Palakkad (Kerala): History & Places To Visit in Hindi
पलक्कड़ (Palakkad) भारत के केरल राज्य के पालक्काड़ ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।
Palakkad: History, Facts & Tourist Places in Hindi | wiKi
राज्य | केरल |
जिला | पलक्कड़ |
क्षेत्रफल | 4480 वर्ग किमी. |
भाषा | मलयालम, हिंदी और अंग्रेजी |
दर्शनीय स्थल | पलक्कड किला, वडकांतरा मंदिर, कलपूटु मवेशी दौड़, मनप्पुल्लिकावु वेला, मलमपुजा आदि। |
विशेष | इसे केरल का द्वार भी कहा जाता है |
संबंधित लेख | केरल के प्रमुख दर्शनीय स्थल |
कब जाएं | सितंबर से फरवरी। |
पलक्कड केरल का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। इसे केरल का द्वार भी कहा जाता है जो इसकी सुंदरता को देखते हुए सार्थक प्रतीत होता है। नारियल के पेड़ों और धान के खेतों से सजी इस जगह पर जन्तुओं और वनस्पति की अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं।
इसका नाम पाला और कडु से मिलकर बना है। ऐसा माना जाता है कि एक जमाने में इस जगह पाला के बहुत से पेड़ थे। यहां घाटी, पहाड़, नदी, जंगल, बांध, मंदिर, सभी कुछ है। इस कारण प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक यहां आते हैं।
पलक्कड के प्रमुख पर्यटन स्थल (Places to visit in Palakkad)
पलक्कल में कई स्थान हैं जो प्रसिद्ध पर्यटक स्थल हैं। प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। इनमें से कुछ स्थान इस प्रकार हैं:
पलक्कड किला (Palakkad Fort)
यह किला केरल के उन किलों में से एक है जिसे अच्छी तरह संरक्षित किया गया है। इसका निर्माण मैसूर के हैदर अली ने 1766 ई. में करवाया था। 1790 में यह अंग्रेजों के अधिकार में आ गया और उन्होंने इसे नए तरीके से सजाया। इसे टीपू का किला भी कहा जाता है। यह माना जाता है कि इस किले को बनाने का उद्देश्य कोयंबटूर और पश्चिमी तट के बीच संचार को बढ़ाना था।
शोकनाशिणी नदी के किनार बना यह किला आध्यात्म रामायण के रचयिता थुंचथ एजुथाचन की यादगार भी है। यहीं उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी दिन गुजार थे। इस किले के अंदर ओपन एयर ओडिटोरियम है जिसे रप्पडी कहा जाता है। इसकी देखरख भारतीय पुरातत्व विभाग करता है। किले के एक ओर बच्चों के लिए पार्क भी है। समय: सुबह 7 बजे-सुबह 10.30 बजे तक, शाम 5 बजे-7 बजे तक।
वडक्कनथारा मंदिर (Vadakkanthara Temple)
देवी वडकांतरा तमिल महाकाव्य शिलाप्पधिकरम की नायिका कण्णगी का अवतार हैं। इस मंदिर की परंपरा है कि रोज शाम 6 बजे मंदिर प्रांगण में आतिशबाजी छोड़ी जाती है। यह मंदिर चुन्नबुतर के पास है जहां का रास्ता जयमेडु से होकर जाता है। यहां का मुख्य उत्सव वलिया वेला है जो तीन साल में एक बार मनाया जाता है। इस उत्सव में 15 हाथी भी शामिल होते हैं। समय: सुबह 5 बजे-11.30 बजे तक, शाम 4.30 बजे-7.30 बजे तक
कलपूटु मवेशी दौड़ (Kalapoottu The cattle race)
यह दौड़ प्रतिवर्ष दिसंबर से जनवरी के बीच आयोजित की जाती है। इसका अयोजन कैटल रस क्लब ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है। यह दौड़ उस समय होती है जिस समय किसान कम व्यस्त होते हैं। मवेशियों के लगभग 120 जोड़े इसमें भाग लेते हैं। पलक्कल ऐसा एकमात्र स्थान है जहां बैलगाड़ी दौड़ भी होती है। इन दौड़ों को देखने के लिए हर साल करीब 50000 लोग यहां आते हैं।
मनप्पुल्लिकावु वेला (Manapullykavu Vela)
1200 वर्ष पुराने मनप्पुल्लिकावु भगवती मंदिर में आसपास के चार गांवों के लोग यह वेला मनाने आते हैं। इस दौरान देवी के वन दुर्गा, भद्रकाली अवतार की रक्तपुष्पांजली, देवी पूजा और आतिशबाजी से अराधना की जाती है। यह उत्सव वृश्चिकरम (नवंबर-दिसंबर) और कुंभम (फरवरी-मार्च) महीने में मनाया जाता है।
मनप्पुल्लिकावुभगवती मंदिर (Manapullikavu bhagwati Temple)
1200 वर्ष पुराने मनप्पुल्लिकावु भगवती मंदिर में आसपास के चार गांवों के लोग यह वेला मनाने आते हैं। इस दौरान देवी के वन दुर्गा, भद्रकाली अवतार की रक्तपुष्पांजली, देवी पूजा और आतिशबाजी से अराधना की जाती है। यह उत्सव वृश्चिकरम (नवंबर-दिसंबर) और कुंभम (फरवरी-मार्च) महीने में मनाया जाता है।
