अल्मोडा (Almora)
अल्मोड़ा (Almora) उत्तराखण्ड राज्य का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोडा छुट्टियां बिताने के लिए आदर्श पर्यटन स्थल (Tourist Place) है। पर्यटन स्थलों के अलावा यहां कई तीर्थस्थल भी हैं जो बहुत ही खुबसूरत हैं।
अल्मोड़ा: प्रकृति की गोद
राज्य | उत्तराखण्ड |
क्षेत्रफल | 3139.00 वर्ग कि०मी० |
ऊँचाई | समुद्र तल से 5,400 फु ट |
भाषा | पहाड़ी, हिंदी और एंग्लिश |
प्रसिद्धि | कटारमल सूर्य मंदिर, देवीधुरा मेला, बग्वाल, एवटमाउन्ट, पूर्णागिरि मेला, गोविंद वल्लभ पंत संग्राहलय। |
यात्रा समय | अक्टूबर से मार्च। |
अल्मोडा अपने लकडियों के घर और पगडंडियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। अल्मोडा के घरों पर नक्काशी मिलती है जो बहुत ही खुबसूरत है। अल्मोडा की खुबसूरती पर्यटकों को बहुत लुभाती है और उन्हें बार-बार अपनी तरफ खिचंती है।
अल्मोड़ा का इतिहास (History of Almora in Hindi)
अल्मोडा का इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना है। अल्मोड़ा की स्थापना चंदवंशीय राजा बालो कल्याण चंद ने सन 1568 में “आलमनगर” नाम से थी। चंदवंश की पहले राजधानी चम्पावत थी। लेकिन कल्याणचंद ने चम्पावत से बदलकर इस आलमनगर (अल्मोड़ा) को अपनी राजधानी बनाया।
महाभारत काल (8 वीं और 9वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलता हैं। स्वतंत्रता की लड़ाई में तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है।
अल्मोड़ा के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places to visit in Almora)
अल्मोडा में सभी पर्यटन स्थल एक दूसर के काफी करीब है। अत: एक होटल में रूककर किसी भी पर्यटन स्थल पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां कई अच्छे पर्यटन स्थल है जैसे बिनसर, कसौनी और जगेश्वर आदि।
यहां पर कई होटल बहुत ऊचांई पर स्थित है जहां से खुबसूरत पहाडों, खाईयों और पहाडों की ठंडी हवा का आनंद लिया जा सकता है। इन सब के अलावा भी अल्मोडा में घुमने के लिए बहुत कुछ है।
1. जागेश्वर धाम (Jageshwar Temple Almora)
कुमौओं में स्थित हिन्दुओं के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से जगेश्वर मंदिर अल्मोड़ा से 33 किमी. की दूरी पर अवस्थित है। जगेश्वर का मंदिर बहुत बड़ा हैं। यहां पर सैकड़ों शानदार मूर्तियां हैं। इन मंदिरों मे लगभग हर हिन्दु देवी-देवता की झलक देखने को मिल जाती है।
जगेश्वर मुख्यत: तीन तीर्थस्थलों के लिए प्रसिद्ध है। ये तीन प्रमुख तीर्थस्थल हैं जगेश्वर, मृत्युजंय और पुष्टि देवी। इसमे सबसे पुराना मंदिर ‘मृत्युंजय’ का है। इनके अलावा यहां बालेश्वर, केदारनाथ, सूर्य, नवदुर्गा और नीलकंठ की प्रतिमांए भी हैं। यहां पर नंदिनी और सुरभि नामक नदियां हैं जो पहाडों से निकलती है।
इस मंदिर का महाभारत महाकाव्य में भी उल्लेख किया गया है। स्थानीय लोगो का मानना है कि जागेश्वर मंदिर बारह ‘ज्योतिर्लिंग’ में से एक है। मॉनसून ऋतू के श्रावण मास में यहाँ प्रतिवर्ष मेला लगता है। अल्मोडा-पिथौरागढ मार्ग से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
