Skip to content

imvashi

  • Home
  • HindusimExpand
    • Vrat Tyohar
    • Devi Devta
    • 10 Mahavidya
    • Pauranik katha
  • TempleExpand
    • Jyotirlinga
    • ShaktiPeeth
  • AstrologyExpand
    • Jyotish
    • Face Reading
    • Shakun Apshakun
    • Dream
    • Astrologer
    • Free Astrology Class
  • BiogpraphyExpand
    • Freedom Fighter
    • Sikh Guru
  • TourismExpand
    • Uttar Pradesh
    • Delhi
    • Uttarakhand
    • Gujarat
    • Himachal Pradesh
    • Kerala
    • Bihar
    • Madhya Pradesh
    • Maharashtra
    • Manipur
    • Kerala
    • Karnataka
    • Nagaland
    • Odisha
  • Contact Us
Donate
imvashi
Donate

विपिनचंद्र पाल (Bipin Chandra Pal)

Byvashi Biography
4.9/5 - (54119 votes)

बिपिन चंद्र पाल, एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी, राष्ट्रवादी नेेता, शिक्षक, पत्रकार, लेखक व वक्ता थे। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल को भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी माना जाता है। 


Bipin Chandra Pal info Facts

पूरा नामबिपिन चन्द्र पाल
जन्म7 नवंबर, 1858 हबीबगंज, भारत (वर्तमान बांग्लादेश)
मृत्यु20 मई, 1932
मातानारायणी देवी
पितारामचन्द्र पाल
नागरिकताभारतीय
प्रसिद्धिस्वतन्त्रता सेनानी, शिक्षक, पत्रकार, लेखक
शिक्षाकलकत्ता विश्वविद्यालय
पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, ब्रह्म समाज
विशेष योगदानविपिन चन्द्र कांग्रेस के क्रान्तिकारी देशभक्तों लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चन्द्र पाल (लाल बाल पाल) की तिकड़ी का हिस्सा थे।
आंदोलनभारतीय स्वतंत्रता संग्राम
अन्य जानकारी‘वंदे मातरम्’ पत्रिका के संस्थापक रहे बिपिन चंद्र पाल एक समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने परिवार के विरोध के बावज़ूद एक विधवा से विवाह किया था।

बिपिन चन्द्र पाल जीवनी, (Biography / History in Hindi)

बिपिन चन्द्र पाल जी का जन्म 7 नवंबर 1858 को अविभाजित भारत के हबीबगंज जनपद के सिलहट के पोइल गाँव में हुआ था। वर्तमान में यह स्थान बंगलादेश मेंं आता है।

बिपिन चन्द्र पाल के पिता का नाम रामचन्द्र पाल और माता नाम नारायणी देवी था। पिता राम रामचन्द्र पाल फारसी के विद्वान थे। वे पहले ढाका के उपन्यायाधीश के कार्यालय में क्लर्क की नौकरी करते थे। बाद में इसी कार्यालय में उन्होंने बेंच क्लर्क के रूप में भी कार्य किया था।

सन् 1866 में कोटरहाट में यह पद निरस्त करने के कारण रामचंद्र पाल की नौकरी छूट गयी। आर्थिक स्थिति बिगड़ते देखकर वे परिवार सहित अपने पैतृक गाँव सिल्हट लौट आए। गांव में उन्होंने वकालत का कार्य शुरू किया।

शिक्षा और प्रारम्भिक जीवन (Early life Education)

जब विपिनचंद्र पाल 5 वर्ष के थे, तब उनका उपनयन संस्कार हुआ था। उनके घर के आसपास कोई ऐसा विद्यालय नही था जहां वह शिक्षा प्राप्त कर सके। इसलिए विपिनचंद्र पाल की आरंभिक शिक्षा घर पर ही अपने पिता से हुई।

उन दिनों भारत में फारसी और संस्कृत भाषा का अधिक महत्व था। फारसी ही कोर्ट-कचहरी की मुख्य भाषा होती थी। इसलिए पिता को फारसी भाषा का ज्ञान अच्छा ज्ञान था।

रामचंद्र पाल यह अच्छी तरह जानते थे कि शिक्षा के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए बिपिन का दाखिला सिल्हट मिशनरी स्कूल की आठवीं कक्षा में करा दिया। उस समय आठवीं कक्षा से ही अंग्रेजी भाषा पढ़ाई जाती थी।

बिपिनचंद्र पाल की गिनती होनहार और प्रतिभाशाली छात्रों में होती थी। आठवीं और नौवीं कक्षाओं में उन्होंने सबसे ज्यादा अंक हासिल कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। अंग्रेजी भाषा पर भी उनकी पकड़ बहुत अच्छी थी।

