Bhairav Shabar: भैरव शाबर मंत्र और प्रयोग
Bhairav Shabar Mantra: भैरव हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण देवता हैं, जो भगवान शिव के रौद्र और उग्र स्वरूप माने जाते हैं।भैरव को संहार, सुरक्षा, न्याय और समय के स्वामी के रूप में पूजा जाता है। “भैरव” संस्कृत के शब्दों “भय” (डर) और “हर” (हरने वाला) से बना है, जिसका अर्थ है “डर को दूर करने वाला।” उन्हें काशी (वाराणसी) का अधिपति और क्षेत्रपाल (रक्षक) भी कहा जाता है।
भैरव की उत्पत्ति
भैरव की उत्पत्ति की कथा शिवपुराण और अन्य ग्रंथों में मिलती है। एक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी ने जब शिव जी का अपमान किया, तब शिव जी के क्रोध से भैरव का प्रकट होना हुआ। भैरव ने ब्रह्मा जी के अभिमान का नाश करने के लिए उनके पांचवें सिर को काट दिया। इस कारण भैरव को “कपाली” भी कहा जाता है। (और पढ़ें: भैरव को क्यों कहा जाता है काशी का कोतवाल?
भैरव के आठ स्वरूप (अष्ट भैरव)
भैरव के आठ प्रमुख स्वरूप हैं, जिन्हें अष्ट भैरव कहा जाता है:
- असितांग भैरव
- रुरु भैरव
- चण्ड भैरव
- क्रोध भैरव
- उन्मत्त भैरव
- कपाली भैरव
- भीषण भैरव
- संहार भैरव
भैरव की पूजा का महत्व
- रक्षा: भैरव की पूजा से भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
- समृद्धि: वे धन, वैभव और सुख-शांति के दाता माने जाते हैं।
- न्याय: उन्हें न्यायप्रिय देवता माना जाता है, जो भक्तों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।
- अध्यात्मिक उन्नति: भैरव साधना से आत्मिक शक्ति और आध्यात्मिक विकास होता है।
भैरव सिद्ध शाबर मंत्र
भैरव भगवान को शाबर मंत्रों के माध्यम से प्रसन्न करना उनकी कृपा प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी मार्ग है। अगर आप नियमित और श्रद्धा से उनकी आराधना करते हैं, तो भैरव भगवान अवश्य प्रसन्न होकर आपकी रक्षा और आशीर्वाद देंगे।
श्री भैरव-चेटक मन्त्र
“ॐ नमो भैरवाय स्वाहा ॥”
विधि: निम्न नवाक्षर मन्त्र का कुल 40 हजार जप कर गो-धूल से दशांश हवन करे । 18 दिनों तक इस तरह हवन करने से भैरव जी प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।
भैरव चौकी का शाबर मन्त्र
“चेत सूना ज्ञान, औधी खोपडी मरघटियां मसान, बाँध दे बाबा भैरों की आन ॥”
विधि: उक्त चौकी मन्त्र को पढ़कर अपने चारों ओर एक घेरा खींचे तो किसी भी प्रकार का डर नहीं रहता। स्व-रक्षा और दूसरों द्वारा किए गए अभिचार कर्म के लिए यह उपयोगी मन्त्र है ।
अरिष्ट-निवारक-भैरव मन्त्र
“ॐ क्ष्रौं क्ष्रौं स्वाहा ।”
उक्त मन्त्र का दस हजार जप करने से अरिष्टों की शान्ति होती है । शान्ति-करन सम्बन्धी यह उत्तम मन्त्र है।
भय-निवारक भैरव मन्त्र
“ॐ ह्रीं भैरव – भैरव भयकर-हर मां, रक्ष-रक्ष हुँ फट् स्वाहा ॥”
5 हजार जप से उक्त मन्त्र की सिद्धि होती है । बाद में जब किसी भी प्रकार का भय हो, तब उक्त मन्त्र का जप करे । इससे भय दूर होता है ।
सर्व-विघ्न-निवारक मन्त्र
“ॐ हूँ ख्रों जं रं लं बं क़ों ऐं ह्रीं महा-काल भैरव सर्व-विघ्न-नाशय नाशय ह्रीं फट स्वाहा ॥”
पहले श्री काल-भैरव जी के पास धूप-दीप-फल-फूल-नैवेद्य आदि यथा-शक्ति चढ़ाए । फिर मन्त्र का एक माला जप करे । ऐसा तब तक करे, जब तक ध्येय-सिद्धि न हो । मन्त्र को एक कागज के ऊपर लिख कर पूजा – स्थान में रख लेना चाहिए । जिससे मन्त्र-जप में भूल न हो ।
प्राचीन भैरव सिद्ध प्रत्यक्षीकरण मंत्र
प्रयोग 1
