Skip to content

imvashi

  • Home
  • HindusimExpand
    • Vrat Tyohar
    • Devi Devta
    • 10 Mahavidya
    • Pauranik katha
  • TempleExpand
    • Jyotirlinga
    • ShaktiPeeth
  • AstrologyExpand
    • Jyotish
    • Face Reading
    • Shakun Apshakun
    • Dream
    • Astrologer
    • Free Astrology Class
  • BiogpraphyExpand
    • Freedom Fighter
    • Sikh Guru
  • TourismExpand
    • Uttar Pradesh
    • Delhi
    • Uttarakhand
    • Gujarat
    • Himachal Pradesh
    • Kerala
    • Bihar
    • Madhya Pradesh
    • Maharashtra
    • Manipur
    • Kerala
    • Karnataka
    • Nagaland
    • Odisha
  • Contact Us
Donate
imvashi
Donate

प्रदोष व्रत कथा और पूजन विधि

Byvashi Vrat Tyohar
4.8/5 - (5459 votes)

Pradosh Vrat: हिन्दू कलेंडर अनुसार प्रत्येक माह की दोनों पक्षों की त्रयोदशी (13वी तिथि) के दिन संध्याकाल के समय को ‘प्रदोष’ कहा जाता है। प्रदोष शिवजी को श्रावण मास तथा महा शिवरात्रि की तरह ही प्रिय है।

इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी कष्ट और पाप नष्ट होते हैं एवं मनुष्य को अभीष्ट की प्राप्ति होती है।



प्रदोष (त्रयोदशी) व्रत कथा (Pradosh Vrat Story in Hindi)

नाम प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)
तिथि प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि 
धर्म हिन्दू धर्म 
देवता शिव 
उदेश्य सर्वकमाना पूर्ति  
सम्बंधित लेख द्वादश ज्योतिर्लिंग, एकादश रूद्र, मासिक शिवरात्रि,

स्कंद पुराण की एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर भिक्षा मांगने जाती और संध्या को लौटती थी।

एक दिन जब वह भिक्षा मांगकर लौट रही थी तो उसे नदी किनारे एक सुंदर बालक दिखाई दिया, जो विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था। उसकी माता की भी अकाल मृत्यु हुई थी।

ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और उसका पालन-पोषण करने लगी।कुछ समय पश्चात ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ देवयोग से देव मंदिर गई। वहां उनकी भेंट ऋषि शाण्डिल्य से हुई। ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को बताया कि जो बालक उन्हें मिला है वह विदर्भ देश के राजा का पुत्र है, जो युद्ध में मारे गए थे और उनकी माता को ग्राह ने अपना भोजन बना लिया था। ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मण को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। ऋषि आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया।

एक दिन दोनों बालक वन में घूम रहे थे तभी उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आई। ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार ‘धर्मगुप्त’ अंशुमती’ नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगे। गंधर्व कन्या और राजकुमार एक-दूसरे पर मोहित हो गए। कन्या ने विवाह के लिए राजकुमार को अपने पिता से मिलने के लिए बुलाया। दूसरे दिन जब वह पुनः गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता को बताया कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है। भगवान शिव की आज्ञा से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से कराया।

इसके बाद राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर पुन: आधिपत्य प्राप्त किया। यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था। स्कंद पुराण अनुसार जो भक्त प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा के बाद एकाग्र होकर प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है उसे सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती।


प्रदोष व्रत महत्व | Importance of Pradosh Vrat In Hindi

हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला होता है। प्रत्येेेक माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। 

मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। शिवजी को प्रदोष श्रावण मास तथा महा शिवरात्रि की तरह ही प्रिय है।

प्रदोष व्रत को हिन्दू धर्म में बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल 100 गायों के दान जितना होता है।

इस व्रत को करने से मनुष्य के संपूर्ण पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। सुहागिनों द्वारा इस व्रत के करने से उनका अखंड सुहाग बना रहता है।

प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल यानि संध्या समय में की जाती है। सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है।

वार अनुसार प्रदोष व्रत फल | Types & Benefits of Pradosh Vrat

अलग- अलग वारों के अनुसार प्रदोष व्रत के लाभ भी अलग-अलग होते हैं आइए जानते हैं किस तरह दिन के अनुसार व्रत का फल..

सोम प्रदोष- सोमवार के दिन त्रयोदशी पड़ने पर होने वाला व्रत आरोग्य प्रदान करता है। इंसान की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

भौम प्रदोष- मंगलवार के दिन त्रयोदशी का प्रदोष व्रत भौम प्रदोष व्रत कहलाता है। उस दिन के व्रत को करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।

बुध प्रदोष – बुधवार के दिन होने वाला प्रदोष व्रत आपकी सभी कामनाओं की पूर्ति करता है।

गुरु प्रदोष – गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत पड़े तो इस दिन के व्रत के फल से शत्रुओं का विनाश होता है।

शुक्र प्रदोष- शुक्रवार के दिन वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य प्रदान करता है। इस व्रत को करने से दाम्पत्य जीवन में सुख-शान्ति बनी रहती है।

शनि प्रदोष– संतान प्राप्ति के लिए शनिवार को होने वाला प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए।

रवि प्रदोष- रविवार के दिन होने वाले प्रदोष व्रत से आयु वृद्धि मिलती है। 


प्रदोष व्रत पूजन विधि | Pradosh vrat Pooja Vidhi

त्रयोदशी तिथि को ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान शिव का धूप दीप से पूजन कर पूरे दिन निराहार व्रत का संकल्प करें।