2. कटारमल सुर्य मंदिर (Katarmal Sun Temple)
कटारमल सूर्य मन्दिर भारतवर्ष का प्राचीनतम सूर्य मन्दिर है। इसका निर्माण कत्यूरी राजवंश के तत्कालीन शासक कटारमल के द्वारा छठीं से नवीं शताब्दी में किया था। इस प्रांगण में लगभग 50 मंदिर हैं जो पत्थरो के बने हुए हैं। यह मंदिर जगेश्वर मंदिर की झलक प्रस्तुत करते हैं। और पढें: कोर्णाक का सूर्य मंदिर, ओडिसा
इन मंदिरों तक पहुंचने के लिए पहले 13 किमी. कोसी पहुंचिए। उसके बाद नदी पार कीजिए कुछ किलोमीटर पहाड पर चढने के बाद आप मंदिर के प्रागंण में पहुंच जाएंगे। कोशिश कीजिए की आप यहां पर सावन के महीने में जाएं क्योंकि उस समय यहां पर महाशिवरात्रि का मेला लगा होता है। उस समय मंदिर की छटा और तीर्थयात्रियों की भीड देखने लायक होती है। कटारमल मंदिर को कुमाऊं में एकमात्र सूर्य मंदिर होने का गौरव प्राप्त है।
3. गोलू देवता मंदिर चितई (Chitai Golu Devta Temple)
गोलू देवता या भगवान गोलू कुमाऊं क्षेत्र के पूज्य देवता हैं। अल्मोडा से लगभग 10 किमी. दूर चितई में गोलू देव का मठ है। इन्हें गौर भैरव (शिव) के अवतार के रूप में माना जाता है, और पूरे क्षेत्र में पूजा की जाती है।
ऐसा कहा जाता है कि श्री कल्याण सिंह बिष्ट (कालबिष्ट) का जन्म कत्युडा गांव में हुआ था। श्री कालबिष्ट जी ने हमेशा गरीबों और दमनकारी लोगों की मदद करते थे। उन्होंने कुमाऊं क्षेत्र के सभी शैतानों को पछाड़ दिया। श्री कालबिष्ट जी का निकट रिश्तेदार ने कुल्हाड़ी से सिर काट दिया था।
श्री कालबिष्ट जी का शरीर डाना गोलू गैराड में और सिर अल्मोड़ा से कुछ किलोमीटर दूर कपडखान में गिर पड़ा। डाना गोलू में, गोलू देवता का मूल और सबसे प्राचीन मंदिर है। डाना गोलू देवता को सफेद कपड़ों, सफेद पगड़ी और सफेद शाल के साथ पेश किया जाता है।
न्याय के देवता: गोलू देवता को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। लोकप्रिय धारणा है कि गोलू देवता भक्त को त्वरित न्याय प्रदान कराते हैं। इच्छा पूर्ति होने पर भक्त मंदिर में घण्टी चढ़ाते है। मंदिर के परिसर हजारों घंटियाँ लटकी देखी जा सकती हैं। भक्त चिट्ठी लिखकर भी गोलू देवता से अर्जी करते है।
कुमाऊ के कई गांवों में गोलू देवता को इष्ट/ कुल देवता के रूप में पूजा जाता हैं। कुमाऊं में गोलू देवता के कई मंदिर हैं, जिसमे गैराड (बिन्सर), चितई , चंपावत, घोडाखाल प्रमुख में हैं ।
4. कसार देवी टेम्पल अल्मोरा (Kasar Devi Temple Almora)
कसार देवी मंदिर (Kasar devi temple) उत्तराखंड के अल्मोड़ा के पास कसार गांव में स्थित है। इस स्थान का नाम कसार देवी के नाम पर ही पड़ा है। ये मंदिर अपने रहस्यमयी चुंबकीय शक्ति के कारण जग प्रसिद्ध है।
यहां पर आकर व्यक्ति मानसिक शांति महसूस करता है। कहा जाता है कि 1890 के दशक में स्वामी विवेकानंद ने कासार देवी का दौरा किया था। कई पश्चिमी साधक, सुनिता बाबा, अल्फ्रेड सोरेनसेन और लामा अनागारिक गोविंदा यहाँ आ चुके हैं।
कसार देवी G.P.S 8: वैज्ञानिक इस मंदिर के चुंबकीय रूप से चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर पाया कि कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है।
