Rajasthan Tourism: राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थल
राजस्थान पर्यटन (Rajasthan Tourism) के दृष्टिकोण से भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है। राजस्थान राज्य के हर ज़िले में कई दर्शनीय स्थल देखने को मिलते है।
राजस्थान देशीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों, दोनों के लिए एक उचित पर्यटन स्थल है। राजस्थान में पर्यटकों के आकर्षण के लिए सांस्कृतिक धाराओं की विविधता, प्राचीन मंदिर, बेजोड स्थापत्य, हस्तकला, पारंपरिक कलाएं, किले-महल और रेगिस्तान उन कुछ विलक्षण अनुभवों में से एक हैं जो राजस्थान के बाद प्राप्त होते है।
राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best places to visit Rajasthan in Hindi)
भारत की सैर करने वाला हर तीसरा विदेशी सैलानी राजस्थान देखने ज़रूर आता है क्योंकि यह भारत आने वाले पर्यटकों के लिए “गोल्डन ट्रायंगल” का हिस्सा है। राजस्थान के पर्यटन स्थलों को 10 सर्किटों में विभाजित किया गया हैं। जानिये इन दस पर्यटन परिपथों के बारे में।
- जयपुर, आमेर
- अलवर, सिलीसेढ़, सरिस्का परिपथ
- भरतपुर डींग धौलपुर परिपथ
- जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर नागौर परिपथ
- चुरू झुंझुनू, सीकर परिपथ
- माउंट आबू, सिरोही पाली, जालौर परिपथ
- उदयपुर, चित्तौड़गढ़, नाथद्वारा, कुम्भलगढ़, जयसमन्द, डूंगरपुर परिपथ
- अजमेर, पुष्कर, मेड़ता, नागौर परिपथ
- कोटा, बूंदी, झालावाड़ परिपथ
- रणथम्भौर, टोंक परिपथ
राजस्थान के प्रसिद्ध किले (Famous Forts of Rajasthan in Hindi)
अनूपगढ़ किला, श्रीगंगानगर: पाकिस्तान की सीमा के निकट अनूपगढ शहर में स्थित अनूपगढ़ किला वर्तमाान में खंडहर है। यद्यपि अपने सुनहरे दिनों में किला एक भव्य रूप में था जो कि भाटी राजपूतों को खाडी में रहने में मदद करता था।
बदनोर किला भीलवाड़ा: भीलवाड़ा में मध्ययुगीन भारतीय वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण बदनोर फोर्ट स्थित है। सात मंजिला, चौड़ा यह किला एक छोटी सी पहाड़ी पर बना हुआ है।
बाला किला, अलवर: 10वीं सदी में एक पहाड़ी पर मिट्टी के क़िले की नींव रखी गई थी। बाद में इसकी मजबूत क़िलेबन्दी, सुन्दर संगमरमर के स्तम्भ और नाजुक जालीदार छज्जों से सुशोभित कर, इसे दर्शनीय बनाया गया।
बाड़मेर किला और गढ़ मंदिर, बाड़मेर: रावत भीमा यहाँ के शासक थे। सन् 1552 ई. में नगर के वर्तमान शहर बाड़मेर में उन्होंने एक क़िला बनवाया, जहाँ पुराने शहर को वर्तमान बाड़मेर (जूना गाँव) बाड़मेर ज़िले में स्थानान्तरित कर दिया।
भटनेर किला, हनुमानगढ़: भटनेर, भट्टी नगर का अपभ्रंश है, तथा उत्तरी सीमा प्रहरी के रूप में विख्यात है। भारत के सबसे पुराने किलों में से एक माना जाने वाला भटनेर किला या हनुमानगढ़ किला घग्घर नदी के तट पर स्थित है।
चित्तौड़गढ़ किला, चित्तौड़गढ़: सिसोदिया राजपूतों का गढ़, गम्भीरी और बेराच नदी के तट पर स्थित है। इसका असली नाम था।
