Kapurthala (Punjab): History & Places to Visit in Hindi
कपूरथला (Kapurthala) जलंधर शहर के पश्चिम में स्थित पंजाब का एक प्रमुख शहर है। यह जिला का मुख्यालय भी है। इस शहर का नाम इसके संस्थापक नवाब कपूर सिंह के नाम पर पड़ा है।
Kapurthala: History & Tourist Places in Hindi
राज्य | पंजाब |
क्षेत्रफल | 1633 वर्ग किमी |
भाषा | पंजाबी, हिंदी और इंग्लिश |
पर्यटन स्थल | सैनिक स्कूल, मूरिश मस्जिद, जगतजीत क्लब, गुरुद्वारा बेस साहिब, पंज मंदिर, शालीमार बाग, माता भद्रकाली मंदिर आदि। |
विशेष | राजा फतेह सिंह आहलुवालिया की शाही राजधानी |
कब जाएं | नवम्बर से फरवरी। |
History of Kapurthala: कपूरथला के जालंधर शहर के पश्चिम में स्थित पंजाब का एक प्रमुख जिला है। इसका नाम इसके संस्थापक नवाब कपूर सिंह के नाम पर पड़ा।
यह कपूरथला रियासत के राजा फतेह सिंह आहलुवालिया की शाही राजधानी रही थी। महाराज जगतजीत सिंह ने यहां बहुत सी इमारतों का निर्माण करवाया जो इसके सुनहरे इतिहास की गवाही देते हैं।
कपूरथला के पर्यटन स्थल (Places to visit in Kapurthala)
Kapurthala Tourist Places: यह शहर अपनी खूबसूरत इमारतों और सड़कों के लिए जाना जाता है। एक समय में इसकी सफाई को देखकर इसे पंजाब का पेरिस कहा जाता था। पंच मंदिर, शालीमार बाग, जगतजीत सिंह का महल यहां की कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
1. सैनिक स्कूल (Sainik School Kapurthala)
सैनिक स्कूल की इमारत पहले जगतजीत महल के नाम से जानी जाती थी। यहां पर कपूरथला रियासत के पूर्व महाराज, महाराज जगतजीत सिंह रहते थे। 200 एकड़ में फैला यह महल वास्तुशिल्प का खूबसूरत नमूना है जो पेलेस ऑफ वर्सेलस और फाउंटेनब्लू की याद दिलाता है।
इसका डिजाइन फ्रैंच वास्तुकार एम. मार्कल ने बनया था। इसका मनमोहक दरबार हॉल (दीवान-ए-खास) भारत के सबसे खूबसूरत हॉल में से एक है। प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां और सीलिंग पर बनी चित्रकारी फ्रांसिसी कला और वास्तुशिल्प की विशेषता को दर्शाती हैं। इस महल का निर्माण कार्य 1900 में शुरु हुआ था और 1908 में पूरी तरह बनकर तैयार हो गया था।
2. मूरिश मस्जिद (Moorish Mosque)
कपूरथला की धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक मूरिश मस्जिद का निर्माण फ्रांसिसी वास्तुकार मोनेयर एम.मेंटिक्स ने किया था। यह मस्जिद मोरक्को के मराकेश की विशाल मस्जिद की तर्ज पर बनाया गया था। इसका निर्माण कपूरथला के आखिरी शासक महाराजा जगतजीत सिंह ने करवाया था और इसे पूरा होने में 13 वर्ष का समय लगा था।
मस्जिद के आंतरिक गुंबद की सजावट लाहौर के मायो कला विद्यालय के कलाकारों ने की थी। यह मस्जिद राष्ट्रीय स्मारक है जिसकी देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करता है। इसका लकड़ी का एक मॉडल लाहौर संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर रखा गया है।
3. जगतजीत क्लब (JagatJit Club)
जगतजीत क्लब शहर के बीच में स्थित एक शानदार इमारत है। इस इमारत का निर्माण वास्तुकला की ग्रीक शैली में किया गया है। यह कुछ-कुछ एथेंस के एक्रोपोलिस की याद दिलाती है।
अपने बनने के समय से लेकर आज तक यह इमारत कई तरह से इस्तेमाल की गई है। 19वीं शताब्दी की शुरुआत में यहां चर्च था, 1940 में सिनेमा हॉल बना और आज इस इमारत में स्थानीय क्लब है।
4. गुरुद्वारा बेस साहिब (Gurdwara Sri Ber Sahib Sultanpur)