“ॐ रिं रिक्तिमा भैरो दर्शय हा । ॐ क्रं क्रं-काल प्रकटय प्रकटय स्वाहा । रिं रिक्तिमा भैरऊ रक्त जहां दर्शे । वर्षे रक्त घटा आदि शक्ति । सत मन्त्र-मन्त्र-तंत्र सिद्धि परायणा रह-रह । रूद्र, रह-रह, विष्णु रह-रह, ब्रह्म रह-रह । बेताल रह-रह, कंकाल रह-रह, रं रण-रण रिक्तिमा सब भक्षण हुँ, फुरो मन्त्र । महेश वाचा की आज्ञा फट कंकाल माई को आज्ञा । ॐ हुं चौहरिया वीर-पाह्ये, शत्रु ताह्ये भक्ष्य मैदि आतू चुरि फारि तो क्रोधाश भैरव फारि तोरि डारे । फुरो मन्त्र, कंकाल चण्डी का आज्ञा । रिं रिक्तिमा संहार कर्म कर्ता महा संहार पुत्र । ‘अमुंक’ गृहण-गृहण, मक्ष-भक्ष हूं । मोहिनी-मोहिनी बोलसि, माई मोहिनी । मेरे चउआन के डारनु माई । मोहुँ सगरों गाउ । राजा मोहु, प्रजा मोहु, मोहु मन्द गहिरा । मोहिनी चाहिनी चाहि, माथ नवइ । पाहि सिद्ध गुरु के वन्द पाइ जस दे कालि का माई ॥”
विधि: निम्न मन्त्र की सिद्धि के लिए किसी भैरव मन्दिर या शिव मन्दिर में मंगलवार या शनिवार के दिन 11 बजे रात्रि के बाद पूरब या उत्तर दिशा में मुंह करके काला आसन लगाकर पहले भैरव देव की पूजन करें ।
इसके बाद गुड़ से बनी खीर, शक्कर नैवेद्य अर्पण करें फिर रुद्राक्ष माला से 1008 बार निम्न मन्त्र का जप करके भैरव देव को दाहिने हाथ में जप-समर्पण करें। 21 वें दिन जप पूर्ण होते ही भैरव प्रत्यक्ष हो जाते हैं, तुरंत लाल कनेर के फूल की माला भैरव देव को यह साधना गुरु के सानिध्य में ही करना चाहिए।
प्रयोग 2
“ॐ काली कंकाली महाकाली के पुत्र, कंकाल भैरव ! हुकम हाजिर रहे, मेरा भेजा काल करे । मेरा भेजा रक्षा करे । आन बाँधू, बान बाँधू । चलते फिरते के औंसान बाँधू । दसों स्वर बाँधू । नौ नाड़ी बहत्तर कोठा बाँधू । फूल में भेजूँ, फूल में जाए । कोठे जीव पड़े, थर-थर काँपे । हल-हल हलै, गिर-गिर पड़ै । उठ-उठ भगे, बक-बक बकै । मेरा भेजा सवा घड़ी, सवा पहर, सवा दिन सवा माह, सवा बरस को बावला न करे तो माता काली की शैया पर पग धरै । वाचा चुके तो ऊमा सुखे । वाचा छोड़ कुवाच करे तो धोबी की नांद में, चमार के कूड़े में पड़े । मेरा भेजा बावला न करे, तो रूद्र के नेत्र से अग्नि की ज्वाला कढ़ै । सिर की लटा टूट भू में गिरै । माता पार्वती के चीर पर चोट पड़ै । बिना हुक्म नहीं मारता हो । काली के पुत्र, कंकाल भैरव ! फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा । सत्य नाम, आदेश गुरु को ॥”
विधि: निम्न मन्त्र नवरात्री, दीपावली या सूर्यग्रहण की रात्रि में सिद्ध करें। त्रिखुटा चौका देकर, दक्षिण की ओर मुंह करके, मन्त्र का जप 1008 बार करें । तब लाल कनेर के फूल, लड्डू, सिंदूर, लौंग, भैरव देव को चढ़ावें । जप से पहले भैरव देव की पंचोपचार पूजा करें । अखंड दीपक निरंतर जलता रहना चाहिए । जप के दशांश का हवन छार, लौंग छबीला, कपूर, केसर से करें । जब भैरव जी भयंकर रूप में दर्शन दें तो डरें नहीं । तत्काल फूल की माला उनके गले में डालकर बेसन का लड्डू उनके आगे रखकर वर मांग लेना चाहिए। श्री भैरव दर्शन न दें तो भी कार्य सिद्धि अवश्य होगी।दर्शन न मिले तो उनकी मूर्ति को माला पहनाकर लड्डू वहीं रख दें। अभीष्ट कार्य कुछ ही दिनों में हो जाएगा ।
मनोकामना पूर्ति सरल प्रयोग
“ॐ नमो भैरूनाथ, काली का पुत्र हाजिर होके, तुम मेरा कारज करो तुरत । कमर विराज मस्तंग लंगोट, घूघर माल । हाथ बिराज डमरू खप्पर त्रिशूल । मस्तक विराज तिलक सिंदूर । शीश विराज जटाजूट, गल विराज नादे जनेऊ । ॐ नमो भैरूनाथ काली का पुत्र ! हाजिर होके तुम मेरा कारज करो तुरत । नित उठ करो आदेश-आदेश ॥”
विधि: यह भैरव प्रयोग किसी अटके हुए कार्य में सफलता प्राप्ति हेतु है । प्रयोग रविवार से प्रारम्भ करके 21 दिन तक मृत्तिका की मणियों की माला से नित्य 28 बार जप करें । जप करने से पहले भैरव देव की पंचोपचार पूजा करें । जप के बाद गुड़ व तेल, उड़द का दही-बडा चढ़ाएं और पूजा से उठने के बाद उसे काले कुत्ते को खिला दें ।
