वृहद हस्त रेखा शास्त्र : Practical Palmistry By Dr. Narayan Dutt Shrimali | PDF & Review in Hindi
Practical Palmistry: हस्त रेखाओं के रूप में हर प्राणी के हाथ पर उसका भूत, भविष्य एवं वर्तमान हीं नहीं बल्कि उसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व एवं चरित्र भी अंकित रहता है जिसकी जानकारी आपको तभी मिल सकती है जब आपको इन हस्त रेखाओं की भाषा का पूरा ज्ञान हो।
ज्योतिष इतना सरल नहीं जो कुछ दिनों में ही इसें समझ कर अपने को ज्योतिषी समझ बैठें, किन्तु इतना कठिन भी नहीं है जिसे आप समझ ही न पायें।
यह पुस्तक अत्यन्त सरल भाषा में प्रस्तुत की गई है कि ज्योतिषी विद्या का हर विद्यार्थी स्वयं ही इसे समझ सके, रेखाओं के गोपनीय भेदों को जान सके। हस्त रेखा की जानकारी कोई गुलाब के फूलों की विछाना नहीं है। इसके लिये समय शोध आस्था एवं परिश्रम की जरूरत है।
वृहद हस्त रेखा शास्त्र | Practical Palmistry By Dr. Narayan Dutt Shrimali Buy online & PDF Download
Title | वृहद हस्त रेखा शास्त्र (Prectical Palmistry) |
Author | डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली |
Publisher | पुस्तक महल |
Language | Hindi & English |
Pages | 360 |
Size | 9MB |
Category | Palmistry |
Download | Avilable |
Source | आर्काइव |
लेखक परिचय
वृहद हस्त रेखा शास्त्र के लेखक डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली है। श्रीमाली एक प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और लेखक थे, जिन्होंने ज्योतिष, तंत्र, मंत्र और हस्तरेखा विज्ञान पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं। उनकी लेखनी में गहन शोध और अनुभव का समावेश होता है।
भूमिका
कराग्रे वसते लक्ष्मी कर मध्ये सरस्वती ।
कर पृष्ठे स्थितो ब्रह्मा प्रभाते कर दर्शनम् ।।
ये दो पंक्तियां ही हाथ का महत्त्व सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं, हमारा हाथ एक सामान्य हाथ ही नहीं है, अपितु धार्मिक वाध्यात्मिक दृष्टि से इसमें सभी देवताओं का निवास है, भौतिक दृष्टि से मानव की ओजस्विता और कार्य-शक्ति का पुंज है और ज्योतिष की दृष्टि से सम्पूर्ण जीवन की हलचल का स्रोत है।
हमारे सम्पूर्ण जीवन की छोटी से छोटी घटना हथेली में अंकित है, हथेली पर पाई जाने वाली सूक्ष्म से सूक्ष्म रेखा का भी अपने-आप में महत्त्व है। कोई भी रेखा व्यर्थ नहीं है, किसी भी रेखा का अस्तित्व निरर्थक नहीं है। आवश्यकता है ऐसे हस्तरेखा-शास्त्री की, जो इन रेखाओं को पढ सके, छोटी से छोटी रेखा के महत्व को समझ सके और उसे स्पष्ट कर सके।
प्रश्न उठता है कि क्या हाथ की रेखाओं के माध्यम से सही और सफल भविध्य- फल स्पष्ट किया जा सकता है? कई लोग इस मामले में सन्देह करते हैं। अधिकतर लोग इस तथ्य को मेरे सामने व्यक्त करते हैं कि जब हाथ की रेखाएं बराबर बदलती रहती हैं तो फिर उससे मविष्यफल कैसे ज्ञात किया जा सकता है ? कुछ लोगों ने यह भी प्रश्न किया कि विद्वानों के अनुसार सात वर्षों में पूरे हाथ की रेखाएं बिल्कुल बदल जाती हैं तब फिर अगले दस वर्षों का भविष्य या बीस वर्षों का भविष्यफल ज्ञात करना असंभव सा ही है।
