Kutch (Gujarat): History & Places To Visit in Hindi
कच्छ (Kutch) गुजरात राज्य का एक जिला है। गुजरात यात्रा कच्छ जिले के भ्रमण के बिना अधूरी मानी जाती है। जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष कच्छ महोत्सव आयोजित किया जाता है।
Kutch: History & Tourist Places in Hindi
राज्य | गुजरात |
क्षेत्रफल | 4545, 674 वर्ग किमी |
भाषा | कच्छी (Kutchi), हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | कच्छ मांडवी बीच, कंठकोट किला, नारायण सरोवर मंदिर, भद्रेश्वर जैन मंदिर, कांडला बंदरगाह, मुंद्रा बंदरगाह आदि। |
कब जाएं | नवम्बर से फरवरी। |
कच्छ गुजरात प्रान्त का एक शहर है। गुजरात यात्रा कच्छ जिले के भ्रमण के बिना अधूरी मानी जाती है। पर्यटकों को लुभाने के लिए यहां बहुत कुछ है। जिले का मुख्यालय है भुज। जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष कच्छ महोत्सव आयोजित किया जाता है।
यह पुरातात्विक स्थल हडप्पा संस्कृति का प्रमुख केन्द्र था। जिला मुख्यालय भुज से करीब 250 किमी. दूर स्थित धौलावीरा यह बात साबित करता है कि एक जमाने में हडप्पा संस्कृति यहां फली-फूली थी। यह संस्कृति 2900 ईसा पूर्व से 2500 ईसा पूर्व की मानी जाती है। सिंधु घाटी सभ्यता के अनेक अवशेषों को यहां देखा जा सकता है। वर्तमान में भारतीय पुरातत्व विभाग इसकी देखरेख करता है।
कच्छ के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places to visit in Kutch)
Kutch Tourist Place: 45652 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैले गुजरात के इस सबसे बड़े जिले का अधिकांश हिस्सा रेतीला और दलदली है। जखाऊ, कांडला और मुन्द्रा यहां के मुख्य बंदरगाह हैं। जिले में अनेक ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर, मस्जिद, हिल स्टेशन आदि पर्यटन स्थलों को देखा जा सकता है।
कच्छ मांडवी बीच (Mandvi Beach)
भुज से करीब 60 किमी. दूर स्थित यह बीच गुजरात के सबसे आकर्षक बीचों में एक माना जाता है। दूर-दूर फैले नीले पानी को देखना और यहां की रेत पर टलहना पर्यटकों को खूब भाता है। साथ की अनेक प्रकार के जलपक्षियों को भी यहां देखा जा सकता है। सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा यहां से बड़ा आकर्षक प्रतीत होता हैं।
कंठकोट किला (Kanthkot Fort)
एक अलग-थलग पहाड़ी के शिखर पर बने इस किले का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था। अलग-अलग समय में इस पर सोलंकी, चावडा और वघेल वशों का नियंत्रण रहा। 1816 में अंग्रेजों ने इस पर अधिकार कर लिया और इसका अधिकांश हिस्सा नष्ट कर दिया। किले के निकट ही कंथडनाथ मंदिर, जैन मंदिर और सूर्य मंदिर को भी देखा जा सकता है।
नारायण सरोवर मंदिर (Narayan Sarovar Temple)
भगवान विष्णु के सरोवर के नाम से चर्चित इस स्थान में वास्तव में पांच पवित्र झीलें हैं। नारायण सरोवर को हिन्दुओं के अति प्राचीन और पवित्र तीर्थस्थलों में शुमार किया जाता है। साथ ही इन तालाबों को भारत के सबसे पवित्र तालाबों में गिना जाता है।
श्री त्रिकमरायजी, लक्ष्मीनारायण, गोवर्धननाथजी, द्वारकानाथ, आदिनारायण, रणछोडरायजी और लक्ष्मीजी के मंदिर आकर्षक मंदिरों को यहां देखा जा सकता है। इन मंदिरों को महाराज श्री देशलजी की रानी ने बनवाया था।
भद्रेश्वर जैन मंदिर Shri Bhadreshwar Jain Tirth)
भद्रावती में स्थित यह प्राचीन जैन मंदिर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अति पवित्र माना जाता है। भद्रावती में 449 ईसा पूर्व राजा सिद्धसेन का शासन था। बाद में यहां सोलंकियों का अधिकार हो गया जो जैन मतावलंबी थे। उन्होंनें इस स्थान का नाम बदलकर भद्रेश्वर रख दिया।
कांडला बंदरगाह (Kandla Port)
यह राष्ट्रीय बंदरगाह देश के 11 सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाहों में एक है। यह बंदरगाह कांडला नदी पर बना है। इस बंदरगाह को महाराव श्री खेनगरजी तृतीय और ब्रिटिश सरकार के सहयोग से 19वीं शताब्दी में विकसित किया गया था।
मांडवी बंदरगाह (Mandvi Seaport)
इस बंदरगाह को विकसित करने का श्रेय महाराज श्री खेनगरजी प्रथम को जाता है। लेखक मिलबर्न ने मांडवी को कच्छ के सबसे महान बंदरगाहों में एक माना है। बड़ी संख्या में पानी के जहाजों को यहां देखा जा सकता है।
मुंद्रा बंदरगाह (Mundra Port)
यह बंदरगाह मुंद्रा शहर से करीब 10 किमी. की दूरी पर है। ओल्ड पोर्ट और अदनी पोर्ट यहां देखे जा सकते हैं। यह बंदरगाह पूरे साल व्यस्त रहते हैं और अनेक विदेशी पानी के जहाजों का यहां से आना-जाना लगा रहता है। दूसरे राज्यों से बहुत से लोग यहां काम करने आते हैं।
जखऊ बंदरगाह (Jakhau Port)
यह बंदरगाह कच्छ जिले के सबसे प्राचीन बंदरगाहों में एक है। वर्तमान में मात्र मछली पकडने के उद्देश्य से इसका प्रयोग किया जाता है। कच्छ जिले के इस खूबसूरत बंदरगाह में तटरक्षक केन्द्र और बीएसफ का जलविभाग है।
कच्छ कैंसे पहुंचें (How to rech Kutch)
वायु मार्ग – भुज विमानक्षेत्र और कांदला विमानक्षेत्र कच्छ जिले के दो महत्वपूर्ण एयरपोर्ट हैं। मुंबई से यहां के लिए नियमित फ्लाइट्स हैं।
रेल मार्ग – गांधीधाम और भुज में जिले के नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं। यह रेलवे स्टेशन कच्छ को देश के अनेक हिस्सों से जोड़ते हैं।
सड़क मार्ग – कच्छ सड़क मार्ग द्वारा गुजरात और अन्य पड़ोसी राज्यों के बहुत से शहरों से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन और प्राईवेट डीलक्स बसें गुजरात के अनेक शहरों से कच्छ के लिए चलती रहती हैं।