देव गिरी किला और उत्गीर, करौली: चम्बल नदी की सुन्दर घाटियों के बीच, करौली से लगभग 70 कि. मी. की दूरी पर, देवगिरी का क़िला अपना सर उठाए खड़ा है।
गागरोन का किला, झालावाड़: इतिहास बताता है कि इस किले में हजारों महिलाओं ने दुश्मनों से अपनी लाज बचाने के लिए जौहर कर लिया था।
गढ़ महलकोटा: कोटा में सबसे बड़ा पर्यटक आकर्षण ‘गढ़’ है, यह विशाल परिसर, जिसे सिटी पैलेस के रूप में भी जाना जाता है, प्रमुखतः राजपूत स्थापत्य शैली में बनाया गया है।
गुगोर किलाबारां: बारां से 65 कि.मी. की दूरी पर, छबड़ा के पास स्थित भव्य ’गुगोर का क़िला’ भी पर्यटकों के देखने लायक अच्छा स्थल है।
पहाड़ी किला केसरोली, अलवर: यदुवंशी राजपूतों द्वारा 14 वीं सदी में बनवाया गया यह क़िला, अपने बुर्ज, प्राचीर और बरामदों के लिए प्रसिद्ध है।
जयगढ़ फोर्टजयपुर: सन् 1726 में, महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा यह किला आमेर की सुरक्षा के लिए बनवाया गया था।
जैसलमेर का किला, जैसलमेर: यह क़िला एक वर्ल्ड हैरिटेज साइट है। थार मरूस्थल के ’त्रिकुटा पर्वत’ पर खड़ा यह क़िला बहुत सी ऐतिहासिक लड़ाईयाँ देख चुका है।
जालौर किलाजालौर: यहाँ के किले और महलों में ज़्यादा सजावट देखने को नहीं मिलती। यहाँ के सबसे प्रतापी शासक ’कानददेव सोनगरा’ हुए हैं। जिन्होंने दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के कई बार दांत खट्टे किए।
झालावाड़ का किला, झालावाड़: हाड़ौती कला से परिपूर्ण यह गढ़ पैलेस, किलेनुमा महल है। शहर के बीचों बीच बना यह गढ़ पैलेस, चार मंज़िला बना है तथा झालावाड़ के अतीत की यादों को संजोए हुए है।
जूना किला और मंदिर, बाड़मेर:यह क़िला तथा मन्दिर, पुरानी विरासत के खण्डहरों में बदल चुका है। जूना पुराना बाड़मेर का शहर था जो कि राजा रावत भीमा ने बसाया था। 12वीं सदी में यहाँ मन्दिर की स्थापना की गई थी, जो कि पहाड़ियों से घिरा है।
जूनागढ़ किला, बीकानेर: इस क़िले को कभी कोई शत्रु नहीं जीत पाया। सन् 1588 ई. में सम्राट अकबर के सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित जनरल, राजा रायसिंह द्वारा बनाया गया यह क़िला पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है।
खंडार किला, सवाई माधोपुर: कहते हैं इस क़िले के राजाओं ने कभी हार नहीं देखी। सवाई माधोपुर से 45 कि.मी. दूरी पर ’खंडार किला’ पर्यटकों के लिए एक भव्य स्थल है।
खेजरला किला, जोधपुर: मुख्य शहर से 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, 400 वर्ष पुराना खेजरला किला ग्रामीण अंचल में स्थित है।
खीमसर किला, नागौर: ऐसा माना जाता है कि नागौर किले को दूसरी शताब्दी में नाग वंश के शासक ने बनवाया था। यह 500 वर्षीय क़िला थार रेगिस्तान के पूर्वी किनारे पर स्थित है।
कुम्भलगढ़ किला: मरु क्षेत्र में चित्तौड़गढ़ के बाद कुंभलगढ़ दूसरा सबसे महत्वपूर्ण किला है।. उदयपुर से ८४ किलोमीटर दूर अरावली पर्वत में घिरे इस किले का निर्माण १५ वीं सदी में राणा कुंभा द्वारा किया गया था।
