Mahabharat Characters: महाभारत के प्रमुख पात्र और उनका संक्षिप परिचय
Mahabharat main character: आपने कई बार Tv सीरियल में महाभारत (mahabhart) देखा होगा, या फिर किस्से कहानीयो में विभिन्न पात्रों के बारे में जरूर सुना होगा। लेकिन आपसे से अधिकांश इन पात्रों के बारे में नही जानते होंगे। आइये जानते है, महाभारत के प्रमुख पात्र और उनका संक्षिप्त परिचय…
महाभारत के प्रमुख पात्रों का परिचय (Introduction to Major Characters of Mahabharat)
महाभारत में यूं तो हजारों किरदार हैं, लेकिन यहां हम महाभारत के प्रमुख पात्रों का संक्षेप परिचय दे रहे है। जिनका महाभारत के युद्ध से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संबंध रहा है।
अंबा: अंबा काशी नरेश की पुत्री थी। अम्बालिका और अम्बिका की बहन। जो शिखंडी के रूप में जन्म लेकर भीष्म पितामह की मृत्यु का कारण बनी।
अंबालिका: अंबा तथा अंबिका की बहन काशी नरेश की पुत्री पांडु की माता।
अंबिका: अंबा की बहन। काशी नरेश की पुत्री। धृतराष्ट्र की माता।
अर्जुन: महाभारत का एक प्रमुख पात्र। कुंती और पांडु का तीसरा पुत्र। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर और महापराक्रमी योद्धा। द्रौपदी स्वयंवर में द्रौपदी का वरण करने वाला।
अभिमन्यु: अर्जुन और सुभद्रा का वीर पुत्र महाभारत के युद्ध में द्रोणाचार्य द्वारा रचित चक्रव्यूह को भेदनेवाला प्रसिद्ध शूरवीर।
अधिरथ: सत्कर्मा पुत्र, रथ हाँकने वाला। कर्ण का पालन-पोषण करने वाला पिता। कुन्ती ने कर्ण को लोकलाज के भय से टोकरी में रखकर गंगा में प्रवाहित कर दिया था। यह पेटी अधिरथ और राधा को मिली थी।
अश्वत्थामा: शिव ने गुरु द्रोणाचार्य और कृपि की तपस्या से खुश होकर तेजश्वी बाल़क का वर दिया। जन्म से ही अश्वत्थामा के मस्तक में एक अमूल्य मणि विद्यमान थी। जो कि उसे दैत्य, दानव, शस्त्र, व्याधि, देवता, नाग आदि से निर्भय रखती थी।
आर्ण्यश्रृंग: बकासुर का पुत्र।
उलूपी: अर्जुन की पत्नी, ऐरावत वंश नागराज शेषनाग के अनुज वासुकी और राजमता विषवाहिनी की दत्तक पुत्री। अर्जुन से उलूपी ने इरावान नामक पुत्र को जन्म दिया।
उर्वशी: स्वर्ग की सुंदर अप्सरा। जिसने अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप दिया।
उत्तर कुमार: राजा विराट का पुत्र। पांडव आज्ञातवास में राजा विराट के यहां पर रुके थे। उसने बड़ी वीरता के साथ राजा शल्य के साथ युद्ध किया था। जब उत्तर मारा था तब राजा शल्य ने हाथ जोड़ कर उत्तर को नमन किया था।
उत्तरा: राजा राजा विराट की पुत्री थी। अभिमन्यु की पत्नी परीक्षित की माता। जब पाण्डव अज्ञातवास कर रहे थे, उस समय अर्जुन (वृहनलला) ने उत्तरा को नृत्य, संगीत आदि की शिक्षा दी थी।
कुंती: यादव नरेश शूरसेन की कन्या ‘पृथा’। शूरसेन के फुफेरे भाई कुंतिभोज के यहाँ रहने के कारण ‘कुंती’ नाम पड़ा। पांडु की पत्नी कर्ण, युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन की माता।
कर्ण: सूर्य और कुंती का पुत्र। रथवाहक अधिरथ और उसकी पत्नी राधा द्वारा पालित। प्रसिद्ध दानवीर और धनुर्धर।
कृपाचार्य: कौरवों और पांडवों के गुरु, महान धुरंधर। सात चिरंजीवियों में वे भी एक हैं। कुरुक्षेत्र के युद्ध में ये कौरवों के पक्ष से लड़े थे। भागवत के अनुसार सावर्णि मनु के समय कृपाचार्य की गणना सप्तर्षियों में होती है। और पढ़ें: सप्तऋषियों का रहस्य
