Washim (Maharashtra): History & Places To Visit in Hindi
वाशिम (Washim) भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक नगर और ज़िला है। यह वाशिम जिले का मुख्यालय भी है। प्राचीनकाल में यह वाकाटक की राजधानी हुआ करता था।
Washim: History, Facts & Tourist Places | wiki
राज्य | महाराष्ट्र |
जिला | वाशिम |
क्षेत्रफल | 5,150 किमी² |
भाषा | मराठी, हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | बालाजी मंदिर, पद्मातीर्थ, पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर आदि। |
कब जाएं | अक्टूबर सेके फरवरी। |
वाशिम महाराष्ट्र का एक नया जिला है जहां अनेक धार्मिक पर्यटक स्थल हैं। ऐसा विश्वास है कि यहां पर तिरूपति बालाजी ने आकर आराम किया था। इस जिले से अकोला, यवतमाल, हिंगोली आदि जिलों की सीमाएं मिलती हैं। वाशिम के पूर्वे में यवतमाल, उत्तर में अकोला, उत्तर-पूर्वे में अमरावती, पश्चिम में बुलढाणा और दक्षिण में हिगोँली है। पेनगंगा यहां की मुख्य नदी है।
वाशिम के पर्यटन स्थलों में बालाजी मंदीर (वाशिम), श्रीक्षेत्र पोहरादेवी, पद्मतीर्थ शिवमंदिर, अंतरिक्ष पार्श्वनाथ जैन मंदिर नृसिंह सरस्वती मंदीर (करंजा), सखाराम महाराज मंदिर (रिसोड), चामुंडा देवी आदि शामिल हैं।
बालाजी मंदिर (Balaji Temple)
यह एक पुराना मंदिर है जिसे साबाजी भोसले और जानोजी भोसले के दीवान भवानी कालू ने बनवाया था। यह मंदिर 1779 में बनकर तैयार हुआ था और तबसे यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालू आते हैं।
पद्मातीर्थ (Padma Teerth)
भगवान विष्णु के 108 तीर्थ बताए जाते हैं और माना जाता है कि इन्हीं में से एक है पद्मातीर्थ। ऐसे में यहां वैष्णव भक्तों की भीड़ जुटती है। यहां पर भगवान शिव का भी एक मंदिर है।
श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र (Antariksh Parshwnath Jain Temple, Shirpur)
यह क्षेत्र महाराष्ट्र प्रान्त के वाशिम जिलान्तर्गत, वाशिम रेलवे स्टेशन से 28 किलोमीटर और अकोला रेलवे स्टेशन से 60 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं. क्षेत्र पर तीन प्राचीन जैन मंदिर तथा एक नवीन कुल 4 जैन मंदिर हैं. गाँव के मध्य में त्रिस्तरीय मंदिर है। इसमें श्री 1008 अंतरिक्ष पार्श्वनाथ दिगंबर जैन प्रतिमा जमीन से ऊपर अंतरिक्ष में विराजमान हैं जो यहाँ की मूल विशेषता हैं।
इसी में 16 अन्य वेदिया हैं। सभी वीडियो पर दिगंबर तिर्थंकरो की मुर्तिया विराजमान हैं क्षेत्र पर स्थित कुए के जल से स्नान करने पर कुस्थ रोग, चर्म रोग तथ शरीर के अन्य विकार नस्त हो जाते हैं. यहाँ मंदिर प्रांगन में उत्खनन में प्राप्त ईटे पानी में तैरती हैं।
करंजा (Karnja)
श्री नरसिंह सरस्वती स्वामी महाराज को भगवान दत्तात्रेय का दूसरा अवतार माना जाता है। उनका जन्म यहीं हुआ था जिनहोंने पूरे महाराष्ट्र का भ्रमण किया था।
वाशिम कैंसे पहुंचें (How to Reach Washim, Maharashtra)
रेलमार्ग- वाशिम खांडवा-पूणे रेलवे माग्र पर है ऐसे में आप रेलमार्ग से आसानी से यहां आ सकते हैं।
सड़क मार्ग- वाशिम महाराष्ट्र और देश के अन्य राज्यों के दूसरे शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।
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