कसार देवी मंदिर परिसर में जी पी एस 8 (KASAR DEVI GPS 8) वह पॉइंट है। जहां मानसिक शांति का अनुभव किया जा सकता है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। अमेरिका संस्था नासा ने ग्रेविटी पॉइंट को चिन्हित करके मुख्य मंदिर के द्वार के बायीँ ओर GPS 8 लिखा है।
प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा (नवम्बर-दिसम्बर में) के अवसर पर यहाँ कसार देवी का मेला लगता है। इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते है।
5. नंदा देवी मंदिर, अल्मोड़ा (Nanda Devi Temple)
नंदा देवी मंदिर का निर्माण चंद राजाओं द्वारा किया गया था। देवी की मूर्ति शिव मंदिर के डेवढ़ी में स्थित है और स्थानीय लोगों द्वारा बहुत सम्मानित है। हर सितंबर में, अल्मोड़ा नंदादेवी मेला के लिए इस मंदिर में हजारों हजारों भक्तों की भीड़ रहती हैं, मेला 400 से अधिक वर्षों तक इस मंदिर का अभिन्न हिस्सा रहा है।
6. बानडी देवी मंदिर, अल्मोड़ा (Baanadee Devi Temple, Almora)
बानडी देवी मंदिर (Baanadee Devi Temple) अल्मोड़ा से 28 किलोमीटर दूर विकासखंड लमगड़ा पर स्थित है। यह मंदिर विद्यवासिनी को समर्पित है स्थानीय लोग इन्हें बानडी देवी कहते है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 10 किमी चलना पड़ता है। अष्टकोणीय मंदिर में शेशनाग मुद्रा के साथ विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति है, अर्थात् चार सशस्त्र विष्णु शेशनाग पर सो रहे हैं।
7. गणनाथ मंदिर, ताकुला अल्मोड़ा (Gananath Mandir Almora)
गणनाथ मंदिर, अल्मोड़ा से 47 किलोमीटर दूर, अपनी गुफाओं और शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। गणानाथ के मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा तथा होली के अवसरों पर मेला का आयोजन किया जाता है। जिनमें बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी रहती है।
8. बिनसर महादेव मंदिर (Binsar Mahadev Temple, Rani khet)
देवदार वृक्षो के बीच में “बिन्सर महादेव” का पवित्र मंदिर स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 9वी-10वीं शताब्दी में राजा पिठ्ठ ने अपने पिता “बिन्दू” की याद में किया था, इसलिए इसे “बिंदेश्वर महादेव मंदिर” भी कहते है। गणेश, हर गौरी और महेशमर्दिनी की मूर्तियों के साथ, यह मंदिर इसकी स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है।
9. झुला देवी मंदिर (Jhula Devi Temple Rani khet)
झूला देवी मंदिर रानीखेत से 7 औऱ अल्मोड़ा से 48 किमी दूर चौबतिया मार्ग पर स्थित है। यहाँ देवी को पालने पर बैठा देखा जाता है। इसलिए इन्हें “झुलादेवी” नाम दिया गया हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर लगभग 700 वर्ष पुराना है। मंदिर की प्रतिमा 1959 में चोरी हो गई थी। मंदिर का मुख्य आकर्षण यहां लगी घंटियों का गुच्छा है जिसकी ध्वनि काफी दूर से भी सुनी जा सकती है।
