केउंझर (Keonjhar)
केंदुझार या केउंझर भारत के ओड़िशा राज्य का एक शहर है। यह जिले का मुख्यालय भी है। इसके उत्तर दिशा में झारखण्ड राज्य कि पूर्व सिंहभूम जिला, पूर्व में मयुरभंज जिला एवं भद्रक जिला, दक्षिण में जाजपुर जिलाएवं पश्चिम में ढेन्कानाल जिला और सुन्दरगड जिला अवस्थित है।
Keonjhar: History & Tourist Place (Everything You Need to Know)
राज्य | उड़ीसा |
क्षेत्रफल | 8337 वर्ग किमी. |
भाषा | उड़िया, हिन्दी, अंग्रेजी |
आकर्षण | हडगढ़ बांध, बौला पहाड़ी, |
यात्रा समय | अक्टूबर से मार्च। |
उड़ीसा राज्य में शामिल होने से पहले केंदुझार एक स्वतंत्र रजवाडा था। उड़ीसा राज्य की तमाम विविधताएं इस जिले में देखी जा सकती हैं। प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध यह हरा-भरा जिला 8337 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
केंदुझार के दर्शनीय स्थल (Places to visit in Keonjhar)
यहां आने वाले पर्यटनों में विष्णु और जगन्नाथ मंदिर आकर्षण के केन्द्र में होते हैं। घाटगांव, मृगमहादेव, गोनासिका और सीताबिंज आदि यहां के लोकप्रिय पर्यटक स्थल हैं। नगर के बाहरी हिस्सों में सिद्ध जगन्नाथ, सिद्ध काली और पंचावटी जैसे दर्शनीय स्थल हैं।
विश्व की सबसे प्राचीनतम चट्टान भी यहां देखी जा सकती है। इस चट्टान को 38000 मिलियन साल पुराना माना जाता है। इन चट्टानों में गुप्त काल के अभिलेखों की पर्यटकों के अलावा इतिहास में रूचि रखने वालों को भी आकर्षित करते हैं।
1. कुशलेश्वर मंदिर (Kushaleswar Temple)
केंदुझार के देवगांव में कुसी नदी के तट में स्थित कुशलेश्वर मंदिर एक उत्कृष्ट तीर्थस्थल है। यह स्थान आनंदपुर से महज 15 किमी दूर है।सन 900 ईस्वी में निर्मित इस मंदिर में धार्मिक आस्थाओं की तराशी हुई मूर्तियों का एक अनूठा खजाना है।
भले ही यह एक शैव मंदिर है, इसमें वैष्णव अवतारों के चित्रों से सजे एक मुक्ति मंडप को रखा गया है। यहाँ जागर मेला और श्रावण पूर्णिमा को बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।
2. कंजिपनी घाटी (Kanjipani Ghati)
कंजिपनी घाटी, केउंझर शहर से सिर्फ 39 किमी दूर है। यह एक सुरम्य प्राकृतिक मनोरम स्थान है जिसमें शानदार पर्वत श्रृंखलाएं हैं। यह घाटी प्राकृतिक प्रेमियों को अनूठा अनुभव प्रदान करती है। यह स्थान समृद्ध वनस्पतियों और जीवों का खजाना है। सर्दियों मेँ यहां का तापमान -‘0’ डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।
3. केशरी कुंड (Keshri Kunda)
केशरी कुंड, केउंझर शहर से सिर्फ 50 किमी दूर बैतरनी नदी के तल पर स्थित दो छिद्र (कुंड) हैं। श्रद्धालु इस कुंड में पवित्र डुबकी लगाने के लिए दूर दूर से आते है। मकर संक्रांति के दौरान साहसिक लोग अपनी धार्मिकता साबित करने के लिए नदी के तल के एक छेद में प्रवेश करने और दूसरे छेद में बाहर आने का साहस करते हैं।
4. मुर्ग महादेव मंदिर (Murga Mahadev Temple)
मुर्ग महादेव मंदिर केंदुझार से 70 किमी. दूर चंपुआ के निकट ठकुरानी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। इसके निकट ही एक बारहमासी झरना है। जो भक्तों को पवित्र स्नान की सुविधा प्रदान करने वाले मंदिर क्षेत्र के पास बहता है। यूं तो श्रद्धालुओं का इस मंदिर में हमेशा आना-जाना लगा रहता है। लेकिन मकर संक्रांति और शिवरात्रि के दौरान यहां भारी भीड़ देखने को मिलती हैं।
5. हडगढ़ अभ्यारण्य (Hadgarh Wildlife Sanctuary)
यह अभ्यारण्य हडगढ़ कुंड और सलंदी बांध के निकट स्थित है। अभ्यारण्य में अनेक वन्यजीवों को विचरण करते देखा जा सकता है। टाईगर, तेंदुए, फिशिंग कैट, हेना, हाथी, लंगूर पेंगोलिन अदि पशुओं के अलावा पक्षियों और सरीसृपों की विविध प्रजातियां यहां पाई जाती हैं। अभ्यारण्य केंदुझार से 135 किमी. की दूरी पर है।