परन्तु जैसा कि मैं पीछे स्पष्ट कर चुका हूं कि ये बातें उन लोगों ने फैलाई हैं जिन्हें हस्तरेखा का पूर्ण ज्ञान नहीं है। वास्तविकता यह है कि हाथ की रेखाएं बदलती नहीं हैं। हाथ में जो मूल रेखाएं हैं वे ज्यों की त्यों विद्यमान रहती हैं। इनकी सहायक रेखाएं कुछ समय के लिए बनती हैं और भावी तथ्यों का संकेत देती हुई मिट जाती हैं। इनके साथ ही साथ हाथ पर पाये जाने वाले कुछ ऐसे चिह्न अवश्य होते हैं जो कुछ समय के लिए बनते हैं धौर मिट जाते हैं। उन चिह्नों का बनना विशेष घटनामों का प्रतीक है। इसी प्रकार उम चिह्नों का मिट जाना भी अपनेआप में आने वाले भविष्य का संकेत है। अतः वे चिह्न बनकर अथवा मिटकर आने वाले समय के तथ्यों का निरूपण ही करते हैं।
एक मिल में काम करने बाला एक अपरिचित मजदूर एक दिन मेरे सामने आया और उसने अपना भविष्य जानने के लिए अपना हाथ मेरे सामने फैला दिया। उस पूरे हाथ में अंगूठा अपने आप में अलग सा ही था और ऊपर मैंने जो तथ्य अंकित किये हैं, वे सारे ही तथ्य उस अंगूठे में दिखाई दे रहे थे। मेरे दिमाग में सबसे पहले यही बात कौंधी कि यह व्यक्ति हत्यारा होना चाहिए, और इसके हाथ खून से रंगे होने चाहिए।
अब यह प्रश्न उठता है कि वह हत्या किस उम्र में करेगा या उसका समय कौन-सा होगा। इसके लिए शनि पर्वत तथा शनि रेखा का आश्रय लेना पड़ेगा। जिस स्थान पर धनि रेखा चलते-चलते टूट गई हो और, यदि वहां से एक सीधी रेखा आयु रेखा की घोर सिचें तो जिस बिन्दु पर वह रेखा मिलेगी उस बिन्दु के अनुसार अर्थात उस रेखा के उस बिन्दु तक जितनी आयु का अनुपात होगा उसी आयु में बह इस प्रकार का जघन्य कार्य करेगा।
जब उस मजदूर ने अपना हाथ मेरे सामने फैलाया, उस समय उसकी आयु 45 वर्ष के लगभग थी और इस बिन्दु से जब मैंने अनुमान लगाया तो यह कार्य लगभग 40 साल के आसपास होना चाहिए था। मैंने उसकी आंखों में आंखें डालकर वो क्षण तक पूरा और उसके बाद सबसे पहला मेरा कथन था कि तुम चाहे कितने ही बचते रहो या कानून की आंखों में धूल झोंकते रहो, तुम कानून के पंजे से बच नहीं सकते। शीघ्र ही तुम्हें जेल जाना पड़ेगा, क्योंकि तुम अपने जीवन में किसी व्यक्ति की हत्या कर चुके हो।
उसकी आंखे फटी की फटी रह गई। उसने अपने मन में सोचा होगा कि आज तक जिस पुलिस को मैं गच्चा दे रहा था और अभी तक मैं कानून की सीमाओं से बहुत अधिक परे था, उस तथ्य को इस सामने वाले व्यक्ति ने कैसे जान लिया ? उसने अपना हाथ समेट लिया और बिना एक क्षण भी गंवाये तीर की तरह मेरे कमरे से बाहर निकल गया। उसका इस प्रकार जाना ही मेरे कथन की प्रामाणिकता थी। उसके बाद से भाव तक मैंने उसको नहीं देखा।
पुस्तक अंश
जीवन रेखा ही हथेली में एक ऐसी रेखा है जो प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में पाई जाती है। यदि किसी के हाथ में यह रेखा न देखने को मिले तो यह समझना चाहिए कि ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व शून्यवत् है और उस व्यक्ति का जीवन पाक्ति का सर्वथा लोप हो गया है। ऐसे व्यक्ति का जीवन किसी भी समय समाप्त हो सकता है, कई बार मंगल रेखा चल कर इस रेखा को बल देती है, कभी-कभी शनि रेखा भी इस रेखा को बल देती हुई दिखाई दी है परन्तु फिर भी जो जीवन रेखा अपने आप में निर्दोष और स्पष्ट होती है वास्तव में वही रेखा मानव के लिये कल्याणकारी मानी जाती है।
इसी रेखा से व्यक्ति की आयु का पता चलता है तथा इस रेखा के माध्यम से यह ज्ञात किया जा सकता है कि जीवन में कौन-कौन सी दुर्घटनाएं किस-किस समय घटिया होंगी तथा मृत्यु का कारण और मृत्यु का समय भी इसी रेखा से ज्ञात होता है।
