Uttara Ashadha: उत्तराषाढा नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Uttara Ashadha Nakshatra: भारतीय खगोल का यह 21 वा ध्रुव संज्ञक नक्षत्र है। इसकी राशि पथ में स्थिति 266.40-270.00 अशों के मध्य मानी गयी है।
इस नक्षत्र के प्रथम तीन चरण मकर राशि एवं अंतिम चरण कुंभ राशि में होता है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में चार तारे हैं तथा उसकी स्थिति एक शैया की तरह है। चरणाक्षर मे, मो, ज, जी हैं।
पौराणिक मान्यता
उत्तराषाढा के देवता विश्वदेवा है। यह देवताओ का समूह है। ऋग्वेद 354 17 मे सभी देवताओ को इन्द्र मे समाविष्ट माना है। हिन्दुत्व मे नौ गण देवताओ (आदित्य, विश्वेश या विश्वेदव, वसुअनिल, अभास्वर, तुषिता, महाराजिका, साध्य, रुद्र) को मानते थे।
उत्तराषाढा नक्षत्र की विशेषताएं
उत्तराषाढा नक्षत्र के देवता विश्वदेवा, स्वामी ग्रह सूर्य है। उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे जातकों का शरीर आकर्षक, सुगठित, नाक लंबी, आँखें चमकीली होती है।
जातक धैर्यवान, पथ प्रदर्शक, आध्यात्मिक, परोपकारी, गुस्से मे भी स्थिर किन्तु रुचि हटने पर कार्य को टालने वाला होता है।
अनुकूल और प्रतिकूल कार्य
अनुकूल कार्य: यह शुरुआत, योजना, आध्यात्मिक गतिविधिया, व्यापार, ठेका, विवाह, कानूनी मामले, नीव रखना, धर्म, कला, राजनीति, गृह प्रवेश, पदोन्नति, निर्णय के अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह नक्षत्र यात्रा, निष्कर्ष, विसर्जन, अवैधानिकता, दुर्व्यवहार और अनैतिकता के लिए प्रतिकूल है।
प्रस्तुत फल जन्म नक्षत्र के आधार पर है। कुंडली में ग्रह स्थिति अनुसार फल में अंतर संभव है। अतः किसी भी ठोस निर्णय में पहुंचने के लिए सम्पूर्ण कुंडली अध्यन आवश्यक है।