व्रती को इस पूरे दिन निराहार रहना है तथा दिनभर मन ही मन शिव का प्रिय मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते रहना चाहिए।

‘प्रदोषो रजनी-मुखम’ के अनुसार सायंकाल के बाद और रात्रि आने के पूर्व दोनों के बीच का जो समय है उसे प्रदोष कहते हैं, व्रत करने वाले को उसी समय भगवान शंकर का पूजन करना चाहिये।

संध्याकाल में सूर्यास्त होने के पौन घंटे पहले स्नान करके श्वेत वस्त्र पहने। ईशान कोण में किसी एकांत जगह पूजा के लिए उस स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लें।

अब धूप दीप नैवेद्य और पुष्प से शिव पार्वती की विधिवत पूजा अर्चना करें। तत्पश्चात प्रदोष व्रत कथा सुने अथवा सुनाए औऱ अंत मे भगवान शिव की आरती करें। प्रदोषकाल में जलायें 1, 32 अथवा 100 घी के दीपक अवश्य जलाए। (और पढ़ें: शिव पूजन में ध्यान रखने योग्य बाते

प्रदोष व्रत में क्या खाएं क्या न खाए? | Pradosh Vrat Fasting Rules

प्रदोष व्रत यूं तो निर्जला रखा जाता है। (परंतु अगर यह संभव न हो तो पूरे दिन सामर्थ्यानुसार या तो कुछ न खाये या फल ले।)

प्रदोष काल में शिव जी की पूजा करने के बाद ही भोजन (फल आहार) ग्रहण करें। ध्यान रखें प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक वर्जित है। इस समय आपको कुछ नहीं खाना है परंतु शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति फलाहार ले सकता है।


प्रदोष व्रत उद्यापन विधि | Pradosh Vrat Udhyapan in Hindi

प्रदोष व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों के साथ रखने के बाद ही उद्यापन करना चाहिए। व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि को ही किया जाता है।

उद्यापन करने से एक दिन पहले श्री गणेश पूजा किया जाता है। रात को कीर्तन करते हुए जागरण अथवा शिव मंत्र का जाप करें। प्रातः स्नानादि कार्य से निवृत होकर रंगीन वस्त्रों से मण्डप बनावें। फिर उस मण्डप में शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करके विधिवत पूजन करें।

तदन्तर खीर से अग्नि में हवन करना चाहिए। हवन करते समय ‘ॐ उमा सहित-शिवाय नमः‘ मन्त्र से 108 बार आहुति देनी चाहिये। हवन समाप्त होने के बाद भगवान शिव की आरती और शान्ति पाठ करें। अन्त में ब्राह्मण को सामर्थ्य अनुसार भोजन औऱ दान कर भगवान शंकर का स्मरण करते हुए व्रती को भोजन करना चाहिये।

इस प्रकार उद्यापन करने से व्रती पुत्र-पौत्रादि से युक्त होता है तथा आरोग्य है लाभ करता है। इसके अतिरिक्त वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है एवं सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है। ऐसा स्कन्द पुराण में कहा गया है।


2023 में प्रदोष व्रत कब है? | Pradosh Vrat Date And Muhurat Panchang / Calendar)

दिनांकव्रत और पक्ष
Saturday, 15 JanuaryShani Pradosh Vrat (S)
Sunday, 13 FebruaryPradosh Vrat (S)
Monday, 28 FebruarySoma Pradosh Vrat (K)
Tuesday, 15 MarchBhauma Pradosh Vrat (S)
Tuesday, 29 MarchBhauma Pradosh Vrat (K)
Thursday, 14 AprilPradosh Vrat (S)
Thursday, 28 AprilPradosh Vrat (K)
Friday, 13 MayPradosh Vrat (S)
Friday, 27 MayPradosh Vrat (K)
Sunday, 12 JunePradosh Vrat (S)
Sunday, 26 JunePradosh Vrat (K)
Monday, 11 JulySoma Pradosh Vrat (S)
Monday, 25 JulyPradosh Vrat (S)
Tuesday, 09 AugustBhauma Pradosh Vrat (S)
Wednesday, 24 AugustPradosh Vrat (K)
Thursday, 08 SeptemberPradosh Vrat (S)
Friday, 23 SeptemberPradosh Vrat (K)
Friday, 07 OctoberPradosh Vrat (S)

Related Posts

  • Holi Festival: होली कथा, मुहूर्त एवं पूजन विधि

  • Makar Sankranti: मकर संक्रांति क्यों और कैसे मनायें ?

  • Saturday Fasting: शनिवार व्रत कथा और पूजा विधि

  • Sunday Fasting: रविवार व्रत कथा और पूजा विधि

  • मोक्षदा एकादशी: व्रत कथा, मुहूर्त एवं पूजा विधि

Post Tags: #Shiv#Shiv Vrat#Vrat Tyohar

All Rights Reserved © By Imvashi.com

  • Home
  • Privacy Policy
  • Contact
Twitter Instagram Telegram YouTube
  • Home
  • Vrat Tyohar
  • Hinduism
    • Devi Devta
    • 10 Maha Vidhya
    • Hindu Manyata
    • Pauranik Katha
  • Temple
    • 12 Jyotirlinga
    • Shakti Peetha
  • Astrology
    • Astrologer
    • jyotish
    • Hast Rekha
    • Shakun Apshakun
    • Dream meaning (A To Z)
    • Free Astrology Class
  • Books PDF
    • Astrology
    • Karmkand
    • Tantra Mantra
  • Biography
    • Freedom Fighter
    • 10 Sikh Guru
  • Astrology Services
  • Travel
  • Free Course
  • Donate
Search