लक्ष्मणगढ़ किला, शेखावाटी: लक्ष्मणगढ़ नगर में यह किला गौरवशाली स्थापत्य का नमूना है। पूरे विश्व में यह स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है जो कि यहाँ बिखरी चट्टानों के टुकड़ों को संजो कर बनाया गया था।
लोहागढ़ किला, भरतपुर: वैलस्ले ने इस पर कब्जा कर लिया था। इसके मजबूत गेट अष्ट धातु व लकड़ी के बने हैं तथा दुश्मनों से बचने के लिए, इसके चारों और गहरी खाई है जिसमें पानी भर दिया जाता था। क़िले के अन्दर सुन्दर स्मारकों में कोठी ख़ास, महल ख़ास, मोती महल और किशोरी महल हैं। राजा सूरजमल ने मुगलों और अंग्रेजों पर विजय प्राप्ति पश्चात् जवाहर बुर्ज और फतेह बुर्ज बनवाया था।
मेहरानगढ़ किला, जोधपुर: आज इस किले की तारीफ पूरी दुनियां में की जाती है। इसका संरक्षण, समृद्धि, मजबूती और रख रखाव अतुलनीय है।
नागौर किलानागौर: नागौर का क़िला, राजपूत और मुग़ल स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है। सन् 2007 में सरकार द्वारा इस क़िले के रख-रखाव तथा मरम्मत का कार्य बख़ूबी किया गया था।
नाहरगढ़ का किला, जयपुर: अंधेरी रात में, तारों की छाँव में, नाहरगढ़ किले से जयपुर शहर का विहंगम, अभूतपूर्व, अद्भुत और मदमस्त नजारा, सारी दुनियां में और कहीं नहीं मिलेगा।
नाहरगढ़ किला, बारां: लाल पत्थर से निर्मित यह प्रभावशाली क़िला, बारां से लगभग 73 कि.मी. दूरी पर स्थित है।
नीमराणा फोर्ट, अलवर: यह ऐतिहासिक क़िला, यदुवंशियों द्वारा बनवाया गया था जो कि भगवान कृष्ण के वंशज माने जाते हैं।
रणथंभौर किला, सवाई माधोपुर: यह क़िला, रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के अन्दर है। क़िले के तीन तरफ पहाड़ों की प्राकृतिक खाई बनी हुई है, जो इसे मजबूत और अजेय बनाती है।
रतनगढ़ किला, शेखावाटी: आगरा – बीकानेर राजमार्ग पर बना रतनगढ़ किला, सूरत सिंह द्वारा बनवाया गया था तथा उनके पुत्र रतन सिंह के नाम पर इसका नाम रखा गया था।
शेरगढ़ किला, बारां: बारां से लगभग 65 किमी की दूरी पर परवन नदी के किनारे पर स्थित शेरगढ़ किला सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह स्मारक शासकों हेतु सामरिक महत्व रखता था।
शेरगढ़ किला, धौलपुर: जोधपुर के महाराजा मालदेव ने शेरगढ़ क़िला, मेवाड़ के शासकों से रक्षा हेतु बनवाया था। 1540 ई. में दिल्ली के शेरशाह सूरी ने इसका पुननिर्माण करवाया तथा अपने नाम पर इसका नाम शेरगढ़ रखा।
तारागढ़ किला, बूंदी: राजपूत शैली में, 1345 ई. में निर्मित यह क़िला बून्दी की सबसे प्रभावशाली संरचना है। यह क़िला और महल ऊँची पहाड़ी पर बने हैं तथा दुर्भाग्यवश जंगली झाड़ियों के बीच निढ़ाल अवस्था में है।
तिमनगढ़ किला, करौली: करौली से 40 कि. मी. की दूरी पर तिमनगढ़ राजा तिमनपाल का क़िला स्थित है। 11वीं सदी में निर्मित इस क़िले पर कई हमले हुए, जिससे इसकी सर्वाधिक संरचना नष्ट हो गई थी।
