Saharsa (Bihar): History & Tourist Places in Hindi
सहरसा (Saharsa) भारत के बिहार राज्य के सहरसा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है।
Saharsa: History, Facts & Tourist Places In Hindi
राज्य | बिहार |
क्षेत्रफल | 27 वर्ग किमी |
ऊंचाई | समुद्र तल से 134 फीट |
भाषा | मैथली, हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | तारा स्थान, चंडी स्थान, मंडन भारती स्थान, सूर्य मंदिर, लक्ष्मीनाथ गोसाईं स्थल, दीवान बन मंदिर आदि। |
कब जाए | अक्टूबर से मार्च। |
यह एक प्राचीन स्थल है। जिसका उल्लेख शिव पुराण में भी मिलता है। पालों के शासनकाल में यह प्रशासनिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता था।
सहरसा के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best places to visit in saharsa)
कोशी नदी के तट पर बसा सहरसा बिहार का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। तारा स्थान, चंडी स्थान, मंडन भारती स्थान, सूर्य मंदिर, लक्ष्मीनाथ गोसाईं स्थल, कारु खिरहारी मंदिर तथा मत्स्यगंधा यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
1. तारा स्थान
यह स्थान सहरसा से 16 किलोमीटर दूर पश्िचम में महर्षि गांव में स्थित है। यहां भगवती तारा एक प्राचीन मंदिर है। मंदिर में भगवती तारा की मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि यह बहुत प्राचीन है। भक्तों को इस मूर्ति के नजदीक जाने नहीं दिया जाता है।
भक्त दूर से ही इस मूर्ति के दर्शन कर सकते हैं। भगवती तारा की मूर्ति के दूसरी ओर दो अन्य देवियों की छोटी मूर्तियां स्थापित है। स्थानीय लोग इन मूर्तियों की एकजाता और सरस्वती के रूप में पूजा करते हैं।
2. चंडी स्थान
सहरसा जिले के सोनबरसा प्रखंड में स्थित विराटपुर गांव देवी चंडी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस गांव का संबंध महाभारत काल के प्रसिद्ध राजा विराट से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि पांडवो ने अपने अज्ञातवास के 12 वर्ष इसी गांव में व्यतीत किया थे।
यह मंदिर तांत्रिक संप्रदाय से संबंधित है। महर्षि गांव में स्थित तारा मंदिर तथा धमहारा घाट पर स्थित कात्यायनी मंदिर एवं सोनबरसा में स्थित चंडी मंदिर को मिला कर तांत्रिक संप्रदाय का यहां एक प्रसिद्ध त्रिकोण बनता है। नवरात्रों के समय दूर-दूर से लोग देवी की पूजा करने यहां आते हैं।
3. मंडन भारती स्थान
यह स्थान महर्षि गांव में स्थित है। कहा जाता है कि इसी जगह पर जगतगुरु शंकराचार्य और यहां के स्थानीय निवासी मंडन मिश्र के बीच प्रसिद्ध शास्त्रार्थ हुआ था। इस शास्त्रार्थ में मंडन मिश्र की पत्नी भारती न्यायधीश थीं।
भारती एक विदूषी महिला थीं। इस शास्त्रार्थ में शंकराचार्य ने मंडन मिश्र को परास्त कर दिया था। मंडन मिश्र के हारने के बाद भारती ने शंकराचार्य से शास्त्रार्थ किया और शंकराचार्य को इस शास्त्रार्थ में हरा दिया।
4. सूर्य मंदिर
औरंगाबाद स्थित सूर्य मंदिर की तरह सहरसा के खंडाहा गांव में भी प्रसिद्ध सूर्य मंदिर स्थित है। इस मंदिर में सूर्य देवता की मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति में सूर्य देवता को सात घोड़ों वाले रथ पर सवार दिखाया गया है। यह मूर्ति ग्रेनाइट के एक ही चट्टान से बनी हुई है। इतिहासकारों का मानना है कि यह मूर्ति कर्नाट साम्राज्य के शासक नरसिंहदेव के काल की है।
ज्ञातव्य है कि नरसिंहदेव ने 12वीं शताब्दी में मिथिला क्षेत्र में शासन किया था। इस मंदिर को मुगल आक्रमणकारियों ने क्षति पहुंचाई। बाद में प्रसिद्ध संत और कवि लक्ष्मीनाथ गोसाईं ने मिलकर मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था।
