ज्ञानपीठ पुरस्कार । Jnanpith Award
ज्ञानपीठ पुरस्कार (Jananpith Award) भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। इसकी स्थापना वर्ष 1965 में की गयी थी। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है।
Jnanpith Award (Bharatiya Gyanpith Awards) is an Indian literary award presented annually by the Bharatiya Jnanpith to an author for their “outstanding contribution towards literature
ज्ञानपीठ पुरस्कार (Jannpith Award Complete Guide in Hindi)
पुरस्कार में प्रशस्तिपत्र, वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा और ग्यारह लाख रुपये की धनराशि दी जाती है। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि 1 लाख रुपए थी।
1982 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा।
पुरस्कार का वर्ग | साहित्य |
स्थापना वर्ष | 1965 |
पुरस्कार राशि | 11 लाख रुपये |
प्रथम विजेता | जी शंकर कुरुप (मलयालम) |
भारत की प्रथम महिला विजेता | आशापूर्णा देवी (बांग्ला) |
विवरण | भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार |
ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना (Establishment)
22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के मन में यह विचार आया कि साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य किया जाए जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो।
इसी विचार के अंतर्गत 16 सितंबर 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ की संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती रमा जैन ने न्यास की एक गोष्ठी में इस पुरस्कार का प्रस्ताव रखा। 2 अप्रैल 1962 को दिल्ली में भारतीय ज्ञानपीठ और टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संयुक्त तत्त्वावधान में देश की सभी भाषाओं के 300 मूर्धन्य विद्वानों ने एक गोष्ठी में इस विषय पर विचार किया।
इस गोष्ठी के दो सत्रों की अध्यक्षता डॉ वी राघवन और श्री भगवती चरण वर्मा ने की और इसका संचालन डॉ॰धर्मवीर भारती ने किया। इस गोष्ठी में काका कालेलकर, हरेकृष्ण मेहताब, निसीम इजेकिल, डॉ॰ सुनीति कुमार चैटर्जी, डॉ॰ मुल्कराज आनंद, सुरेंद्र मोहंती, देवेश दास, सियारामशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, उदयशंकर भट्ट, जगदीशचंद्र माथुर, डॉ॰ नगेन्द्र, डॉ॰ बी.आर.बेंद्रे, जैनेंद्र कुमार, मन्मथनाथ गुप्त, लक्ष्मीचंद्र जैन आदि प्रख्यात विद्वानों ने भाग लिया।
इस पुरस्कार के स्वरूप का निर्धारण करने के लिए गोष्ठियाँ होती रहीं और 1965 में पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार का निर्णय लिया गया।
ज्ञानपीठ पुरस्कार की चयन प्रक्रिया (Rules and selection process)
ज्ञानपीठ पुरस्कार के चयन की प्रक्रिया जटिल है और कई महीनों तक चलती है। प्रक्रिया का आरंभ विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों, अध्यापकों, समालोचकों, प्रबुद्ध पाठकों, विश्वविद्यालयों, साहित्यिक तथा भाषायी संस्थाओं से प्रस्ताव भेजने के साथ होता है।
हर भाषा की एक ऐसी परामर्श समिति है जिसमें तीन विख्यात साहित्य-समालोचक और विद्वान सदस्य होते हैं। इन समितियों का गठन तीन-तीन वर्ष के लिए होता है। जिस भाषा के साहित्यकार को एक बार पुरस्कार मिल जाता है उस पर अगले तीन वर्ष तक विचार नहीं किया जाता है।
प्राप्त प्रस्ताव संबंधित ‘भाषा परामर्श समिति‘ द्वारा जाँचे जाते हैं। भाषा समितियों पर यह प्रतिबंध नहीं है कि वे अपना विचार विमर्ष प्राप्त प्रस्तावों तक ही सीमित रखें। उन्हें किसी भी लेखक पर विचार करने की स्वतंत्रता है। भारतीय ज्ञानपीठ, परामर्श समिति से यह अपेक्षा रखती है कि संबद्ध भाषा का कोई भी पुरस्कार योग्य साहित्यकार विचार परिधि से बाहर न रह जाए।
किसी साहित्यकार पर विचार करते समय भाषा-समिति को उसके संपूर्ण कृतित्व का मूल्यांकन तो करना ही होता है, साथ ही, समसामयिक भारतीय साहित्य की पृष्ठभूमि में भी उसको परखना होता है।
अट्ठाइसवें पुरस्कार के नियम में किए गए संशोधन के अनुसार, पुरस्कार वर्ष को छोड़कर पिछले बीस वर्ष की अवधि में प्रकाशित कृतियों के आधार पर लेखक का मूल्यांकन किया जाता है।
भाषा परामर्श समितियों की अनुशंसाएँ प्रवर परिषद के समक्ष प्रस्तुत की जाती हैं। प्रवर परिषद में कम से कम सात और अधिक से अधिक ग्यारह ऐसे सदस्य होते हैं, जिनकी ख्याति और विश्वसनीयता उच्चकोटि की होती है।
