Kochi (Kerala): History & Places To Visit in Hindi
कोच्चि (Kochi), जिसे कोचीन भी कहा जाता था, भारत के केरल राज्य के एर्नाकुलम ज़िले में स्थित एक नगर है।
Kochi: History & Tourist Places | wiki
राज्य | केरल |
क्षेत्रफल | 94.88 km² |
भाषा | मलयालम |
दर्शनीय स्थल | डच महल, बोलघट्टी महल, हिल महल, मरीन ड्राइव, चेराई बीच, ऐतिहासिक संग्रहालय, सेन्ट फ्रान्सिस चर्च आदि। |
कब जाएं | सितंबर से मई। |
केरल के तटवर्ती शहर कोच्चि को अरब सागर की रानी कहा जाता है। केरल का यह शहर औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों का केन्द्र है। कोच्चि में पुर्तगाली, यहूदी, ब्रिटिश, फ्रेंच, डच और चाइनीज संस्कृति का मिला जुला रूप देखने को मिलता है। पुर्तगालियों के आगमन से पूर्व कोच्चि का इतिहास स्पष्ट नहीं है।
पुर्तगालियों का आना कोच्चि के इतिहास में अहम पड़ाव साबित हुआ। कोच्चि के राजाओं ने इन विदेशियों का स्वागत किया क्योंकि उन्हें कालीकट के जमोरिन की शत्रुता के कारण एक शक्तिशाली सहयोगी की तलाश थी। यहूदियों ने भी केशव राम वर्मा के शासनकाल में राजकीय संरक्षण प्राप्त किया।
ये यहूदी मूल रूप से कोदनगलूर से व्यापार के उद्देश्य से आए थे। 17वीं शताब्दी में कोच्चि का बंदरगाह डच के अधीन हो गया था। आगे चलकर 1795 में कोच्चि पर अंग्रेजों ने अधिकार जमा लिया था जो भारत के आजादी के साथ ही मुक्त हुआ।
डच महल (Dutch Palace)
यह महल मूल रूप से पुर्तगालियों द्वारा बनवाया गया और कोचीन के राजा वीर केरला वर्मा को भेंट किया गया था। बाद में डच का इस पर अधिकार हो गया। उन्होंने 1663में किले की मरम्मत कराई और किले को नया रूप दिया।
इस किले में कोचीन के कई राजाओं का राज्याभिषेक हुआ था। इस किले में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों से संबंधित पेंटिंग्स बनी हुई है।
बोलघट्टी महल (Bolgatty Palace and Island Resort)
यह महल बोलघट्टी द्वीप पर स्थित है। महल का निर्माण एक डच व्यापारी ने 1744 में किया था। जिसे 1909 में, कोचीन के राजा द्वारा अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए खरीदा गया था। ब्रिटिश शासन के दौरान यह महल ब्रिटिश गवर्नरों का निवास स्थान था।
1947 में जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तो महल भारतीय राजवंश का हिस्सा बन गया। KTDC इस महल ने 1976 में अधिग्रहण किया था। बाद में इसे एक होटल के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। बोलघट्टी में एक गोल्फ कोर्स भी है। इस महल को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं।
वंडरला (Wonderla)
वंडरला एक मनोरंजन पार्क है। यह मनोरंजन पार्क 82 एकड़ (33 हेक्टेयर) ज़मीन पर फैली है। इस्को अक्टूबर 2005 में 1.5 बिलियन के कुल निवेश के साथ स्थापित किया गया था।
यह सिर्फ एक मनोरंजन पार्क नहीं है, बल्कि लुभावने आकर्षण की दुनिया है। आप यहां 50 से अधिक रोमांचक राइड्स का आनंद ले सकते है।
एर्नाकुलम शिव मंदिर (Ernakulam Shiva Temple)
