एकादश रुद्र (भगवान शिव के 11 स्वरूप)
एकादश रुद्र (भगवान शिव के ग्यारह स्वरूप)
वेद-पुराणों एवं शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ग्यारह अलग-अलग रुद्र स्वरूपों में दुखों का शमन करते हैं। ये ग्यारह रूप एकादश रुद्र के नाम से जाने जाते हैं। जो निम्न है-
(1) शम्भू : यह रुद्र रूप साक्षात ब्रह्म है। इस रूप में ही वह जगत की रचना, पालन और संहार करते हैं।
(2) पिनाकी:- जन शक्ति रूपी चारों वेदों के स्वरूप माने जाने वाले ‘पिनाकी रुद्र’ दुखों का अंत करते हैं।
(3) गिरीश : कैलाशवासी होने से रुद्र का तीसरा रूप ‘गिरीश’ कहलाता है। इस रूप में रुद्र सुख और आनंद देने वाले माने गए हैं।
14) स्थाणुः समाधि, तप और आत्मलीन होने से रुद्र का चौथा अवतार स्थाणु कहलाता है। इस रूप में पार्वती रूप शक्ति बाएं भाग में विराजित होती है।
(5) भर्ग : भगवान रुद्र का यह रूप बहुत तेजोमयी है। इस रूप में रुद्र हर भय और पीड़ा का नाश करने वाले होते हैं।
(6) भव : भवरूप ज्ञान, योगबल, भगवत प्रेम के रूप में सुख देने वाला माना जाता है।
(7) सदाशिव: रुद्र का यह स्वरूप निराकार ब्रह्म का साकार रूप माना जाता है।
जो सभी वैभव, सुख आनंद देने वाला माना जाता है।
(8) शिव : यह रुद्र रूप अंतहीन सुख देने वाला अर्थात कल्याण करने वाला माना जाता है। मोक्ष प्राप्ति के लिए शिव आराधना महत्वपूर्ण मानी जाती है।
(9) हर: इस रूप में नाग धारण करने वाले रुद्र शारीरिक, मानसिक और सांसारिक दुखों को हर लेते हैं।
(10) शर्व : काल को भी काबू रखने का यह रुद्र रूप शर्व कहलाता है।
(11) कपाली : कपाल रखने के कारण रुद्र का यह रूप कपाली कहलाता है। इस रूप में ही उन्होंने दक्ष का दंभ नष्ट किया, किन्तु प्राणी मात्र के लिए रुद्र का यही रूप समस्त सुख देने वाला माना जाता है।
स्तोत्र:- महंत योगेश पूरी जी
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