Dhanishta Nakshatra: धनिष्ठा नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Dhanishta Nakshatra: भारतीय ज्योतिष अनुसार यह 23 वा नक्षत्र है। यह राशि पथ में 293.20 अंशों से 306.40 अंशों के मध्य स्थित है। कुछ लोग धनिष्ठा नक्षत्र में 8 तो कुछ 4 तारे मानते हैं। चरणाक्षर हैं- ग, गी. गू गे।
घनिष्ठिका का शाब्दिक अर्थ: धनिष्ठा का अर्थ है कि अत्यंत प्रसिद्ध धनिष्ठा धन की विपुलता का सूचक है। एक अर्थ यह भी है कि वह स्थल जहाँ धन रखा जाए।
पौराणिक मान्यता
इसे श्रविष्ठा भी कहते है। धनिष्ठा नक्षत्र के देवता वसु है। वसु का अर्थ निवास या आवास है। ये विष्णु और इन्द्र के परिचक (मुलाज़िम) देव है। वसु की कुल संख्या 8 है- 1 अग्नि 2 पृथ्वी, 3 वायु, 4 अंतरिक्ष, 5 आदित्य, 6 दायुस 7 चन्द्रमा, 8 नक्षत्र।
रामायण में इनको माता अदिति और महर्षि कश्यप की संतान माना है। महाभारत मे इन्हे प्रजापति (ब्रह्मा पुत्र मनु और मनु पुत्र प्रजापति) तथा अलग अलग माताओ की संतान माना है। महाभारत अनुसार गंगा (पति – शान्तनु) से आठ वसु हुए जिनमें से सात गंगा को वापस कर दिये गये और आठवे वसु महाभारत के महानायक भीष्म हुए। (और पढ़ें: महाभारत के प्रमुख पात्र
विशेषताए
धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातक अत्यंत बुद्धिमान, विविध विषयों के ज्ञाता, किसी को ठेस न पहुँचाने वाले और धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं।
जातक जमीन-जायदाद वाला, प्रसिद्ध, प्रभावी नेता, लालची, स्वार्थी, संगीत प्रेमी, नृत्यक, यात्रा प्रेमी होता है। इस नक्षत्र में जन्मे जातकों की इतिहास और विज्ञान में भी रुचि होती है।
अनुकूल प्रतिकूल कार्य
अनुकूल कार्य: यह नक्षत्र धर्म, उत्सव, सामुहिक कार्य, संगीत, नृत्य, आडम्बर, वैभव, यात्रा, सुरक्षा, वस्त्र, रुपया-पैसा, निवेश, उधार, वित्त, आभूषण, शिक्षा के लिए अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह विवाह, मैथुन, पुरानी आदतो का त्याग, युक्ति,साझेदारी, गृहकार्य के प्रतिकूल है।
प्रस्तुत फल जन्म नक्षत्र के आधार पर है। कुंडली में ग्रह स्थिति अनुसार फल में अंतर संभव है। अतः किसी भी ठोस निर्णय में पहुंचने के लिए सम्पूर्ण कुंडली अध्यन आवश्यक है।