Amarnath Travel Guide: कैसे करें अमरनाथ यात्रा जानिए…
अमरनाथ मंदिर (Amarnath Temple) हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।
Amarnath Yatra 2022 Travel Guide: Dates, Routes, Registration

अमरनाथ की पवित्र गुफा में कोई मानव निर्मित मंदिर नहीं है। न ही यह गुफा मनुष्य ने पहाड़ी को काट-काटकर तैयार की है। यह एक खुली, द्वारहीन, ऊबड़-खाबड़ गुफा है, जिसका निर्माण स्वयं प्रकृति ने किया है।
अमरनाथ के स्व निर्मित बर्फ के शिवलिंग (Amarnath Temple Shi lingam)
अमरनाथ मंदिर, समुद्र तल से 1600 फुट की ऊंचाई पर लगभग 60 फुट लंबी, 25 से 30 फुट चौड़ी तथा 15 फुट ऊंची प्राकृतिक गुफा में बना है। गुफा में ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं।

यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। और पढ़ें: शिव पूजा में ध्यान रखने योग्य बातें
यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।
आश्चर्य की बात यह है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कुछ दूरी पर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं। और पढ़ें: जाने, शिव को क्यों पसंद है बेलपत्र
अमरनाथ मंदिर पौराणिक मान्यता (Amarnath Temple Mythological Believe in Hindi)
अमरनाथ का पवन-पावन क्षेत्र कश्मीर में पड़ता है। यहां की यात्रा बड़ी ही पुण्यप्रद और मुक्तदायिनी मानी जाती है। यहां पवित्र गुफा में हिमनिर्मित प्राकृतिक शिवलिंग हैं।
अमरनाथ के बारे में प्राचीन मान्यता के अनुसार यह कथा प्रचलित है कि गुफा के अंदर सफेद कबूतरों का एक जोड़ा कभी-कभी दिखाई पड़ता है। जो भगवान शिव का उपासक है। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान 51 शक्तिपीठ में से एक है। यहां देवी सती का कंठ गिरा था।
अमरनाथ यात्रा का सही समय (Best time to visit Amarnath Temple in Hindi)
अमरनाथ की यात्रा का सबसे सही समय जून से शुरू होकर अगस्त के अंत तक रहता है। क्योंकि सर्दियों में बर्फ़बारी होने और अधिक ठंड पड़ने के कारण अमरनाथ की गुफा जाने वाले रास्ते बंद हो जाते है।
ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान शिव इस गुफा में पहले-पहल श्रावण की पूर्णिमा को आए थे, इसलिए उस दिन अमरनाथ की यात्रा का विशेष महत्त्व है। श्रवण (अगस्त) के बाद ठंडा मौसम प्रारंभ हो जाता है, इसलिए यात्रा के लिए सुविधाजनक श्रावण (अगस्त) का महीना ही है। और पढें: रुद्राभिषेक से करें शिव को प्रसन्न
Amarnath Routes: अमरनाथ यात्रा मार्ग (पहलगाम और बालटाल)
अमरनाथ यात्रा पर जाने के दो रास्ते हैं-
- पहलगाम
- बालटाल
बालटाल (जोखिम भरा रास्ता): बलटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल 14 किलोमीटर है और यह बहुत ही दुर्गम और सुरक्षा की दृष्टि से भी संदिग्ध है। रोमांच और जोखिम लेने का शौक रखने वाले लोग इस मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं। रास्ते में किसी अनहोनी के लिए भारत सरकार जिम्मेदारी नहीं लेती है।
पहलगाम (सुरक्षित रास्ता): पहलगाम से जानेवाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा है। इसीलिए अधिकतर यात्रियों को पहलगाम के रास्ते अमरनाथ जाते है।
पहलगाम से अमरनाथ (How can I go Amarnath from Pahalgam?)