महर्षि गौतम शरद्वान की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र ने जानपदी नामक एक देवकन्या भेजी थी, जिसके गर्भ से दो भाई-बहन हुए।महाराज शांतनु ने इनका पालन पोषण किया जिससे इनके नाम कृप तथा कृपी पड़ गए। इनकी बहन कृपी का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ और उनके पुत्र अश्वत्थामा हुए।
कृतवर्मा: कृतवर्मा भोजवंशीय हृदिक का पुत्र और वृष्णिवंश के सात सेनानायकों में एक। महाभारत युद्ध कौरवों के पक्ष में था। निशाकाल के सौप्तिक युद्ध में इसने अश्वत्थामा का साथ दिया तथा शिविर से भागे हुए योद्धाओं का वध किया और पांडवों के शिविर में आग लगाई। मौसल युद्ध में सात्यकि ने इसका वध किया।
श्रीकृष्ण: विष्णु अवतार। वसुदेव और देवकी के पुत्र नंद और यशोदा द्वारा पालित। श्रेष्ठ, वीर, ज्ञानी, दार्शनिक, गीता के उपदेशक और कुशल राजनीतिज्ञ। और पढ़ें: भगवान विष्णु के दशावतार
गांधारी: गांधार के राजा की पुत्री, धृतराष्ट्र की पत्नी, और दुर्योधन की माता। गांधारी देख सकती थीं लेकिन पति के आँखों से विकलांग होने के कारण उन्होंने खुद की आँखों पर भी हमेशा के लिए एक पट्टी बाँध ली थी।
घटोत्कच: भीम और हिडिंबा पुत्र और बहुत बलशाली वह महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक था।
चित्रांगद: सत्यवती के गर्भ से उत्पन्न राजा शांतनु के एक पुत्र और विचित्रवीर्य के बडे़ भाई थे। शान्तनु का स्वर्गवास चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाल्यकाल में ही हो गया था, इसलिये उनका पालन-पोषण भीष्म ने किया।
चित्रांगदा: जब अर्जुन इन्द्रप्रस्थ की ओर से मैत्री संदेश लिये मणिपुर राजधानी पहुंचे तब वहाँ की राजकुमारी चित्रांगदा अर्जुन पर मोहित हो गई। श्री कृष्ण के परामर्श से अर्जुन ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और चित्रांगदा से विवाह रचा लिया। चित्रांगदा से वभ्रुवाहन नामक पुत्र हुआ।
जयद्रथ: सिंधु नरेश वृद्धक्षत्र के पुत्र थे। इनका विवाह कौरवों की एकमात्र बहन दुःशला से हुआ था। इन्हें वरदान प्राप्त था, कि जयद्रथ का वध कोई सामान्य व्यक्ति नहीं कर पायेगा। जो भी जयद्रथ को मारकर जयद्रथ का सिर ज़मीन पर गिरायेगा, उसके सिर के हज़ारों टुकड़े हो जायेंगे। जयद्रथ का वध अर्जुन ने किया था।
दुर्योधन: राजा धृतराष्ट्र और रानी गांधारी के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा। परंतु दुर्योधन अपने चचेरे भाई युधिष्ठर से छोटा था। जिस कारण हस्तिनापुर का राजा न बन सका। दुर्योधन की महत्वाकांक्षाए के कारण महाभारत का युद्ध हुआ।
दुःशासन: दुर्योधन का अनुज, धृतराष्ट्र का दूसरा पुत्र। इसी ने जुए के उपरांत दुर्योधन के कहने पर द्रौपदी का चीर हरण किया था। दुशासन का वध भीम ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान किया था।
देवव्रत (भीष्म): शांतनु और गंगा के पुत्र। आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा के कारण ‘भीष्म’ नाम से विख्यात हुए। कौरवों और पांडवों के पितामह, महान योद्धा श्रेष्ठ, वीर और नीति-विशारद।
द्रुपद: पांचाल देश के नरेश द्रोणाचार्य के सहपाठी और सखा। द्रौपदी, धृष्टद्युम्न तथा शिखंडी के पिता। महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से लड़े थे।
द्रोपदी: पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री। इन्हें अर्जुन स्वयंवर में जीतकर लाये थे। कृष्णेयी, यज्ञसेनी, महाभारती, सैरंध्री, पांचाली, अग्निसुता आदि अन्य नामो से भी विख्यात है। द्रौपदी पिछले जन्म में ऋषि मुद्गल की भार्या थीं। द्रौपदी पंच-कन्याओं में से एक हैं जिन्हें चिर-कुमारी कहा जाता है।