तारागढ़ क़िले का प्रवेशद्वार, अजमेर: तारागढ़ क़िले का यह भव्य शानदार मुख्य प्रवेश द्वार है जो कि एक पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है। तारागढ़ के मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों तरफ मजबूत विशाल रक्षक चौकियों के रूप में दो शक्तिशाली पहरेदारों के कमरे हैं, जो कि दो विशालकाय पत्थर के हाथियों से सजे हुए हैं। किसी जमाने में बेहद शानदार रहे इस भव्य क़िले की मुख्य विशेषता है इसमें बनाए गए पानी के कृत्रिम जलाशय तथा ’भीम बुर्ज’, जिन पर ‘‘गर्भ गुन्जम’’ नामक तोप निगरानी करती थी।
किशनगढ़ का क़िला, अजमेर: शस्त्रागार और कई प्रमुख भव्य इमारतें भी देखेंगे। इसका सबसे बड़ा भवन दरबार हॉल है तथा यही वह स्थान है जहाँ राजा अपनी प्रतिदिन की शासकीय सभा बुलाया करते थे। और जब हम क़िले के अन्दर स्थित सर्वाधिक आकर्षक महल की बात करते हैं, तो वह है ‘‘फूल महल’’ जो कि राठौड़ वंश के शासकों के वैभव को प्रदर्शित करता है तथा इसकी दीवारों को राजसी शैली में भव्य और सुन्दर भित्ति चित्रों तथा बेहतरीन कलाकारी से सजाया गया है।
राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय (Museum of Rajasthan in Hindi)
आहड़ संग्रहालय: आहड़ संग्रहालय (Ahar Museum) में मिट्टी के बर्तनों का एक छोटा, लेकिन दुर्लभ संग्रह हैं। जिनमें से कुछ 1700 ईसा पूर्व के हैं। पुरातात्विक खोजों से प्राप्त प्रतिमाएं भी यहाँ देखी जा सकती हैं। यहां का विशेष आकर्षण बुद्ध की 10वीं शताब्दी की धातु प्रतिमा है।
अजमेर सरकारी संग्रहालय, अजमेर: अजमेर सरकारी संग्रहालय अजमेर में प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। 1570 में बना यह पौराणिक संग्रहालय मुगल सम्राट अकबर के शानदार गढ़वाले महल के भीतर स्थित है।
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय (सेंट्रल म्यूजियम) जयपुर: सन् 1876 ई. में प्रिंस ऑफ वेल्स ने इसकी आधारशिला रखी थी। इसका नाम लंदन के अल्बर्ट संग्रहालय के नाम पर रखा गया था।
हैंड प्रिंटिंग का संग्रहालय “अनोखी”जयपुर: आमेर की ओर जाती सीढ़ी वाली सड़क से केवल दस मिनट की पैदल दूरी पर ही हैंड प्रिंटिंग के लिए विख्यात अनोखी संग्रहालय है।
बागौर की हवेली, उदयपुर: इसका निर्माण 1751-1781 ईस्वी के बीच मेवाड़ शासक के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमर चंद्र बड़वा की देखरेख में किया गया था।
भरतपुर महल और संग्रहालय, भरतपुर: महल परिसर के ’कमरा ख़ास’ में एक संग्रहालय है जहाँ भरतपुर की कला, संस्कृति, मूर्तियाँ व सैकड़ों शिल्प व प्राचीन शस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं।
गंगा संग्रहालय (राजकीय) बीकानेर: पूरे राजस्थान में सर्वाधिक सुरक्षित व लाजवाब संग्रहालय के रूप में वर्णित है।
सरकारी पुरातत्व संग्रहालय, डूंगरपुर: डूंगरपुर के आमझरा गाँव में, जो कि शहर से 32 कि.मी. दूर है। इस संग्रहालय में।पुरातात्पिक महत्व की सम्पदा को संजोकर रखा गया है।
हवा महल, जयपुर: बाहर की तरफ से भगवान कृष्ण के मुकुट जैसा दिखाई देने वाला यह महल अनूठा है। सन् 1799 ई. में महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा बनवाया गया यह महल पाँच मंज़िला है।
