Fatehgarh Sahib: History & Places to visit in Hindi
फतेहगढ़ साहिब (Fatehgarh Sahib), भारतीय के पंजाब राज्य में स्थित शहर औए जिले का मुख्यालय भी है। फतेहगढ़ साहिब का नाम गुरु गोबिंद सिंह के 7 वर्षीय बेटे फतेह सिंह के नाम पर रखा गया है। जिन्हें मुगलों ने दीवार पर जिंदा चिनवा दिया था।
Fatehgarh Sahib: History & Tourist Places in Hindi
राज्य | पंजाब |
क्षेत्रफल | 26120 वर्ग किमी. |
भाषा | पंजाबी, हिंदी, और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | आम खास बाग, संघोल, शागिर्द दी मजार, गुरुद्वारा बहेर साहिब, गुरुद्वारा नौलखा साहिब, हवेली टोडर मल |
प्रसिद्धि | सिक्खों की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक |
कब जाएं | अक्टूबर से मार्च। |
History of Fatehgarh Sahib: पंजाब का फतेहगढ़ जिला सिक्खों की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। पटियाला के उत्तर में स्थित यह स्थान ऐतिहासिक और धार्मिंक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
सिक्खों के लिए इसका महत्व इस लिहाज से भी ज्यादा है कि यहीं पर गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों फतेह सिंह और जारोवर सिंह को सरहिंद के तत्कालीन फौजदार वजीर खान ने वजीर खान के आदेश के तहत जिंदा दीवार में चिनवा दिया था। उनका शहीदी दिवस आज भी यहां लोग पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
फतेहगढ़ साहिब पर्यटन स्थल (Places to visit in Fatehgarh Sahib)
Fatehgarh Sahib Tourist Places: फतेहगढ़ साहिब जिला को यदि गुरुद्वारों का शहर कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यहां पर अनेक गुरुद्वारे हैं जिनमें से गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब का विशेष स्थान है। इसके अलावा भी इस जिले में घूमने लायक अनेक जगह हैं, जिसका वर्णन किया जा रहा है-
1. आम खास बाग (Aam Khas Bagh)
आम खास बाग का निर्माण जनता के लिए किया गया था। जब शाहजहां अपनी बेगम के साथ लाहौर आते या जाते थे, तब वे यहां आराम करते थे। उनके लिए बाग में महलों का निर्माण भी किया गया था। महलों को देख कर लगता है कि उनमें वातानुकूलक का प्रबंध था। इन्हें शरद खाना कहा जाता है।
इसके अलावा यहां शीश महल (दौलत-खाना-ए-खास), हमाम और एक कुंड भी है जहां पानी गर्म करने की विविध विधियों को अपनाया जाता था।वर्तमान में आमखास बाग में पर्यटक परिसर है जिसे मौलासरी कहा जाता है। एक खूबसूरत बगीचा और नर्सरी की व्यवस्था भी यहां की गई है।
2. संघोल (Sanghol)
यह हड़प्पा संस्कृति से संबंधित प्राचीन क्षेत्र है जिसकी देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण करता है। इस स्थान पर पर्यटक परिसर का निर्माण कार्य भी शुरु किया जा रहा है। संघोल लुधियाना-चंडीगढ़ रोड पर स्थित है। संघोल संग्रहालय का उद्घाटन 1990 में किया गया था इस संग्रहालय में अनेक महत्वपूर्ण प्राचीन अवशेषों को रखा गया है जिनसे पंजाब की सांस्कृतिक धरोहरों समेत अनेक प्रकार की जानकारियां मिलती हैं।
संग्रहालय का निर्माण न केवल पंजाब की संस्कृति से लोगों को रूबरू कराना था बल्कि लोगों को इस संस्कृति का सम्मान करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया था। संघोल की खुदाई के दौरान इकट्ठा किए गए करीब 15000 पुरातत्व अवशेषों के बहुमूल्य खजाने को इस संग्रहालय में देखा जा सकता है। उस्ताद दी मजार कहा जाता है कि यह मकबरा मशहूर वास्तुकार उस्ताद सयैद खान की याद में बनाया गया था। उस्ताद का यह मकबरा रौजा शरीफ से करीब डेढ़ किमी. की दूरी पर स्थित है।
4. शागिर्द दी मजार (Shagird di Mazar tomb)
उस्ताद की मजार के कुछ ही दूरी पर एक और खूबसूरत मजार है। यह मजार ख्वाजा खान की है जो उस्ताद सयैद खान के शागीर्द थे। उन्हें भी भवन निर्माण में महारत हासिल थी। इन दोनों मजारों के वास्तुशिल्प में अंतर है।