धृतराष्ट्र: महाराज विचित्रवीर्य की पहली पत्नी अंबिका के पुत्र थे। वे विदुर से छोटे तथा पाण्डु के बड़े भाई थे। धृतराष्ट्र जन्म से ही नेत्रहीन थे। उनकी पत्नी का नाम गांधारी था। सौ पुत्रों और एक पुत्री के पिता थे। बाद में ये सौ पुत्र कौरव कहलाए।
धृष्टद्युम्नः धृष्टद्युम्न पांचालराज द्रुपद का पुत्र। पांडव सेना का सेनापति। द्रोणाचार्य का विनाश करने के लिये, प्रज्त्रलित अग्निकुंड से इसका प्रादुर्भाव हुआ था। फिर उसी वेदी में से द्रौपदी प्रकट हुई थी।
नकुल: महाभारत में पाँच पांडवो में से एक थे। नकुल और सहदेव, दोनों माता माद्री के असमान जुड़वा पुत्र थे। इनका जन्म दैवीय चिकित्सकों अश्विन कुमार के वरदान स्वरूप हुआ था।
परीक्षित: अर्जुन के पौत्र अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र तथा जनमेजय के पिता थे। जब ये गर्भ में थे तब अश्वत्थामा ने ब्रम्हशिर अस्त्र से परीक्षित को मारने का प्रयत्न किया। किन्तु श्रीकृष्ण ने अपने योगबल से उत्तरा के मृत पुत्र को जीवित किया था।
पांडु: हस्तिनापुर के महाराज विचित्रवीर्य और उनकी दूसरी पत्नी अम्बालिका के पुत्र थे। इनका जन्म महर्षि वेद व्यास के वरदान स्वरूप हुआ था। बड़े भाई धृतराष्ट्र के जन्मांध होने के कारण हस्तिनापुर नरेश कहलाए। इनका विवाह कुंती और माद्री से हुआ जिनसे पांडव हुए।
पुरोचन: दुर्योदन का मंत्री था, इसी ने दुर्योदन के कहने पर पाडवो को मारने के लिए लाख का घर बनवाया था ताकि पाडवो को जलाकर दुर्योदन को हस्तिनापुर का राज्य मिल सके।
बलराम: बलभद्र या बलराम श्री कृष्ण के बड़े भाई थे जो रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। इन्हें शेषनाग के अवतार माना जाता है। गदा- युद्ध में कुशल तथा पारंगत।
भीम: पांडु और कुंती के पुत्र। ये पवनदेव के वरदान स्वरूप कुन्ती से उत्पन्न हुए थे। सभी पाण्डवों में वे सर्वाधिक बलशाली और श्रेष्ठ कद-काठी के थे। इन्ही के द्वारा दुर्योधन के वध के साथ ही महाभारत के युद्ध का अंत हो गया।
माद्री: पांडु की दूसरी पत्नी राजा शल्य की बहन नकुल और सहदेव की माता।
युधिष्ठिर: पांडु के सबसे बड़े पुत्र धर्मराज सत्य, न्याय और धर्म के लिए प्रसिद्ध। और पढ़ें: यक्ष ने युधिष्ठिर संवाद
युयुत्सु: कौरवों का सौतेला भाई। गांधारी की दासी के साथ धृतराष्ट्र का पुत्र। यह पांडवों के लिए लड़ने वाले एकमात्र कौरव थे। इन्होंने युद्ध आरम्भ होने से पूर्व ही युधिष्ठिर के आह्वान पाण्डव के पक्ष में लड़ने का निर्णय किया था। युयुत्सु युद्ध में जीवित बचे ग्यारह योद्धाओं में से एक था।
विदुर: कौरवो और पांडवो के चाचाश्री और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। उनके पिता विचित्रवीर्य और माता अम्बालिका थी। विदुर को उनके विद्वानता और धर्मनीति के लिए जाना जाता था।
विराट: विराट नगर के नरेश, कीचक का जीजा (बहनोई) तथा उत्तरा व कुमार उत्तर का पिता तथा अर्जुन का सम्धी तथा रानी सुदेषणा का पति था। इनके यहाँ पांडवों ने अज्ञातवास का एक वर्ष बिताया।
वेद व्यास: कृष्णद्वैपायन वेदव्यास महर्षि पराशर और सत्यवती के यशस्वी पुत्र थे। इन्होंने ही संजय को दिव्य दृष्टि दी थी, जिससे वह युद्ध दृश्य को देख सकते थे। वेदव्यास महाभारत के रचयिता भी थे, महाभारत ग्रंथ का लेखन भगवान् गणेश ने महर्षि वेदव्यास से सुन सुनकर किया था। इन्हें पुराणों का संकलनकर्ता भी माना जाता है।
शकुनि: गंधार साम्राज्य (वर्तमान अफगानिस्तान) का राजा, सुबल और सुधर्मा का पुत्र, गांधारी का भाई, धृतराष्ट्र का साला तथा कौरवों का मामा। यह चौसर क्रीड़ा का विशेषज्ञ था। इसे कुरुक्षेत्र के युद्ध के लिए दोषियों में प्रमुख माना जाता है।
