मैसूर (Mysuru)
मैसूर (Mysuru) भारत के कर्नाटक राज्य के मैसूर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह कर्नाटक का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और प्रदेश की राजधानी बैगलुरू से लगभग 150 किलोमीटर दक्षिण में केरल की सीमा पर स्थित है।
Mysuru: History & Tourist Place In Hindi
राज्य | कर्नाटक |
क्षेत्रफल | 155 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | कन्नड़, अंग्रजी, तमिल, हिन्दी |
तापमान | गर्मी अधि. 34 न्यू 21, सर्दी अधि 30 न्यू 12 |
पर्यटन स्थल | मैसूर महल, जगनमोहन महल, चामुंडी पहाड़ी, सेंट फिलोमेना चर्च, GRS फैंटेसी पार्क, मैसूर चिड़ियाघर आदि। |
टैग लाइन | महलों, बगीचों और मंदिरों का नगर |
कब जाएं | अक्टूबर से मार्च |
मैसूर कर्नाटक का एक प्रमुख शहर है। यह शहर पहले वुडयार वंश के शासन काल में उनकी राजधानी हुआ करता था। वोडेयार शासक कला और संस्कृति के महान संरक्षक थे। अपने 150 वर्ष के शासन काल में उन्होंने इसे बहुत बढ़ावा दिया। जिन्हें आप शहर की समृद्ध विरासत में देख सकते हैं।
मैसूर के दर्शनीय स्थल (Place to visit in Mysuru in Hindi)
Mysuru Tourist Attraction: महलों का शहर मैसूर दक्षिण भारत का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। अपने कई महलों और शाही इमारतों के अलावा, मैसूर शहर को श्रीरंगपटना, कृष्णा राज सागर बांध और शिवसमुद्रम फॉल्स जैसे कई दर्शनीय स्थलों के लिए जाना जाता है।
1. मैसूर महल (Mysore Palace)
यह महल मैसूर महल (जिसे अंबा विलास पैलेस भी कहा जाता है) मैसूर के आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है। मैसूर के मिर्जा रोड पर स्थित यह महल भारत के सबसे बड़े महलों में से एक है। इसमें मैसूर राज्य के वुडेयार महाराज रहते थे।
1897-1912 में बने इस महल का नक्शा ब्रिटिश आर्किटैक्ट हेनरी इर्विन ने डिजाइन किया था। महल में चार प्रवेश द्वार हैं। मुख्य प्रवेश द्वार को पूर्व में “जया मार्थांडा”, उत्तर में “जयराम”, दक्षिण में “बलराम” और पश्चिम में “वराह” कहा जाता है।
कल्याण मंडप की कांच से बनी छत, दीवारों पर लगी तस्वीरें और स्वर्णिम सिंहासन इस महल की खासियत है। बहुमूल्य रत्नों से सजे इस सिंहासन को दशहरे के दौरान जनता के देखने के लिए रखा जाता है। इस महल की देखरख अब पुरातत्व विभाग करता है।
महल रविवार, सार्वजनिक छुट्टियों के साथ-साथ दशहरा समारोह के दौरान रोशनी से जगमगाता है, इसे रोशन करने के लिए 97,000 बिजली के बल्बों का उपयोग किया जाता है
समय: सुबह 10 बजे-शाम 5.30 बजे तक, उचित शुल्क, जूते-चप्पल अंदर ले जाना मना, कैमरा ले जाना मना।
2. चामुंडी पहाड़ी (Chamundi Hills)
मैसूर से 13 किमी. दक्षिण में स्थित चामुंडा पहाड़ी मैसूर का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। इस पहाड़ी की चोटी पर चामुंडेश्वरी मंदिर स्थित है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। समुद्र तल से लगभग 3,489 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था।
