भैरव तंत्र साधना और सिद्धि: Best Book Collection on Bhairav Upasana With PDFs & Reviews [Hindi]
Title | भैरव तन्त्र रहस्य और भीषण भैरव शाबर |
Publisher | Randhir Prakashan, Haridwar |
Author | Yogiraj Yashpal |
Language | Hindi |
Edition | 2023 |
Pages | 254 |
Cover | PAPERBACK |
Category | Tantra Mantra |
Download Status | Available |
आप सुधी पाठकों का प्रेम एवं स्वयं काल भैरव जी की कृपा इस पुस्तक की रचना का मूल कारण हैं। मैं तो निमित्त मात्र हूँ। अनेक वर्षों से महाकाल भैरव की आराधना करते हुये अनगिनत विलक्षण अनुभूतियाँ हुई हैं, जिन्हें लेखनीबद्ध करना मेरे लिये सम्भव नहीं है।
अनेक वर्षों तक भैरव तन्त्र सिद्धि की कालावधि में तन्त्र पीठों के भ्रमण के साथ-साथ सिद्धों से प्राप्त प्राच्य ग्रन्थों के अध्ययन का सुअवसर भी मुझे प्राप्त हुआ है। इन्हीं जीर्ण-शीर्ण प्राचीन भैरव तन्त्र शास्त्रों के अनेक प्रयोगों का मैं स्वयं परीक्षार्थी रहा हूँ। भैरव तन्त्र सिद्धि के बीस वर्षों के अनुसंधान का यह निचोड़ इस पुस्तक के स्वरूप में आपके सम्मुख प्रस्तुत है।
भैरव प्रत्येक कार्य सिद्धि मंत्र
मन्त्र- “भैरों उचके, भैरों कूदे। भैरों सोर मचावे। मेरा ना करे, तो कालिका को पूत न कहावै। शब्द सांचा, पिण्ड कांचा, फूरो मन्त्र ईश्वरी वाचा ।।”
विधि: यह मन्त्र होली, दीपावली, शिवरात्रि, नवरात्रि या ग्रहण के समय लाल मिट्टी से चौका देकर अरंडी (एरंड) की सूखी लकड़ी पर तेल का हवन करें। जब लौ प्रज्वलित हो तो उसी प्रज्वलित लौ को चमेली के फूलों की माला पहना कर सिन्दूर, मदिरा, मगौड़ी, इत्र, पान चढ़ाकर फिर गुग्गुल से हवन करें।
उपरोक्त क्रिया करने से पहले १००८ बार निम्नलिखित मन्त्र का पहले जप कर लें। मन्त्र सिद्ध हो जाएगा। प्रारम्भ में भैरव देव का पंचोपचार पूजन कर दें। प्रत्येक वर्ष नवरात्र या दीपावली में मन्त्र शक्ति बढ़ाने के लिए १०८ बार इस मन्त्र का जप कर लिया करें। जब कोई कार्य सिद्ध करना हो तो जहाँ ‘मेरा’ लिखा है, वहाँ कार्य का नाम कहें।
काल भैरव सवारी मंत्र
जय काली कंकाली महाकाली के पूत कालभैरव, हुक्म है-हाजिर रहे, मेरा कहा काज तुरन्त करे, काला-भैरव किल- किल करके चली आयी सवारी, इसी पल इसी घड़ी यही भगत में रूके, ना रूके तो दुहाई काली माई की, सवारी सर्व काम सिद्ध करे, दुहाई कामरू कामाक्षा की, गुरु गोरखनाथ बाबा की आण, छु वाचापुरी ॥”
काल भैरव कंगण
अब बात करते है ‘कालभैरव कंगण’ की, जो अष्टधातु से निर्मित है और इसका निर्माण वही कर सकता है, जो कालभैरव का भगत हो, जिसमें सवारी आती हो। इस कंगण की सिद्धि से सवारी जल्दी आती है।
यह कंगण, सवारी में आये हुए कालभैरव भगवान से आज्ञा लेकर बनवाया जाता है ताकि आपको पूर्ण सफलता मिले। अमावस्या/पूर्णिमा को सवारी में बहुत शक्ति होती है और उसी समय उसी दिन आज्ञा लेकर निर्मित किया हुआ कंगण उनके सामने रखकर सिद्धि और रक्षा हेतु प्रार्थना करें। इस कंगण की साधना हेतु आगे दिया हुआ प्रयोग अवश्य करें।
भैरव उपासना | Bhairav Upasana by K. K. Agarwal Book PDF [Hindi]
Title | भैरव उपासना |
Publisher | MANOJ PUBLICATIONS, DELHI |
Author | के. के. अग्रवाल (K. K. Agarwal) |
Language | Hindi |
Pages | 160 |
Category | Tantra Mantra |
Download Status | Avilable Soon |
भैरव सिद्धि | Bhairav siddhi By Pandit Y.N jha Toofhan Book PDF [Hindi]
Title | भैरव सिद्धि |
Publisher | अमित पॉकेट बुक्स |
Author | पंडित वाई. एन झा तूफान |
Language | Hindi |
Pages | 158 |
Category | Tantra Mantra |
Download Status | Avilable |