यह रेखा बृहस्पति पर्वत के नीचे से निकलती है पर कई बार यह रेखा बृहस्पति पर्वत के ऊपर से भी निकलती हुई दिखाई दी है। इस रेखा के बारे में मह ध्यान रखना अत्यन्त जरूरी है कि यह रेखा शुक्र पर्वत को जितने ही बड़े रूप में बेरती है उतनी ही यह रेखा ज्यादा श्रेष्ठ मानी जाती है। यद्यपि कई बार यह रेखा शुक्र पर्वत को अत्यन्त संकीर्ण बना देती है जब ऐसा तथ्य हथेली में दिखाई दे तब यह समझ लेना चाहिए कि इस व्यक्ति की प्रगति जीवन में कठिन ही होगी, साथ ही साथ इस व्यक्ति को जीवन में प्रेम भोग सुख शादि सांसारिक गुणों की न्यूनता ही रहेगी । अंगूठे के पास में से होकर यदि यह रेखा निकले तो उस व्यक्ति की आयु बहुत कम होती है।
जीवन रेखा जितनी ही ज्यादा गहरी स्पष्ट और बिना टूटी हुई होती है उतनी ही वह ज्यादा अच्छी कहलाती है। ऐसे व्यक्ति का स्वास्थ्य उन्नत होगा, उसके हृदय में प्रेम और सौन्दर्य की भावना विकसित रहेगी परन्तु जिसके हाथ में यह रेखा कटी-फटी या टूटी हुई अथवा अस्पष्ट दिक्षाई दे तो उसका जीवन दुखमय भावनाशून्य एवं दुर्घटनाबों से युक्त रहता है। ऐसे व्यक्ति तुनक मिजाज चिड़चिड़े तथा बात-बात पर क्रोभित होने गाने होते हैं।
यदि गुरु पर्वत के नीचे जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा का पूर्ण मिलन होता है तो यह शुभ माना जाता है। ऐसा व्यक्ति परिश्रमी सतर्क और योजनाबद्ध तरीके से काम करने वाला होता है। परन्तु यदि इन दोनों रेखानों का उद्गम अलग-अलग होता है तो व्यक्ति उन्मुल विचारों वाला तथा अपनी ही घुन से कार्य करने वाला होता है। परन्तु यदि किसी के हाथ में जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा, और हृदय रेखा तीनों ही एक ही स्थान से निकले तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण प्रतीक होता है ऐसे व्यक्ति की निःसंदेह हत्या हो जाती है।
जीवन रेखा पर यदि आड़ी-तिरछी लकीरें दिखाई दें तो उस व्यक्ति का स्वास्थ्य कमजोर समझना चाहिए। यदि हृदय रेखा बौर जीवन रेखा के बीच में त्रिभुज बन जाय तो ऐसा व्यक्ति दमे का रोगी होता है।
यदि जीवन रेखा से कोई पतली रेखा निकल कर गुरु पर्वत की और जाती विलाई दे तो उस व्यक्ति में इच्छाएं, मावनाएं और महत्वकांक्षाएं जरूरत से ज्यादा होती है और वह उन इच्छाधों को पूरी करने का भगीरथ प्रयत्न करता है। यदि इस रेखा पर कोई रेखाएं उठती हुई दिखाई दें तो वह व्यक्ति परिश्रमी और कर्मष्ठ होता है तथा अपने प्रयत्नों से भाग्य का निर्माण करता है।
यदि जीवन रेखा के प्रारम्भ से ही उसके साथ-साथ सहायक रेखा चल रही हो तो ऐसा व्यक्ति सोच-समझ कर कार्य करने वाला विवेकपूर्ण योजनाएं बनाने वाला चतुर तथा महत्त्वाकांक्षी होता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में कुछ भी असम्भव नहीं होता ।
यदि जीवन रेखा चलती-चलती अचानक बीच में समाप्त हो जाती है तो यह आकस्मिक मृत्यु की ओर संकेत करती है। यदि जीवन रेखा से कोई सहायक रेखा निकलकर कर चन्द्र पर्वत की धोर जाती हुई विखाई दे तो वह व्यक्ति वृद्धावस्था में पागल होता है, यदि इस रेखा में शनि रेखा आकर मिल जाए तो वह व्यक्ति प्रति भावान और तेजस्वी होता है।
जीवन रेखा के अंत में यदि किसी प्रकार का कोई बिंदु या क्रॉस दिखाई दे तो उस व्यक्ति की मृत्यु अचानक होती है। यदि जीवन रेखा अन्त में जाकर कई भागों में बंट जाए तो ऐसे व्यक्ति को बुढ़ापे में निश्चय ही क्षय रोग होगा।
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