Darbhanga (Bihar): History & Tourist Places in Hindi
दरभंगा (Darbhanga) भारत के बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र में में स्थित एक नगर है। यह दरभंगा ज़िले का मुख्यालय भी है।
Darbhanga: History, Facts & Tourist Places in Hindi | wiki
राज्य | बिहार |
क्षेत्रफल | 2279 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | भोजपुरी, हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय, चंद्रधारी संग्रहालय, लहर, कुशेश्वर स्थान, छपरा, करीन, मनोकामना मंदिर, ब्रह्मपुर, सती स्थान आदि। |
कब जाएं | नवम्बर से फरवरी। |
Histiyr of Darbhanga: इसका जिला मुख्यालय दरभंगा शहर है। कहा जाता है कि इस जगह की स्थापना दरभंगी खान ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम दरभंगा पड़ा। जिसका अर्थ दॉ गेटवे टू बंगाल होता है। दरभंगा जिले के इतिहास का सम्बन्ध रामायण और महाभारत काल से रहा है।
वैदिक स्रोतों के अनुसार, इस क्षेत्र में सबसे पहले आर्यन वंश के विदेह ने प्रवास किया था। कपिल मुनि का सम्बन्ध भी इस जगह से रहा है। इसके अलावा, निर्वासन के समय पांडव भी कुछ समय के लिए इस जगह पर ठहरें थे।
दरभंगा के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places to visit in Hindi)
Darbhanga Tourist Places: दरभंगा जिला बिहार के प्रमुख पयर्टन स्थलों में से है। काफी संख्या में यहां मंदिर, मंस्जिद, संग्रहालय और चर्च आदि है। इसमें महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय, चंद्रधारी संग्रहालय, लहर, कुशेश्वर स्थान, छपरा, करीन, मनोकामना मंदिर, ब्रह्मपुर और सती स्थान आदि विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
1. महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय (Maharaja Laxmeshwar Singh Museum)
इस संग्रहालय की स्थापना 16 सितम्बर 1977 ई. में हुई थी। यह संग्रहालय दरभंगा जिले के पश्चिम-दक्षिण की ओर स्थित है। दरभंगा के शाही परिवारों के कला व संस्कृति के प्रति प्रेम व अनुराग से भला कौन अपरिचित है? राजकुमार सुभेषवर सिंह ने बहुमूल्य और कभी न भूला पाने वाली वस्तुएं उपहार स्वरूप इस जिले को दी है।
इस संग्रहालय में कई दुर्लभ कलाकृतियों की स्थापना की गई है। दरभंगा के जिला मजिस्ट्रेट श्री रामेशंकर तिवारी की भी इस संग्रहालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह अनोखा संग्रहालय मानसरोवर झील के पूर्वी तट की ओर स्थित है। इस संग्रहालय में काफी संख्या में सोने, चांदी व तुशकर दांत से बनी कई वस्तुएं व हथियार देखे जा सकते हैं।
इस संग्रहालय में कुल आठ कक्ष है। प्रथम कक्ष को राजा सिंहासन कक्ष के नाम से जाना जाता है। इस कक्ष में महाराजा रामेश्वर सिंह जी का राजसिंहासन है। यह राजसिंहासन शाही परिवार की शक्ति, संपत्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक है। यह सोने, चांदी और बहुमूल्य पत्थरों से बना हुआ है। शाही राजसिंहासन के अतिरिक्त एक चांदी का बना हुआ पलंग, नलकी और काफी संख्या में अन्य वस्तुएं भी इस कक्ष में मौजूद है। यह सभी पूर्व समय के शाही परिवारों की खूबसूरत यादें है। राजसिंहासन और चांदी का पलंग शिल्प का अदभूत नमूना है।
दूसरे कक्ष में आकर्षण शिल्पतथ्यों को दर्शाया गया है। यहां स्थित अधिकतर अनोखे भूमण्डल तांबे और वृत्ताकार बने हुए है। जिसमें से दो शिल्पतथ्य दो महत्वपूर्ण घटनाओं रामायण, महाभारत और कृष्ण-लीला को प्रतिबिम्बित करते हैं। तीसरे कक्ष में संगमरमर और अन्य पत्थरों से बनी मूर्तियां देखी जा सकती है। यहां पर एक वृत्ताकार मेज भी है। यह मेज संगमरमर के एक अकेले पत्थर की बनी हुई है। इसके अलावा ग्रीक शैली से सम्बन्धित वस्तुएं भी देखी जा सकती हैं। कक्ष चार व पांच को हस्तिदंन्त कहा जा सकता है।
यहां हस्तिदंन्त से बनी कई वस्तुएं जैसे चटाई, जाली, फूल, पत्तियां और कई अन्य वस्तुएं प्रदर्शित की गई है। इसके साथ हस्तिदंन्त से बने शेर और सोफा-सेट आदि पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र हैं। कक्ष छ: में विभिन्न राजाओं के हथियारों को प्रदर्शित किया गया है। अंतिम कक्ष सात व आठ में लकड़ी पर किए गए शिल्प को प्रदर्शित किया गया है। इन दोनों कक्षों में लकड़ी पर की गई चित्रकारी को दर्शाया गया है जो अत्यंत प्राकृतिक दिखाई पड़ती है।
2. चंद्रधारी संग्रहालय (Chandradhari Museum Darbhanga)
मानसरोवर झील के उत्तरी तट पर स्थित चंद्रधारी संग्रहालय की स्थापना 7 दिसम्बर 1957 ई. को हुई थी। चंद्रधारी सिंह ने अपने सभी शिल्पतथ्य और अन्य वस्तुएं इस संग्रहालय को दान कर दी थी। सन् 1974 ई. में इस संग्रहालय को दो मंजिला इमारत में बदल दिया गया। यहां आने के लिए किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लगता है। यह संग्रहालय प्रत्येक दिन खुला रहता है, केवल सोमवार को छोड़कर।
