सर्वार्थ चिन्तामणि : Sarvarth Chintamani Book Review & PDF [Hindi]
Sarvarth Chintamani Book: सर्वार्थ चिंतामणि ज्योतिष की महत्वपूर्ण पुस्तकों में से एक है। संस्कृत श्लोक में लिखी गई यह पुस्तक जन्म कुंडली में प्रत्येक भाव के प्रभावों के बारे में बहुत विस्तार से बताती है, साथ ही ग्रहों, उनके प्रभावों, जीवनकाल और समृद्धि के बारे में भी बताती है।
इतिहास (History)
सर्वार्थ चिंतामणि के लेखक के नाम में मतभेद है। कुछ विद्वान इन्हें श्री व्यंकट शर्मा तो अन्य वेंकटेश या वेंकटेश्वर शर्मा बताते हैं। “जातक परिजात’ के लेखक पंडित वैद्यनाथ दीक्षित इनके पुत्र थे। पंडित गोपेश कुमार ओझा ने सन् 1425 ई. को ‘जातक परिजात’ का रचना काल माना है। इसलिए ‘सर्वार्थ चिन्तामणि’ का रचना काल 1390 के आसपास होना चाहिए। प्रारंभ में इस ग्रंथ का चलन दक्षिण भारत था और गुरु शिष्य परंपरा द्वारा प्रदान किया जाता था। सर्वार्थ चिन्तामणि कई दृष्टियों से ज्योतिष का अनूठा ग्रन्थ है।
सर्वार्थ चिंतामणि शीर्ष ज्योतिषीय कार्यों में से एक है। – J. N bhasin
जहाँ वराहमिहिर ने कर्मजीव अध्याय पर मात्र चार श्लोकों में चर्चा की, वहीं दूसरी ओर वेंकटेश ने अपने सवार्थ चिंतामणि में वराहमिहिर के अवलोकन को विस्तार दिया है। – B. Suryanarayan Rao
सर्वार्थ चिंतामणि का हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में टीका उपलब्ध है। डॉ शुक्र देव चतुर्वेदी, पंडित महीधर शर्मा, डा. सुरेश चंद्र मिश्र, आचार्य गुरुप्रसाद गौड़ और कृष्ण कुमार आदि ज्योतिर्विदो ने इसकी हिंदी टिकाए लिखी है। ज्योतिष शिरोमणि जगन्नाथ भसीन, सूर्य नारायण राव की अंग्रेजी टीका उपलब्ध है। इनमे से सुरेश चंद्र मिश्र की हिंदी और जगन्नाथ भसीन की अंग्रेजी में लिखी टिकाए सबसे अच्छी मानी जाती है।
Sarvarth Chintamani by Vyankatesh Sharma Ebook Download [PDF]
Name | सर्वार्थ चिंतामणि |
Author | वेंकटेश शर्मा |
Language | Sanskit To Hindi |
Translater | डॉ शुक्र देव चतुर्वेदी |
Quality | GOOD |
Page | 310 |
Size | 149 MB |
Category | Astrology |
Download Status | Available |
सर्वार्थ चिंतामणि, ना केवल ज्योतिष में रुचि रखने वालों के लिए, बल्कि पेशेवर ज्योतिषियों के लिए भी एक अनमोल ग्रंथ है। सर्वार्थ चिंतामणि पुस्तक को ऑनलाइन खरीदने के लिए नीचे दिए गए Amazone या Flipkart Buton कर क्लिक करे। यह लिंक आपको सीधे पुस्तक के अधिकृत विक्रेता की Website पर ले जाएगा।” अगर आप इस पुस्तक को PDF प्रारूप में डाउनलोड करना चाहते हैं, तो ‘Download‘ बटन पर क्लिक करें।
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समीक्षा: श्रीवेंकटेश द्वारा रचित ‘सर्वार्थचिन्तामणि’ ग्रन्थ वास्तव में विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है। यह ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन क्रम में मानसागरी व जातकाभरण के बाद का अगला पड़ाव है।
इस ग्रन्थ में कुछ बातें ऐसी कही गई हैं, जिसे देखने, सुनने में विपरित लगती हैं। परन्तु वे सोलह आना सही है। ज्योतिष में जातक पारिजात, फलदीपिका आदि के स्तर पर पहुँचने से पूर्व यदि इस ग्रन्थ का अध्यन कर लिया जाए तो विद्यार्थियों को विषय बोध में बहुत सहायता होगी।