पहलगाम जम्मू से 315 किलोमीटर की दूरी पर है। यह विख्यात पर्यटन स्थल भी है और यहाँ का नैसर्गिक सौंदर्य देखते ही बनता है। आप पहलमान तक किसी भी सवारी से पहुँचें, यहाँ से आगे जाने के लिए अपने पैरों का ही इस्तेमाल करना होगा। अशक्त या वृद्धों के लिए सवारियों का प्रबंध किया जा सकता है।
चंदनबाड़ी: पहलगाम के बाद पहला पड़ाव चंदनबाड़ी है, जो पहलगाम से आठ किलोमीटर की दूरी पर है। पहली रात तीर्थयात्री यहीं बिताते हैं। यहाँ रात्रि निवास के लिए कैंप लगाए जाते हैं। चंदनवाड़ी में अच्छे होटल उपलब्ध है। दूसरे दिन पिस्सु घाटी की चढ़ाई शुरू होती है। कहा जाता है कि पिस्सु घाटी पर देवताओं और राक्षसों के बीच घमासान लड़ाई हुई जिसमें राक्षसों की हार हुई।
शेषनाग: चंदनबाड़ी से 14 किलोमीटर दूर शेषनाग में अगला पड़ाव है। यह मार्ग खड़ी चढ़ाई वाला और खतरनाक है। यहीं पर पिस्सू घाटी के दर्शन होते हैं। पिस्सू घाटी समुद्रतल से 11,120 फुट की ऊँचाई पर है। यहाँ पर्वतमालाओं के बीच नीले पानी की खूबसूरत झील है।
यह झील करीब डेढ़ किलोमीटर लम्बाई में फैली है। किंवदंतियों के मुताबिक शेषनाग झील में शेषनाग का वास है। तीर्थयात्री यहाँ तम्बू में रात्रि विश्राम करते हैं। तम्बू किराए पर लेते समय पर्ची अवश्य कटवाए।
पंचतरणी: शेषषनाग से पंचतरणी आठ मील के फासले पर है। मार्ग में बैववैल टॉप और महागुणास दर्रे को पार करना पड़ता हैं, जिनकी समुद्रतल से ऊँचाई क्रमश: 13,500 फुट व 14,500 फुट है। ऊँचाई की वजह से यहां अत्यधिक ठंड और ऑक्सीजन की कमी रहती हैं। इस मार्ग में चलते समय हाथों तथा मुख में वैसलीन लगानी चाहिए। जहां मिचली आए, वहां खटाई चूसने से आराम मिलता है।
महागुणास चोटी से पंचतरणी तक का सारा रास्ता उतराई का है। पांच छोटी-छोटी सरिताएँ बहने के कारण ही इस स्थल का नाम “पंचतरणी” पड़ा है। यह स्थान चारों तरफ से पहाड़ों की ऊंची-ऊंची चोटियों से ढका है।
अमरनाथ की गुफा यहाँ से केवल आठ किलोमीटर दूर रह जाती हैं और रास्ते में बर्फ ही बर्फ जमी रहती है। इसी दिन गुफा के नजदीक पहुँच कर पड़ाव डाल रात बिता सकते हैं और दूसरे दिन सुबह पूजा अर्चना कर पंचतरणी लौटा जा सकता है। कुछ यात्री शाम तक शेषनाग तक वापस पहुँच जाते हैं।
टिप्स: अमरनाथ के आसपास ठहरने का स्थान नहीं है। इसलिए यात्री को पंचतरणी में जलपान करके ही अमरनाथ आना चाहिए। यहां स्नान तथा दर्शन करके शाम तक यात्री पंचतरणी लौट आते हैं। वहां रात्रि विश्राम के लिए धर्मशाला है।
अधिकांश यात्री पहले दिन पहलगांव से चलकर रात्रि विश्राम शेषनाग में करते हैं। दूसरे दिन शेषनाग से चलकर अमरनाथ तक चले जाते हैं और वहां से दर्शन करके लौटकर पंचतरणी में विश्राम करते हैं। तीसरे दिन पंचतरणी से चलकर प्रायः पहलगांव पहुंच जाते हैं। इस प्रकार यात्रा में केवल तीन दिन का समय लगता है।
अमरनाथ यात्रा में आवश्यक वस्तु (What should we carry for Amarnath Yatra?)
गर्म कपड़े: अपने बैग में पर्याप्त गर्म कपड़े जरूर रखें। साथ ही टोपी और गलव्स ले जाना न भूलें। यात्रा पर जाते समय अपने साथ रेनकोट और स्पोर्टस जूते जरूर रखें। यात्रा में टॉर्च, मोबाइल और एक छड़ी भी साथ रखना चाहिए।
आईडी प्रूफ: यात्रा के दौरान आईडी प्रूफ और 2 फ़ोटो अवश्य रखें। इसके अलावा अपने किसी साथी यात्री का नाम, पता और नंबर लिखी पर्ची जरूर अपने पॉकिट में रखें।
एनर्जी ड्रिंक और ड्राई फ्रूट्स: अपने साथ पानी की बोतल, एनर्जी ड्रिंक और प्रयाप्त Dry Fruits भी साथ लेकर चले।
जरूरी दवाई: ऊपर पहुंचकर बहुत सारे लोगों को ऑक्सीजन की परेशानी होती है। ऐसे में अपने साथ ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने की दवा व इंस्टेंट ऑक्सीजन स्प्रे ले जाना न भूलें। यदि आपको किसी तरह की दिक्कत हो रही है तो आर्मी ऑफिसर को बताएं। वहां कदम कदम पर आर्मी के जवा खड़े होते हैं।
कोल्ड क्रीम: अमरनाथ के मौसम को देखते हुए अपनी स्किन का ख्याल रखने के लिए सनस्क्रीन, लिपबाम, कोल्ड क्रीम जरूर कैरी करें।
Tips: ध्यान रखें यात्रा पर जाते समय आपका बैग ज्यादा भारी न हो। भारी भरकम बैग आपकी यात्रा में परेशानी खड़ी कर सकता है।आप चाहे तो ऊपर दिए गए सभी सामान पहलगांव से भी खरीद सकते हैं। बरसाती साथ न हो तो वह पहलगांव से किराए पर मिल सकती है। परंतु कीमत के मामले में समझौता अवश्य करना पड़ सकता है।
Amarnath Yatra (FAQs)
निष्कर्ष: अमरनाथ की यात्रा काफी कठिन है, लेकिन अमरनाथ की पवित्र गुफा में पहुँचते ही सफर की सारी थकान पल भर में छू-मंतर हो जाती है और अद्भुत आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है।
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