जयपुर वैक्स म्यूजियम, जयपुर: नाहरगढ़ किले के दायरे में अरावली की तलहटी में, जयपुर वैक्स संग्रहालय है, जिसकी यात्रा आपको विस्मय से भर देगी। यह संग्रहालय एंटरटेनमेंट 7 वेन्चर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है।
जैसलमेर सरकारी संग्रहालय जैसलमेर: पुरातत्व और संग्रहालय विभाग द्वारा स्थापित यह संग्रहालय जैसलमेर आने वाले पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है। सबसे मुख्य यहाँ प्रदर्शित राजस्थान के राज्य पक्षी ’गोडावण’ की ट्रॉफी है।
झालावाड़ सरकारी म्यूजियम, झालावाड़: झालाओं की समृद्ध रियासत के सबूत इस संग्रहालय में मिलते हैं। 1915 ईस्वी में स्थापित झालावाड़ सरकारी संग्रहालय राजस्थान के सबसे प्राचीन संग्रहालयों में से एक है जहाँ दुर्लभ चित्रों, पांडुलिपियों और प्राचीन मूर्तिशिल्पों का नायाब संग्रह है।
जोधपुर सरकारी संग्रहालय, जोधपुर: उम्मेद बाग के मध्य में बने जोधपुर राजकीय संग्रहालय में शस्त्रागार, शाही वस्त्र आभूषण, स्थानीय कला और शिल्प, लघु चित्रकारी, शासकों के चित्र, पांडुलिपियां और जैन तीर्थंकरों की छवियों सहित प्राचीन अवशेषों का एक समृद्ध संग्रह है।
महाराव माधो सिंह संग्रहालय, कोटा: महाराव माधो सिंह संग्रहालय गढ़ महल की दीवारों के भीतर स्थित है, महाराव माधो सिंह संग्रहालय कोटा विद्यालय के राजपूत लघु चित्रों का एक शानदार संग्रह है।
प्राचीन संग्रहालय, बीकानेर: जूनागढ़ के भव्य क़िले के इस संग्रहालय में शाही परिधान व शाही साज़-ओ-सामान, जिसमें कारीगरी की पारंपरिक शैली प्रदर्षित की गई हैं।
शिल्पग्राम, उदयपुर: 70 एकड़ में फैला ग्रामीण कला और शिल्प परिसर एक जीवित संग्रहालय माना जाता है।
पैलेस म्यूजियम, अलवर: शाही शान –शौकत में अभिरुचि रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पैलेस संग्रहालय अवश्य आना चाहिए।
जैसलमेर वॉर म्यूज़ियम, जैसलमेर: यदि आपने आज खाना खाया तो आप किसान को धन्यवाद दीजिए और यदि शांति से खाना खाया तो सैनिक को धन्यवाद दीजिए।
लोंगे वाला वॉर मेमोरियल, जैसलमेर: पश्चिमी क्षेत्र में सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, लोंगेवाला का युद्ध सबसे बड़ा साहसिक कार्य था तथा यह अजेय-बाधाओं को पार करते हुए, हिम्मत और बहादुरी से की गई जंग की प्रेरणादायी कहानी है।
विन्टेज कार कलैक्शन, उदयपुर: गार्डन होटल के प्रांगण में विन्टेज (विशिष्ट पुराने वाहन) तथा क्लासिक (उत्तम श्रेणी के वाहन) की कारों का विविध संग्रह उपलब्ध है।
क्रिस्टल गैलेरी, उदयपुर: ऑसलर ( काँच के झूमर बनाने वाली यू. के. की प्रसिद्ध कम्पनी ) के कट ग्लास की उत्तम दर्जे की कम्पनी का बेहतरीन संग्रह उदयपुर की क्रिस्टल गैलेरी में मौजूद, सब से बड़े और महंगे संग्रह में से एक है। सजावटी कला की दुनियां में, इन वस्तुओं में अन्तर और क्वालिटी का वैभव देखने पर, आप कह सकते हैं कि यह एक मात्र अनुपम संग्रह है।
