Damoh (M.P): History & Tourist Places in Hindi
दमोह (Damoh) भारत के मध्य प्रदेश का एक मुख्य शहर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह मध्य प्रदेश में पांचवां सबसे बड़ा शहरी समूह है।
Damoh (M.P): History, Facts & Tourist Places in Hindi | wiki
राज्य | मध्य प्रदेश |
क्षेत्रफल | 7306 वर्ग किलोमीटर |
दर्शनीय स्थल | सिंगौरगढ़ का किला,जटाशंकरनोहलेश्वर मंदिर, सिंगौरगढ़ का किला, जटाशंकर, गिरी दर्शन आदि। |
सम्बंधित लेख | मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल |
कब जाएं | अक्टूबर से मार्च। |
मध्य प्रदेश के दमोह जिले का इतिहास काफी लंबा रहा है। यहां पाषाण काल के अनेक उपकरण प्राप्त हुए हैं जो सिद्ध करते हैं कि प्रारंभिक मानव सभ्यता यहां फली-फूली थी।
पांचवीं शताब्दी में यहां पाटलिपुत्र के गुप्त शासकों का शासन था। समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त और स्कंदगुप्त ने इस क्षेत्र में अनेक स्मारकों का निर्माण करवाया। 8वीं से 12वीं शताब्दी तक दमोह के कुछ हिस्सों पर कलचुरी शासकों का नियंत्रण था।
दमोह के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places To visit in Damoh)
7306 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैले इस जिले का जटाशंकर सर्वाधिक लोकप्रिय मंदिर है। नोहलेश्वर, गिरी दर्शन, सिंगौरगढ़ का किला, बंदकपुर, निदान कुंड, कुंदलपुर, नजारा, लक्षमण कुटी और सदभावना शिखर यहां के अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं।
सिंगौरगढ़ का किला- दमोह के सिंग्रामपुर से 6 किमी. की दूर सतपुड़ा की पहाड़ियों पर यह क्षतिग्रस्त किला स्थित है। प्राचीन काल में इस किले बहुत अधिक सामरिक महत्व था। कहा जाता है कि इस विशाल किले को राजा वेन बसोर और यहां शासन करने वाले गावे राजाओं ने बनवाया था।
15वीं शताब्दी में गौंड राजा दलपति अपनी रानी दुर्गावती संग यहां रहते थे। किले के नजदीक ही एक झील है जिसमें कमल पुष्पों के समूह झील के आकर्षण को और बढ़ा देते हैं। किले और आसपास का क्षेत्र पिकनिक के लिए एक उत्तम जगह है।
जटाशंकर- दमोह शहर के इस मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित हैं। मंदिर और आसपास की सुंदरता यहां आने वाले लोगों बहुत सुकून देती है। मंदिर में अच्छे वर की कामना करने वाली लड़कियों का सदैव आवागमन लगा रहता है। पुरातत्व की दृष्टि से भी यह एक महत्वपूर्ण स्थल है।
नोहलेश्वर मंदिर- भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर नोहता गांव से करीब 1 किमी. की दूरी पर है। माना जाता है कि मंदिर को 950-1000 ई. के आसपास चालुक्य वंश के राजा अवनी वर्मा की पत्नी ने बनवाया था। कलचुरी शैली में बना यह मंदिर उस काल की वास्तुशिल्प का उत्तम उदारहण है। मंदिर एक ऊंचे चबूतर पर बना है। पंचरथ, गर्भगृह, अमत्राल, मंडप और मुख मंडप मंदिर के मुख्य आकर्षण हैं।
गिरी दर्शन- दमोह-जबलपुर हाईवे पर यह खूबसूरत दोमंजिला वाचटॉवर स्थित है। जंगल में एक हरी-भरी पहाड़ी पर बना यह वाचटॉवर वन विभाग द्वारा बनवाया गया था। इस वाचटॉवर को रेस्ट हाउस के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।
मुख्य मार्ग से एक कुंड के साथ बने संकर रास्ते से यहां पहुंचा जा सकता है। इस खूबसूरत इमारत से आसपास की सुंदरता और सूर्योदय एवं सूर्यास्त के मनोरम दृश्य देखे जा सकते हैं। रात के समय जंगली जानवर भी यहां दिखाई देते हैं।
निदान कुंड- यह एक खूबसूरत झरना है जो भन्सा गांव के निकट स्थित है। यह झरना करीब 100 फीट की ऊंचाई से गिरता है। जुलाई से अगस्त के महीने में इस कुंड में अधिक पानी होता है। इस अवधि में झरने की सुंदरता देखते ही बनती है। सितंबर से अक्टूबर में यह एक उत्तम पिकनिक स्थल रहता है। काले पत्थरों पर गिरता हुआ झरने का जल अत्यन्त सुंदर लगता है।
नजारा- भन्सा गांव से 3 किमी. दूर कालूमर के निकट से इस खूबसूरत स्थान तक मार्ग है। एक पहाड़ी के शिखर पर बने इस स्थल से रानी दुर्गावती अभ्यारण्य के मनोरम दृश्य देखे जा सकते हैं। इसके चारों तरफ घना जंगल है। यहां की पहाड़ियों में जंगली जानवरों की गुफांए देखी जा सकती हैं। नजारा के आसपास घने जंगलों में जंगली जानवर भी घूमते हुए दिख जाते हैं।
कुंदलपुर- कुंदलपुर दमोह से 35 किमी. की दूरी पर है। यह स्थान बड़े बाबा जैन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। जैन मतावलंबी देश के अनेक हिस्सों से यहां आते हैं। दमोह से बस द्वारा आसानी से कुंदलपुर पहुंचा जा सकता है।
वीरांगना दुर्गावती अभ्यारण्य- यह अभ्यारण्य 1997 में स्थापित किया गया था। जीव जंतुओं के संरक्षण हेतु बने इस अभ्यारण्य में टाईगर, तेंदुए, हिरन, सांभर, चौसिंहा, जंगली सूकर, नीलगाय, बार्किंग डीयर आदि जानवरों को देखा जा सकता है। साथ ही मोर, उल्लू, स्पाइन, पिन्टेल आदि पक्षियों की प्रजातियां भी पाई जाती है। नवंबर से जून की समय यहां आने के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
दमोह कैसे पहुंचे (How To Reach Damoh)
वायु मार्ग- जबलपुर में दमोह का नजदीकी एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट देश के अनेक बड़े शहरों से जुड़ा है। जबलपुर दमोह से 51 किमी. दूर है।
रेल मार्ग- दमोह रेलवे स्टेशन राज्य और देश के अनेक बड़े शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा है।
सड़क मार्ग– दमोह मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से दमोह के लिए चलती रहती हैं।
कहां ठहरें– दमोह में ठहरने के लिए होटलों का अभाव है। दमोह के निकटतम एयरपोर्ट जबलपुर में ठहरने के लिए होटलों की उत्तम व्यवस्था है।