गुरुद्वारा बेर साहिब कपूरथला की सुल्तानपुर लोधी तहसील में स्थित है। सिक्ख धर्म के अनुयायियों के लिए इस स्थान का महत्व बहुत अधिक है।
यही वह स्थान है जहां सिक्खों के पहले गुरु, गुरु नानक देव ने अपनी जिंदगी के 14 साल बिताए और यही पर बीन नामक छोटी सी नदी में स्नान करते हुए उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था।
इस स्थान का नाम बेर के एक पेड़ के नाम पर रखा गया है जिसके बारे में माना जाता है कि इसे स्वयं गुरु नानक जी ने लगाया था और इसी के नीचे सिक्ख धर्म का पहला मूल मंत्र दिया था। (और पढ़ें: सिख धर्म प्रश्नोंत्तरी
5. पंच मंदिर (Panch Mandir)
इस मंदिर का निर्माण सरदार फतेह सिंह के शासनकाल में हुआ था। ऐतिहासिक महत्व रखने वाले इस मंदिर में अनेक अद्भुत प्रतिमाएं रखी गई हैं। यह भारत का दूसरा ऐसा मंदिर है जहां सूर्य भगवान की प्रतिमा पर हर सुबह सूरज की किरणें सीधी पड़ती हैं।
मंदिर परिसर में और भी अनेक मंदिर हैं जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं। इस मंदिर के बारे में एक अन्य अद्भुत बात यह है कि यहां के मुख्य रजत द्वार से एक भक्त सभी मूर्तियों को प्रणाम कर सकता है। पंज मंदिर में ब्रह्माजी की दुर्लभ प्रतिमा भी देखी जा सकती हैं। (और पढ़ें: ब्रह्मदेव का रहस्य
6. शालीमार बाग (Shalimar Bagh)
इसी स्थान पर महाराजा रंजीत सिंह और महाराजा फतेह सिंह की मुलाकात हुई थी। यहां पर कपूरथला रियासत के पूर्व शासकों की समाधियां हैं जिन पर कला का सुंदर नमूना देखा जा सकता है। यहां पर एक तालाब, पार्क और एक पुस्तकालय भी है। इस ऐतिहासिक उद्यान में हर साल बसंत पंचमी का मेला आयोजित किया जाता है।
7. माता भद्रकाली मंदिर (Mata Bhadrakali Temple)
इस मंदिर का निर्माण ठाकुर दास मेहरा ने 1885 में करवाया था। यहां पर स्थित माता भद्रकाली की प्रतिमा पंडित राज जी ने स्थापित की थी। यहाँ शुरु में यह एक छोटा सा मंदिर था, लेकिन आज यह प्रमुख धार्मिक स्थान है जहां लाखों लोगों मां भद्रकाली में दर्शन करने आते हैं।
प्रतिवर्ष यहां दो दिन का मेला भी लगता है। निर्जला एकादशी से एक रात पहले कपूरथला के शालीमार बाग से शेखपुरा के इस मंदिर तक यात्रा निकाली जाती है। इसके बाद जगराता होता है और निर्जला एकादशी के दिन हवन किया जाता है।
8. कंजली वेल्टलैंड्स (Kanjli Wetlands)
कपूरथला शहर से पांच किमी. दूर एक छोटी सी नदी बीन है जिसके चारों ओर प्राकृतिक खूबसूरती बिखरी हुई है। बीन के किनारे बना विला बुआना विस्टा कपूरथला के पूर्व महाराजा का निवास स्थान है।
नजदीक है कंजली झील है जहां सर्दियों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। यह एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है। यहां पर पर्यटकों के लिए फिशिंग और बोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध है।
कपूरथला कैंसे पहुंचे (How to Reach Kapurthala)
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा अमृतसर कपूरथला से 54 किमी.दूर है।
रेल मार्ग: कुछ शताब्दी एक्सप्रेस और अन्य रेलगाडि़यां दिल्ली से जालंधर के बीच चलती हैं।
सड़क मार्ग: ग्रैंड ट्रंक रोड के रास्ते में होने के कारण यहां सड़क मार्ग से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कहां ठहरें– कपूरथला में छोटे होटल हैं बड़े होटल यहां से 19 किमी. दूर जालंधर में मिलेंगे।