स्कल्पचर पार्क – नाहरगढ़जयपुर: अरावली की पहाड़ियों के किनारे पर, ऊँचाई पर बसा नाहरगढ का क़िला, जयपुर शहर को ऊँचाई से देखता हुआ, हमेशा से ही एक प्रसिद्ध पर्यटक गन्तव्य रहा है। इस रंगीन ऐतिहासिक क़िले में अब एक और दिलचस्पी का अध्याय जुड़ गया है, जिसे राजस्थान सरकार की पहल पर एक स्कल्पचर पार्क इस क़ि़ले में बनाया गया है।
जसवंत थड़ा, जोधपुर: 19वीं शताब्दी के अंत में निर्मित श्वेत संगमरमर का आकर्षक स्मारक, नायक जसवंत सिंह को समर्पित है। जोधपुर पर शासन करने वाले जसवंत सिंह ने अपने राज में अनेक निर्माण और विकास किए।
मेहरानगढ़ फोर्ट और म्यूज़ियम, जोधपुर: फुट की ऊँचाई पर है और देखने पर ऐसा लगता है कि पठारी और पहाड़ी दोनों भाग सम्मिलित होकर परिदृश्य प्रस्तुत करते हैं। राजस्थान के भव्य क़िलों में से एक ,इस क़िले में बेहतरीन महल दृष्टिगत होते हैं तथा इसमें भारत के शाही दरबार के जीवन से जुड़ी महत्त्वपूर्ण और बेशक़ीमती वस्तुएं, अवशेष आदि संग्रहण करके एक म्यूज़ियम (संग्रहालय) में सुरक्षित व संरक्षित रखे गए हैं।
चोखेलाव बाग़ और इन्टरप्रिटेशन सैन्टर, जोधपुर: आइए, देखिए मेहरानगढ़ फोर्ट के साथ ही आगे की ओर बना हुआ ’चोखेलाव बाग’। यह दो सौ साल पुराना बाग़, जिस की विभिन्न बनावट, मनभावन गूंज और सुगन्धित फूलों से भरपूर है तथा अठाहरवीं शताब्दी के पुराने मारवाड़ के बाग़ बगीचों जैसे इस बाग़ को मेहरानगढ़ म्यूज़ियम ट्रस्ट द्वारा एक बोटैनिकल म्यूज़ियम के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है।
नागौर फोर्ट (क़िला) और म्यूज़ियम (संग्रहालय): नागौर शहर में स्थित अहिछत्रगढ़, जिसे ’फोर्ट ऑफ हुडेड कोबरा’ अर्थात ‘नागराज का फण’ कहा गया है, लगभग छत्तीस एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है तथा सन् 1980 तक यह क़िला उपेक्षा का शिकार था। सन् 1985 में इस क़िले को मेहरानगढ़ म्यूज़ियम ट्रस्ट के संरक्षण में दे दिया गया।
आम्रपाली संग्रहालय, जयपुर: आम्रपाली ज्वेल्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापकों द्वारा आम्रपाली संग्रहालय एक पहल है। यह संग्रहालय जयपुर शहर में स्थित भारतीय आभूषण और कलात्मक वस्तुओं को समर्पित है।
राजस्थान के प्रमुख धार्मिक स्थल (Famous Religious places of Rajasthan)
राजस्थान में मध्यकाल के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इन मंदिरों में मेहंदीपुर बालाजी, ब्रह्मा मंदिर पुष्कर, सालासर बालाजी, एकलिंगजी मंदिर, श्रीनाथजी मंदिर, त्रिनेत्र गणेश मंदिर आदि प्रमुख हैं। मंदिरों के साथ-साथ कुछ महत्वपूर्ण सूफी दरगाह भी हैं, उनमें से सबसे प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह (मकबरा) है।
हिंदुओ के प्रमुख धार्मिक स्थल (Rajasthan Hindu Temple List in Hindi)
- मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, करौली
- अभेद्या महल और करणी माता मंदिर, कोटा
- अक्षरधाम मंदिर, जयपुर
- अमरेश्वर महादेव, सवाई माधोपुर