भगवान भैरव के उपासको की बहुत दिनों से यह मांग रही है कि कोई सी पुस्तक प्राप्त हो जो कि “भरत सिद्धि” के सभी अंशो को सरलता से समझाते हए – साधना पूर्ण करा सके। इन्हीं मांग को देखते हए ”भगवान भैरव की साधना” के तर्यो को कई वर्षो के गहन अध्ययन एवं साधना के पश्चात् इस ग्रन्थ का निर्माण कर रहा हूं जिससे साधक साधना क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सके।
भैरव तन्त्र साधना और सिद्धि | Bhairav Tantra Sadhana and Siddhi by Surendranath Book PDF [Hindi]
Title | भैरव तन्त्र साधना और सिद्धि |
Publisher | SRI SARASWATI PRAKASHAN, AJMER |
Author: | Surendranath |
Language | Hindi |
Pages | 304 |
Cover | PAPERBACK |
Category | Tantra Mantra |
Download Status | Available |
भगवान भैरव की साधना वशीकरण, उच्चाटन, सम्मोहन, स्तम्भन, आकर्षण और मारण जैसी तान्त्रिक क्रियाओं के दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिए की जाती है। भैरव साधना से सभी प्रकार की तान्त्रिक क्रियाओं के प्रभाव नष्ट हो जाते हैं।
जन्म कुण्डली में छठा भाव शत्रु का भाव होता है। इस भाव के अधिपति, भाव में स्थित ग्रह और उनकी दृष्टि से शत्रु सम्बन्धी कष्ट उत्पन्न होते हैं। षष्ठस्थ- षष्ठेश सम्बन्धियों को शत्रु बनाता है। यह शत्रुता कई कारणों से हो सकती है। मनुष्य प्रगति को प्रभावित करने के लिए तान्त्रिक क्रियाओं का सहारा लेकर शत्रु जातक प्रभावित करते हैं।
इन्हीं तान्त्रिक क्रियाओं के प्रभाव से व्यवसाय, नौकरी में भी आशानुरूप प्रगति नहीं होती। इस प्रकार के शत्रु बाधा निवारण हेतु भैरव साधना फलदायी मानी गई।
भैरव साधना के अद्भुत प्रयोग
मन्त्र – ॐ नमोहः रुद्रायः, कपिलायः भैरवायः, त्रिलोक- नाथाय, ॐ ह्रीं फट् स्वाहाः ।
यदि आप किसी को अपने वश में करना चाहते हैं तो रविवार को स्नान कर स्वच्छ होकर किसी एकांत जगह पर आसन लगाकर भैरव जी की प्रतिमा स्थापित करके और उसकी धूप दीप से विधिपूर्वक पूजा करें और 108 बार मन्त्रों का जाप कर लौंग पर फूंक मारे, इससे यह लौंग अभिमन्त्रित हो जाएँगे और इस अभिमन्त्रित लौंग को जो भी व्यक्ति खायेगा वह आपके वश में आ जाएगा। परन्तु याद रहे यह क्रिया आप किसी को हानि पहुँचाने की मनोभावना से न करें।
ॐ नमो रुद्राय, कपिलाय, भैरवाय, त्रिलोक-नाथाय, ॐ ह्रीं फट् स्वाह ।
लौंग वशीकरण भैरव मन्त्र
विधि – सर्व-प्रथम किसी रविवार को गुगल, धूप, दीपक सहित उपर्युक्त मन्त्र का पन्द्रह हजार जप कर इसे सिद्ध करें। फिर आवश्यकतानुसार इस मन्त्र का 108 बार जप कर एक लौंग को अभिमन्त्रित कर लें। लौंग को जिसे वशीभूत करना हो, उसे खिलादें।
Shri Bhairav Shabar Mantra Sangrah By Sri Yogeshwaranand Ji
Title | Shri Bhairav Shabar Mantra Sangrah |
Author: | Yogeshwarananda, Sumit Girdharwal |
Publisher: | Astha Prakashan, Delhi |
Language: | Sanskrit Text with Hindi Translation |
Edition: | 2020 |
Pages: | 80 |
Cover: | PAPERBACK |
Category | Tantra Mantra |
Availability status | Available Soon |
भैरव उपासना | Bhairav Upasana By Radha Krishna Shrimali
Title | Bhairav Upasana |
Author: | राधा कृष्ण श्रीमाली |
Publisher: | Diamond Publication |
Language: | Hindi |
Pages: | 142 |
Cover: | PAPERBACK |
Category | Tantra Mantra |
Availability status | Available Soon |
भैरवसिद्धि | Bhairav Siddhi by Pandit Ashok Kumar Gaud Book PDF
Title | Bhairav Siddhi |
Author | Pandit Ashok Kumar Gaud |
Publisher | Shree Thakur Prasad Pustak Bhandar |
Language | भैरव उपासना: Bhairav Upasana and Hindi |
Edition | 2012 |
Pages | 192 |
Category | Tantra Mantra |
Download Status | Available |
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