7. हडगढ़ बांध (Hadagarh Reservoir)
हाडगड़ जलाशय क्योंझर से 115 किमी. और आनंदपुर 35 किमी. दूर अनुमंडल में सालंदी नदी पर बना हुआ है। हडगढ़ अभ्यारण्य और उसके आसपास की सुंदरता बांध को पिकनिक के लिए एक आदर्श जगह बनाती है। बांध में मगरमच्छों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में देखा जा सकता है। यह स्थान पर्यटको को साल भर आर्कषित करता है।
8. हांडीभनगा झरना (Handibhanga Waterfall)
हांडीभनगा जलप्रपात सुरम्य प्राकृतिक वातावरण में हरे भरे जंगल के बीच ऊपर लुढ़कती पर्वत श्रृंखला के साथ स्थित है। पास का क्षेत्र समृद्ध जैव विविधता और पारिस्थितिकी का एक विशाल भंडार है।
हंडीभनगा जलप्रपात 200 फीट ऊंचा है और इस आश्चर्यजनक परिदृश्य के लिए आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। इस स्थान की सुंदरता पिकनिक मनाने वालों और सप्ताहांत में छुट्टियां मनाने वालों को समान रूप से आकर्षित करती है। यह स्थान क्योंझर शहर से महज 45 किमी दूर है।
9. गुंडिचघागी झरना (Gundichaghagi Waterfall)
गुंडिचघागी झरना हरे भरे जंगल के साथ शानदार प्राकृतिक वातावरण के बीच स्थित है। मुसाला नदी पर लगभग 50 फीट ऊंचाई झरने का एक झरना नदी की सतह से 50 फीट की दूरी पर गिरता है, जो इस क्षेत्र को गर्जना के साथ लगभग धुँआधार और आकर्षक बनाता है।
झरना चांदी की माला जैसा दिखता है। यह पिकनिक स्थल वास्तव में प्राकृतिक प्रेमियों का स्वर्ग है जो आगंतुकों को अविस्मरणीय स्मृति देता है। घाटगांव से महज 12 किमी दूर है यह झरना
10. भीमकुण्ड (Bhimkund)
भीमकुण्ड, केउंझर के जिला मुख्यालय से 100 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर बैतरणी नदी के तट पर स्थित एक प्राकृतिक जलाशय हैं। धार्मिक दृष्टि से इस झरने को पवित्र स्थान माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि पांडव अपने धार्मिक अभियान के दौरान यहां कुछ समय ठहरे थे।
स्थानीय लोगों के अनुसार, पांडवों में दूसरे नम्बर के पांडव भीम ने इस जलाशय में स्नान किया था जिस कारण इसका नाम भीमकुंड पड़ गया। मकर संक्रांति के वार्षिक उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय लोग यहां एकत्र होते हैं।
यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के लिए हरे भरे जंगल से घिरा एक शानदार प्राकृतिक वातावरण है। भीमकुंड एक सुंदर स्थान है जहां पिकनिक और सैर के लिए जाया जा सकता है।
11. तारिणी पीठ ओडिशा (Maa Tarini Pitha Ghatagaon)
केउंझर शहर से 45 किमी दूर घाटगांव में स्थित मां तारिणी पीठ ओडिशा के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। मां तारिणी अपने भक्तों के प्रति दयालु और परोपकारी हैं। स्थानीय लोग चैत्र पूर्णिमा के महीने में महा बिसुबा संक्रांति (पणा संक्रांति) को धूमधाम से मनाते हैं। इस अवसर पर हज़ारों की संख्या में सैलानी माँ तारिणी के दर्शन करने के लिए आते है।
मान्यता अनुसार- केंदुझर के राजा तारिणी माँ को इस शर्त के साथ पुरी से केंदुझर ला रहे थे कि अगर वह पीछे मुड़े तो वह आगे नहीं बढ़ेंगी। लेकिन घने जंगल में घटगांव के पास राजा को मां के गहनों की आवाज नहीं आई तो राजा ने पीछे मुड़कर देख लिया। वचन अनुसार माँ तारिणी वही रुक गयी और वन की रानी के रूप में पूजा पाने लगी।
12. खंडधार झरना (Khandadhar Waterfall)
यह स्थान क्योंझर शहर से 50 किमी की दूरी पर है। यह झरना न केवल क्योंझर जिले का बल्कि राज्य के भी सबसे खूबसूरत झरनों में से एक है। खंडाधार झरने का तेज पानी करीब 500 फीट की ऊंचाई से सीधे धरती पर गिर रहा है।