मंदिर की इमारत सात मंजिला है जिसकी कुल ऊंचाई 40 मी. है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित देवी की प्रतिमा शुद्ध सोने की बनी हुई है। मुख्य मंदिर के पीछे महाबलेश्वर को समर्पित एक छोटा सा मंदिर भी है जो 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है।
पहाड़ की चोटी से मैसूर का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है। पहाड़ी के रास्ते में काले ग्रेनाइट के पत्थर से बने नंदी बैल के भी दर्शन होते हैं। नंदी की यह प्रतिमा भारत में सबसे बड़े प्रतिमा में से एक है, जो आगे 16 फीट (4.8 मीटर) लंबा और 25 फीट (7.5 मीटर) लंबा है।
पूजा का समय: सुबह 7.30-दोपहर 2 बजे तक, दोपहर 3.30-शाम 6 बजे तक, शाम 7.30-रात 9 बजे तक।
3. जगनमोहन महल (Jaganmohan Palace)
इस महल का निर्माण महाराज कृष्णराज वोडेयार ने सन 1861 में करवाया था। पारंपरिक हिंदू स्थापत्य शैली में बना यह महल मैसूर की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। यह तीन मंजिला इमारत सिटी बस स्टैंड से 10 मिनट कर दूरी पर है।
इस महल की सबसे खास विशेषता जटिल नक्काशी है जो पूरी संरचना को सुशोभित करती है। सन 1915 में इस महल को श्री जयचमाराजेंद्र आर्ट गैलरी का रूप दे दिया गया जहां मैसूर और तंजौर शैली की पेंटिंग्स, मूर्तियां और दुर्लभ वाद्ययंत्र रखे गए हैं
समय: सुबह 8.30-शाम 5.30 बजे तक।
प्रवेश शुल्क: Rs. 20/Adult | Children: Rs.10
4. सेंट फिलोमेना चर्च (St. Philomena’s Cathedral)
मैसूर शहर से 3 किमी. दूर कैथ्रेडल रोड पर स्थित ‘सेंट फिलोमेना चर्च’ को सेंट जोसेफ चर्च के नाम से भी जाना जाता है। यह चर्च भारत के सबसे बड़े चर्च में से एक है। इसकी 175 फीट ऊंची जुड़वा मीनारें मीलों दूर से दिखाई दे जाती हैं। इस चर्च का निर्माण कार्य 1933 में महाराजा कृष्णराजा वुडेयार ने शुरू किया था और यह 1941 में बनकर तैयार हुआ था।
चर्च के गर्भ गृह में आप संगमरमर की वेदी पर सेंट फिलोमेना और जीजस क्राइस्ट की प्रतिमा को देख सकते हैं। यहां की दीवारों पर ईसा मसीह के जन्म से लेकर पुनर्जन्म तक उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं का दर्शाती हुई ग्लास पेंटिग्स लगी हुई हैं।
5. कृष्णराज सागर बांध (KrishnaRajaSagara Dam)
1932 में बना यह बांध मैसूर से 12 किमी. उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इसका डिजाइन श्री एम.विश्वेश्वरैया ने बनाया था और इसका निर्माण कृष्णराज वुडेयार चतुर्थ के शासन काल मे हुआ था। इस बांध की लंबाई 8600 फीट, ऊंचाई 130 फीट और क्षेत्रफल 130 वर्ग किमी. है। यह बांध आजादी से पहले की सिविल इंजीनियरिंग का नमूना है।
यहां एक छोटा सा तालाब भी हैं जहां बोटिंग के जरिए बांध उत्तरी और दक्षिणी किनारों के बीच की दूरी तय की जाती है। बांध के उत्तरी कोने पर संगीतमय फव्वार हैं। बृंदावन गार्डन नाम के मनोहर बगीचे बांध के ठीक नीचे हैं। समय: सुबह 7-रात 8 बजे तक।
6. GRS फैंटेसी पार्क (GRS Fantasy Park)
मैसूर में ऐतिहासिक महत्व की जगहों के अलावा भी ऐसी बहुत सी जगहें हैं जहां आप जा सकते हैं। यह शहर सिर्फ बड़ों के ही नहीं बल्कि बच्चों के मनोरंजन का भी पूरा ध्यान रखता है। जिसमे अम्यूजमेंट वॉटर पार्क प्रमुख हैं।