इसने अपने भांजे दुर्योधन को पाण्डवों के प्रति कुटिल चालें चलने के लिए उकसाया। शकुनि का वध सहदेव के द्वारा 18 वें दिन के युद्ध में किया गया था। उलूक ,वृकासुर व वृप्रचिट्टी शकुनि तथा आरशी के पुत्र थे।
शल्य: माद्रा के राजा, पांडु पत्नी माद्री के भाई, नकुल और सहदेव के मामा थे। दुर्योधन ने उन्हे छल द्वारा अपनी ओर से युद्ध करने के लिए राजी कर लिया। उन्होने कर्ण का सारथी बनना स्वीकार किया और कर्ण की मृत्यु के पश्चात युद्ध के अंतिम दिन कौरव सेना का नेतृत्व किया और उसी दिन युधिष्ठिर के हाथों मारे गए।
शांतनु: हस्तिनापुर के महाराज प्रतीप के पुत्र। उनका विवाह गंगा से हुआ था। देवी गंगा से देवव्रत नाम का पुत्र हुआ। यही देवव्रत आगे चलकर भीष्म के नाम से जाने गए। शान्तनु का दूसरा विवाह निषाद कन्या सत्यवती से हुआ था
शिखंडी: महाभारत कथा के अनुसार काशीराज की ज्येष्ठ पुत्री अम्बा का ही दूसरा अवतार शिखंडी के रूप में हुआ था। प्रतिशोध की भावना से उसने भगवान शंकर की घोर तपस्या की और उनसे वरदान पाकर महाराज द्रुपद के यहाँ जन्म लिया।
कुरुक्षेत्र के युद्ध में 10 वें दिन वह भीष्म के सामने आ गया, लेकिन भीष्म ने उसके रूप में अंबा को पहचान लिया और अपने हथियार रख दिए। अर्जुन ने अंबा के पीछे से उनपर बाणों की बौछर लगा दी और उन्हें बाण शय्या पर लिटा दिया।
शिशुपाल: चेदि देश का नरेश। कृष्ण की बुआ का पुत्र। भगवान श्रीकृष्ण को भरी सभा में अपमानित किया, जिसके चलते भगवान ने उसका सिर सुदर्शन चक्र से काट दिया।
संजय: गावाल्गण के पुत्र, वेद व्यास के शिष्य और धृतराष्ट्र के सारथी। इन्होने अपनी दिव्य दृष्टि से कुरुक्षेत्र के युद्ध का हाल धृतराष्ट्र को सुनाया।
सत्यवती: धीवर पुत्री तथा शांतनु की पत्नी चित्रांगद और विचित्र वीर्य की माँ।
सहदेव: पांडु का पाँचवाँ तथा सबसे छोटा पुत्र, माता का नाम माद्री। इनका जन्म देव चिकित्सक अश्विनों कुमार के वरदान स्वरूप हुआ था। सहदेव त्रिकालदर्शी थे वे परशु अस्त्र के निपुण योद्धा थे। अज्ञातवास के समय इन्होंने तंतीपाल नाम धारण कर गायों की देखभाल करने का कार्य किया।
सात्यकि: यादवों के एक कुल का राजकुमार, कृष्ण का अभिन्न मित्र एवं महाभारत के समय पाण्डवों की ओर से लडने वाला एक योद्धा था। इसी ने आगे चलकर कृतवर्मा का वध किया था। यह उन चंद लोंगों में से था जो कि महाभारत के बाद जीवित बच गए थे।
सुभद्रा: कृष्ण तथा बलराम की बहन, कृष्ण के सुझाव से सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था, अभिमन्यु इनका ही पुत्र था।
सुदेष्णा: महाभारत में, सुदेष्णा, राजा विराट की पत्नी थी। विराट के राजमहल में ही पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान छुपकर एक वर्ष बिताया था। सुदेषणा उत्तर, उत्तरा, श्वेता और शंख की माँ थी। उसका कीचक नामक एक भाई था।
सुशर्मा: त्रिगर्त देश का नरेश। एक महान योद्धा और अर्जुन का कट्टर प्रतिद्वंदी। तेरहवें दिन के युद्ध में उसने अर्जुन को चक्रव्यूह से दुर रखने का कार्य किया। क्योंकि कौरव सेनापति द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए चक्रव्यूह की रचना की हुई थी और पाण्डव सेना में अर्जुन के अतिरिक्त कोई भी चक्रव्यूह भेदन नहीं जानता था। वीर सुशर्मा अपने भाइयों समेत अर्जुन द्वारा उसी दिन के युद्ध मे मारा गया।
हिडिंबा: राक्षस कुल में जन्म लेनेवाली। भीम की पत्नी और घटोत्कच की माता। हिमाचल प्रदेश के मनाली में हिडिम्बा और पुत्र घटोत्कच के मंदिर आज भी हैं।
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