5. लक्ष्मीनाथ गोसाईं स्थल
संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं का यह प्रसिद्ध स्थल जिला मुख्यालय से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वनगांव में स्थित है। यहां बरगद के एक विशाल वृक्ष के नीचे संत से संबंधित अवशेषों को सुरक्षित रखा गया है। यह स्थान पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
6. दीवान बन मंदिर
यह मंदिर शाहपुर-मंझौल में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है। कहा जाता है कि इस लिंग की स्थापना महाराजा शालिवान ने 100 ई. पू. में की थी। महाराजा शालिवान की कोई संतान नहीं थी। काफी समय के बाद उन्हें एक पुत्र हुआ और उसका नाम जीमूतवाहन रखा गया।
जीमूतवाहन के नाम पर हिन्दूओं का प्रसिद्ध त्योहार जितिया मनाया जाता है। इस स्थान का जिक्र शिव पुराण में भी मिलता है। दीवान बन का प्राचीन मंदिर कोशी नदी में बह गया। स्थानीय लोगों ने उसी स्थान नया दीवान बन मंदिर का पुर्ननिर्माण करवाया।
7. नौहटा
यह एक प्राचीन गांव है। इस गांव का अस्तित्व मुगलों के समय से ही है। वर्तमान में यह जिला मुख्यालय है। इस गांव में एक 80 फीट ऊंची शिव मंदिर है। यह मंदिर 1934 में आए भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया था।
बाद में श्रीनगर राज्य के राजा श्रीनद ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। यहां माधो सिंह की समाधि भी है। यह समाधि जमीन से 50 फीट ऊंची है। माधो सिंह की लडरी घाट की लड़ाई में मृत्यु हो गई थी।
8. उदही
यह गांव खारा प्रखंड में है। यहां देवी दुर्गा की एक प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा खुदाई के दौरान मिली थी। कहा जाता है कि सोने लाल झा को सपने में देवी ने किसी खास स्थान पर खुदाई करने का आदेश दिया।
उस स्थान पर खुदाई करने पर ही देवी की यह प्रतिमा मिली थी। बाद में उस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया। दूर-दूर से लोग देवी के दर्शन करने यहां आते हैं। प्रत्येक वर्ष महाअष्टमी को यहां एक मेले का आयोजन किया जाता हैं।
9. कारु खिरहारी मंदिर
संत कारु खिरहारी का यह मंदिर कोशी नदी के तट पर स्थित है। संत कारु शिवभक्त थे। यहां आने वाले भक्त यहां चढ़ावे के रुप में दूध चढ़ाते हैं। हाल ही में बिहार सरकार ने इस मंदिर को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने की घोषणा की है।
10. मत्स्यगंधा मंदिर (रक्त काली मंदिर तथा 64 योगिनी मंदिर)
सहरसा शहर में स्थित यह क्षेत्र पहले बंजर था। अब इस स्थान को एक पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया गया है। इस स्थल को सामूहिक रुप से मत्स्यगंधा परियोजना के नाम से जाना जाता है। यहां रक्त काली मंदिर है।
यह मंदिर अण्डाकार है। इस मंदिर के अंदरुनी दीवारों पर 64 देवियों की मूर्तियां उत्कीर्ण है। इस मंदिर को देखने दूर- दूर से लोग आते हैं। बिहार सरकार ने यहां एक खूबसूरत टूरिस्ट कॉम्पलेक्स का निर्माण करवाया है।
सहरसा कैंसे पहुंचे (How To Reach Sahrsa)
वायु मार्ग: पटना में स्थित जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा यहां का नजदीकी हवाई अड्डा है।
रेल मार्ग: सहरसा शहर में रेलवे स्टेशन है। यहां सभी प्रमुख शहरों से रेलगाडियां आती है।
सड़क मार्ग: सहरसा भारत के सभी प्रमुख शहरो से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
कहां ठहरें: सहरसा में ठहरने का कोई खास विकल्प नहीं है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटक इसके नजदीकी शहर पटना में ठहरते हैं। पटना के प्रमुख होटलों की सूची यहां दी जा रही है।