Jyeshtha Nakshatra: ज्येष्ठा नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Jyeshtha Nakshatra: ज्येष्ठा नक्षत्र राशि पथ में 226.40 से 240.00 अंश के मध्य स्थित हैं। ज्येष्ठा एक मूल नक्षत्र है। यह नक्षत्र वृश्चिक राशि के अंतर्गत आता है, जिसका स्वामी मंगल है। इस नक्षत्र में तीन तारे आकृति कुंडल की आकृति में है। इसके चरणाक्षर नो, य. यी, यू हैं।
ज्येष्ठा नक्षत्र का शाब्दिक अर्थ: ज्येष्ठा का अर्थ है, बडा, वरिष्ठ, पद मे ऊंचा होता है। इसे चन्द्र की वरिष्ठ पत्नी माना जाता है, यह रोहिणी के विपरीत है।
ज्येष्ठा नक्षत्र (पौराणिक मान्यता)
ज्येष्ठा के देवता देवराज इन्द्र है। 12 आदित्यो मे 5 वे आदित्य इन्द्र के माता अदिति और पिता कश्यप है। इन्द्र को वर्षा, तुफान और युद्ध का देवता भी कहते है। इन्हें देवताओ का राजा भी कहते है। ऋग्वेद मे इन्द्र का वर्णन लगभग 250 ऋचाओ मे है।
विशेषताएँ
इसके स्वामी ग्रह बुध है । इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक एकान्तप्रिय, अल्प मित्रवान और आकर्षक होता है। ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातक के बारे में जातक पारिजात में कहागया है-
ज्येष्ठायामतिकोवान परक्सक्तो विभु धार्मिक
यदि जन्म के समय चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में हो तो मनुष्य अत्यंत क्रोध करनेवाला, परस्त्री में आसक्ति रखने वाला, ऐश्वर्यशाली तथा धार्मिक होता है।
ज्येष्ठा नक्षत्र में क्या करें क्या न करें?
अनुकूल नक्षत्र: यह जासूसी, गुप्तचर, षडयंत्र, नियंत्रण, प्रशासन, देख-भाल, पदभार ग्रहण, पारावारिक मुद्दे इत्यादि कार्य के लिए अनुकूल है।
प्रतिकूल नक्षत्र: यह नक्षत्र क्रोध, स्वार्थ, नास्तिकता, यात्रा, दाम्पत्य, विवाह, वसूली, मनोरंजन, शराफत, चातुर्य के प्रतिकूल है।
प्रस्तुत फल जन्म नक्षत्र के आधार पर है। कुंडली में ग्रह स्थिति अनुसार फल में अंतर संभव है। अतः किसी भी ठोस निर्णय में पहुंचने के लिए सम्पूर्ण कुंडली अध्यन आवश्यक है।