विपिनचंद्र पाल आगे की पढ़ाई के लिए कलकत्ता विश्वविद्याल की प्रवेश परीक्षा 16 वर्ष में उतीर्ण कर ली। विपिनचंद्र पाल द्वारा यह प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर लेने पर पिता रामचंद्र पाल को बड़ी प्रसन्नता हुई।

कलकत्ता का वातावरण बडा विचित्र था। नए वातावरण में विपिन चन्द्र का दम घुट रहा था। जब उनकी मुलाकात उनके पूर्व सहपाठी सुंदरी मोहनदास से हुई तो उन्होंने राहत की साँस ली।

जो भी छात्र सिल्हट से कलकत्ता विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आता था, वह वहाँ बने सिल्हट मैस में ही रहता था। अत: बिपिनचंद्र पाल भी सुंदरी मोहनदास के साथ रहने लगे।

चेचक की महामारी

सन् 1876 में कला वर्ग के प्रथम वर्ष की परीक्षा के दौरान बिपिनचंद्र पाल को चेचक की महामारी ने घेर लिया। इसलिए अच्छे नही ला पाए, जबकि दूसरी ओर उनके सहपाठी मित्र सुंदरी मोहनदास ने अच्छे अंकों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण कर ली।

ऐसे वक्त सुंदरी मोहनदास ने ही बिपिनचंद्र पाल की देखभाल करी थी। धीरे बिपिनचंद्र पाल तो स्वस्थ हो गए, लेकिन इस बीमारी ने सुंदरी मोहनदास को जकड़ लिया। इस बार उन्होंने सुंदरी मोहनदास की देखभाल करी।


क्रांति के क्षेत्र में

पाल उन महान विभूतियों में शामिल हैं जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की बुनियाद तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाई। बिपिन चंद्रपाल क्रांतिकारी, शिक्षक, पत्रकार, लेखक व बेहतरीन वक्ता थे। उनका विश्वास था कि स्वराज केवल प्रेयर पीटिशन से नही मिलेगा।

निर्भीकता उनके विचारों की शक्ति थी। वे ब्रिटिश सरकार के सामने गिड़गिड़ाने में विश्वास नहीं रखते थे। बल्कि उग्रवादी राष्ट्रीयता के प्रबल पक्षधर थे। इसलिए उनके क्रांतिकारी विचारों के कारण गरम दल का नेता कहा जाता था।

किसी के विचारों से असहमत होने पर वह उसे व्यक्त करने में पीछे नहीं रहते थे।यहाँ तक कि सहमत नहीं होने पर उन्होंने महात्मा गाँधी के कुछ विचारों का भी विरोध किया था। वे ऐसे प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंने गांधी या गांधीपंथ की आलोचना करने का साहस किया। उन्होंने गांधीजी को ‘तार्किक की बजाय जादुई विचारों वाला’ कहकर उनकी आलोचना की।

राजनैतिक जीवन

बिपिन चन्द्र सन 1886 में वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। कांग्रेस सत्र के दौरान सन 1887 में उन्होंने अंग्रेजी सरकार द्वारा लागू किये गए ‘शस्त्र अधिनियम’ तत्काल हटाने की मांग की क्योंकि यह अधिनियम भेदभावपूर्ण था।

विपिन चंद्र, मशहूर लाल-बाल-पाल (लाला लाजपत राय, बालगंगाधर तिलक एवं विपिनचन्द्र पाल) तिकड़ी का हिस्सा थे। इन तीनों ने क्रांतिकारी भावनाओं को हवा दी और खुद भी क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। 

‘गरम’ विचारों के लिए प्रसिद्ध इन नेताओं ने अपनी बात तत्कालीन विदेशी शासक तक पहुँचाने के लिए कई ऐसे तरीके अपनाए जो एकदम नए थे। सन 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में लाल-बाल-पाल की इस तिकड़ी ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ आंदोलन किया जिसे बड़े पैमाने पर जनता का समर्थन मिला।

विपिन चन्द्र पाल इंग्लैड यात्रा

विपिन चन्द्र बोस, बाल गंगाधर तिलक की गरफ्तारी और स्वदेशी आन्दोलन के बाद अंग्रेजों की दमनकारी निति के बाद इंग्लैंड चले गए। वहाँ जाकर वे ‘इंडिया हाउस’ से जुड़ गए और ‘स्वराज’ पत्रिका  का प्रकाशन प्रारंभ किया।