जैन मंदिर (Jain Temple, Palakkad)
पलक्कड के पश्चिमी कोने पर रेलवे स्टेशन के पास ऐतिहासिक जैन मंदिर है। इसके आसपास के क्षेत्र को जनीमेडु कहते हैं। यह केरल की उन कुछ जगहों में से एक है जहां जैन धर्म की निशान बिना किसी भारी क्षति के बचे हुए हैं।
मंदिर की दीवारें ग्रेनाइट के बनी हैं और उन पर कोई सजावट नहीं ही गई है। 32 फीट ऊंचे और 20 फीट चौड़े इस मंदिर में जैन र्तीथकरों की मूर्तियां स्थापित हैं। कुमारन असन ने अपनी कविता वीना पूवु यहीं के जैन निवास में लिखी थी जब वे थोड़े समय के लिए अपने स्वामी श्री नायारण गुरु के साथ यहां रहे थे।
धोनी (Dhoni)
धोनी पलक्कड से 15 किमी. दूर है। इन संरक्षित वनों में मौजूद छोटे और खूबसूरत झरने पूरे वर्ष पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यह स्थान ट्रैकिंग के लिए भी उपयुक्त है। चारों ओर बिखरी हरियाली सुखद अनुभूति देती है। धोनी अपने फार्महाउसों के लिए भी प्रसिद्ध है जहां स्विस प्रजाति के मवेशी पाले जाते हैं।
मलमपुजा(Malampuzha)
मलमपुजा केरल का वृंदावन है। यह पलक्कड से 13 किमी. दूर है। 1955 में बांध के बनने के बाद से यह जगह एक खूबसूरत टूरिस्ट रिजॉर्ट के रूप में ढ़ल चुका है। बांध के आस पास पहाड़ियां हैं जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती हैं।
मुगल शैली में बना उद्यान और जापानी शैली का बगीचा पर्यटकों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। बगीचे में यक्षी की प्रमिका लोगों को आश्चर्यचकित कर देती है। मछली के आकार का एक्वेरियम, स्नेक पार्क, रॉक गार्डन, अम्यूजमेंट पार्क, फेंसी पार्क और यहां लगे फव्वार यहां के अन्य आकर्षण हैं।
पलक्कड के आस पास दर्शनीय स्थल (Tourist Attractions near Palakkad)
कुंचन स्मारकम (32 किमी.) पलक्कड जिले के लक्किडी में मशहूर मलयालम कवि कलकथ कुंजन नांबियार का जन्मस्थान किल्ली कुरुशीमंगलम है। इन्हीं ने पारंपररिक नृत्य शैली ओट्टंथुल्लल की रचना की थी। कुंचन नांबियार मलयालम साहित्य के स्वर्णयुग का प्रतिनिधित्व करते हैं। आज कुंचन स्मारकम एक राष्ट्रीय स्मारक है और इसमे पुस्तकालय और औडिटोरियम भी है।
इस स्मारक से जुड़े लोगों की सहायता से ओट्टंथुल्लल, सीतमकन थुल्लल और परयाण थुल्लल पर तीन वर्षीय पाठ्यक्रम यहां चलाया जाता है। यहां नवरात्रि उत्सव बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। उस दौरान यहां का नजारा देखते ही बनता है। 5 मई को थुंचन दिवस के रूप में मनाया जाता है। समय: सुबह 10 बजे-शाम 5 बजे तक।
शांत घाटी राष्ट्रीय उद्यान (65 किमी.) यह घाटी पश्चिमी घाट पर बचे विषुवतीय वर्षा वनों में से एक हैं। यह पलक्कड जिले के उत्तर पूर्व मे कुंडली की पहाड़ियों पर स्थित है। अधिक आबादी न होने के कारण इस जंगल का अभी भी वही स्वरूप है जो 19वीं शताब्दी के मध्य में था।
जनसंख्या के कम घनत्व के कारण यहां उन दुर्लभ जीवों और वनस्पतियों को बचाए रखने में मदद मिली है जो करीब 50 मिलियन वर्षो से यहां फल फूल रहे हैं। कहा जाता है कि यह घाटी 50 मिलियन वर्ष पुरानी है।
दर्शकों को केवल सैरंधिरी तक ही जाने की अनुमति है जो मुक्कली से 23 किमी. दूर है। मुक्कली एक छोटा कस्बा है जहां केरल वन विभाग के उपनिदेशक का कार्यालय और 60 मी. ऊंचा वॉच टावर है। मुक्कली से उद्यान तक पैदल जाना होता है। पार्क में वाइल्डलाइफ वार्डन की विशेष अनुमति के बिना नहीं रुक सकते।
पलक्कड़ के प्रमुख पर्यटन स्थल (How To Reach Palakkad)
वायु मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा कोयंबटूर (52 किमी.) नजदीकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कोचीन (120 किमी.)
रेल मार्ग: पलक्कड में दो रलवे स्टेशन हैं, एक मुख्य शहर में और एक कस्बे में। यह सभी प्रमुख शहरों से रलों के जरिए जुड़ा हुआ है। इसमें हैदराबाद, कोजीकोड, मैंगलोर, कोच्चि, तिरुवनंतपुरम, बैंगलोर, मुंबई, चेन्नई, कोलकत्ता शामिल हैं।
सड़क मार्ग: कोजीकोड, मैंगलोर, कोच्चि, बैंगलोर, तिरुवनंतपुरम, चेन्नई, मुंबई और कोयबंटृर से सड़क मार्ग से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।