पहली प्रवर परिषद का गठन भारतीय ज्ञानपीठ के न्यास-मंडल द्वारा किया गया था। इसके बाद इन सदस्यों की नियुक्ति परिषद की संस्तुति पर होती है। प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 3 वर्ष को होता है पर उसको दो बार और बढ़ाया जा सकता है।
प्रवर परिषद भाषा परामर्श समितियों की संस्तुतियों का तुलनात्मक मूल्यांकन करती है। प्रवर परिषद के गहन चिंतन और पर्यालोचन के बाद ही पुरस्कार के लिए किसी साहित्यकार का अंतिम चयन होता है। भारतीय ज्ञानपीठ के न्यास मंडल का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होता।
Jnanpith Award Winners List (1965-2021)
वर्ष | नाम | भाषा |
---|---|---|
1965 | जी शंकर कुरुप | मलयालम |
1966 | ताराशंकर बंधोपाध्याय | बांग्ला |
1967 | के.वी. पुत्तपा | कन्नड़ |
1967 | उमाशंकर जोशी | गुजराती |
1968 | सुमित्रानंदन पंत | हिन्दी |
1969 | फ़िराक गोरखपुरी | उर्दू |
1970 | विश्वनाथ सत्यनारायण | तेलुगु |
1971 | विष्णु डे | बांग्ला |
1972 | रामधारी सिंह दिनकर | हिन्दी |
1973 | दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे | कन्नड़ |
1973 | गोपीनाथ महान्ती | उड़िया |
1974 | विष्णु सखाराम खांडेकर | मराठी |
1975 | पी.वी. अकिलानंदम | तमिल |
1976 | आशापूर्णा देवी | बांग्ला |
1977 | के. शिवराम कारंत | कन्नड़ |
1978 | अज्ञेय | हिन्दी |
1979 | बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य | असमिया |
1980 | एस. के. पोट्टेक्काट | मलयालम |
1981 | अमृता प्रीतम | पंजाबी |
1982 | महादेवी वर्मा | हिन्दी |
1983 | मस्ती वेंकटेश अयंगार | कन्नड़ |
1984 | तकाजी शिवशंकरा पिल्लै | मलयालम |
1985 | पन्नालाल पटेल | गुजराती |
1986 | सच्चिदानंद राउतराय | ओड़िया |
1987 | विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज | मराठी |
1988 | सी॰ नारायण रेड्डी | तेलुगु |
1989 | कुर्तुलएन हैदर | उर्दू |
1990 | वी.के.गोकक | कन्नड़ |
1991 | सुभाष मुखोपाध्याय | बांग्ला |
1992 | नरेश मेहता | हिन्दी |
1993 | सीताकांत महापात्र | ओड़िया |
1994 | यू.आर. अनंतमूर्ति | कन्नड़ |
1995 | एम.टी. वासुदेव नायर | मलयालम |
1996 | महाश्वेता देवी | बांग्ला |
1997 | अली सरदार जाफरी | उर्दू |
1998 | गिरीश कर्नाड | कन्नड़ |
1999 | निर्मल वर्मा | हिन्दी |
1999 | गुरदयाल सिंह | पंजाबी |
2000 | इंदिरा गोस्वामी | असमिया |
2001 | राजेन्द्र केशवलाल शाह | गुजराती |
2002 | दण्डपाणी जयकान्तन | तमिल |
2003 | विंदा करंदीकर | मराठी |
2004 | रहमान राही | कश्मीरी |
2005 | कुँवर नारायण | हिन्दी |
2006 | रवीन्द्र केलकर | कोंकणी |
2006 | सत्यव्रत शास्त्री | संस्कृत |
2007 | ओ.एन.वी. कुरुप | मलयालम |
2008 | अखलाक मुहम्मद खान शहरयार | उर्दू |
2009 | अमरकान्त व श्रीलाल शुक्ल | हिन्दी |
2010 | चन्द्रशेखर कम्बार | कन्नड |
2011 | प्रतिभा राय | ओड़िया |
2012 | रावुरी भारद्वाज | तेलुगू |
2013 | केदारनाथ सिंह | हिन्दी |
2014 | भालचंद्र नेमाडे | मराठी |
2015 | रघुवीर चौधरी | गुजराती |
2016 | शंख घोष | बांग्ला |
2017 | कृष्णा सोबती | हिन्दी |
2018 | अमिताव घोष | अंग्रेजी |
2019 | अक्कितम | मलयालम |
2020 | रद्द | Covid 19 |
2021 | घोषणा नही |
ज्ञानपीठ पुरस्कार महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी (FAQs)
प्रश्न: ज्ञानपीठ पुरस्कार किस क्षेत्र में दिया जाता हैं?
उत्तर: साहित्य
प्रश्न: ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर: 1965 में
प्रश्न: ज्ञानपीठ पुरस्कार की राशि कितनी होती है?
उत्तर: 11 लाख रूपये
प्रश्न: प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता का क्या नाम है?
उत्तर: जी शंकर कुरूप
प्रश्न: प्रथम महिला ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता कौन है?
उत्तर: आशापूर्णा देवी
लेख का सार:- ज्ञानपीठ पुरस्कार, भारतीय साहित्य के क्षेत्र में दिये जाने वाला सर्वोच पुरस्कार हैं। UPSC, IAS, PCS आदि लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षा में इससे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं। अतः निम्न लेख सभी के लिए पठन योग्य हैं।
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