मदन लाल ढींगरा के द्वारा 1909 में कर्ज़न वाइली की हत्या कर दिये जाने के कारण उनकी इस पत्रिका का प्रकाशन बंद हो गया और लंदन में उन्हें काफ़ी मानसिक तनाव से गुज़रना पड़ा। प्रतिबन्ध लगने पर वे भारत लौट आये। यहां हिन्दू रिव्यू पत्र प्रारम्भ किया ।

इस घटना के बाद वह उग्र विचारधारा से अलग हो गए और स्वतंत्र देशों के संघ की परिकल्पना पेश की।

विदेशी उत्पादकों का बहिष्कार

विपिन चन्द्र पाल, स्वदेशी उत्पादों के समर्थक थे। उन्होंने महसूस किया कि विदेशी उत्पादों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो रही है और यहाँ के लोगों का काम भी छिन रहा है।

उन्होंने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए तीव्र आन्दोलन चलाया। जिसमे ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार, औद्योगिक तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में हड़ताल आदि शामिल थे।

राजद्रोह के आरोप में जेल

सन 1905 में बंग-भंग के समय कई सभाओं को सम्बोधित किया। सन 1907 में वन्देमातरम् पत्र के माध्यम से अंग्रेज़ी सरकार के खिलाफ जनमत तैयार करने के आरोप में राजद्रोह का मुकदमा चलाकर जेल में ठूंस दिया गया। लेकिन जेल से रिहा होते ही अपना आन्दोलन और तेज कर दिया।

संपादन के क्षेत्र में

देश में स्वराज की अलख जगाने के लिए विपिन चन्द्र पाल ने जनमानस में सामाजिक जागरूकता और राष्ट्रवाद की भावना को जागृत करने के लिए पत्रकारिता का मार्ग अपनाया। तथा इसके माध्यम से पूर्ण विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार तथा स्वदेशी अपनाओ की भावना आम जनमानस के अंदर जगाई।

1886 मे बिपिनचंद्र ने सिल्हेट से ‘परिदर्शक’ नाम का बंगाली साप्ताहिक पत्रिका प्रकाशीत किया। 1887 – 88 में उन्होंने लाहोर से ‘ट्रिब्युन’ का संपादन किया। इसके अतिरिक्त पाल ने क्रांतिकारी पत्रिका ‘बन्दे मातरम’ की स्थापना भी की थी। उनकी कुछ प्रमुख पत्रिकाएं इस प्रकार हैं

  • परिदर्शक (1880)
  • बंगाल पब्लिक ओपिनियन ( 1882)
  • लाहौर ट्रिब्यून (1887)
  • द न्यू इंडिया (1892)
  • द इंडिपेंडेंट, इंडिया (1901)
  • बन्देमातरम (1906, 1907)
  • स्वराज (1908 -1911)
  • द हिन्दू रिव्यु (1913)
  • द डैमोक्रैट (1919, 1920)
  • बंगाली (1924, 1925

विपिनचंद्र पाल की मृत्यु कैसे हुई?

विपिनचन्द्र पाल ने 1920 मे स्वेच्छा से उन्होंने राजनीति से संन्यास लेकर कोलकाता में रहने लगे थे, परंतु वे आजीवन राष्ट्रीय समस्याओं पर अपने विचार व्यक्त करते रहे। कोलकाता में ही 20 मई 1932 को इस महान क्रन्तिकारी का निधन हो गया।


Related Posts

  • लुई ब्रेल (Louis Braille)

  • तात्या टोपे (Tatya Tope)

  • मन्मथनाथ गुप्त (Manmath Nath Gupta)

  • भारत के स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighters of India)

  • राजीव दीक्षित (Rajiv Dixit)

Post Tags: #Biography#Freedom Fighter

All Rights Reserved © By Imvashi.com

  • Home
  • Privacy Policy
  • Contact
Twitter Instagram Telegram YouTube
  • Home
  • Vrat Tyohar
  • Hinduism
    • Devi Devta
    • 10 Maha Vidhya
    • Hindu Manyata
    • Pauranik Katha
  • Temple
    • 12 Jyotirlinga
    • Shakti Peetha
  • Astrology
    • Astrologer
    • jyotish
    • Hast Rekha
    • Shakun Apshakun
    • Dream meaning (A To Z)
    • Free Astrology Class
  • Books PDF
    • Astrology
    • Karmkand
    • Tantra Mantra
  • Biography
    • Freedom Fighter
    • 10 Sikh Guru
  • Astrology Services
  • Travel
  • Free Course
  • Donate
Search