भैरव सर्व कार्य सिद्धि शाबर मंत्र
“भैरों उचके, भैरों कूदे । भैरों सोर मचावे । मेरा कहना ना करे, तो कालिका को पूत न कहावै । शब्द सांचा, फूरो मन्त्र ईश्वरी वाचा ॥”
विधि: निम्न मन्त्र होली, दीपावली, शिवरात्री, नवरात्रा या ग्रहण के समय लाल मिट्टी से चौका देकर अरंडी (एरंड) की सूखी लकड़ी पर तेल का हवन करें । जब लौ प्रज्वलित हो तो उसी प्रज्वलित लौ को चमेली के फूलों की माला पहना के सिंदूर, मदिरा, मगौड़ी, इत्र, पान चढ़ाकर फिर गुग्गुल से हवन करें।
उपरोक्त क्रिया करने से पहले 1008 बार निम्न मन्त्र का पहले जप कर लें। मन्त्र सिद्ध हो जाएगा । प्रारम्भ में भैरव देव का पंचोपचार पूजन कर दें। प्रत्येक वर्ष नवरात्र या दीपावली में शक्ति बढ़ाने के लिए 108 बार मन्त्र का जप कर दिया करें । जब कोई कार्य सिद्ध करना हो तो जहां ‘मेरा’ कहना लिखा है, वहां कार्य का नाम कहें।
भैरव साधना में सावधानी
Bhairav Sadhna Rule: ऊपर दिए गए मंत्र प्राचीन और अत्यंत शक्तिशाली है, जिसे सही तरीके से जपने पर अद्भुत परिणाम मिलते हैं। हालांकि, इसे जपते समय कुछ सावधानियों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा या समस्या उत्पन्न न हो। यहाँ भैरव शाबर मंत्र जपने के दौरान आवश्यक सावधानियों की सूची दी गई है:
1. सही समय और स्थान का चयन करें: मंत्र जाप के लिए एक शांत और पवित्र स्थान चुनें। भैरव मंत्र का जाप आमतौर पर रात्रि में या अमावस्या/चतुर्दशी को अधिक प्रभावशाली माना जाता है।जिस स्थान पर जाप कर रहे हों, वहां शुद्धता का ध्यान रखें।
2. शुद्धि का ध्यान रखें: जाप से पहले स्वयं स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। ध्यान रखें कि आप पूरी तरह से मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध हों।
3. मंत्र का सही उच्चारण: भैरव मंत्र का उच्चारण सही तरीके से करना अनिवार्य है। गलत उच्चारण से विपरीत परिणाम मिल सकते हैं। यदि मंत्र का सही उच्चारण नहीं आता, तो गुरु से इसे सीखें।
4. गुरु दीक्षा: शाबर मंत्र अत्यंत शक्तिशाली होते हैं और बिना गुरु की दीक्षा या अनुमति के इन्हें जपना अनुचित हो सकता है। गुरु से मार्गदर्शन लेकर ही मंत्र जाप शुरू करें।
5. नियमितता और समर्पण: मंत्र जाप नियमित रूप से और पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करें। अधूरे या असंयमित जाप से कोई लाभ नहीं होगा।
6. संकल्प और आस्था: मंत्र जाप से पहले संकल्प लें कि आप इसे पूर्ण विधि-विधान से करेंगे। मन में किसी भी प्रकार की शंका न रखें।
7. नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: मंत्र जाप करते समय किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार या वातावरण से बचें।
8. भोग या प्रसाद चढ़ाना: भैरव जी को प्रसन्न करने के लिए काले तिल, नारियल, मदिरा, या उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करें।प्रसाद के बिना जाप अधूरा माना जाता है।
9. मंत्र जाप के दौरान संयम: जाप के दौरान मांसाहार, मद्यपान, और अनुचित व्यवहार से बचें। मन और शरीर को संयमित रखें।
10. जाप के बाद अनुष्ठान: जाप समाप्त होने पर भैरव जी से क्षमा प्रार्थना करें। अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्हें धन्यवाद दें।
चेतावनी: भैरव शाबर मंत्र का प्रयोग केवल सकारात्मक उद्देश्यों के लिए करें। इसे कभी भी किसी को हानि पहुँचाने के लिए उपयोग न करें, अन्यथा इसका विपरीत प्रभाव हो सकता है। यदि आप इन सावधानियों का पालन करेंगे, तो मंत्र का पूरा लाभ मिलेगा।