3rd House: कुंडली में तृतीय भाव (पराक्रम भाव)
3rd House in Horoscope: कुंडली में तृतीय भाव (पराक्रम भाव) का विशेष महत्व है। इस भाव से प्रधानताः व्यक्ति के पराक्रम का विचार किया जाता है। अगर आप कुंडली के तृतीय भाव के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आपको यह लेख शुरू से अंत तक पढ़ना चाहिए..
ज्योतिष में तृतीय भाव से क्या देखा जाता है?
कुंडली में तृतीय भाव से छोटे भाई के सम्बन्ध में, भाइयों की कुल संख्या, मित्र, सिपाही, शूरता, मित्र, यात्रा, कष्ट, धन का विभाजन, विद्या रुचि, छोटी यात्रा, निज धर्म की जानकारी प्राप्त की जाती है। वृहद पाराशर होरा शास्त्र के शब्दो मे..
विक्रम भृत्यभ्रात्रादि चोपदेश प्रयाणकम् ।
पित्रोवँमरणं विज्ञो दुश्चिक्याच्च निरीक्षयेत् ।।
पराक्रम, नौकर, भाई, उपददेश, विदददेश यात्रा, माता-पिता की मृत्यु तीसरे भाव से विचार किया जाता है।
|| अथ तृतीयभावफलाध्यायः ||
भ्रातृसुख योग
सहजे सौम्ययुग्दृष्टे भावाधीशसमन्विते ।
सभौमे भ्रातृभावेशे केन्द्रकोणे सुखं भवेत् ।।
सभौमो भ्रातृभावेशो भ्रातृभावं प्रपश्यति ।
भ्रातृक्षेत्रगतो वापि भ्रातृसौख्यं विनिर्दिशेत् । ।
अर्थात: यदि तृतीय भाव शुभ ग्रह से युक्त दृष्ट हो अथवा तृतीयेश तृतीय में हो अथवा तृतीयेश व मंगल केन्द्र व त्रिकोण में गए हों तो मनुष्य को इस भाव का सुख अर्थात् पराक्रम परिश्रम की सफलता एवं भाइयों का सुख होता है ।यदि मंगल व तृतीयेश, तृतीय स्थान को देखते हों अथवा तृतीयेश तृतीय में हो तो भी भ्रातृसौख्य होता है।
भाई बहन योग
भ्रातृस्थाने शशियुते केवलं पुंग्रहेक्षिते,
सहजा भ्रातरो ज्ञेयाः शुक्रयुक्तेक्षिकेन्यथा।।
यदि तृतीय स्थान में चन्द्रमा हो तथा केवल पुरुष ग्रहों से दृष्ट हो तो भाई होते हैं। यदि शुक्र से दृष्ट चन्द्रमा तृतीयस्थ हो तो बहन होती है
अग्रे जातं रविर्हन्ति पृष्ठे जातं शनैश्चरः।
अग्रजं पृष्ठजं हन्ति सहजस्थो धरासुतः ।।
तृतीयस्थ सूर्य से बड़े भाई को शनि से छोटे भाई को तथा तृतीयस्थ (भावेश व उच्च राशि के बिना) मंगल हो तो अगले पिछले सहोदरों को नष्ट करता है।
निष्कर्ष: कुंडली में नवम भाव एक महत्वपूर्ण भाव है। इसलिए इस भाव का सावधानी पूर्वक अध्यन करना चाहिए।