- अन्देश्वेर पार्श्वनाथ जी, बांसवाड़ा
- आत्मातेष्वर मंदिर, पुष्कर
- बागौर साहिब, भीलवाड़ा
- बंधे के बालाजी मंदिर, शेखावाटी
- बांदीकुई, दौसा
- बेणेष्वर मंदिर, डूंगरपुर
- भर्तृहरि मंदिर, अलवर
- भुवनेष्वर, डूंगरपुर
- बिड़ला मंदिर, जयपुर
- बीसलदेव मंदिर, टोंक
- ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर
- चामुण्डा माता, भीलवाड़ा
- चामुंडा माता टेम्पल, जोधपुर
- चान्दखेड़ी आदिनाथ जैन मंदिर, खानपुर झालावाड़
- चंद्रभागा मन्दिर, झालावाड़
- छीछ ब्रह्मा मंदिर, बांसवाड़ा
- देव सोमनाथ, डूंगरपुर
- देशनोक करणी माता मंदिर, बीकानेर
- देवी कुण्ड, बीकानेर
- देवका सूर्य मन्दिर, बाड़मेर
- धनोप माताजी, भीलवाड़ा
- डिग्गी कल्याणजी मंदिर, टोंक
- द्वारकाधीष मंदिर, झालावाड़
- गलियाकोट, डूंगरपुर
- गलता जी, जयपुर
- गणेश मंदिर, भीलवाड़ा
- गंगा मंदिर, भरतपुर
- गरडिया महादेव मंदिर, कोटा
- गोदावरी धाम, कोटा
- कंसुआ शिव मंदिर, कोटा
- करणेश्वर मंदिर, कोटा
- खड़े गणेश जी मंदिर, कोटा
- चरण चौकी, कोटा
- दाढ़ देवी मंदिर, कोटा
- गेपरनाथ मंदिर, कोटा
- घुष्मेष्वर मंदिरस, वाई माधोपुर
- गोधा मण्डप, डूंगरपुर
- गोविन्ददेव जी मंदिर, जयपुर
- गुफा मंदिर, करौली
- गुरूद्वारा सिंह सभा पुष्कर
- हरनी महादेव भीलवाड़ा
- हर्षद माता मंदिर, दौसा
- जटाऊँ का मंदिर, भीलवाड़ा
- झाझी रामपुरा दौसा
- कैला देवी मन्दिर, करौली
- कैला देवी, सवाई माधोपुर
- काकुनी मंदिर समूह, बारां
- कालिका माता मंदिर, चित्तौड़गढ़
- खेतड़ी महल, शेखावाटी
- किराड़ू मन्दिर, बाड़मेर
- कोडमदेसर मंदिर, बीकानेर
- कोलायत, बीकानेर
- क्षेत्रपाल मंदिर, डूंगरपुर
- कुंभ श्याम मंदिर, चित्तौड़गढ़
- खेरा के बालाजी, भीलवाड़ा
- लक्ष्मण मंदिर, भरतपुर
- लक्ष्मीनारायण मंदिर, शेखावाटी
- मदन मोहन जी मंदिर, करौली
- मदारेश्वर, बांसवाड़ा
- महामंदिर, जोधपुर
- मण्डलेश्वर महादेव, जोधपुर
- मानगढ़ धाम, बांसवाड़ा
- मनसा देवी मंदिर, शेखावाटी
- मथुराधीश मंदिर, कोटा
- मीराबाई मंदिर, चित्तौड़गढ़
- नागफनी जीडूंगरपुर
- नल्देश्वर देवालय, अलवर
- नारायणी माता, अलवर
- नरेली जैन मंदिर, अजमेर
- नीलकंठ, अलवर
- निंबोका नाथ मंदिर, पाली
- श्रीपंचदेव मन्दिर, शेखावाटी
- पांडुपोल, अलवर
- पाप मोचिनी मंदिर, पुष्कर
- पाराहेड़ा, बांसवाड़ा
- परशुराम महादेव मंदिर, पाली
- रघुनाथ जी मंदिर, चुरु
- रामकुण्ड, बांसवाड़ा
- रामदेवरा मंदिर, जैसलमेर
- रामगढ़ भांडदेवड़ा मंदिर, बारां
- रणकपुर जैन मंदिर, पाली
- रँग जी मंदिर, पुष्कर
- रानी भटियानी मंदिर, बाड़मेर
- रानी सती मंदिर, शेखावाटी
- समाई माता भण्डारिया, बांसवाड़ा
- सावित्री मंदिर, पुष्कर
- शिवबाड़ी मंदिर, बीकानेर
- शिव मंदिर और चौंसठ योगिनी मंदिर धौलपुर
- श्री बीड़ के बालाजी, भीलवाड़ा
- श्री चारभुजानाथ मंदिर, भीलवाड़ा
- श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर, बीकानेर
- श्री महावीरजी मंदिर, करौली
- श्री महावीरजी मंदिर, सवाईमाधोपुर
