में होता है वह बुरा फल करता है। उदाहरण के लिये मेष लग्न हो और गुरु दशम भाव में हो तो मारक सिद्ध होता है। दशम भाव में स्थित गुरु को हम निर्बल नहीं कह सकते। परन्तु यहाँ गुरु को निर्बल मानना पड़ेगा क्योंकि गुरु आयु स्थान अष्टम से तृतीय है और दूसरे आयु स्थान अर्थात् तृतीय से अष्टम है, इसलिए यह आयु को हानि पहुँचाता है।
यदि आप ज्योतिष में रुचि रखते हैं, तो भावार्थ रत्नाकर आपके लिए एक अनमोल ग्रंथ हो सकता है। इस ग्रंथ के हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध होने के कारण आप इसे अपनी पसंद की भाषा में पढ़ सकते हैं।