एर्नाकुलथप्पन के नाम से बहुत लोकप्रिय यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। महाराजा शासन के दौरान निर्मित यह मंदिर दरबार हॉल ग्राउंड में स्थित है। मंदिर का इतिहास शहर के इतिहास से जुड़ा हुआ है।
किंवदंती के अनुसार, यह कोच्चि महाराजाओं के 7 शाही मंदिरों में से एक था, लेकिन अब इसे कोचीन देवसोम बोर्ड के प्रशासन द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यह भगवान परशुराम द्वारा समर्पित केरल के 108 शिव मंदिरों में से एक है।
हिल महल (Hill Palace)
हिल पैलेस को 1865 में कोचीन के महाराजा ने बनाया था। महल को 1980 में कोचीन शाही परिवार द्वारा केरल सरकार को सौंप दिया गया था।
अब इसे केरला पुरातत्व विभाग के संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। संग्रहालय में चित्रकारी,नक्काशी और राजकीय वंश से संबंधित वस्तुओं को रखा गया है।
बेशन बंगला (Bastion Bunglow)
इन्डो-युरोपियन शैली में बना यह बंगला 1667ई.में बनवाया गया था। डच किले के स्ट्रोमबर्ग बेशन में स्थित होने के कारण इसका नाम बेशन बंगला पड़ा। इसकी छत में टाइलें लगी हुईं हैं और बरांमदा लकड़ी का बना हुआ है।
मरीन ड्राइव (Marine Drive)
कोच्चि के समुद्र तट के किनारे बना यह सड़क पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को भी बहुत भाता है। यहां से समुद्र का नजारा बेहद आकर्षक लगता है। 140 मीटर लंबे इस सड़क को बेहद खूबसूरत ढंग से सजाया गया है। यहां अक्सर फिल्म की शुटिंग भी होती रहती है।
चेराई बीच (Cherai Beach)
कोच्चि से 25किमी दूर चेराई बीच की सुंदरता देखते ही बनती है। यह केरल में सबसे अधिक देखे जाने वाले समुद्र तटों में से एक है। यहां पाए जाने वाले सीपियां अद्वितीय हैं।
इस क्षेत्र में अक्सर डॉल्फ़िन मछलियों को देखा जा सकता है। नारियल और खजूर के पेड़ों के अलावा पारंपरिक केरला के मकान इस बीच की खूबसूरती में चार चांद लगाते है।
सेन्ट फ्रान्सिस चर्च (ST. George Forane Church)
एडापल्ली, शहर से लगभग 10 किमी दूर, सेंट जॉर्ज फ़ोरेन चर्च के लिए प्रसिद्ध है 1503ई.में बना यह चर्च भारत का सबसे पुराना कैथोलिक चर्च है। प्रोटेस्टेंट डच द्वारा इसे 1779 में पुन: स्थापित किया गया। 1795 में अंग्रेजों ने इसे एंजलिकन चर्च में तब्दील कर दिया। कहा जाता है कि वास्को डि गामा को इस चर्च में दफनाया गया था। बाद में उसके अवशेष को पुर्तगाल ले जाया
ऐतिहासिक संग्रहालय (National Museum)
इडापल्ली में स्थित इस संग्रहालय में केरल के इतिहास को मूर्ति के माध्यम से दर्शाया गया है। संग्रहालय के बाहर परशुराम की प्रतिमा है। उसे देखकर लगता है जैसे वह आगंतुकों का अभिनंदन कर रही हो। कहा जाता है कि परशुराम ने ही केरल की स्थापना की थी।
पल्लिपुरम किला (Pallippuram Fort)
यह किला यूरोपियन की प्राचीनतम स्मारकों में एक है। इसे 1503में पुर्तगालियों ने बनवाया था। डच ने 1661 में इस किले पर अधिकार कर लिया और त्रावनकोर के राज्य को 1789 में बेच दिया था।
परीक्षित थंपुरम संग्रहालय (Pareekshit Thampuran Museum)
