कलसर्प दोष: Kalsarpa Dosh Books With PDF & Review in hindi
Kalsarpa Dosh Books: काल सर्प दोष एक विवादास्पद विषय है, जिसे लेकर लोग अक्सर जिज्ञासु रहते हैं। इस दोष को समझने और इसके समाधान के लिए कई लोग विभिन्न पुस्तकों की तलाश करते हैं।
यदि आप भी काल सर्प दोष के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं या इससे संबंधित किताबें ढूंढ रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। क्योंकि यहां हम आपको काल सर्प दोष पर लिखी गई कुछ प्रमुख पुस्तकों की समीक्षा करेंगे और उपलब्ध PDF भी साझा करेंगे
कलसर्प दोष: Best Books on Kalsarpa Dosh With PDF & Review in hindi
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काल सर्प दोष क्या है?
काल सर्प दोष तब होता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। इसे ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि काल सर्प दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। काल सर्प दोष के कुल 12 प्रकार होते हैं।
किन्तु पाराशर तथा आचार्य महिर ने “कालसर्प” विषय में कोई अलग से परिभाषा नहीं की है। सारावलि, मानसागरी में घातक योगों में सर्पयोग, विषयोग, शकटयोग, केमद्रुम योग, भैरव योग, काल योग, महाकालयोग, वैदूषणयोग इत्यादि का वर्णन है। परन्तु कालसर्प योग का विशिष्ट वर्णन नही है। वर्षों पूर्व डॉ बी.वी. रमन ने अपनी पुस्तक “तीन सौ महत्वपूर्ण योग” में इस विषय में कुछ स्पष्टीकरण अवश्य दिया था।
कालसर्प योग एवं शाप दोष शान्ति | Kalsarpa Yog Book By By Shri Rameshchandra Sharma
Title: | कालसर्प योग एवं शाप दोष शान्ति |
Publisher: | Mayuresh Prakashan |
Author: | श्री रमेशचन्द्र शर्मा ‘मिश्र’ (Shri Rameshchandra Sharma ‘Mishra) |
Language: | Hindi Text |
Edition: | 2021 |
Pages: | 416 |
Cover: | Hardcover |
Rating: | ⭐⭐⭐ |
PDF: | Available (आर्काइव) |
कालसर्प योग उन्नतिकार भी होता है कालसर्पदोप नाम से व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिये, कालसर्प योग का सूक्ष्म अध्ययन करना चाहिये। जिस तरह विशिष्ट सर्पों में मणिधारी सर्प भी होते हैं उसी तरह कालसर्प वाले व्यक्ति विश्व में प्रसिद्धि भी पाते है।
आपको सैकड़ों महापुरुषों के उदाहरण मिल जायेगें जिनकी कुण्डलियों में कालसर्प योग मौजूद है। कालसर्प योग वाला जातक यदि दूसरो के लिये कार्य करता है तो प्रारम्भिक जीवन में भले ही कष्ट पाता है बाद में उसे प्रसिद्धि व यश मिलता है। कालसर्प के कई जातक ४२-४५ वर्ष तक दुःख पाते है तो बाद में सुखी जीवन व्यवतीत करते है, और यदि ४२-४५ वर्ष तक सुखी रहते है तो बाद में कष्ट पाते है। अच्छी दशा भी अपना पूर्ण शुभ फल नहीं दे पाती है। ऐसे उदाहरण भी हमने दिये है।
कालसर्प योग कब न्यून होता है एवं कब भारी होता है इसका अवलोकन भलि-भाँति से करे। कालसर्प योग किस परिस्थिति में उन्नाति कारक है, यह विषय इस पुस्तक में वर्णित है। अतः ग्रह विवेचन करके कालसर्प का बलाबल देखकर निर्णय करे, जातक को भयभीत नहीं करे।