- श्री नाकोड़ा जैन मंदिर, बाड़मेर
- तिजारा जैन मंदिर, अलवर
- श्रीनाथजी मंदिर डूंगरपुर
- श्री मंदिर, जालौर
- सीताबाड़ी, बारां
- देव सोमनाथ मंदिर, डुंगरपुर
- सोनीजी की नसियां, अजमेर
- सोर्सन माताजी मंदिर, बारां
- श्री पंचकुण्ड शिव मंदिर, पुष्कर
- सूर्य मंदिर, झालावाड़
- सुंधा माता मंदिर, जालौर
- सुरपुर मंदिर, डूंगरपुर
- तालवृक्ष, अलवर
- तलवाड़ा मंदिर, बांसवाड़ा
- तनोट माता मंदिर, जैसलमेर
- माता भद्रकाली का मंदिर, हनुमानगढ़
- श्री गोगा जी मंदिर, हनुमानगढ़
- तिलस्वां महादेव मंदिर, भीलवाड़ा
- त्रिपुरा सुंदरी, डूंगरपुर
- तुलजा भवानी मंदिर, चित्तौड़गढ़
- उन्हेल जैन मंदिर, झालावाड़
- वराह मंदिर, पुष्कर
- विजय राज राजेश्वर मंदिर, डूंगरपुर
- विष्णु मंदिर, बाड़मेर
- विठ्ठल देव मंदिर, बांसवाडा
- लाल मंदिर, माउण्ट आबू
- नागदा, उदयपुर
जैन और सिक्ख धर्म के धार्मिक स्थल (Jain or Sikh Temple in Rajasthan)
- दिगंबर जैन मंदिर, शेखावाटी
- दिगंबर जैन मंदिर, जयपुर
- जगदीश मंदिर, उदयपुर
- जैन मंदिर, पाली
- जैन मंदिर भांडासर, बीकानेर
- जैन मन्दिर, चित्तौड़गढ़
- जैसलमेर के जैन मंदिर, जैसलमेर
- चिंतामणि पार्ष्वनाथ जैन मंदिर, बाड़मेर
- आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, लाडनूं
- बुड्ढा जोहड़ गुरूद्वारा, श्रीगंगानगर
मुस्लिम धर्म, मस्जिद, दरगाह, साई बाबा (Mosques and Dargahs of Rajasthan)
- अजमेर शरीफ दरगाह, अजमेर
- अब्दुल्ला पीर, बांसवाड़ा
- शाहबाद की शाही जामा मस्जिद, बारां
- शेर शिकार गुरूद्वारा, धौलपुर
- जामा मस्जिद, सवाई माधोपुर
- हजरत कमरूद्दीन शाह की दरगाह शेखावाटी
- मलिक शाह की मस्जिद, जालौर
- साईं बाबा मंदिर, अजमेर
राजस्थान के मेले और उत्सव (Rajasthan Fairs and Festivals list in Hindi)
राजस्थान पर्यटन विभाग वर्ष के दौरान कई मेलों और त्योहारों का आयोजन करता है। ये त्यौहार और मेले महान पर्यटक आकर्षण हैं। राजस्थान में आयोजित मेलों में शामिल हैं:
- Camel Festival, Bikaner (January)
- Nagaur Fair, Nagaur (Jan-Feb.)
- Kite Festival (held on 14th Jan of every year)
- Desert Festival, Jaisalmer (Jan-Feb.)
- Baneshwar Fair, Baneshwar (Jan-Feb.)
- Gangaur Festival, Jaipur (March–April)
- Mewar Festival, Udaipur (March–April)
- Elephant Festival, Jaipur (March–April)
- Urs Ajmer Sharif, Ajmer (According to Lunar Calendar)
- Summer Festival, Mt. Abu (June)
- Teej Festival, Jaipur
- Kajli Teej, Bundi (July–August)
- Dussehra Festival, Kota (October)
- Marwar Festival, Jodhpur (October)
- Pushkar Fair, Ajmer (November)
Search Key: Rajasthan Tourists Guide in Hindi, Best Places to Visit Rajasthan in a week, Unique places to visit in Rajasthan, Rajasthan travel guidelines, Rajasthan tour Package, Tourist places in Jaipur, Places to visit in Rajasthan in 3 days, Best places to visit in Rajasthan with friends.