इस संग्रहालय में 19वीं शताब्दी की पेंटिंग,प्राचीन मुद्राएं,पत्थरों की मूर्तियां,पेंटिंग की प्रतिलिपियां,प्लास्टर ऑफ पेरिस आदि को रखा गया है। कोचीन के शाही परिवारों से जुड़ी अनेक वस्तुएं भी आपको यहां देखने को मिल जाएगीं।
कांजिरामट्टम मस्जिद (Kanjiramattom Mosque)
कोच्चि से 30 किमी की दूरी पर यह पवित्र मस्जिद स्थित है। कहा जाता है कि मुस्लिम संत शेख फरीद की कब्रगाह पर इसका निर्माण हुआ है। जनवरी में यहां चंदनाकूदम पर्व आयोजित किया जाता है।
कलादी (Kalady)
यह स्थान आठवीं शताब्दी के महान भारतीय दार्शनिक आदि शंकराचार्य की जन्मभूमि है। शंकराचार्य की याद में यहां दो मंदिर बनाए गए हैं। एक मंदिर दक्षिणामूर्ति और दूसरा देवी शारदा को समर्पित है।
फोर्ट कोच्चि (Fort Kochi)
फोर्ट कोच्चि, केरल में एर्नाकुलम जिले के कोच्चि शहर का पश्चिमी भाग। यह एर्नाकुलम टाउन से लगभग 12 किमी दूर है। फोर्ट कोच्चि ने केरल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। फोर्ट कोच्चि केरल का पहला यूरोपीय शहर था।
फोर्ट कोच्चि में सांताक्रूज बेसिलिका जैसे कई आकर्षण भी हैं। फोर्ट कोच्चि कार्निवल हर साल नए साल की पूर्व संध्या में मनाया जाता है। इस कार्निवाल को देखने हजारों की संख्या में लोग आते हैं।
मंगलवनम पक्षी अभयारण्य (Mangalavanam Bird Sanctuary)
मंगलवनम पक्षी अभयारण्य भारत में केरल राज्य के पलक्कड़ जिले में एक पक्षी अभयारण्य है। 2004 में स्थापित मंगलवनम पक्षी अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 0.0274 वर्ग किमी है। यह केरल का एकमात्र पक्षी अभयारण्य है जो मैंग्रोव वनों में स्थित है।
मंगल शब्द का पुर्तगाली में अर्थ है मैंग्रोव। मई 2006 में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 32 प्रजातियों में 194 पक्षी हैं। इस क्षेत्र से अब तक दर्ज की गई पक्षियों की प्रजातियों की संख्या 72 है। इसके अलावा, तितलियों की 17 प्रजातियां यहां दर्ज हैं।
कोच्चि कैसे पहुंचे (How To Reach Kochi)
वायुमार्ग– कोचीन का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों से सीधा जुड़ा हुआ है।
रेलमार्ग– एरनाकुलम में दो रेलवे स्टेशन हैं। एक उत्तर और दूसरा दक्षिण में। यहां से कोच्चि जाने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएं ली जा सकती हैं। एरनाकुलम भारत के अनेक शहरों से रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग– कोच्चि सड़क मार्ग से अनेक पर्यटन केन्द्रों और शहरों से जुड़ा हुआ है। बैंगलोर से कोच्चि की दूरी 565 किमी, कोयंबटूर से 223 किमी, गोवा से 848 किमी, मद्रास से 694 किमी और मैसूर से 470 किमी है। राज्य परिवहन निगम की बसें कोच्चि के लिए नियमित रूप से चलती हैं।
खरीददारी– कोच्चि और उसके आसपास के क्षेत्रों से अनेक यादगार और लोकप्रिय वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। मट्टनचेरी से मसाले, चाय, काफी और स्मारिकाएं खरीदी जा सकती हैं।
इसके साथ ही मुखोटे, पीतल की आकृतियां और लकड़ियों से बने श्रृंगार के बक्से भी खरीदे जा सकते हैं। मालाबार में मसालों की दुकानों से ताजे मसालों की खरीददारी की जा सकती है।