Uttara Phalguni: उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Uttara Phalguni: उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र राशिपथ में 146.40 से 160.00 अंशों तक स्थित है। यह नक्षत्र सिंह राशि एवं कन्या राशि में बंटा हुआ है। प्रथम चरण सिंह राशि में तथा बाद के तीन चरण कन्या राशि के अंतर्गत आता है। नक्षत्र देवता अर्यमा तथा नक्षत्र का स्वामी ग्रह सूर्य है।
इस नक्षत्र में दो तारे हैं और इसके चरणाक्षर टे टो, पा, पी है।
उत्तरा फाल्गुनी (पौराणिक मान्यता)
इसके देवता अर्यमा है। इन्हे पितरो का मुखिया भी मानते है। श्री कृष्ण ने भगवत गीता मे कहा है। मै पितरो में अर्यमा नामक पितर हूं’।
अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम्।
पितृ़णामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम्।।10.29।।
अर्थात: मैं नागों में अनन्त (शेषनाग) और जल-जन्तुओंका अधिपति वरुण हूँ। पितरों में अर्यमा और शासन करने वालों में यमराज हूँ।
विशेषताएँ
उत्तरा फाल्गुनी के गुणदोष पूर्वा फाल्गुनी के समान ही है, अन्तर सूर्य के प्रभाव का है। उत्तरा फाल्गुनी जातक भी पूर्वा फाल्गुनी जातक के जैसे नम्र, साहसी, ईमानदार, पवित्र, शुद्ध आत्मा, स्नेही, मददगार होता है। महाभारत के महानायक “अर्जुन” का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ था।
इस नक्षत्र मे जन्मा जातक, बुद्धिमान, मोहक, आदरणीय तंत्र, कानून, दूसरो का पीडा निवारण, आध्यात्य और आध्यात्मिक दुनिया मे रुचि लेने वाला होता है।
उत्तरा फाल्गुनी के दिन क्या करे क्या न करें?
अनुकूल कार्य: यह नक्षत्र विवाह, यौन क्रिया, शपथ, धार्मिक कर्म, संस्कार, पैतृक कर्म, चातुरी और कुटनीति के लिये अनुकुल है।
प्रतिकूल कार्य: यह नक्षत्र उधार, निवेश, खुदरा बिक्री, आमना-सामना या विरोध के प्रतिकूल है।
प्रस्तुत फल जन्म नक्षत्र के आधार पर है। कुंडली में ग्रह स्थिति अनुसार फल में अंतर संभव है। अतः किसी भी ठोस निर्णय में पहुंचने के लिए सम्पूर्ण कुंडली अध्यन आवश्यक है।