स्कन्द पुराण
स्कन्द पुराण (Skanda Purana) हिंदुओ के पवित्र 18 पुराणों में से एक हैं। पुराणों की सूची में इसका स्थान तेहरवा है। 81000 श्लोको के युक्त यह पुराण सबसे बड़ा पुराण है। स्कन्ध पुराण वस्तुतः शैव सम्प्रदाय का पुराण है। लेकिन इसमें ब्रह्मा एवं विष्णु जी का भी विषद वर्णन किया गया है।
The Skanda Purana is the largest Mahāpurāṇa, a genre of eighteen Hindu religious texts.The text contains over 81,000 verses.
स्कन्द पुराण (Skand Puran Wiki)
नाम | स्कन्द पुराण |
सम्बन्ध | पुराण |
सम्बंधित देव | शिव |
अध्याय / श्लोक | 81,000 |
रचियता | महर्षि वेदव्यास |
स्कन्द पुराण महापुराण (Skanda Purana in Hindi)
स्कन्द पुराण हिंदुओं के पवित्र 18 पुराणों में से एक पुराण हैं। पुराणों की सूची में इसका स्थान तेहरवा है। श्लोक संख्या की दृष्टि से यह सबसे बड़ा पुराण है इसमें कुल इक्यासी हज़ार श्लोक हैं। इसमें स्कंद (कार्तकेय) द्वारा शिवतत्व का वर्णन किया गया है, इसीलिए इसका नाम स्कंद पुराण पड़ा।
इसमें तीर्थों के उपाख्यानों और उनकी पूजा-पद्धति का भी वर्णन है। ‘वैष्णव खंड’ में जगन्नाथपुरी की और ‘काशीखंड’ में काशी के समस्त देवताओं, शिवलिंगों का आविर्भाव और महात्म्य बताया गया है। ‘आवन्यखंड’ में उज्जैन के महाकलेश्वर का वर्णन है।
हिंदुओं के घर-घर में प्रसिद्ध ‘सत्यनारायण व्रत‘ की कथा ‘रेवाखंड’ में मिलती है। तीर्थों के वर्णन के माध्यम से यह पुराण पूरे देश का भौगोलिक वर्णन प्रस्तुत करता है। स्कंदपुराण का मूल रचनाकाल सातवीं शताब्दी माना जाता है, पर इसमें समय-समय पर सामग्री जुड़ती गई है। इसके वृहदाकार का यही कारण है। और पढ़ें: सम्पूर्ण सत्यनारायण व्रत कथा
स्कन्द का अर्थ (Meaning of Skanda)
शिव पुत्र कार्तिकेय का नाम ही स्कन्द है। स्कन्द का अर्थ होता है- क्षरण अर्थात् विनाश। भगवान शिव संहार के देवता हैं। उनका पुत्र कार्तिकेय संहारक शस्त्र अथवा शक्ति के रूप में जाना जाता है। तारकासुर का वध करने के लिए ही इसका जन्म हुआ था।
स्कन्द पुराण की संरचना (Structure of Skanda Puran in Hindi)
स्कंद पुराण मुख्यतः शैव पुराण है पर इसमें का अन्य देवताओं विष्णु, ब्रह्मा, आदि का भी वर्णन है। इसके छ: खण्ड हैं।
- महेश्वर खंड
- वैष्णव खंड
- ब्रह्म खंड
- काशी खंड
- अवनति खंड
- रेवा खंड
महेश्वर खंड
इसका पहला खण्ड महेश्वर खण्ड है जिसमें शिव के जीवन व उनको लीलाओं का गर्णन है। जो तीन खण्डों में विभाजित है- केदारखण्ड, कुमारिक खण्ड और अरुणाचल माहात्म्य खण्ड। इसमें ‘ॐ नमः शिवाय’ के अतिरिक्त और कोई मंत्र नहीं चलता, के महत्व को बताया है। दूसरा खण्ड वैष्णव खण्ड है।
इस पुराण के माहेश्वरखण्ड के कौमारिकाखण्ड के अध्याय २३ में एक कन्या को दस पुत्रों के बराबर कहा गया है-
दशपुत्रसमा कन्या दशपुत्रान्प्रवर्द्धयन्।
यत्फलं लभते मर्त्यस्तल्लभ्यं कन्ययैकया॥ २३.४६ ॥