इस संग्रहालय में कुल 11 कक्ष है। इस संग्रहालय का उद्देश्य विद्यार्थियों व आम जनता को इतिहास से जुड़े तथ्यों, पुरातत्वीय और सांस्कृतिक जानकारी प्रदान करना है। चंद्रधारी संग्रहालय में ग्लास गैलरी, पेंटिंग गैलरी, मार्डन पेंटिंग, वूड गैलरी, ब्रास गैलरी, स्पेशल गैलरी, स्ट्रॉग रूम और लाइब्रेरी आदि के भिन्न-भिन्न कक्ष है।
3. अहिल्या स्थान (Ahalya Sthan)
यह प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर है। यह जगह को अहिल्या ग्राम के नाम से जाना जाता है। अहिल्या का जिक्र रामायण में भी हुआ है। कहा जाता है कि जब भगवान राम जनकपुर के रास्ते से जा रहे होते थे तो उनका पाँव एक पत्थर से लग गया था। वह पत्थर एक स्त्री में बदल गई। माना जाता है कि अहिल्या के पति गौतम ऋषि ने अहिल्या को शाप दिया था जिस कारण वह पत्थर की बन गई थी। यह मंदिर अहिल्या को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष हिन्दी माह चैत्र में रामनवमी के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा गांव में कई अन्य मंदिर और मस्जिद भी है।
4. कैथोलिक चर्च (Catholic Church)
इस चर्च की स्थापना 1891 ई. में हुई थी। कैथोलिक चर्च की वास्तविक इमारत 1897 ई. में आए भूकंप में नष्ट हो गई थी। बाद में दुबारा से इसका पुनर्निर्माण करवाया गया। इस चर्च को हॉली रौसरी चर्च के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक शुक्रवार काफी संख्या में लोग यहां पर उपस्थित होते हैं। इसके अलावा, प्रत्येक वर्ष यहां क्रिसमस बहुत ही धूमधाम से 25 से 31 दिसम्बर तक मनाया जाता है। साथ ही हर साल सात अक्टूबर को आनन्द मेले का आयोजन किया जाता है।
5. कुशेश्वर स्थान (Kusheshwar Asthan)
सिंघी के पूर्व से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर कुशेश्वर यहां के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से है। यहां पर एक प्राचीन शिव मंदिर है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर काफी संख्या में लोग भगवान के दर्शनों के लिए यहां आते हैं। इसके साथ ही यहां एक प्राकृतिक जल कुण्ड भी है। जिसे कुछ समय पश्चात् पक्षी अभ्यारण के रूप में पहचान दी गई।
6. ब्रह्मपुर (Brahmapur)
यह गांव जोगीरा के दक्षिण-पूर्व से 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ब्रह्म गांव गौतम कुण्ड के लिए जाना जाता है। इसके समीप पर ही गौतम ऋषि का भी मंदिर है। माना जाता है कि इस कुण्ड की निर्माण स्वयं भगवान ब्रह्मा ने धरती पर सात तीर छोड़कर किया था।
7. छपरा (Chapra)
बहादुरपुर ब्लॉक स्थित छपरा जिला, मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर भगवान महादेव का मंदिर है। यह मंदिर कमल नदी के तट पर स्थित है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक और माघ पूर्णिमा के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है।
8. मनोकामना मंदिर (Manokamna Mandir)
इस मंदिर का निर्माण संगमरमर से किया गया है। वास्तव में यह हनुमान मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान जी की एक छोटी सी लेकिन खूबसूरत मूर्ति स्थित है। यह मूर्ति संगमरमर की बनी हुई है। प्रत्येक दिन काफी संख्या में लोग यहां आते हैं।
9. सती स्थान (Sati Sthan)
सती स्थान दरभंगा महाराज जी ब्रिज के पश्चिम से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। महाराज रामेश्वर सिह, जो कि एक महान् तांत्रिक भी थे प्रतिदिन अपनी तंत्र सिद्धि के लिए यहां आया करते थे। वर्तमान समय में यह स्थान आम लोगों में प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को खुला रहता है।
10. श्याम मंदिर (Shyam Temple, Darbhanga)
श्याम मंदिर दरभंगा रेलवे स्टेशन से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण दरभंगा राज के शाही परिवार ने 1933 ई. में करवाया गया था। इस मंदिर में एक अन्य मंदिर भी है। जिसमें देवी काली की विशाल प्रतिमा स्थापित है। यह काफी खूबसूरत मंदिर है। काफी संख्या में लोग इस मंदिर में आते हैं।
11. मखदूम बाबा की मजार (Makhdoom baba ki mazar)
मखदूम बाबा की मजार दरभंगा रेलवे स्टेशन के उत्तर-पश्चिम से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रतिदिन काफी संख्या में इस्लाम व हिन्दू धर्म के लोग दुआ मांगने के लिए यहां आते हैं।
दरभंगा कैंसे पहुंचे (How to Reach Darbhanga)
कैसे जाएं वायु मार्ग: यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा पटना स्थित जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा है। यहां से बस या टैक्सी से दरभंगा तक जाया जा सकता है।
रेल मार्ग: दरभंगा रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। सबसे निकटतम समस्तीपुर रेलवे स्टेशन है।
सड़क मार्ग: भारत के कई प्रमुख शहरों से दरभंगा सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 57 द्वारा दरभंगा पहुंचा जा सकता है।
कहां ठहरें: दरभंगा में ठहरने के लिए अच्छे होटलों का अभाव है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटक इसके नजदीकी शहर मुजफ्फरपुर में ठहरते हैं।