Vishnu Avtar: भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा स्त्री अवतार
Vishnu Avtar: भगवान विष्णु को दो बार स्त्री रूप में भी अवतार लेने पड़े। सृष्टि रचियता भगवान विष्णु के दस मुख्य और कुल 24 अवतार हुए। राम, कृष्ण, परशुराम, नृसिंह, मत्स्य आदि उनके प्रमुख अवतारों में से एक हैं। उपरोक्त सभी अवतार पुरुष रूप में हुए। लेकिन भगवान विष्णु को 2 बार स्त्री अवतार भी लेना पड़ा था, आइए जानते है आजके इस लेख में..
प्रथम स्त्री अवतार: विष्णु का एक स्त्री अवतार समुद्र मंथन के समय तब हुआ जब देवों और दानवों के बीच समुद्र मंथन हुआ। जब तेरहवें रत्न के रूप में विष निकला और मंथन स्थल पर देव दानव उसकी अगन से जलने लगे, तब देवों व असुरों की प्रार्थना करने पर भगवान शिव ने वह गरल कंठ में धारण कर विषपान किया। (और पढ़ें: भगवान विष्णु के दशावतार
जब चौदहवाँ रत्न अमृत निकला तो देव दानव दोनों झपट पड़े, आखिर समुद्र मंथन तो हुआ ही अमृत के लिए था, तब भगवान विष्णु ने पहला स्त्री रूप बेहद सुंदर नारी मोहिनी का धारण किया, मोहिनी अवतार में विष्णु ने चतुराई से अपने रूप और अदाओं से राक्षसों को रिझाकर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया।
लेकिन मोहिनी बने भगवान विष्णु की चतुराई को असुर राहू ने भांप लिया, वह देव रूप धारण कर देवताओं की कतार में जा बैठा और अमृत पी लिया, जैसे ही इस छल का विष्णु को पता चला उन्होंने सुदर्शन चक्र से राहू का सिर काट दिया जिसने अमृत पिया था, राहू मरा नहीं, राहू केतू के दो अभिशप्त स्वरूपों में आज भी जिंदा है।
दूसरा स्त्री अवतार: भगवान विष्णु को दूसरा अवतार भी मोहिनी के स्त्री रूप में लेना पड़ा था, वस्तुतः असुर भस्मासुर ने वर्षों की तपस्या के बाद शिव के प्रसन्न होने पर उन से अमरत्व का वरदान मांगा तो शिव ने इसे असंभव बताया, तब उसने शिव से कहा कि जिसके सिर पर हाथ रक्खूं वह भस्म हो जाए, शिव ने तथास्तु कह दिया।
लेकिन वरदान को आजमाने के लिए भस्मासुर शिव के ही पीछे दौड़ा तो शिव आगे आगे, भस्मासुर पीछे पीछे, शिव भागकर विष्णुलोक में जा छिपे और सारा हाल बताया, तब विष्णु ने पुनः मोहिनी रूप धारण कर मोहक नृत्य शुरू कर दिया, भस्मासुर भी उसी तरह नृत्य करने लगा और भगवान विष्णु की नकल करते हुए अपने ही सिर पर हाथ रख भस्म हो गया।