यह माना जाता है कि झूला देवी अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करती हैं और इच्छाऐं पूरी होने के बाद, भक्त यहाँ तांबे की घंटी चढाते हैं। झूला देवी मंदिर के समीप ही भगवान राम को समर्पित मंदिर भी है।
10. गोविंद वल्लभ पंत संग्राहलय (Govind Vallabh Pant Rajkiya museum)
अल्मोडा के बस अड्डे के पास गोबिन्द वल्लभ पंत संग्राहलय है जहां पर आप कुमांउ की कला और संस्कृति की झलक देख सकते हैं। इस संग्राहलय में अनेक दर्शनीय वस्तुएं हैं। इनके अलावा इस संग्राहलय में अपेन के विशिष्ट लोक चित्र हैं।
अल्मोड़ा से क्या खरीदे (Almora is Famous for)
अल्मोडा में शापिंग के लिए काफी अच्छे मॉल्स हैं। यहां पर आप अपनी पसंद की शापिंग कर सकते हैं। बडे शापिंग मॉल्स के अलावा यहां कई बाजार भी लगते हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध बाजार लाल बाजार है। यह लगभग 200 साल पूराना है।
सैनिक शिविर से अल्मोडा की तरफ जाते हुए आप कुमाऊंनी चंद राजाओं के शासन के अवशेष देख सकते हैं। यहां पर ट्रैफिक के प्रवेश की अनुमति नहीं है इसलिए यहां सार रास्ते खुले और शांत हैं। यहां के थाना, जोहरी, और लाल बाजार अपनी कलात्मक वस्तुओं के लिए बहुत प्रसिद्ध है। ये वस्तुएं यहां की बरसों पुरानी कला को प्रदर्शित करती है।
इन बाजारो में कुमाऊंनी शली के आभुषण और तांबे के बर्तन बहुतायत मिलते हैं। आभुषणो और तांबे की वस्तुओं के साथ-साथ यहां की बुनाई भी उच्च कोटि की है। यहां के बने कम्बल और पश्मिना शालें बहुत लोकप्रिय हैं।
इसके अलावा अल्मोडा से अंगोडा का कपडा भी खरीदा जा सकता है। यह अंगोडा प्रजाति के खरगोश के फर से तैयार किया जाता है। अंगोडा का कपडा अंगोडा प्रजाति की बकरियों के फर से भी बनाया जाता है लेकिन यह बहुत महंगा होता है। अल्मोडा की बाल मिठाई (Bal Mithai) और सिंगोरी (Singori sweet) बहुत स्वादिष्ट होते हैं।
अल्मोड़ा कैंसे पहुंचे (How to Reach Almora)
अल्मोडा दिल्ली से उतर पूर्व की तरफ 365 किमी. की दूरी पर है। सडकमार्ग द्वारा दिल्ली से अल्मोडा पहुंचने में 9 घंटे लगते हैं। अल्मोडा कास्य की पहाडी पर 5 किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह समुद्र तल से 5,400 फु ट की ऊचांई पर और रानी खेत से 49 किमी. दूर है।
हिल स्टेशनों में अल्मोडा ऐसा स्थान हैं जहां छोटा सी दूरी तय करने में घंटो लग जाते हैं क्योंकि यहां के रास्ते बहुत ही ऊबड-खाबड और टेढे-मेढे हैं। लेकिन इन रास्तों का एक लाभ यह भी है कि इनसे गुजरते समय आप अनेक खुबसूरत नजार देख सकते हैं।
रेलमार्ग – अल्मोडा पहुंचने के लिए रल सबसे उत्तम साधन है। पुरानी दिल्ली रलवे स्टेशन से अल्मोडा के लिए रानीखेत एक्सप्रैस ट्रेन चलती है। यह आपको काठगोदाम रलवे स्टेशन तक पहुंचा देती है। काठगोदाम रलवे स्टेशन से अल्मोडा पहुंचने के लिए टैक्सी किराए पर ली जा सकती है।
बस सेवा – बस द्वारा भी आसानी से अल्मोडा पहुंचा जा सकता है। दिल्ली के आनन्द विहार बस अड्डे से प्रतिदिन कई बसे अल्मोडा के लिए जाती है। अल्मोडा के रास्ते में अनेक रेस्तरां आते हैं जहां रूककर खाने का आनंद लेने के साथ-साथ विश्राम भी किया जा सकता है।