GRS फैंटेसी पार्क, मैसूर का एकमात्र अम्यूजमेंट वॉटर पार्क है। 30 एकड़ में फैला यह पार्क सभी उम्र के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस पार्क के मुख्य आकर्षण पानी के खेल, रोमांचक सवारी और बच्चों के लिए तालाब हैं। जीआरएस पार्क मैसूर रलवे स्टेशन से 5 किमी. दूर है। पार्क के अंदर शाकाहारी खाने का एक रेस्टोरेंट भी है। पार्क में बाहर से खाने-पीने का सामान लाना मना है।
समय: सोमवार से शुक्रवार सुबह 10.30-6 बजे तक, रविवार और सार्वजनिक अवकाश के दिन शाम 7.30 बजे तक, गर्मियों में शनिवार के दिन भी 7.30 बजे तक खुलता है।
7. मैसूर चिड़ियाघर (Mysuru Zoo)
यह चिड़ियाघर विश्व के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। इसका निर्माण मैसूर के राजा चामराजा वोडेयार एक्स ने की थी। प्रारंभ में यह चिड़ियाघर सिर्फ शाही परिवार की विशेष यात्रा के लिए था, एक निजी चिड़ियाघर के रूप में और इसका नाम “खास-बंगले” रखा गया था। सार्वजनिक प्रवेश 1920 की शुरुआत में शुरू हुआ।
चिड़ियाघर 250 एकड़ के क्षेत्र में फैल हैं। इस चिड़ियाघर में 40 से भी ज्यादा देशों से लाए गए जानवरों को रखा गया है। शेर यहां के मुख्य आकर्षण हैं। इसके अलावा हाथी, सफेद मोर, दरियाई घोड़े, गैंडे और गोरिल्ला भी यहां देखे जा सकते हैं। चिड़ियाघर में करंजी झील भी है। यहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। आपको मैसूर महल से चिड़ियाघर के लिए सीधे ऑटो रिक्शा मिल जाएंगे।
समय: सुबह 8 बजे-शाम 5.30 बजे तक, मंगलवार को बंद।
8. रेल संग्रहालय (Rail Museum)
यह संग्रहालय कृष्णराज सागर रोड पर स्थित सीएफटी रिसर्च इंस्टीट्यूट के सामने है। इसे 1979 में भारतीय रेलवे द्वारा स्थापित किया गया था और दिल्ली में राष्ट्रीय रेलवे संग्रहालय के बाद यह दूसरा ऐसा संग्रहालय है।
यहां मैसूर स्टेट रेलवे की उन चीजों को प्रदर्शित किया गया है जो 1881-1951 के बीच की हैं। जिसमे भाप से चलने वाले इंजन, सिग्नल, और 1899 में बना सभी सुविधाओं वाला महारानी का सैलून प्रमुख हैं। संग्रहालय में बच्चों के लिए बैटरी से चलने वाली मिनी ट्रेन भी है।
समय: सुबह 10 बजे-दोपहर 1 बजे तक, दोपहर 3 बजे-रात 8 बजे तक।
10. दशहरा (Dussehra)
यूं तो बुराई में अच्छाई के जीत का प्रतीक “दशहरा” पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन मैसूर में इसका विशेष महत्व है। 10 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव चामुंडेश्वरी द्वारा महिषासुर के वध का प्रतीक है। इस दौरान मैसूर महल को रोशनी से सजाया जाता है। और अनेक सांस्कृतिक, धार्मिक और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
उत्सव के अंतिम दिन बैंड बाजे के साथ सजे हुए हाथी देवी की प्रतिमा को पारंपरिक विधि के अनुसार बन्नी मंटप तक पहुंचाते है। करीब 5 किमी. लंबी इस यात्रा के बाद रात को आतिशबाजी का कार्यक्रम होता है। सदियों से चली आ रही यह परंपरा आज भी उसी उत्साह के साथ निभाई जाती है।
मैसूर के आसपास दर्शनीय स्थल
मैसूर न सिर्फ कर्नाटक में पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि आसपास के अन्य पर्यटक स्थलों के कारण भी यह शहर काफी महत्वपूर्ण है।
नंजनगुड (22 किमी.)
