Ujjain (M.P): History & Tourist Places in Hindi
उज्जैन (Ujjain) भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है जो शिप्रा नदी के किनारे पर बसा है। यह शहर भगवान शिव के पवित्र 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए प्रसिद्ध है।
Ujjain: History, Facts & Tourist Places in Hindi | Wiki
राज्य | मध्य प्रदेश |
जिला | उज्जैन |
भाषा | हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | महाकालेश्वर मंदिर, गणेश मंदिर, हरसिद्धि देवी मन्दिर, भर्तृहरी गुफा आदि। |
संबंधित लेख | मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल, महाकालेश्वर मंदिर |
कब जाएं | सितंबर से मार्च। |
मध्य प्रदेश का प्राचीन नगर उज्जैन देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। क्षिप्रा नदी के किनारे बसी यह पवित्र नगरी प्राचीन विरासत और नवीन जीवन शैली का अनूठा संगम है। यहां का महाकालेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां लगने वाला कुंभ का मेला इसके यश का और भी विस्तार देता है।
धार्मिक महत्व के अलावा इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। विक्रमादित्य और अशोक जैसे राजाओं ने यहां राज किया है। कालिदास ने अपनी हृदयस्पर्शी रचनाएं यहीं रची हैं। इन सबकी निशानियां आज भी यहां देखी जा सकती हैं।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Temple)
झील के किनारे बना यह मंदिर देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस पांच मंजिला मंदिर का एक हिस्सा भूमिगत है। इस मंदिर की महत्ता का वर्णन पुराणों में मिलता है। यह मंदिर उज्जैन के लोंगों के जीवन का अहम हिस्सा है।
इसकी आसमान को छूता मंदिर का शिखर उज्जैन की पहचान है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह स्वयंभू है। महाकाल मंदिर के ऊपर ओंकारेश्वर शिव की मूर्ति रखी है। भगवान गणेश, कार्तिकेय और देवी पार्वती की प्रतिमाएं पश्चिम, पूर्व और उत्तर में स्थापित हैं। दक्षिण में नंदी बैल की मूर्ति है।
मंदिर की तीसरी मंजिल पर नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा है। यह केवल नागपंचमी के दिन की दर्शनों के लिए उपलब्ध होती है। महाशिवरात्रि के दिन मंदिर के पास विशाल मेला लगता है। (मुख्य लेख: महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
बड़े गणेशजी का मंदिर (Shree Bada Ganesh Mandir)
यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के पास स्थित है। मंदिर में भगवान गणेश की विशाल कलात्मक प्रतिमा स्थापित है। ऐसी प्रतिमा अन्यत्र मिलना दुर्लभ है। मंदिर के बीच में हनुमान की पंचमुखी मूर्ति लगी हुई है। मंदिर के अंदर संस्कृत और ज्योतिष शास्त्र सीखने की व्यवस्था भी है।
चिंतामन गणेश (Chintamani Ganesh)
यह मंदिर क्षिप्रा नदी के किनारे बना हुआ है। यह माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा स्वयंभू है। उनके दोनों ओर उनकी पत्नियां रिद्धि और सिद्धि विराजमान हैं। मुख्य प्रार्थना कक्ष के बारीकी से तराशे गए खंबे परमार काल के समय में बने थे। यहां गणेश को चिंताहरण गणेश कहा जाता है इसलिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
मत्स्येंद्रनाथ समाधि (Pir Matsyendranath, Ujjain)
क्षिप्रा नदी के किनारे भर्तृहरी गुफाओं और गढ़कालिका मंदिर के पास स्थित पीर मत्स्येंद्रनाथ बहुत की आकर्षक स्थल है। यह जगह गौरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ को समर्पित है। यहां आसपास की बिखरी कई चीजें 6ठीं और 7वीं शताब्दी के आसपास की हैं।
भर्तृहरी गुफाएं (Bhartrihari cave)
यह स्थान गढ़कालिका मंदिर के पास स्थित है। इन गुफाओं के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर भर्तृहरी रहा करते थे और तपस्या करते थे। भर्तृहरी महान विद्वान और कवि थे। उनके द्वारा रचित श्रृगांरशतक, वैराग्यशतक और नीतिशतक बहुत प्रसिद्ध हैं। इनका संस्कृत साहित्य में बहुत ऊंचा स्थान है।
हरसिद्धि मंदिर (Harsiddhi Mata Temple)
उज्जैन के प्राचीन मंदिरों में इस मंदिर का विशेष स्थान है। यहां महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्तियों के बीच में देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के अंदर श्री यंत्र भी देखा जा सकता है। शिव पुराण के अनुसार जब शिव सती की मृत देह को कैलाश ले जा रहे थे तब सती की कोहनी यहां गिरी थी।
स्कंद पुराण में भी इस स्थान का उल्लेख मिलता है। मराठों के शासन काल के दौरान इस मंदिर का पुनर्निमाण किया गया था। दो खंबों के ऊपर लगे लालटेन मराठा कला की निशानी हैं। ये लालटेन नवरात्रि के मौके पर जलाई जाती हैं। उस दौरान इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। (और पढ़े: शक्तिपीठ का रहस्य
गोपाल मंदिर (Gopal Temple)
यह भव्य मंदिर मार्केट के चौराहे के बीच में स्थित है। इसका निर्माण महाराजा दौलत राव शिंदे की रानी बयाजीबाई शिंदे ने 19वीं शताब्दी में करवाया था। यह मंदिर मराठा स्थापत्य कला का सुंदर नमूना है। मुख्य गर्भ गृह संगमरमर का बना है और इसके दरवाजों पर चांदी का पानी चढ़ा है।
वेध शाला (Jantar Mantar, Ujjain)
इस वेध शाला का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह ने सन 1719 में करवाया था। उस दौरान वे उज्जैन के गवर्नर थे। योद्धा और राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ विद्वान भी थे। उन की खगोल विज्ञान में बहुत रुचि थी। उन्होंने पारसी और अरबी भाषा में लिखी खगोलशास्त्र की पुस्तकें भी पढ़ी थी।
यह वेध शाला उनकी विद्वत्ता का प्रतीक है। राजा सवाई जय सिंह ने ऐसी ही वेधशालाएं दिल्ली, जयपुर, मथुरा, वाराणसी में भी बनवाई थी। उज्जैन की वेध शाला आज भी खगोलीय पिंडों की गणना की जाती है।
उज्जैन कैसे पहुंचें (How To Reach Ujjain)
वायु मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर (55 किमी.) है। दिल्ली, ग्वालियर, भोपाल और मुंबई से यहां के लिए उड़ानें हैं।
रेल मार्ग: उज्जैन पश्चिमी रेल मार्ग का एक रेलवे स्टेशन है।
सड़क मार्ग: इंदौर, भोपाल, रतलाम, ग्वालियर, मांडू, धार और ओंकारेश्वर से यहां के लिए नियमित रूप से बसें चलती हैं।