12th House: कुंडली में द्वादश भाव (व्यय भाव)
12th House in Horoscope: कुंडली में द्वादश भाव (व्यय भाव) का विशेष महत्व होता है। इस भाव से प्रधानताः व्यक्ति के व्यय के (खर्च) और मोक्ष का विचार किया जाता है। अगर आप कुंडली के द्वादश भाव के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आपको यह लेख शुरू से अंत तक पढ़ना चाहिए..
ज्योतिष में द्वादश भाव से क्या देखा जाता है?
कुंडली में द्वादश भाव से नींद का नहीं आना, व्यय, दोनों पाँव, ऋण से छुटकारा पिता की सम्पत्ति, स्वर्ग जाना, पिछला जन्म, बायी आँख, त्याग, झगड़ा, क्रोध शारीरिक क्षति, अन्य देशों को जाना, भार्या की मृत्यु आदि की जानकारी प्राप्त की जाती है।
।। अथ व्ययभावफलाध्यायः ।।
व्ययेशे शुभसंयुक्ते स्वभे स्वोच्चगतेऽपि वा
व्यये चाशुभसंयुक्ते शुभकायें व्ययस्तथा ।।
चन्द्रो व्ययाधिपो धर्म लाभमन्त्रेषु संस्थितः
स्वोच्चे स्वर्क्षे निजांशे वा लाभधर्मात्मजांशके ।।
दिव्यागारादिपर्यङकोदिव्यगन्धैकभोगवान्
परार्ध्यरमणो दिव्यवस्त्रमाल्यादिभूषणः ।।
यदि व्ययेश शुभ ग्रह से युक्त हो या स्वराशि, स्वोच्च में अथवा व्ययभाव में शुभ ग्रह हो तो मनुष्य का धन अच्छे कार्यों में खर्च होता है।
यदि द्वादश भाव का स्वामी चन्द्रमा 9,5,11 में हो अथवा स्वोच्च, स्वराशि, स्वनवांश में हो अथवा 5,9,11 के नवांश में हो तो मनुष्य बहुत उच्चकोटि के स्वर्णिम सुखों से सम्पन्न घरवाला, शय्या स्थान वाला, स्वर्गीय सुखों को भोगने वाला, खूब विलासितापूर्ण जीवन बिताने वाला, कीमती वस्तुओं का स्वामी और सर्वोत्तम वस्त्रादि पहनने वाला होता है।
एवं स्वशत्रुनीचांष्टमांशे वष्टमे रिपौ
संस्थितः कुरुते जातं कान्तासुखविवर्जितम् ।।
व्ययाधिक्य परिक्लान्तं दिव्यभोगनिराकृतम्
सहि केन्द्रत्रिकोणस्थः स्वस्त्रियालंकृतः स्वयम् ।।
यदि व्ययेश चन्द्रमा ( या कोई भी ग्रह ) अपने शत्रु के नवांश, नीच नवांश, अष्टम भाव व गत नवांश में हो या 6, 8 भावों में हो तो मनुष्य को स्त्री का सुख प्रायः नहीं होता।
यदि व्ययेश 1, 4, 7,10.5, 9 में हो तो मनुष्य का अपनी स्त्री के साथ बहुत मेल या योग्य सम्बन्ध होता है।
निष्कर्ष: कुंडली में दशम भाव एक महत्वपूर्ण भाव है। इसलिए इस भाव का सावधानी पूर्वक अध्यन करना चाहिए।