यह नगर कबीनी नदी के किनारे मैसूर के दक्षिण में राज्य राजमार्ग 17 पर है। यह स्थान नंजुंदेश्वर या श्रीकांतेश्वर मंदिर (दूरभाष: 0821-226245) के लिए प्रसिद्ध है। दक्षिण काशी कही जाने वाली इस जगह पर स्थापित लिंग के बार में माना जाता है कि इसकी स्थापना गौतम ऋषि ने की थी। यह मंदिर नंजुडा को समर्पित है। कहा जाता है कि हकीम नंजुडा ने हैदर अली के पसंदीदा हाथी को ठीक किया था। इससे खुश होकर हैदर अली ने उन्हें बेशकीमती हार पहनाया था। आज भी विशेष अवसर पर यह हार उन्हें पहनाया जाता है।
श्रवणबेलगोला (84 किमी)
यहां का मुख्य आकर्षण गोमतेश्वर/ बाहुबली स्तंभ है। बाहुबली मोक्ष प्राप्त करने वाले प्रथम र्तीथकर थे। यहां जैन तपस्वी की 983 ई. में स्थापित 57 फुट लंबी प्रतिमा है। इसका निर्माण राजा रचमल्ला के एक सेनापति ने कराया था।
यह प्रतिमा विंद्यागिरी नामक पहाड़ी से भी दिखाई देती है। श्रवणबेलगोला नामक कुंड पहाड़ी की तराई में स्थित है। बारह वर्ष में एक बार होने वाले महामस्ताभिषेक में बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं। यहां पहुंचने के रास्ते में छोटे जैन मंदिर भी देखे जा सकते हैं।
सोमनाथपुर (35 किमी.)
यह छोटा गांव मैसूर के पूर्व में कावेरी नदी के किनारे बसा है। यहां का मुख्य आकर्षण केशव मंदिर है जिसका निर्माण 1268 में होयसल सेनापति, सोमनाथ दंडनायक ने करवाया था। सितार के आकार के चबूतरे पर बने इस मंदिर को मूर्तियों से सजाया गया है।
इस मंदिर में तीन गर्भगृह हैं। उत्तर में जनार्दन और दक्षिण में वेणुगोपाल की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मुख्य गर्भगृह में केशव की मूर्ति स्थापित थी किन्तु वह अब यहां नहीं है। समय: सुबह 9.30-शाम 5.30 बजे तक।
मैसूर कैंसे पहुंचे (How to Reach Mysure)
वायु मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा बैंगलोर (139 किमी.) है। यहां से सभी प्रमुख शहरों के लिए उड़ानें आती-जाती हैं।
रेल मार्ग: बैंगलोर से मैसूर के बीच अनेक रेलें चलती हैं। शताब्दी एक्सप्रेस मैसूर को चेन्नई से जोड़ती है।
सड़क मार्ग: राज्य राजमार्ग मैसूर को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ते हैं। कर्नाटक सड़क परिवहन निगम और पड़ोसी राज्यों के परिवहन निगम तथा निजी परिवहन कंपनियों की बसें मैसूर से विभिन्न राज्यों के बीच चलती हैं।
मैसूर से क्या ख़रीदे औऱ खाएं (Mysuru is famous for)
सय्याजी राव रोड पर बनी देवराज मार्केट में खूबसूरत शहरी पेंटिंग्स मिलती हैं। सरकारी सिल्क फैक्टरी में जाकर आप मैसूर की सिल्क की साड़ियों को बनते हुए देख सकते हैं। सिल्क की साड़ियों को KR सर्कल पर बने फैक्टरी शोरूम और थोक बाजार जा सकते हैं। आप खाने पीने की चीज़ में मैसूर पाक, इडली सांभर, मसाला पुरी खा सकते है।