इस अंतर के अलावा शागिर्द की मजार खूबसूरत चित्रकारी भी की गई है जिनमें से कुछ को अभी भी देखा जा सकता है। ये दोनों मकबरे वास्तुशिल्प की मुस्लिम शैली को दर्शाते हैं। एक तरह से ये दिल्ली के हुमायूं के मकबरे की याद दिलाते हैं।
4. गुरुद्वारा बहेर साहिब Gurdwara Beri Sahib)
फतेहगढ़ साहिब के बहेर गांव में स्थित गुरुद्वारा बहेर साहिब पंजाब के प्रसिद्ध गुरुद्वारों में से एक है। इसका संबंध सिक्खों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि अपनी दादु माजरा-भगराना की यात्रा के दौरान गुरु तेग बहादुर यहां रुके थे और इस दौरान अनेक चमत्कार किए थे। उन्होंने ही इस गांव का नाम बहेर रखा था। बड़ी संख्या में सिक्ख श्रद्धालु इस गुरुद्वारे की ओर रुख करते हैं।
5. गुरुद्वारा नौलखा साहिब (Gurudwara Naulakha Sahib)
गुरुद्वारा नौलखा साहिब सरहिंद से 15 किमी. दूर नौलखा गांव में स्थित है। भक्त मानते हैं कि मालवा जाते समय गुरु तेग बहादुर यहां आए थे। जनश्रुतियों के अनुसार एक सिक्ख श्रद्धालु लखी शाह बंजारा का सांड खो गया। उसके गुरु तेग बहादुर जी से कहा कि अगर वे उसका सांड ढ़ूंढ देंगे तो वह उन्हें नौ रूपये देगा।
गुरुजी के सांड ढूंढ निकालने पर लखी शाह ने नौ रूपये गुरुजी को दिए। गुरु ने ये पैसे अपने गरीब अनुयायियों को बांट दिए और कहा कि ये नौ रूपये नौ लाख के बराबर हैं। इस घटना के बाद गांव का नाम नौलखा पड़ गया।
6. हवेली टोडर मल (Jahaz Haweli Diwan Todarmal Ji)
जहाज हवेली के नाम से मशहूर हवेली टोडर मल फतेहगढ़ साहिब से केवल एक किमी. दूर है। सरहिंदी ईंटों से बनी यह खूबसूरत हवेली दीवान टोडर मल का निवास स्थान था। युवा साहिबजादे के 300वें शहीदी दिवस के सम्मान में पंजाब विरासत ट्रस्ट ने इस हवेली की मौलिक शान को बनाए रखने का फैसला किया है।शहीदी जोर मेला
शहीदी जोर मेला सरसा नदी के किनारे गुरुद्वरा परिवार विछोड़ा में मनाया जाने वाला वार्षिकोत्सव है।
यह दिसंबर के चौथे सप्ताह में शुरु होता है और तीनों तक चलता है। यह मेला गुरु गोविंद सिंह के दो छोटे बच्चों को श्रद्धांजली देने के लिए मनाया जाता है जिनका अंतिम संस्कार फतेहगढ़ साहिब में किया गया था। गुरु गोविंद सिंह सिक्खों के दसवें और आखिरी गुरु थे। इनके लड़कों को इस्लाम धर्म न अपनाने के लिए जिंदा चुनवा दिया गया था। बड़ी संख्या में भक्त इस मेला में हिस्सा लेते हैं।
7. गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब (Gurudwara Shri Fatehgarh Sahib)
गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब सरहिंद-मोरिंदा रोड पर स्थित है। माता गुजरी के दो पोतों, साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह, को यहां दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। यहां पर उस ऊंचे स्थान को देखा जा सकता है जहां वे खड़े हुए थे और उस स्थान को भी जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी। जोर मेला, गुरु नानक देव जी का प्रकाश उत्सव, बाबा जोरावर और फतेह सिंह का शहीदी दिवस यहां के प्रमुख दिवस है।
8. साधना कसाई की मस्जिद (Sadhna Kasai Masjid)
साधना कसाई की मस्जिद फतेहगढ़ साहिब जिले के सरहिंद में है। यह अद्भुत मस्जिद सरहिंदी ईंटों से बनाई गई है और इसमें टी शैली की चित्रकारी की गई है। यह मस्जिद पुरातत्व विभाग के अधीन सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी साधना कसाई का एक शबद है।
फतेहगढ़ साहिब कैंसे पहुंचे (How to Reach Fatehgarh Sahib)
सड़क मार्ग- से फतेहगढ़ साहिब राजधानी दिल्ली से 250 किलोमीटर दूर है। दिल्ली-अमृतसर सेक्शन से गुजरने वाली सभी बसें यहां रुकती हैं। चंडीगढ़, पटियाला और रोपड़ से फतेहगढ़ साहिब के लिए नियमित बस सेवाएं भी हैं।
रेल मार्ग- फतेहगढ़ साहिब में रेलवे स्टेशन है। कई एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनें सरहिंद रेलवे स्टेशन पर रुकती हैं।
हवाई मार्ग- निकटतम हवाई अड्डा मोहाली/चंडीगढ़ है जो फतेहगढ़ साहिब से लगभग 50 किलोमीटर दूर है।