Mula Nakshatra: मूल नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Mula Nakshatra: भारतीय खगोल का यह 19 वा नक्षत्र है और राशिपथ में 240.00 253.20 अंशों के मध्य स्थित है। यह नक्षत्र धनुराशि (स्वामी गुरु) के अंतर्गत आता है। इस नक्षत्र में ग्यारह तारे हैं तथा आकृति सिंह की पूंछ के समान है।
नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि (स्वामी गुरु) के अतंर्गत आते हैं। मूल नक्षत्र के विभिन्न चरणों के स्वामी निम्न है..
- प्रथम चरण: मंगल
- द्वितीय चरणः शुक्र
- तृतीय चरणः बुध
- चतुर्थ चरण: चंद्र
मूल नक्षत्र का शाब्दिक अर्थ: मूल का अर्थ जड है। इसके देवता देवी निऋति है।
पौराणिक मान्यता
निऋति या काली मृत्यु (विनाश) की देवी है। इन्हे ऋग्वेद मे कलह, विनाश, मृत्यु की देवी पत्नी माना है। पौराणिक मान्यता अनुसार यह सुरभि की पुत्री और अधर्म की पत्नी है। यह पृथ्वी की दरार, रेगिस्तान, खंडहर मे रहती है। यह भूखे प्यासे, विधुर या सुबह में दुबकी रहती है।
मूल नक्षत्र में जन्मे जातक की विशेषताएं
यह एक गण्डात नक्षत्र है, इसकी देवी निऋति विनाश की देवी है। जातक आर्थिक रुप से सफल, आरामदायक, दार्शनिक, जिज्ञासु, ज्ञानवान, मेहनती, विनाशक, शान्ति प्रिय, महत्वाकांक्षी, लेखक, बातूनी और घमंडी होता है।
आजीविका
इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति अच्छे वक्ता, दार्शनिक, डाक्टर, दवाईसाज, राजनीतिज्ञ, आध्यात्मिक व्यक्ति और अध्यापक हो सकते हैं। उदाहरण: दलाई लामा (बौद्ध धर्म गुरु)
मूल नक्षत्र अनुकूल प्रतिकूल कार्य
अनुकूल कार्य: मूल नक्षत्र प्रत्यारोपण, वृक्षारोपण, सम्बोधन, खोज, वृक्षारोपण, निर्माण और नीव रखना, भाव प्रगटीकरण मनोवाद, आत्मावलोकन, स्व निरीक्षण, मृत्यु, आध्यात्म, साहसिक कार्य के अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह नक्षत्र संतुलन, चतुराई, विवाह, वैवाहिक घटना, कूटनीति, उधारलेन देन, भौतिकता के प्रतिकूल है।
प्रस्तुत फल जन्म नक्षत्र के आधार पर है। कुंडली में ग्रह स्थिति अनुसार फल में अंतर संभव है। अतः किसी भी ठोस निर्णय में पहुंचने के लिए सम्पूर्ण कुंडली अध्यन आवश्यक है।