अर्थात:- एक पुत्री दस पुत्रों के समान है। कोई व्यक्ति दस पुत्रों के लालन-पालन से जो फल प्राप्त करता है वही फल केवल एक कन्या के पालन-पोषण से प्राप्त हो जाता है।
वैष्णव खंड
दूसरा खंड वैष्णव खंड हैं। यह बहुत पुण्यदाय, ज्ञानवर्धक और मोक्ष प्राप्ति के लिए उपयोगी हैं। इसमें मार्ग शीर्ष मास, वैशाख मास महात्मा और कार्तिक मास के रहस्यमय तथ्यों को प्रकट किया है। इसमें महादेवी के महोत्सव के विषय में बताया है। भगवान विष्णु को वैष्णवी शक्ति का रूप माना है और नारद जी ने वैष्णव धर्म के विषय में बताया है। सभी मनु गणों में स्वाभुव मनु और इसके बाद उसके अनेक मनु के बारे में बताया है।
ब्रह्म खंड
तीसरा इस पुराण का ब्रह्म खण्ड है। इसमें सेतु माहात्म्य, चातुर्मास्य माहात्म्य, माहात्म्य का विवरण है। सेतु महात्मा में रामेश्वर क्षेत्र की महिमा का वर्णन है। पितृगण के लिए सुखप्रद तर्पण करना चाहिए। इनके पांच प्रकार बताएं हैं। व्यासजी ने हयग्रीव के वृत्तान्त का वर्णन किया है।
काशी खंड
चौथा खण्ड काशी खण्ड है। इसमें तीर्थों के राजा प्रयाग को बताया गया हैं। साथ ही मणिकार्णिका के विषय में वर्णन है। गंगा के सेवन को मनुष्य के लिए लग्भ्दयक बताया गया है। प्राणायाम के तीन प्रकार का वर्णन है। और पढ़ें: काशी विश्वनाथ मंदिर
अवन्ती खंड
पांचवां खण्ड अवन्ती खण्ड है। इसमें भी गंगा नदी की पवित्रता के बारे में बताया और साथ में यमुना व अन्य नदियों के महत्व को बताया है। अग्नि की उत्पत्ति के विषय में बताया है। महाकाल की बात्रा का वर्णन है।
इसके उपराना श्री सन्त्कुमर जी ने व्यासजी का एक तत्व कथा सुनाई। जमदग्नि के पुत्र परशुराम की भी कथा कही गई है। नाग तीर्थ की महिमा का वर्णन है। अवन्ति की पुण्ण महिमा का वर्णन है।
रेवा खंड
अन्तिम खण्ड रेवा खण्ड है। यह मार्कण्डम द्वारा कहा गया है और उन्होंने युधिष्ठिर के प्रश्नों का उत्तर दिया है। गंगा नदी की श्रेष्ठता को बताया है। नर्मदा नदी के महत्व को बताया है। यक्ष कुबेर की कथा है। उन्होंने इसके बाद भगवान शिव ने संसार का संहार किया है तो उस रौद्र रूप का दर्शन करते हुए उसका वर्णन किया है।
रावण के मन्दोदरी से विवाह व उसके पुत्र के उत्पन्न होने की कथा है। भिमेश्वर तीर्थ वर्णन मार्कण्डेय जी ने किया है। पंचेश्वर तीर्थ के महत्व को बताया है। अंत में तुंगध्वज नामक राजा की कथा है। इस तरह स्कंद पुराण मोक्ष प्राप्ति का स्त्रोत है और इसमें गंगा, यमुना आदि दी का वर्णन है।
स्कन्द पुराण का महत्व (Importance of Skanda Purana in Hindi)
स्कन्द पुराण, हिंदुओं के पवित्र 18 पुराणों में से एक पुराण हैं। इसमें लौकिक और पारलौकिक ज्ञानके अनन्त उपदेश भरे हैं। इसमें धर्म, सदाचार, योग, ज्ञान तथा भक्ति के सुन्दर विवेचनके साथ अनेकों साधु-महात्माओं के सुन्दर चरित्र पिरोये गये हैं।
विचित्र कथाओं के माध्यम से भौगोलिक ज्ञान तथा प्राचीन इतिहास की ललित प्रस्तुति इस पुराण की अपनी विशेषता है। आज भी इसमें वर्णित विभिन्न व्रत-त्योहारों के दर्शन भारत के घर-घर में किये जा सकते हैं।