पानी के लंबवत गिरने के कारण इस जलप्रपात को खंडधार के नाम से जाना जाता है। तीन दिशाओं में पर्वत श्रृंखला से घिरा इसका आश्चर्यजनक प्राकृतिक वातावरण राज्य और विदेशों से आने वाले पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
13. बड़ाघागरा झरना (Badaghagara Waterfall)
क्योंझर शहर से सटा बड़ाघागरा झरना हरे भरे जंगल के वातावरण के बीच स्थित एक सबसे शानदार झरना है। यह झरना घने वन क्षेत्र के अंदर लगभग 100 फीट ऊंचाई का है। यह स्थान विदेशी वनस्पतियों और जीवों में समृद्ध है और आदिवासी जीवन के अध्ययन के लिए दुर्लभ स्थान है।
14. रावण छाया गुफा (Ravan Chhaya rock shelter)
छाते के आकार की यह गुफा केंदुझार के सीताबिंज में स्थित है। यह पत्थर की गुफाएं आकर्षक भित्तिचित्रों के लिए प्रसिद्ध है। घुड़सवारों और सैनिकों के साथ हाथी की सवारी में जाते राजा का चित्र बेहद सजीव जान पड़ता है।
15. चक्रतीर्थ (Chakra Tirth)
यह लोकप्रिय जैन तीर्थस्थल केंदुझार से 85 किमी. की दूरी पर है। बौला पहाड़ियों के निकट हरे-भरे और मनोरम वातावरण में स्थित चक्रतीर्थ में भगवान ऋषभ की आकर्षक प्रतिमा देखी जा सकती है। प्रतिमा कमलासन तल पर विराजमान है। एक शानदार झरना और कुछ गुफाएं चक्रतीर्थ के आसपास देखी जा सकती हैं। गढ़चंदी और पोडासिंगिडी निकटवर्ती दर्शनीय स्थल हैं।
16. ब्रह्मेश्वर महादेव मंदिर (Brahmeshwara mahadev temple Gonasika Temple)
ब्रह्मेश्वर महादेव मंदिर, केंदुझार से 40 किमी. दूर स्थित गोनासिका में स्थित है। यह पवित्र स्थल अनेक सुंदर घाटियों और सुंदर वनों से घिरा हुआ है। वर्तमान मंदिर का निर्माण राजा लक्ष्मी नारायण भांजा ने 1654-1688 ईस्वी में करवाया था।
मान्यता अनुसार ब्रह्मेश्वर महादेव के प्रसिद्ध मंदिर की स्थापना स्वयं सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने बैतरणी नदी के किनारे की है। इस स्थान में बैतरणी नदी का स्रोत है। अपने स्रोत से कुछ दूरी पर ही नदी भूमिगत भी हो जाती है जिस कारण इसे पातालगंगा भी कहा जाता है।
17. कुशालेश्वर मंदिर (Kushaleshwar Temple)
यह मंदिर शैव भक्तों के बीच काफी प्रसिद्ध है। देवगांव मे कुसई नदी के किनारे स्थित इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में उनकी आकर्षक प्रतिमा विराजमान है। साथ ही देवी पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और भैरव की मूर्तियां भी देखी जा सकती हैं।
18. बारबिल (Barbil)
बारबिल राउरकेला से 135 किमी. दक्षिण पूर्व में है। केंदुझार लोहे और मैंगनीज धातुओं से समृद्ध है। कलिंग आयरन वर्क्स खनिज आधारित गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र है।
राज्य और केंद्र सरकार लिए भारी मात्रा में राजस्व पैदा करने के साथ-साथ बरबिल अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक खजाने के लिए भी जाना जाता है। यहां मुर्गा महादेव जलप्रपात, गोनासिका, बड़ाघाघरा जलप्रपात सना घाघरा जलप्रपात देवगांव प्रमुख आकर्षण के केंद्र है।
केंदुझार कैंसे पहुंचे (How to Reach Keonjhar)
वायु मार्ग– भुवनेश्वर में यहां का नजदीकी एयरपोर्ट है जो देश के अनेक बड़े शहरों से नियमित फ्लाइटों द्वारा जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग– हावड़ा-चेन्नई रूट पर स्थित जाजपुर-केंदुझार रेलवे स्टेशन यहां का करीबी रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन केंदुझार को देश और राज्य के अनेक हिस्सों से जोड़ता है।
सड़क मार्ग– राष्ट्रीय राजमार्ग 232 और 5 कियोनार जिले को उड़ीसा और अन्य राज्यों से जोड़ते हैं। राज्य परिवहन की नियमित बसें अनेक पड़ोसी शहरों से यहां के लिए चलती रहती हैं।