Purva Ashadha: पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Purva Ashadha: यह भारतीय खगोल का 20 वा उग्र संज्ञक नक्षत्र है। नक्षत्र राशि पथ में 253.20 अंश से 266.40 अंश तक स्थित है। यह नक्षत्र धनु राशि में आता है। पूर्वाषाढा नक्षत्र में चार तारे हैं, जो हाथी दांत की तरह दिखायी देते हैं।
- प्रथम चरण के स्वामी सूर्य
- द्वितीय चरण के बुध
- तृतीय चरण का शनि एवं
- चतुर्थ चरण का स्वामी गुरु है
इसके देवता जल एवं स्वामी ग्रह शुक्र है। चरणाक्षर भू, धा, फ. उ है।
प्रतीकवाद
पूर्वाषाढा के देवता अपः (अपाह) यानि जल है। दैहिक, दैविक, भौतिक कर्मों का सम्पादन जल से होता है। हिन्दू मान्यता अनुसार पवित्र नदियो मे स्नान करने से पापो का मोचन और मनोकामना की पूर्ति कारक है।
विशेषताएं
यह अपराजित नक्षत्र कहलाता है। इस नक्षत्रोत्पन्न जातक को हराना मुश्किल होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक स्वतंत्र, निर्भीक, अहंकारी, वाद-विवाद में सफल, भाग्यवान, लोकप्रिय और चतुर होता है।
इन्हे कविता लिखने में उन्हें आनंद आता है। इस नक्षत्र का सम्बन्ध जल से है अतः यह पानी से सम्बंधित उद्योग या जल यात्रा में सफलता प्राप्त करते है।
क्या करें क्या न करें?
अनुकूल कार्य: यह नक्षत्र जोखिम, युद्ध, जलीयकार्य, विवाह, सम्भोग, प्रोत्साहन, भडकाना, नई स्फूर्ति भरना, कला, जलक्रीडा, देवी पूजा के अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह नक्षत्र कूटनीति, प्रतिबिम्ब, वायदा, जमीनी यात्रा के प्रतिकूल है।