कालसर्पयोग शान्ति एवं घट विवाह पर शोधकार्य | Kalsarpa Yog Shanti Evam Ghat Vivah by Dr. Bhojraj Dwivedi
Item Code: | NZE658 |
Author: | Dr. Bhojraj Dwivedi |
Publisher: | Diamond Pocket Books Pvt. Ltd. |
Language: | Sanskrit and Hindi |
Edition: | 2019 |
Pages: | 192 |
Cover: | Paperback |
Rating: | ⭐⭐⭐⭐ |
Not Available |
अनुक्रमणिका
- परिवर्धित संस्करण का परिचय (पृष्ठ 5)
- प्राचीन स्मृतियों में नागदेवता का भारतीय संस्कृति में स्थान (पृष्ठ 9)
- सर्प के लक्षण, स्वरूप व जाति (पृष्ठ 12)
- पंचमी तिथि का आरंभ, नागपंचमी की कथा (पृष्ठ 18)
- एक अनोखे सांप की कहानी (पृष्ठ 24)
- कालसर्पयोग किसे कहते हैं? (पृष्ठ 30)
- कालसर्पयोग के बारे में भ्रांतियाँ (पृष्ठ 37)
- कालसर्पयोग के प्रकार (पृष्ठ 41)
- कालसर्पयोग निवृत्ति के उपाय (पृष्ठ 56)
- कालसर्पयोग की समीक्षा (पृष्ठ 58)
- कालसर्पयोग की निवृत्ति हेतु मुहूर्त विचार (पृष्ठ 60)
- कालसर्प शांति (पृष्ठ 61)
- गंगापूजन (पृष्ठ 62)
- अथ गणेशगुरुवंदनम्कराः: (पृष्ठ 67)
- गणपति स्मरण (पृष्ठ 68)
- अथ मातृकाश्ठापनं पूजनम् (पृष्ठ 77)
- अथ सप्तमातृकाश्ठापक पूजनम् (पृष्ठ 83)
- नादी श्राद्ध (पृष्ठ 87)
- अथ नांदीश्राद्ध प्रयोग (पृष्ठ 89)
- षोडशोपचार गणपति पूजनम् (पृष्ठ 93)
- अथ गणपत्यमर्वशीर्षम् (पृष्ठ 100)
- विशेष ज्ञातव्य (पृष्ठ 110)
- अथ नवग्रह-स्थापनम् (ग्रह-मंडल) (पृष्ठ 115)
- अथ आत्युतारण प्राण प्रतिष्ठा (पृष्ठ 122)
- प्रधान पीठ (पृष्ठ 124)
- नागपंचमी व्रत से संतान प्राप्ति (पृष्ठ 131)
- सर्व नागादि विष निर्मूलिकरण महामंत्र (पृष्ठ 132)
- सर्पवध प्रायश्चित कर्म (पृष्ठ 134)
- अथ कुशाक्रीड़ा (पृष्ठ 137)
- सर्पसूक्त (पृष्ठ 148)
- अथ प्रधान होम द्रव्याणि (पृष्ठ 149)
- होमात्र उत्तरपूजनम् (पृष्ठ 155)
- अर्थाभिषेक मन्त्राः (पृष्ठ 159)
- जल में सर्प छोड़ने का मंत्र (पृष्ठ 160)
- कालसर्पयोग शांति-प्रार्थना (पृष्ठ 161)
- नागसहस्रनामावली (पृष्ठ 162)
- जन्म समय पर कालसर्पयोग की शांति (पृष्ठ 175)
- अथ नागनिराजन (पृष्ठ 179)
- विधवापन को हटाने वाला घट-विवाह (पृष्ठ 180)
- वैधव्ययोग (पृष्ठ 183)
- केमदुम शांति प्रयोग (पृष्ठ 187)
- पुस्तक समीक्षा (पृष्ठ 189)
काल सर्प योग इतना भय क्यों?: Kaalsarpa Yoga Book By K.N Rao
Title: | Kaal Sarpa Yoga |
Publisher: | Vani Publications |
Author: | के० एन० राव (K.N. Rao) |
Language: | Hindi |
Edition: | 2016 |
Pages: | 112 |
Cover: | Paperback |
Rating: | ⭐⭐ |
Not Available |
निष्कर्ष:
कालसर्प दोष को समझने और इसके उपाय जानने के लिए किताबें पढ़ना एक सही कदम हो सकता है। ऊपर दी गई समीक्षा आपके सही किताब चयन करने में सहायक होगी।
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